रात में 11 बजे से चन्द्र ग्रहण – शिव चालीसा का पाठ करना उत्तम
रात में 11 बजे से चन्द्रग्रहण – शिव चालीसा करना उत्तम ; हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की विशेष प्रस्तुति- 5 जून 2020 को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पड़ रही है। यह दिन बहुत ही पावन है, इस दिन और इस साल यानि 2020 में एक चंद्रग्रहण लग रहा है। 5 जून की रात को 11 बजकर 16 मिनट से चंद्रग्रहण की शुरूआत हो जाएगी और इसकी समाप्ति होगी 2 बजकर 32 मिनट पर होगी। हल्दी में थोड़ा सा पानी मिलाकर के मुख्य दरवाजे या प्रवेश द्वार पर ऊँ और स्वास्तिक बनाइए।
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5 जून यानी आज रात इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है. ये एक उपछाया ग्रहण होगा जो रात में 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और 6 जून को तड़के 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा इस ग्रहण में चंद्रमा वृश्चिक राशि में ज्येष्ठ नक्षत्र में लगने वाला है. वृश्चिक राशि में ग्रहण लगने के कारण इस राशि के लोगों पर चंद्र ग्रहण का ज्यादा प्रभाव होगा. ग्रहण काल के दौरान भगवान शिव की चालीसा का पाठ करें और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों का जाप करें.
आज रात 11 बजकर 15 मिनट पर साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है. यह ग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा जो 6 जून को तड़के 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा. चंद्र ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लग रहा है, जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और भारत में दिखाई देगा. हालांकि, ज्योतिष में उपछाया ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता है. इसमें चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया के बजाय उसकी बाहरी छाया से ही होकर निकल जाता है. आज पड़ने वाले चंद्र ग्रहण की एक और खास बात ये है कि इसे स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon) भी कहा जा रहा है. इस ‘स्ट्रॉबेरी चंद्र ग्रहण’ में चांद का 57 फीसदी हिस्सा पृथ्वी की उपछाया में चला जाएगा. हालांकि लोगों को ये स्ट्राबेरी मून एक पूर्ण चंद्रमा के रूप में ही दिखाई देगा. स्ट्रॉबेरी चंद्र ग्रहण में उपछाया ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छाया और गहरी हो जाती है. इसे रोज मून, हॉट मून और मिड मून के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में पूर्ण चंद्रमा को वट पूर्णिमा से जोड़कर देखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं.
शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित् शक्ति प्रकट होती है। चित् शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है।> > ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का हर दिन शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है।
शिव चालीसा का पाठ करने से डर या भर से भी छुटकारा मिलता है। इसके लिए जय गणेश गिरीजा सुवन” मंगल मूल सुजान, कहते अयोध्या दास तुम” देउ अभय वरदान वाली लाइन पढ़ें।
हिन्दू धर्म में शिव चालीसा का खास महत्व है। शिव जी को प्रसन्न करने का यह सबसे सरल उपाय है, तो आइए हम आपको शिव चालीसा की महिमा के बारे में बताते हैं। हिन्दू धर्म में भक्त सरल भाषा में जो भगवान की प्रार्थना करता है उसे चालीसा कहते हैं। शिव चालीसा का चालीसा कहने के पीछे एक कारण यह भी है कि इसमें चालीस पंक्तियां हैं। इस प्रकार लोकप्रिय शिव चालीसा का पाठ कर भक्त बहुत आसानी से अपने भगवान को प्रसन्न कर लेते हैं। शिव चालीसा के द्वारा आप अपने सभी दुख भूलकर शंकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह भक्त शिव जी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी कर लेते हैं।
5 जून 2020 को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पड़ रही है। यह दिन बहुत ही पावन है, इस दिन और इस साल यानि 2020 में एक चंद्रग्रहण लग रहा है। 5 जून की रात को 11 बजकर 16 मिनट से चंद्रग्रहण की शुरूआत हो जाएगी और इसकी समाप्ति होगी 2 बजकर 32 मिनट पर होगी। ग्रहण रात के 12 बजकर 54 मिनट पर अपने अधिकतम प्रभाव में होगा। यह ग्रहण यद्यपि एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जाएगा। लेकिन ये उपर छाया चंद्रग्रहण है इसलिए सामान्य चंद्रमा और चंद्रग्रहण में अंतर कर पाना मुश्किल होगा। ग्रहण के समय चंद्रमा के आकार में कोई भी परिवर्तन नहीं होगा, बस इसकी छवि थोड़ी सी मलिन हो जाएगी। उपछाया चंद्रग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होता, क्योंकि इस ग्रहण का प्रभाव नहीं होता है तो इसलिए इस ग्रहण सूतककालीन मान्य नहीं होगा और आप अपनी पूजा पाठ अपने रूटीन के हिसाब से कर सकते हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष कार्य जरूर करने चाहिए।ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान शिव का पूजन बहुत ही फलदायी होता है। इसलिए आज के दिन भगवान शिव का विधिवत पूजन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन घिसे सफेद चन्दन में भगवान शंकर को अगर आप अर्पित करना उत्तम होता है
