ब्रह्मांड में न जाने कितने रहस्य छुपे हैं!
DT 29 JULY 2023 # ब्रह्मांड में न जाने कितने रहस्य छुपे हैं!
By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे
ब्रह्मांड में न जाने कितने रहस्य छुपे हैं! आए दिन वैज्ञानिकों को ऐसी जानकारियां मिलती हैं, जो उन्हें चौंका देती हैं। नए मामले में एक ऐसे अज्ञात सोर्स का पता चला है, जो पृथ्वी की ओर बीते 35 साल से रेडियो विस्फोट (radio blasts) भेज रहा है। रिसर्चर्स अबतक नहीं जान पाए हैं कि कौन सी चीज हमारे ग्रह की ओर रेडियो तरंगों को भेज रही है। इन तरंगों का नेचर ऐसा है, जो वैज्ञानिकों के लिए एकदम नया है। रिसर्चर्स ने बताया है कि साल 1988 से लगातार हर 20 मिनट में पृथ्वी की ओर ऊर्जा के विस्फोट भेजे जा रहे हैं।
क्या ब्रह्मांड में एलियन हैं? क्या किसी दूसरे ग्रह पर जीवन है? दुनियाभर के वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई है। दुनिया में कई लोग ऐसे हैं, जो एलियन को देखने का दावा कर चुके हैं। आसमान में अक्सर अनआईडेंटिफाई फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) देखे जाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। कई लोगों ने एलियन को लेकर ऐसे दावे करते हैं, जिनके बारे में जानकर हैरानी होती है। कई बार ऐसा कहा गया है कि धरती के अलावा दूसरे ग्रहों पर भी जीवन मौजूद है। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख का भी कहना है कि एलियंस का अस्तित्व होना चाहिए। उनका कहना है कि यह नहीं कहा जा सकता है कि धरती के अलावा कहीं और जीवन नहीं है। उन्होंने एलियंस के होने की प्रबल संभावना जताई है। उन्होंने कुछ महीनों पहले एलियंस को लेकर पूछे गए सवाल पर बड़ी बात कही थी।
जर्नल नेचर में पब्लिश हुई जानकारी में बताया गया है कि पृथ्वी की ओर आ रही तरंगें कुछ-कुछ पल्सर (Pulsar) से निकलने वाले रेडियो विस्फोटों जैसी हैं। पल्सर एक प्रकार का न्यूट्रॉन तारा होता है। न्यूट्रॉन तारों का निर्माण तब होता है, जब एक मेन कैटिगरी का तारा अपने आकार और वजन की वजह से कंप्रेस हो जाता है। उसके बाद एक सुपरनोवा विस्फोट में यह ढह जाता है, जिसकी बदौलत पल्सर तारे बनते हैं।
वैज्ञानिकों ने जिन रेडियाे तरंगों का पता लगाया है, वो कुछ मिलीसेकंड से कुछ सेकंड तक आती हैं। लेकिन ये तरंगें पल्सर से ही आती हैं, रिसर्चर्स इस बात पर कन्फर्म नहीं हैं। खोजे गए ऑब्जेक्ट को वैज्ञानिकों ने GPMJ1839-10 नाम दिया है। अगर यह वाकई एक पल्सर है, तो इसके काम करने का तरीका ऐसा है, जिसे वैज्ञानिक असंभव मानते आए हैं।
यह सफेद बौना तारा या मैग्नेटर भी हो सकता है। हालांकि रिसर्चर्स का मानना है कि इस तरह के तारे ऐसा विस्फोट नहीं भेजते। रिसर्चर्स ने पाया पृथ्वी पर इस तरह की तरंगें साल 1988 से आ रही हैं। डेटा जुटाने वालों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। इस शोध के बारे में मैकगिल यूनिवर्सिटी की फिजिक्स प्रोफेसर, एम कास्पी का कहना है कि समय ही बताएगा इन आंकड़ों में क्या छुपा है। भविष्य में इस तरह की और भी खोजें हो सकती हैं।
क्या ये तरंगें दूसरी दुनिया से आ रही हैं? ऐसे सवाल भी आने वाले दिनों में उठाए जा सकते हैं। एलियंस पर भरोसा करने वाले वैज्ञानिक मुमकिन है कि इस पर कुछ कहेंगे।