शांति एवं अहिंसा के मूल्यों की स्थापना जरूरी: केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री

शांति एवं अहिंसा के मूल्यों की स्थापना जरूरी: कुलस्ते; www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) cs joshi editor 

नई दिल्ली, 20 जुलाई 2017
केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री फग्गन कुलस्ते ने कहा कि आतंकवाद और हिंसा मानवीय दृष्टि से एक अक्षम्य अपराध है। कोई भी धर्म आतंकवाद जैसे अमानवीय कृत को क्षम्य नहीं मानता। वर्तमान में देश जिन जटिल परिस्थितियों से जूझ रहा है, इन हालातों में शांति एवं अहिंसा जैसे मूल्यों की स्थापना जरूरी है। इसके लिए आचार्य नित्यानंद सूरीजी जैसे संतपुरुषों का मार्गदर्शन बहुत उपयोगी है।
श्री फग्गन कुलस्ते वल्लभ स्मारक, जी.टी. करनाल रोड पर संयम तप अर्द्धशताब्दी महोत्सव के अंतर्गत आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे। विदित हो कि इस वर्ष गच्छाधिपति श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी के दीक्षा के 50वें वर्ष में प्रवेश के अंतर्गत अनेक कार्यक्रमों की श्रृंखला में यह समारोह आयोजित हुआ।

 

इस अवसर पर गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् नित्यानंद सूरीजी ने कहा कि आज अहिंसक जीवनशैली की जरूरत है। जीवन अहिंसा से ही पवित्र हो सकता है। आतंकवाद का एकमात्र समाधान अहिंसा ही है। स्वस्थ समाज का आधार भी अहिंसा ही है। जो लोग हिंसा में समस्या का समाधान खोजते हैं वे दिग्भ्रमित एवं गुमराह हैं, ऐसे लोगों को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करने के लिए एक सुनियोजित कार्ययोजना बने, तभी अहिंसक समाज का निर्माण हो सकेगा। इस दृष्टि से हमलोग दिल्ली आये हैं, देश की अहिंसक शक्तियों को संगठित करना हमारा लक्ष्य है।
गणि राजेन्द्र विजयजी ने कहा कि हिंसा की स्थितियों पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है अहिंसा का प्रशिक्षण। उन्होंने कहा आज हिंसा के प्रशिक्षण के लिए करोड़ों-अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं, वहाँ अहिंसा के प्रशिक्षण की कहीं पर कोई योजना नहीं चल रही है। गणि राजेन्द्र विजय ने दुनिया को हिंसा व आतंक से मुक्त कराने के लिए अहिंसा के अनुसंधान पर बल दिया।

 

इस अवसर पर तप चक्रवर्ती आचार्य श्रीमद् विजय वसंत सूरीश्वरजी, आचार्य श्रीमद् विजय जयानंद सूरीश्वरजी, आचार्य श्रीमद् विजय चिदानंद सूरीश्वरजी, सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजयजी, साध्वी प्रगुणाश्रीजी एवं साध्वी अमितगुणाजी आदि उपस्थित थे। श्री कुलस्ते ने आगे कहा कि आचार्य श्रीमद् नित्यानंद सूरीश्वरजी के संस्कृति उत्थान, राष्ट्रीय एकता, नैतिक मूल्यों के जागरण, नशामुक्त एवं अहिंसक समाज निर्माण, साम्प्रदायिक सद्भावना, संस्कार एवं साधना-संयम की उत्कृष्ट पांच दशक की उपलब्धियां राष्ट्र के लिए अमूल्य धरोहर है। उन्होंने भगवान महावीर के अहिंसा एवं शांति के संदेश की आवश्यकता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें हिंसा और आतंकवाद के कारणों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने राष्ट्रीय एकता एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण के लिए महावीर के सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता व्यक्त की।
इस अवसर पर गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् नित्यानंद सूरीजी ने कहा कि आज अहिंसक जीवनशैली की जरूरत है। जीवन अहिंसा से ही पवित्र हो सकता है। आतंकवाद का एकमात्र समाधान अहिंसा ही है। स्वस्थ समाज का आधार भी अहिंसा ही है। जो लोग हिंसा में समस्या का समाधान खोजते हैं वे दिग्भ्रमित एवं गुमराह हैं, ऐसे लोगों को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करने के लिए एक सुनियोजित कार्ययोजना बने, तभी अहिंसक समाज का निर्माण हो सकेगा। इस दृष्टि से हमलोग दिल्ली आये हैं, देश की अहिंसक शक्तियों को संगठित करना हमारा लक्ष्य है।
गणि राजेन्द्र विजयजी ने कहा कि हिंसा की स्थितियों पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है अहिंसा का प्रशिक्षण। उन्होंने कहा आज हिंसा के प्रशिक्षण के लिए करोड़ों-अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं, वहाँ अहिंसा के प्रशिक्षण की कहीं पर कोई योजना नहीं चल रही है। गणि राजेन्द्र विजय ने दुनिया को हिंसा व आतंक से मुक्त कराने के लिए अहिंसा के अनुसंधान पर बल दिया। अखिल भारतीय संयम तप अर्धशताब्दी महोत्सव महासमिति के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन, श्री दीपक जैन, श्री एन. के. जैन, श्री अशोक जैन आदि ने श्री फग्गन कुलस्ते का साहित्य, शाॅल एवं माल्यार्पण के द्वारा स्वागत किया।

प्रेषकः

(बरुण कुमार सिंह)
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