कोरोना संकट-लचर स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी उजागर, RSS चिंतित,आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता ; लोग गुस्से और दर्द में हैं

10 May 2021: Himalayauk Newsportal Bureau : डैमेज कंट्रोल के लिए सरकार में अमूलचूल बदलाव की आवश्यकता :शक्तिशाली “संघ परिवार” कभी इतना परेशान नहीं  

देश में कोरोनावायरस(Coronavirus) की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन, बेड और दवाइयों की किल्लत की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. साल 2024 तक हो सकता है कि लोगों को टीका मिल पाए. कभी देश में एक दिन में 30 लाख टीका लगता था, जो पिछले हफ्ते घटकर 10 लाख से भी कम हो गया है. तो आखिर क्या है इस देश में टीकाकरण की धीमी रफ्तार की वजह, क्या भारत के पास वैक्सीनेशन की व्यवस्था नहीं है या फिर भारत के पास वैक्सीन ही नहीं है.   कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए देश के बड़े हिस्से में सख्त पाबंदियां लागू हैं. हालात इतने खराब है कि सुरक्षा मानकों का पालन किए बिना लाशें हो रहीं डिस्पोज, पटना बक्सरमें  बक्सर के चौसा के महादेवा घाट पर इन दिनों मिल रहे लाशों के ढेर से स्थानीय लोगों के साथ-साथ जिला प्रशासन भी सकते में है. बक्सर के डीएम अमन समीर ने इस संबंध में सोमवार को कहा कि सभी लाशें यूपी की हैं. इस संबंध में कार्रवाई की जा रही है. डिस्पोजल का काम जारी है. करीब 40 लाशों को डिस्पोज किया जा चुका है. वहीं 50 के आसपास अब भी पानी में तैर रहे हैं. लाशों के इकट्ठा होने का वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि इस मामल में सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. अगर ऐसा है कि यूपी की लाशें बिहार आ रहीं तो इस संबंध में यहां के मुख्यमंत्री को यूपी के मुख्यमंत्री से बात करनी चाहिए. अगर कोरोना पॉजिटिव लोगों का शव हुआ तो स्थिति भयावह हो सकती है.

महामारी को लेकर बीजेपी  पर क्या असर होगा इसको लेकर शीर्ष नेतृत्व में बड़ी चिंता

महामारी को लेकर बीजेपी  क्या असर होगा इसको लेकर शीर्ष नेतृत्व में बड़ी चिंता है. भाजपा और आरएसएस इस धारणा से चिंतित हैं कि कोरोना को लेकर कुप्रबंधन से हर वो वर्ग परेशान है, जो पार्टी का कोर सपोर्टर है. मध्यम वर्ग महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है और अब वायरस गांवों का रुख कर रहा है, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में. कोरोना संकट ने लचर स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और महामारी को लेकर सरकार की तैयारी में कमी को उजागर किया है. बीजेपी की मशीनरी और उसके नेता जमीनी स्तर पर गायब है. पिछले साल की तरह इस बार लोगों को मदद नहीं मिल रही है जैसे पिछले पिछले साल पार्टी संगठन ने लॉकडाउन के दौरान खाने के पैकेट और अन्य राहत सामग्री का इंतजाम किया था. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देर रात पंचायत चुनाव का परिणाम जारी होते ही भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है. भारतीय जनता पार्टी कुल पंचायत चुनाव के 40 सीटों में सिर्फ 8 पर सिमट कर रह गई. 

डैमेज कंट्रोल के लिए सरकार में अमूलचूल बदलाव की आवश्यकता होगी. उनका सुझाव है कि कुछ मंत्रियों को जाना चाहिए और उनकी जगह कैबिनेट में नए चेहरों को लाया जाना चाहिए स्वास्थ्य राज्य का विषय है, लेकिन यह तर्क काफी नहीं है क्योंकि पिछले साल से कोरोना के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई केंद्र कर रही है. सूत्रों ने कहा, “केंद्रीय नेतृत्व को लेकर लोगों में निराशा है और मौजूदा स्थिति के लिए वे केंद्र की ओर से पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.”

वैक्सीनेशन अभियान में भी सरकार का कुप्रबंधन स्पष्ट होता है. नेताओं ने कहा कि जब समय था तब वैक्सीन उत्पादन क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए थी. 

सरकार के भीतर संचार की कमी रही, प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के विजय राघवन ने हमें तीसरी लहर के बारे में चेतावनी थी, लेकिन उन्होंने दूसरी लहर के बारे में कभी बात नहीं की दूसरी लहर की भयावहता के बारे में बिल्कुल भी चेतावनी नहीं होना तैयारी में कमी का मुख्य कारण है  वास्तव में सरकार दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं थी, गंभीरता की बात देर से पता चली, तब प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बंगाल प्रचार अभियान को छोटा कर लिया जैसे ही उनके ध्यान में यह बात लाई गई और संतों को कुंभ मेला को जल्दी खत्म करने के लिए राजी किया गया. गंगा नंदी के तट पर होने वाले इस धार्मिक आयोजन से कोरोना के सुपर स्प्रेडिंग का खतरा था. उन्होंने कहा, यह माना जा रहा है कि लोग गुस्से और दर्द में हैं.  

अगले लोकसभा चुनाव में तीन साल का समय है. लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं. हालांकि, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव है. यदि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के नतीजे को संकेत के तौर पर देखा जाये तो बीजेपी के लिए यह चिंता करने का कारण है.

असंतोष सतह पर नजर भी आने लगा है. केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपने संसदीय क्षेत्र बरेली में मेडिकल उपकरणों की “कालाबाजारी”, ऑक्सीजन की किल्लत और कोरोना मरीजों को अस्पताल में दाखिल करने में हो रही देरी का मुद्दा उठाया है. उनकी यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

जब देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे थे उस समय पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी के चुनाव अभियान से “गलत संदेश” गया है. बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने पश्चिम बंगाल में बिना मास्क और जरूरी सावधानी बरते बड़ी रैलियों और रोड शो में हिस्सा लिया. 

दूसरी लहर से मची तबाही को लेकर लोगों में गुस्सा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर इसके असर ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शीर्ष पदाधिकारियों में गहरी बेचैनी पैदा कर दी है. सूत्रों ने यह बात कही. प्रधानमंत्री मोदी की सात सालों की सत्ता में जन धारणा और चुनाव नतीजों ने शक्तिशाली “संघ परिवार” को कभी इतना परेशान नहीं किया.  

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच लगातार कई पार्टियों के नेता और सांसद राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक कुछ चिट्ठियां लिख रहे हैं। इस बीच कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखी है और उन्होंने संसद के विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति से अपील की है कि कोरोना संकट के मुद्दे पर तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि कई गंभीर हालात पैदा हुए हैं। ऐसे एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए और ताकि देश के सांसद क्षेत्र और राज्य की स्थिति के बारे में बता सके। उनकी परेशानी का हल निकाला जाए।

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