सामाजिक गतिविधियों से दूरी या उदासी या कम घुलना-मिलना आपको डिप्रेशन का शिकार बना सकता है

लाइफ कई बार इतनी आसान नहीं होती है। हर इंसान की जिंदगी में परेशानियों का दौर आता है। इसकी वजह से लोग उदास भी होते हैं। लेकिन, धीरे-धीरे परेशानियों को छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। हर इंसान इतना खुशकिस्मत नहीं होता है। जब कोई इन परेशानियों से उबर नहीं पाता है और लंबे समय तक इनमें घिरा रहता है तो, वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। डिप्रेशन की समस्या यही है कि इंसान को पता ही नहीं चल पाता है कि वह किस समस्या का सामना कर रहा है। अवसाद या डिप्रेशन का संबंध मनोविज्ञान में मन की भावनाओं से जुड़े दुखों से होता है। इसे रोग या सिंड्रोम माना जाता है। अधिकतर मामलों में स्थि​ति तब ज्यादा गंभीर समझी जाती है जब इसका संबंध किसी शख्स के असफल प्रेम संबंधों से होता है। 

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 ये जानना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। हर कोई कभी न कभी दुखी और उदास महसूस कर सकता है। लेकिन, अगर आप लगातार दुख और निराशा का अनुभव कर रहे हैं तो, ये डिप्रेशन हो सकता है।

डिप्रेशन को गंभीर मेडिकल समस्या माना जाता है। सही इलाज न किया जाए तो यह खतरनाक भी हो सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन का सही ट्रीटमेंट लेने पर कुछ ही हफ्तों में इससे राहत मिलते हुए भी देखी गई है।

डिप्रेशन के ज्यादातर मामलों में किसी इंसान का लगाव उसके जीवन साथी के प्रति बहुत ज्यादा होता है। उससे वियोग या बिछोह होने पर उपजने वाले डिप्रेशन में मरीज खुद को लाचार और निराश महसूस करता है।

डिप्रेशन के शिकार इंसान के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि संबंध भी बेमानी होने लगते हैं। वह इंसान संबंधों में बेईमानी का उत्तर अपने उग्र स्वभाव, गाली गलौज व अत्यधिक शंकालु स्वभाव से देने की कोशिश करता है। डिप्रेशन के दौरान उसे सभी जगह निराशा, तनाव, अशांति और अरुचि की मौजूदगी समझ आने लगती है।

हालांकि लोगों को डिप्रेशन का अनुभव कई अलग तरीकों से हो सकता है। ये आपके रोजमर्रा के कामों को प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह से काम करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। ये आपके रिश्तों और कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं पर भी असर डाल सकता है।

डिप्रेशन लगातार उदास या हताश महसूस करते रहने की अवस्था है। अगर यही स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो डिप्रेशन की वजह से कई लक्षण प्रकट होने की संभावना रहती है। इन लक्षणों में से कुछ आपके मूड को प्रभावित करते हैं तो कुछ आपके शरीर को। इसके अलावा, लक्षणों में भी स्थिरता नहीं होती है, वे कभी-कभी आते हैं और फिर चले जाते हैं।  डिप्रेशन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकता है। पुरुषों में होने वाले डिप्रेशन के लक्षणों में शामिल हैं : मूड संबंधी भावना संंबंधी व्यवहार संबंधी सेक्स संबंधी संज्ञा संबंधी नींद संबंधी शरीर संबंधी

रविवार, 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत को उनके बांद्रा स्थित अपार्टमेंट में फांसी लगा ली थी. उनके शव का पोस्टमार्टम मुंबई के कूपर अस्पताल में किया गया है. सुशांत 34 साल के थे और डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे थे.

वही 15 जून 20 को दूसरी ओर घटना में उत्तराखंड के काशीपुर में एक युवती ने घर के कमरे में पंखे से लटककर अपनी जान दे दी. मृतका सात बहनों में सबसे छोटी थी. बताया जा रहा है कि युवती अपनी मां की मृत्यु से काफी दुखी थी. जिस कारण उसने ये खौफनाक कदम उठाया.