शिव चालीसा का पाठ करने से डर या भर से भी छुटकारा मिलता है। इसके लिए जय गणेश गिरीजा सुवन’ मंगल मूल सुजान, कहते अयोध्या दास तुम’ देउ अभय वरदान वाली लाइन पढ़ें। इस पंक्ति को शाम के समय नहीं बल्कि सुबह पढ़ें। इस प्रकार 40 दिन तक लगातार पढ़ें आपको लाभ मिलेगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत कथा (Jyeshtha Purnima Vrat Katha)
पौराणिक व्रत कथा के अनुसार राजा अश्वपति के घर देवी सावित्री के अंश से एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसका नाम महाराज ने सावित्री रखा। पुत्री युवा अवस्था को प्राप्त हुई देखकर राजा ने मंत्रियों से सलाह की। इसके बाद राजा ने सावित्री से कहा तुम्हें योग्य वर देने का समय आ गया है। मैं विचार कर तुम्हारी आत्मा के अनुरूप वर खोज नहीं पा रहा हू, इसलिए हे पुत्री मैं तुमको अपना वर चुनने की अनुमति देता हूं। पिता की आज्ञा प्राप्त कर सावित्री अपना वर खोजने के लिए निकल पड़ी और एक दिन उसने सत्यभान को देखा और उसे अपना वर चुन लिया। जब उसने देव ऋषि नारद् जी को यह बात बताई, तब नारद् जी सावित्री के पास आए और कहने लगे कि तुम्हारा पति अल्प आयु है। तुम कोई दूसरा वर देख लों, लेकिन सावित्री ने कहा कि मै एक हिंदू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं। सावित्री की बात सभी ने स्वीकार की और एक दिन उन दोनों का विवाह हो गया।
एक दिन सत्यभान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपनी गोद में पति के सिर को रखकर उसे लिटा दिया। उस ही समय सावित्री ने देखा कि अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे हैं। सत्यभान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे पीछे चल देती है। उन्हें आता देख यमराज ने कहा कि हे पतिव्रता नारी पृथ्वी तक ही पत्नि अपने पति का साथ देती है। अब तुम वापस लौट जाओं। उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा कि जहां मेरे पति रहेगे, वहां मै रहूंगी, यही मेरा पत्नि धर्म है। सावित्री के मुख से यह उत्तर सुनकर यमराज बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले मै तुम्हें तीन वर देता हूं तुम कौन कौन से तीन वर लोगी
तब सावित्र ने सास ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा और अपने पति सत्यभान के पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। सावित्री के ये तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तथास्तु ऐसा ही होगा। सावित्री ने अपनी बुद्धिमता से यमराज को उलझा लिया। पति के बिना पुत्रवती होना जितना असंभव था, उतना ही यमराज का अपने वचन से मुख फेरना। अंत में उन्हें सत्यभान के प्राण वापस करने ही पड़े। सावित्री पुन उसी वट वृक्ष के पास लौट आई। जहां सत्यभान मृत पड़ा था। सत्यभान के मृत शरीर मे फिर से संचार हुआ। इसलिए सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन जीवित करवाया, बल्कि सास ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए, उनके ससुर को खोया हुआ राज्य दिलवाया।
- शिव चालीसा से दुख और परेशानियां भी होती हैं दूर
- अगर आप बहुत से परेशान और दुखी हैं तो निराश न हों। शिव चलीसा की इस एक पंक्ति का जाप करें, देवन जबहिं जाय पुकारा’ तबहिं दुख प्रभु आप निवारा। ध्यान दें इस पंक्ति को रात में 11 बार पढ़ें और काम पूरा होने के बाद गरीबों के बीच मिठाई जरूर बांटें।
- अभीष्ट कार्य पूरा करने में भी सहायक है शिव चालीसा
- अगर आप किसी इच्छित कार्य के लिए प्रयासरत हैं तो शिव चालीसा की यह लाइन पढ़ें पूजन रामचंद्र जब कीन्हा’ जीत के लंक विभीषण दीन्हा। इस पंक्ति को सायंकाल में 13 बार पढ़े और ऐसा लगातार 27 दिन तक करते रहें। शिव चालीसा का पाठ लाभकारी होता है। इस तरह से पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। सेहत ठीक रहती है और शिव जी हर तरह के खतरे से बचाते हैं। बीमार व्यक्ति की ठीक हो जाता है और गर्भवती स्त्रियों के बच्चों की भलाई हेतु यह शिव चालीसा बेहद कारगर होता है।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ ॥दोहा॥नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥Yr. Contribution Deposit Here: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND
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