शुगर पेशेंट के लिए वरदान है यह पौधा ; पौधे की 2 पत्ती शुगर पेशेंट के लिए इंसुलिन का करती है काम- जबकि डायबिटीज यानि कई बीमारियों का घर; शरीर के कई अंगों पर असर-3 खतरनाक बीमारियां तो तय है
31 OCT 2022 # मधुमेह यानी डायबिटीज में इस पौधे की 2 पत्तिया लगाम कस देती है- पत्तियां चबाकर शुगर कंट्रोल #इंसुलिन एक ऐसा पौधा है जिसकी पत्तियां चबाकर आप काफी हद तक अपना शुगर कंट्रोल कर सकते हैं. इंसुलिन के पौधे की दो पत्तियों को धोकर आप पीस लें. अब एक गिलास पानी में इसे घोलकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करें. इसके नियमित सेवन से डाइबिटीज की बीमारी में सुधार दिखने लगता है. इंसुलिन प्लांट्स का आयुर्वेद में काफी महत्व है. इसका वैज्ञानिक नाम कोक्टस पिक्टस है और इसे क्रेप अदरक, केमुक, कुए, कीकंद, कुमुल, पकरमुला और पुष्करमूला जैसे नामों से भी जाना जाता है. स्वाद में इसकी पत्तियों का टेस्ट खट्टा होता है इस पौधे में इंसुलिन नहीं होता और ना ही शरीर में यह इंसुलिन बनाता है, लेकिन इस पौधे में मौजूद प्राकृतिक रसायन शुगर को ग्लाइकोजेन में बदल देते हैं जिससे उपापचय की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है. इंसुलिन के पत्ते को चबाने से शरीर के मेटाबालिक प्रोसेस बेहतर होता है. -इस पौधे में मौजूद प्राकृतिक रसायन इंसान के शरीर की शुगर को ग्लाइकोजेन में बदल देता है जिससे मधुमेह पीड़ितों को फायदा होता है. -सिर्फ शुगर ही नहीं, खांसी, जुकाम, स्किन इंफेक्शन, आंखों का इंफेक्शन, फेफड़ों की बीमारियां, दमा, गर्भाशय संकुचन, दस्त, कब्ज आदि बीमारियों में भी इंसुलिन के पौधे का इस्तेमाल किया जाता है. इंसुलिन का पौधा आप सालभर कभी भी लगा सकते हैं. यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जिसकी ऊंचाई ढाई से तीन फीट तक होती है. घर पर गमले में खाद और मिट्टी को सही अनुपात में डालकर इसे लगाएं और पानी देते रहें. ये आसानी से गमले में पनप जाता है.
डायबिटीज के कारण हार्ट और किडनी और आंखों के विकारों (रेटिनोपैथी) को रोकने के लिए, सुनिश्चित करें कि आपका ब्लड शुगर सामान्य हो। दिन में दो बार 1 चम्मच मेथी, 5 तुलसी के पत्ते और चुटकी भर दालचीनी और हल्दी से बनी हर्बल चाय लें। रोजाना सुबह 20 मिलीलीटर आंवला जूस पिएं। दिन की नींद, दही, मैदा, तले हुए और ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज करें। नियमित 1 घंटे का वर्कआउट (योग/चलना/साइकिल चलाना, आदि) जो भी आपके लिए काम करता है।
By Chandra Shekhar Joshi Editor www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; csjoshi_editor@yahoo.in & himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
इंसुलिन एक ऐसा पौधा है जिसकी पत्तियां चबाकर आप काफी हद तक अपना शुगर कंट्रोल कर सकते हैं. इंसुलिन प्लांट्स का आयुर्वेद में काफी महत्व है. इसका वैज्ञानिक नाम कोक्टस पिक्टस है और इसे क्रेप अदरक, केमुक, कुए, कीकंद, कुमुल, पकरमुला और पुष्करमूला जैसे नामों से भी जाना जाता है. स्वाद में इसकी पत्तियों का टेस्ट खट्टा होता है.