डिप्रेशन एक बेहद गंभीर मानसिक रोग है. मानसिक अवसाद की यह समस्या अक्सर लोगों में इतनी हावी हो जाती है कि वे सुसाइड तक करने का मन बना लेते हैं. WHO की मानें तो पूरी दुनिया में तकरीबन 26 करोड़ लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन की ज्यादा शिकार होती हैं.

एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि इस गंभीर बीमारी को समय रहते काबू ना किया जाए तो इंसान अपनी जान तक दे सकता है. साइकोलॉजिकल और फार्माकोलॉजिकल के जरिए डिप्रेशन का इलाज संभव है.  डिप्रेशन का युवा या वयस्क ही नहीं बच्चे भी हो सकते हैं. आमतौर पर बच्चे का नाराज होना या रूठना स्वभाविक होता है, लेकिन अगर बच्चे की खामोशी में असामान्य लक्षण झलक रहे हैं तो उसे बिल्कुल नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. डिप्रेशन का शिकार बच्चों की बॉडी लैंग्वेज से भी उनकी समस्या को समझा जा सकता है. ऐसे लक्षण डिप्रेशन के कारण हो सकते हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि बच्चों में डिप्रेशन की कई सारी वजह हो सकती हैं. वे खराब स्वास्थ्य, जिंदगी की तमाम समस्याओं, पारिवारिक दिक्कतों, आस-पास के माहौल, अनुवांशिक या बायोकेमिकल डिस्टर्बेंस की वजह से भी हो सकते हैं. डिप्रेशन में रहने वाले बच्चों को अक्सर सामाजिक दूरियां बनाए रहना ज्यादा बेहतर विकल्प लगता है.

डिप्रेशन के 10 लक्षण

1. स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना या बहुत ज्यादा गुस्सा करना. हमेशा दुखी-दुखी से रहना. 2. नींद में अचानक से बदलाव आना. कम नींद आना या बहुत ज्यादा देर तक सोते रहना 3. हमेशा मायूस रहना और किसी भी काम में प्रयत्न से पहने आशा छोड़ देना

4. थकावट और कम एनेर्जी 5. एकाग्रता में कमी और मामूली गलती के लिए खुद को ज्यादा कसूरवार ठहराना 6. ज्यादातर समय पेट या सिर दर्द की शिकायत करना

7. सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाए रखना. दोस्तों और रिश्तेदारों से कम घुलना-मिलना  8. बार-बार मरने या सुसाइड करने के बारे में सोचना

 मनोचिकित्सक मानते हैं कि घर में कुछ खास बदलाव करने से भी डिप्रेशन से निजात पाई जा सकती है.

1. प्राकृतिक सौंदर्य का करीब से एहसास करने पर मानसिक थकान दूर होती है. डिप्रेशन की समस्या छुटकारा पाने के लिए ये बेहद कारगर हो सकता है. घर में खूबसूरत पौधे लगाकर भी खुद को डिप्रेशन से दूर रख सकते हैं.

2. दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग न सिर्फ घर की रौनक में चार चांद लगाएगी, बल्कि डिप्रेशन की समस्या को भी दूर करेगी. आप चाहें तो नदी, बहता झरना या प्रकृति की खूबसूरत तस्वीरों को भी दीवार पर लगा सकते हैं.

3. हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि डिप्रेशन के वक्त लाल या संतरी रंग आंख और दिमाग को काफी राहत देते हैं. इसलिए घर की दीवारों को इन दो रंगों से पेंट करना ना भूलें. साथ ही घर का इंटीरियर या बेड शीट भी इसी रंग की हो तो बेहतर होगा.

4. ध्यान रखें कि बंद कमरे में इंसान का दम ज्यादा घुटता है. इसलिए घर के दरवाजों से हमेशा रोशनी आती रहे. कमरों की खिड़कियां बड़ी हों जहां आप रोज सुबह उठकर सूर्य के प्रकाश और हवा की ताजगी को महसूस कर सकें. इस तरह के रूटीन को फॉलो करने पर डिप्रेशन की समस्या से राहत मिल सकती है.

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