चुनाव आयोग प्रचार और भीड़ प्रबंधन पर कड़े कदम उठायेगा & उत्तराखंड चुनाव- बीजेपी 28 MLA के टिकट काटकर किला बचा पायेगी ?

27 दिसम्बर 21 Harish Rawat का BJP को बड़ा झटका, BJP नेताओं को कराया कांग्रेस में शामिल वही चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी AAP ने सबसे ज्यादा वार्डों पर जीत दर्ज कर सियासी पार्टियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.

उत्तराखंड  अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी अगले पांच साल तक फिर से वहां भगवा ध्वज लहराने की ताक में जुटी है. आगामी चुनाव में पार्टी नए व जिताऊ चेहरों पर दांव खेल सकती है। बदली परिस्थितियों में सरकार में दूसरी बार हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद पार्टी ने ‘युवा उत्तराखंड-युवा मुख्यमंत्री’ का नारा दिया।  डेढ़ दर्जन विधायकों के प्रदर्शन से पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं था। पार्टी अब भी कई चरणों में सर्वे और विधानसभा क्षेत्रों से फीडबैक के आधार पर विधायकों के कामकाज पर नजर रखे हुए है। मदन कौशिक (प्रदेश अध्यक्ष भाजपा) ने कहा कि किसे टिकट देना है और किसे नहीं, यह निर्णय भाजपा का पार्लियामेंट्री बोर्ड करता है।

इस पर्वतीय प्रदेश का अब तक का राजनीतिक इतिहास बताता है कि एक बार सत्ता में आई पार्टी को जनता दोबारा मौका नहीं देती और उसे विपक्ष में बैठना पड़ता है. साढ़े चार साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने वाली बीजेपी के लिए दोबारा सत्ता पाना, क्या इतना आसान होगा? 70 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 56 विधायक हैं, लेकिन करीब दो महीने पहले संघ व पार्टी के अंदरुनी सर्वे में पार्टी की हालत कमजोर बताई गई थी. इसमें कहा गया था कि अगर बीजेपी को अपना किला बचाना है, तो उसे तकरीबन आधे यानी 28 मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नये चेहरों को मैदान में उतारना होगा. ये ऐसे विधायक हैं जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद न तो अपने क्षेत्र में विकास-कार्य करवाने की परवाह की और न ही जनता से सीधा संवाद स्थापित करना ही जरूरी समझा.

अंदरुनी सर्वे की रिपोर्ट मिलने के बाद पार्टी आलाकमान के भी कान खड़े हो गए और बीते अगस्त के आखिरी हफ्ते में पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने दो दिन तक उत्तराखंड में रहकर पार्टी की जमीनी हालात को समझने की कोशिश की. उन्होंने विधायकों के प्रदर्शन पर जो फीडबैक लिया, उसमें भी 28 विधायकों का प्रदर्शन औसत से भी कम या खराब ही माना गया. उन्होंने प्रदेश के नेताओं के साथ कोर कमेटी की जो बैठक ली, उसमें मोटे रूप से यही बात उभरी कि इन 28 विधायकों ने पिछला चुनाव जीतने के बाद न तो जनता से कोई संपर्क साधा और न ही अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में रहे, जिसके चलते लोगों में बेहद गुस्सा है. हालांकि नड्डा ने प्रदेश इकाई से ये भी कहा कि अगर कोई विधायक उम्रदराज भी है, लेकिन उसके दोबारा जीतने की अगर पूरी संभावना है, तो उसे दोबारा टिकट देने के लिए उसका नाम केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाए.