डायबिटीज में इंसुलिन (Insulin) की कमी हो जाती है. जिसके कारण बॉडी में शुगर का लेवल बढ़ जाता है. इंसुलिन से याद आया कि इसके पौधे की पत्तियों को चबाने से शरीर में इंसुलिन का लेवल मेंटेन रहता है इंसुलिन के पौधे में कोर्सोलिक एसिड पाया जाता है जो खांसी, सर्दी, इंफेक्शन, फेफड़ों और अस्थमा जैसी बीमारियों में लाभकारी होता है. डायबिटीज पेशेंट थोड़ी-थोड़ी गैपिंग के साथ 6 से 7 बार खाना खाएंगे तो बार-बार शरीर में इंसुलिन बनेगा. मतलब शुगर पेशेंट को गैपिंग पर खाना लाभकारी है. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो इंसुलिन पौधे की पत्ती को एक महीना रोजाना चबाने से शुगर में राहत मिलती है. इसका सेवन आप चूरन के रूप में भी कर सकती हैं. बस आपको सूखे पत्तों को पीसकर पाउडर बनाना है. इससे डायबिटीज कंट्रोल में रहती है. इस पौधे में प्रोटीन, टेरपेनोइड्स, फ्लेवोनोइड्स, एंटीऑक्सीडेंट, एस्कॉर्बिक एसिड, आयरन, बी कैरोटीन, कोरोसॉलिक एसिड सहित कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शुगर में रामबाण साबित होते हैं.
मधुमेह यानी डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है जिससे कई तरह की बीमारियां शरीर को अपनी चपेट में ले लेती हैं. ऐसे में इंसुलिन एक ऐसा पौधा (Insulin Plant) है जो डायबिटीज पर लगाम लगाने में काफी प्रभावी है. एनसीबीआई के मुताबिक, इंसुलिन के पत्ते की मदद से ब्लड शुगर (Controls Blood Sugar) को कंट्रोल किया जा सकता है औरा टाइप-2 डायबिटिज (Diabetes) की समस्या का इलाज किया जा सकता है. बता दें कि इस पौधे में इंसुलिन नहीं होता और ना ही शरीर में यह इंसुलिन बनाता है, लेकिन इस पौधे में मौजूद प्राकृतिक रसायन शुगर को ग्लाइकोजेन में बदल देते हैं जिससे उपापचय की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है.
इंसुलिन के पौधे के अन्य फायदे-इंसुलिन के पत्ते को चबाने से शरीर के मेटाबालिक प्रोसेस बेहतर होता है.-इस पौधे में मौजूद प्राकृतिक रसायन इंसान के शरीर की शुगर को ग्लाइकोजेन में बदल देता है जिससे मधुमेह पीड़ितों को फायदा होता है.-सिर्फ शुगर ही नहीं, खांसी, जुकाम, स्किन इंफेक्शन, आंखों का इंफेक्शन, फेफड़ों की बीमारियां, दमा, गर्भाशय संकुचन, दस्त, कब्ज आदि बीमारियों में भी इंसुलिन के पौधे का इस्तेमाल किया जाता है.
इस तरह करें इस्तेमालइंसुलिन के पौधे की दो पत्तियों को धोकर आप पीस लें. अब एक गिलास पानी में इसे घोलकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करें. इसके नियमित सेवन से डाइबिटीज की बीमारी में सुधार दिखने लगता है.
पत्तियाँ सरल, वैकल्पिक, पूरी, तिरछी, सदाबहार, 4-8 इंच लंबी समानांतर शिरा के साथ होती हैं । इस उष्णकटिबंधीय सदाबहार के बड़े, चिकने, गहरे हरे रंग के पत्तों में हल्के बैंगनी रंग के अंडरसाइड होते हैं और तने के चारों ओर सर्पिल रूप से व्यवस्थित होते हैं, जो भूमिगत रूटस्टॉक्स से उत्पन्न होने वाले आकर्षक, धनुषाकार गुच्छों का निर्माण करते हैं।
घर पर लगा सकते हैं इंसुलिन का पौधाइंसुलिन का पौधा आप सालभर कभी भी लगा सकते हैं. यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है जिसकी ऊंचाई ढाई से तीन फीट तक होती है. बरसात के सीजन में इसकी पौध लगाना सबसे आसान माना जाता है. आप घर पर गमले में खाद और मिट्टी को सही अनुपात में डालकर इसे लगाएं और पानी देते रहें. ये आसानी से गमले में पनप जाता है.
