मैं तो अपने पथ-संघर्षों का पालन करता आया हूँ- कक्ष-704, दिल्ली, एम्स- भारत के यशस्वी मंत्री की कलम से
आज आप सभी को यह शुभ सूचना देते हुए प्रसन्नता है कि देवभूमि के सपूत, शब्द-साधक कवि और भारत के यशस्वी शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल “निशंक” घातक “कोरोना” से उबर रहे हैं और बहुत शीघ्र स्वस्थ होकर घर आ जाएँगे।
कोरोना की विभीषिका से जूझते हुए, एम्स में रहते हुए डॉ “निशंक” ने “एक जंग लड़ते हुए” शीर्षक से जो कविताएँ लिखी हैं,उस संग्रह से एक कविता”कोरोना” मैं आप सबसे साझी कर रहा हूँ, जो उनके दृढ़ संकल्प के साथ ही उनकी जीवट और लोकचिन्तन का दर्पण भी है-
“कोरोना”
“हार कहाँ मानी है मैंने?
रार कहाँ ठानी है मैंने?
मैं तो अपने पथ-संघर्षों का
पालन करता आया हूँ।
क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक?
तुमको बैरंग ही जाना है।
पूछ सको तो पूछो मुझको,
मैंने मन में ठाना है।
तुम्हीं न जाने,
आए कैसे मुझमें ऐसे?
पर,मैं तुम पर भी छाया हूँ,
मैं तिल-तिल जल
मिटा तिमिर को
आशाओं को बोऊँगा;
नहीं आज तक सोया हूँ
अब कहाँ मैं सोऊँगा?
देखो, इस घनघोर तिमिर में
मैं जीवन-दीप जलाया हूँ।
तुम्हीं न जाने आए कैसे,
पर देखो, मैं तुम पर भी छाया हूँ।”
दिल्ली, एम्स कक्ष-704,
निस्संदेह, यह कविता नहीं है,बल्कि पूरी मानवता को अक्षर-साधक कवि- हृदय का जीवन-संदेश है। बहुआयामी व्यक्तितत्व कर्मभूमि में डटे हुये,एक राजनेता साहित्यकार डा0 रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि हम जिस चीज़ से संतुष्ट होते हैं और जो काम करने में सहजता महसूस करते हैं, वही बेहतर रूप से कर सकते हैं| जिस काम को हम रूचि के साथ आनंद लेकर करते हैं, उस काम में सफलता मिलना मुमकिन होता है, लेकिन जो काम हमें असहज या कठिन लगता हैं, जिन्हें करने से आत्मसंतुष्टि नहीं मिलती, उनमें सफलता मिलना आसान नहीं होता | अगर आप अपने व्यक्तित्व के अनुकूल काम चुनते हैं तो उसे करने में आपको आनंद भी आता है और संतुष्टि भी मिलती है| इसलिए ऐसा काम न चुनें जो आपके व्यक्तित्व के अनुरूप न हो |
देश विदेश के करोडो जनो की प्रार्थना से डा0 रमेश पोखरियाल निशंक – मा भारती की सेवा के लिए पुन- हम सबके बीच होगे- सादर चन्द्रशेखर जोशी- मुख्य सम्पादक हिमालयायूके न्यूजपोर्टल एवं प्रिन्ट मीडिया,