उत्तराखंड में अब तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होता आया है, लेकिन इस बार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी वहां ताल ठोंक दी है. आप सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है और उसने कर्नल कोठियाल को अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.  चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी AAP ने सबसे ज्यादा वार्डों पर जीत दर्ज कर सियासी पार्टियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि केजरीवाल की पार्टी जिस तरह से पंजाब में तीसरी ताकत बनकर उभरी है, कुछ वैसा ही हाल उत्तराखंड में भी होने की उम्मीद है क्योंकि वहां भी लोग दोनों पार्टियों को आज़मा चुके हैं. ऐसे में,एक बड़ा तबका ऐसा होता है जिन्हें हम न्यूट्रल या साइलेंट वोटर कहते हैं, जो दोनों बड़ी पार्टियों के कामकाज से नाराज होने के बाद तीसरे विकल्प को तलाशता है. केजरीवाल ने चुनावी-मैदान में कूदकर ऐसे लोगों की तलाश पूरी कर दी है. भले ही आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटें न ला पाये लेकिन वो दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ सकती है. कुछ सीटों पर बीजेपी के लिए वो नुकसानदायक साबित हो सकती है, तो कुछ पर कांग्रेस के लिए. ऐसे में, फिलहाल तो कोई भी ये दावा नहीं कर सकता कि इस पहाड़ी सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बिल्कुल सीधा-सरल है.

केजरीवाल की आप कांग्रेस से अधिक बीजेपी के लिए खतरा बन सकती है क्योंकि उसे कुछ प्रतिशत तक तो सत्ता विरोधी प्रभाव झेलना ही पड़ेगा और वही नाराज वोटर तीसरे विकल्प की तरफ शिफ्ट हो सकता है. यही कारण है कि बीजेपी भी आम आदमी पार्टी को खुद के लिए एक चुनौती मानते हुए उसे हल्के में नहीं ले रही है.

27 Dec. 2021: Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, Publish at Dehradun & Haridwar. Chandra Shekhar Joshi Chief Group Editor Mob. 9412932030

चुनाव आयुक्त ने उन राज्यों की पूरी रिपोर्ट मांगी है, जहां 2022 में चुनाव होने हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर जनवरी के पहले हफ्ते में बैठक होगी। आयोग के रुख के अनुसार, चुनावों टालने की संभावना बहुत कम है। अधिकारियों के मुताबिक, चुनाव टालने से कई तरह के बड़े निर्णय लेने होंगे। जैसे, जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो चुका है वहां राष्ट्रपति शासन लगाना होगा। सारी तैयारियां भी नए सिरे से करनी होंगी। हालांकि, चुनाव आयोग इस बार प्रचार और भीड़ प्रबंधन पर एहतियातन कड़े कदम उठा सकता है।

पूर्ण लॉकडाउन लगाने का फैसला

किसी भी राज्य या देश में सरकार पूर्ण लॉकडाउन लगाने का फैसला कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी दर व मृत्यु दर को देखकर करती है। दिल्ली में फिलहाल पॉजिटिविटी दर 0.55 प्रतिशत को छू गया है। यदि यह प्रतिशत 3 से 5 फीसदी तक हो जाता है तो हालात काफी चिंताजनक हो जाते हैं। दिल्ली ने रविवार को 290 नए कोरोना वायरस मामले दर्ज किए, जो 10 जून के बाद से सबसे अधिक है।

पॉजिटिविटी रेट वह आंकड़ा होता है, जो दर्शाता है कि किए जा रहे कुल परीक्षणों में से कितने सकारात्मक आ रहे हैं। कम सकारात्मकता दर एक अच्छा संकेत होता है, वहीं उच्च पॉजिटिविटी रेट यह बताता है कि संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ज्यादा हाई पॉजिटिविटी रेट होने पर ही लॉकडाउन का फैसला लिया जाता है।

पॉजिटिविटी रेट को काउंट करना बेहद कठिन काम होता है। दरअसल कई बार लोग अपना कोरोना टेस्ट भी नहीं कराते हैं। सबसे सामान्य फॉर्मूला यह है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए लोगों की संख्या को कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों की कुल संख्या से विभाजित करके इसे 100 से गुणा किया जाए। ऐसा करने से आपको जो संख्या मिलेगी, वह उस क्षेत्र का पॉजिटिविटी रेट होगा। यदि किसी क्षेत्र में पॉजिटिविटी रेट 24 प्रतिशत है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि इस क्षेत्र के 24 प्रतिशत लोग कोरोना पॉजिटिव हैं। बल्कि इसका मतलब यह हुआ कि जो टेस्ट हुए हैं, उनमें से 24 फीसदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के 100 से ज्यादा विधायकों के टिकट कटने के आसार