भारत में हजारों प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। अलग-अलग रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद इन जड़ी-बूटियों का प्रयोग सदियों से करता आया है। भारत में इन दिनों सबसे बड़ी संख्या डायबिटिज पेशेंट की है। और माना जा रहा है कि ये जड़ी-बूटियां डायबिटीज के उपचार में भी मददगार हो सकती हैं। मधुमेह के लिए इन दिनों मेडिसिनल प्लांट इंसुलिन प्लांट (Costus Igneus) चर्चा में है।
अगर आप चाहते हैं कि इंसुलिन का पौधा अच्छी ग्रोथ करें तो पौधे को लगाने से पहले आपको कुछ बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। जैसे- जिस मिट्टी को आप गमले में डालने वाले हैं उसे फोड़कर एक दिन के लिए धूप में रख दें। धूप में मिट्टी को रखने से मिट्टी के मौजूद छोटे-छोटे कीड़े भाग जाते हैं। अगले दिन मिट्टी में 1-2 मग खाद को डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। इधर इंसुलिन के पौधे को गमले के बीचो-बीच डालकर एक हाथ से पकड़कर रखें और दूसरे हाथ से पौधे से सभी साइड से मिट्टी को डालकर बराबर कर लें। मिट्टी बराबर करने के बाद 1-2 मग पानी ज़रूर डालें। पौधे के लिए खाद के रूप में जैविक खाद का ही इस्तेमाल करें। केमिकल खाद के इस्तेमाल से पौधा कभी भी मर सकता है। पौधे के लिए आप गाय, भैंस आदि जानवर के गोबर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
इंसुलिन का पौधा लगाने के बाद आपको कुछ बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। जैसे- इंसुलिन का बीज जब तक अंकुरित नहीं होता है तब तक गमला को तेज धूप से दूर रखें। जब पौधा 3-4 इंच बढ़ा हो जाए तो आप उसे धूप में रख सकते हैं। समय-समय पर पौधे में पानी और खाद को डालना न भूलें क्योंकि, इस समय पतझड़ का मौसम चल रहा है जिसकी वजह से पौधा मर भी सकता है। पौधे को मौसमी कीड़ों से दूर रखने के लिए आपको समय-समय पर कीटनाशक स्प्रे का छिड़काव करते रहना चाहिए। इसके लिए आप नेचुरल कीटनाशक स्प्रे का छिड़काव करें। नेचुरल कीटनाशक स्प्रेबनाने के लिए आप बेकिंग सोडा, नींबू का रस, सिरका आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। लगभग 4-5 महीने के अंदर इंसुलिन पौधे के पत्ते इस्तेमाल करने लायक हो जाते हैं।
इंसुलिन प्लांट अर्थात कोस्टस पिक्टस (Costus pictus) जड़ी-बूटी में इस्तेमाल होने वाला पौधा है जिसे स्पाइरल फ्लैग (spiral flag) के नाम से जाना जाता है। यह एक बारहमासी सदाबहार पौधा है जो शुगर के मरीजों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। भारत में कोस्टस पिक्टस को इन्सुलिन का पौधा भी कहा जाता है, क्योंकि इसके सेवन से शरीर में शुगर या ग्लूकोज (glucose) की मात्रा नियंत्रित होती है। यह पौधा दिखने में बेहद आकर्षक होता है क्योंकि, इसके पत्ते स्पाइरल (Spiral) रूप में इसकी शाखाओं पर लिपटे होते हैं। इन्सुलिन के पौधे को बहुत से लोग सजावटी पौधे के रूप में भी अपने घरों में लगाते हैं।
कोस्टस पिकटस (इंसुलिन) का पौधा डायबिटीज के लिए रामबाण है। इसकी पत्ती का स्वाद खट्टा होता है और कंद का आकार अदरक की तरह होता है। इसके कंद का सूप बनाकर पीने से कई बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। इस पौधे की ताजा पत्ती चबाने से ब्लड में ग्लूकोज लेवल नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह पौधा ‘जिंजर फैमिली’ से संबंध रखता है इसलिए आप इसे राइजोम (प्रकंद) और कटिंग से लगा सकते हैं।
इन्सुलिन के पौधे को आप गमले या ग्रो बैग में आसानी से लगा सकते हैं। बस आपको इसके लगाने के सही समय के बारे में पता होना चाहिए। आपको बता दें कि, इंसुलिन प्लांट को लगाने का सबसे अच्छा समय बारिश का मौसम होता है क्योंकि, बारिश के मौसम में यह पौधा तेजी से ग्रो करता है।
शुगर पेशेंट को साबुत अनाज, ओट्स, चने का आटा, मोटा अनाज, टोंड दूध सहित दही और मट्ठा, रेशे वाली सब्जियां जैसे- मटर, फलिया, गोभी, भिंडी, पालक सहित बाकी हरे पत्तेदार सब्जियां, छिलके वाली दालें, ओमेगा 3 फैटी एसिड वाले तेल, फल में पपीपा, सेब, संतरा और अमरूद ज्यादा फायदेमंद है.
आजकल शुगर की शिकायत होना आम बात हो गई है, बढ़ती उम्र के साथ अधिकतर लोगों को इसकी शिकायत होने लगती है. आम बोलचाल की भाषा में लोग इसे शुगर, डायबिटीज या मधुमेह कहते हैं, जो कि चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है. बढ़ती उम्र के साथ अधिकतर लोगों को इसकी शिकायत होने लगती है. आम बोलचाल की भाषा में लोग इसे शुगर, डायबिटीज या मधुमेह कहते हैं, जो कि चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है. इसमें लंबे समय तक रक्त में शर्करा का स्तर उच्च होता है. इसके लक्षणों में अक्सर पेशाब आना, अधिक प्यास लगना और भूख में वृद्धि प्रमुख है. अगर इस बीमारी का समय रहते सही इलाज न कराया जाए, तो रोगी को दवाई व इन्सुलिन इंजेक्शन पर निर्भर होना पड़ता है. इसी संबंध में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि शुगर के मरीज प्राकृतिक तरीकों से अपने रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम रख सकते हैं.