वही दूसरी ओर यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के 100 से ज्यादा विधायकों के टिकट कटने के आसार बन गए हैं। MP/MLA कोर्ट ने 32 बीजेपी विधायकों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। संभव है कि ये विधानसभा चुनाव न लड़ सकें। इसके अलावा वो विधायक भी इस लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने सीएम योगी के खिलाफ विधानसभा में धरना दिया था।

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही यूपी सरकार में कृषि मंत्री हैं। उन पर भी गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 32 मुकदमे बीजेपी के विधायकों पर तय हुए हैं। जबकि सपा के 5 ही विधायक इस लिस्ट में शामिल हैं। बीएसपी और अपना दल(एस) 3-3 विधायक हैं। अब इन्हें दोबारा विधानसभा टिकट दिए जाने पर जनता और विधानसभा में पार्टियां कमजोर होंगी।

एसोसिएट डेमोक्रेटिव रिफार्म (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने जिन विधायकों पर आरोप तय किए हैं, उनमें कुछ विपक्ष के बड़े नाम भी हैं। ऐसे 13 विधायक हैं। इस लिस्ट में कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह भी शामिल हैं।

बाकी, नाम कटने वाली भाजपा की लिस्ट में पार्टी की खिलाफत कर चुके, 75 की उम्र पार कर चुके विधायकों के नाम हैं। इसके अलावा, कुछ ऐसे विधायक भी हैं जिनके प्रदर्शन के आधार पर नाम काटने की चर्चाएं हैं। यह संख्या 100 के आसपास है।

45 विधायकों पर रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 की धारा 8 (1), (2) और (3) के तहत आरोप तय किए गए हैं। 32 विधायकों के खिलाफ 10 साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं।

दिसंबर 2019 की है। गाजियाबाद से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने आरोप लगाया था कि गाजियाबाद पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया है। इसी बात को लेकर वह विधानसभा में अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सदन के अंदर उन्हें बोलने नहीं दिया गया। नंद किशोर इस बात से नाराज होकर विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ गए थे। इस दौरान उन्हें अन्य विधायकों का भी साथ मिला। इस बीच हंगामा बढ़ने के बाद सदन की कार्यवाही 45 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई है।

BJP के ये विधायक हो सकते हैं बेटिकट
1. रवीन्द्र जायसवाल,वाराणसी
2.​​ संजीव राजाख, अलीगढ़
3. उमेश मलिक, बुढ़ाना
4. सत्यवीर त्यागी, किठोर, मेरठ
5. मनीष असीजा, फिरोजाबाद
6. नंद किशोर, लोनी
7. करिंदा सिंह, गोवर्धन
8. देवेन्द्र सिंह, कासगंज
9. वीरेंद्र, एटा
10. विक्रम सिंह, मुजफ्फरनगर
11. अशोक कुमार राणा, धामपुर
12. धर्मेन्द्र कुमार सिंह शाक्य, शेखुपुर
13. राजेश मिश्र, बिथरी चैनपुर
14. बाबू राम, पूरनपुर
15. मनोहर लाल, मेहरौनी
16. बृजभूषण, चरखारी
​​​​​​​17. राजकरन ,नरैनी बांदा
18. अभय कुमार, रानीगंज
​​​​​​​19. राकेश कुमार, मेंहदावल
​​​​​​​20. राम चंद्र यादव, रुदौली
​​​​​​​21. संजय प्रताप जायसवाल, रुधौली
​​​​​​​22. गोरखनाथ, मिल्कीपुर
​​​​​​​23. इंद्र प्रताप, गोसाईगंज
​​​​​​​24. अजय प्रताप, कर्नलगंज
​​​​​​​25. सुरेश्वर सिंह, महसी
​​​​​​​26. श्रीराम, मोहम्मदाबाद गोहना
​​​​​​​27. सूर्य प्रताप शाही, पथरदेवा
​​​​​​​28. आनंद, बलिया
29. सुशील सिंह, सैयदरजा
​​​​​​​30. भूपेश कुमार, राबर्ट्सगंज
​​​​​​​31. रमा शंकर सिंह, मड़िहान
​​​​​​​32. सुरेन्द्र मैथानी, गोविंदनगर

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