डायबिटीज ; 3 खतरनाक बीमारियां तो तय है;
डायबिटीज ; 3 खतरनाक बीमारियां तो तय है; डायबिटीज के कारण साइलेंट हार्ट अटैक की संभावना अधिक रहती है। आपको कुछ भी महसूस न हो या यह हल्का महसूस हो, जैसे हार्टबर्न या अजीब दर्द। यह इतना मामूली लग सकता है कि आप इसे इग्नोर कर दें और सोचें कि यह सिर्फ बड़े होने की निशानी है। डायबिटीज आपको ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल से भी ग्रस्त कर सकता है। यह आपके ब्लड शुगर को सामान्य रखना वास्तव में महत्वपूर्ण बनाता है। क्रिएटिनिन टेस्ट एक उपाय है जो यह जानने में मदद करता है कि आपकी किडनी आपके ब्लड से अपशिष्ट को छानने का काम कितनी अच्छी तरह करती हैं। हेल्दी किडनी ब्लड से क्रिएटिनिन को फ़िल्टर करती हैं। क्रिएटिनिन आपके शरीर से यूरिन में अपशिष्ट प्रोडक्ट के रूप में बाहर निकलता है। प्रत्येक किडनी लाखों छोटे फिल्टर से बनी होती है जिसे नेफ्रॉन कहा जाता है। समय के साथ, डायबिटीज में हाई ब्लड शुगर किडनी के साथ-साथ नेफ्रॉन में ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए वे उतनी अच्छी तरह से काम नहीं करते जितना उन्हें करना चाहिए। यह हाई क्रिएटिनिन की ओर जाता है। डायबिटीज से ग्रसित कई महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर भी हो जाता है, जो किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है। आपके ब्लड में बहुत अधिक चीनी रेटिना को पोषण देने वाली छोटी ब्लड वेसल्सस में रुकावट पैदा कर सकती है, जिससे ब्लड की आपूर्ति बंद हो जाती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी में रेटिना में असामान्य ब्लड वेसल्स की वृद्धि शामिल है। जटिलताओं से आंखों की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं:
डायबिटीज आंखों की समस्याओं का खतरा बढ़ा सकती है। शरीर में इंसुलिन ठीक प्रकार से न बनने अथवा इंसुलिन का उपयोग उचित प्रकार से ना होने के कारण ब्लड़ शुगर ग्लूकोज लेवल अधिक हो सकता है। बहुत ज्यादा ब्लड़ शुगर बढ़ने से शरीर में मांसपेशियों तथा रक्तशिराओं को नुकसान पहुंच सकता है। डायबिटीज एक मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, जो कई बीमारियों का घर है। इससे शरीर का हर अंग प्रभावित होता है। – डायबिटीज कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारियों का खतरा बढ़ा देती है, जिनमें कोरोनरी आर्टरी डिसीज, छाती में दर्द, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और धमनियों का संकरा होना प्रमुख है। – इससे पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त होने या पैरों में रक्त का प्रवाह कम होने के कारण पैरों से संबंधित समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे होने वाले फुट अल्सर के कारण पैर कटने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। -टाइप 2 डायबिटीज से अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है। रक्त शुगर जितनी अधिक अनियंत्रित होगी, अल्जाइमर का खतरा उतना ज्यादा होगा। -डायबिटीज के कारण किडनी फेल होने का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। – डायबिटीज की वजह से बढ़ा हुआ शुगर लेवल ब्रेन में ब्लड सप्लाई करने वाली नसों पर असर डालता है। इसके कारण ब्रेन का कुछ हिस्सा डैमेज हो सकता है और मेमोरी लॉस हो सकता है। – बढ़ा हुआ ब्लड शुगर लेवल नर्वस और सर्कुलेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाकर आपकी आंखों पर बुरा असर डाल सकता है। डायबिटीज के कारण आपके दांतों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। – डायबिटीज के कारण आपके दिल और उससे होकर शरीर के दूसरे हिस्सों में जाने वाली नसों में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। इससे ब्लाकेज की संभावना बन जाती है। ब्लाकेज की वजह से दिल की गंभीर बीमारियां और हार्ट अटैक हो सकता है। -डायबिटीज आपकी आंतों पर बुरा असर डालती है।