Engineer’s day 15 सितंबर- इंजीनियरों को प्रोत्साहित करने का दिवस
Engineer’s day 2022 15 सितंबर इंजीनियरों को प्रोत्साहित करने का दिवस ताकि वो देश-दुनिया को अपने हुनर की बदौलत तरक्की की नई राह पर ले जाएं। भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। इसे देश के पहले सिविल इंजीनियर डॉ. एम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है Execlusive Report by Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media) Mob. 9412932030
भारत सरकार ने 15 सितंबर 1968 को राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस मनाने की घोषणा की थी. महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए भारत हर साल 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है. 15 सितंबर को भारत के साथ-साथ श्रीलंका और तंजानिया में भी विश्वेश्वरैया के महान कार्यों को याद कर इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है
भारत सरकार द्वारा साल 1968 में डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को ‘अभियंता दिवस’ घोषित किया गया था। उसके बाद से हर साल 15 सितंबर को अभियंता दिवस मनाया जाता है। दरअसल, 15 सितंबर 1860 को विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले में हुआ था।
भारत में हर साल 15 सितंबर को अभियंता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन भारत के महान अभियंता और भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन है। वह भारत के महान इंजीनियरों में से एक थे। उन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और देश को एक नया रूप दिया। उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है, जिसे शायद ही कोई भुला पाए। देशभर में बने कई नदियों के बांध और पुल को कामयाब बनाने के पीछे विश्वेश्वरय्या का बहुत बड़ा हाथ है। उन्हीं की वजह से देश में पानी की समस्या दूर हुई थी।
एक इंजीनियर के रूप में डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने देश में कई बांध बनवाए हैं, जिसमें मैसूर में कृष्णराज सागर बांध, पुणे के खड़कवासला जलाशय में बांध और ग्वालियर में तिगरा बांध आदि महत्वपूर्ण हैं। सिर्फ यही नहीं, हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय डॉ. विश्वेश्वरैया को ही जाता है। उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की थी, जिसके बाद पूरे भारत में उनका नाम हो गया। उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अपने नानाजी श्री जीएम बडोनी अधिशासी अभियंता पावर कार्पोरेशन से बडी प्रभावित मेरी बडी बेटी राघव ने बचपन से ही ठान लिया था कि वो भी एक दिन विशेष अभियंता बनेगी, नानाजी श्री जीएम बडोनी ने कहा- बहुत स्टडी करनी पडती है, यह ध्यान रखना, पर लगन, मेहनत कभी व्यर्थ नही जाती- और राघव ने यह चरितार्थ कर दिखाया – बहुमुखी प्रतिभा की धनी राघव पर हमे नाज है-
Engineer’s day 2022: Special; अपने नानाजी श्री जीएम बडोनी अधिशासी अभियंता पावर कार्पोरेशन से बडी प्रभावित मेरी बडी बेटी राघव ने बचपन से ही ठान लिया था कि वो भी एक दिन विशेष अभियंता बनेगी, राघव के नानाजी टिहरी जनपद के सुरकण्डा क्षेत्र के रहने वाले थे, उनका बाल्यकाल बडे दुख में बीता, परन्तु होशियार लगन के बल पर वह रूडकी के गोल्ड मैडिलिस्ट अभिययंता बन गये, राघव उनसे बचपन में कहती – कि नानाजी मैं भी एक दिन टाप इंजीनियर बनूगी, और यह उसने सिद्व कर दिखाया- पढाई के दौरान ही उसने जूडो कराटे में विदेश में 3 गोल्ड मैडल जीते, कथक डांस में मास्टर डिग्री ली, और पूरे देहरादून में अपने कथक डांस की छाप छोडी, वनस्थली जयपुर से माइक्रोटोनिक्स में बीएड कर रोबेटिक इंजीनियनिंग की, बिरला में कैम्प्स सैलेकेशन होने के बाद भी पढने की ललक कम नही हुई, बोली- पापा, अभी मैं, थोडा और हाथ आजमा लू, इंजीनियर तो मैं बन ही गई हूं, और उसने दिल्ली में देश के सर्वश्रेष्ठ आईएएस कोचिंग में एडमिशन लिया और श्रेष्ठ स्टूडेंट में शामिल हुई, मेरे आदरणीय गुरू आईएएस डा0 कमल टावरी जी पूर्व सचिव भारत सरकार से वह प्रभावित हुई और उनको वह अपना आदर्श मानती है,
सम्प्रति- रोबेटिक इंजीनियर बनने के बाद वह आईएएस बनकर महिला शक्ति की ताकत भी दिखाना चाहती है, Engineer’s day 2022 पर देश की समस्त बेटियो को जो इंजीनियरिंग कर रही है, हिमालयायूके परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाये-
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के अनुसार, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के अलावा, उन्हें “Precursor of Economic Planning in India” भी कहा जाता था. साल 1920 में उनकी किताब, “रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया” और “प्लांड इकोनॉमी ऑफ इंडिया” साल1934 में प्रकाशित हुई. उन्हें 1915 में मैसूर के दीवान के रूप में सम्मानित किया गया और 1955 में भारत रत्न प्राप्त हुआ. 1962 में 102 साल की उम्र में डॉ विश्वेश्वरैया का निधन हुआ. उन्हीं की स्मृति में हर 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर्स डे मनाया जाता है.
एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के मुद्दनहल्ली गांव में एक तेलुगू परिवार में हुआ था. विश्वेश्वरैया के पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री था, जो संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद के डॉक्टर थे. विश्वेश्वरैया ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृहनगर में पूरी की और बाद में मद्रास विश्वविद्यालय में BA की पढ़ाई करने चले गए. फिर उन्होंने अपना करियर स्विच किया और पुणे में कॉलेज ऑफ साइंस में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया..
1883 में पूना के साइंस कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद विश्वेश्वरैया को तत्काल ही सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी. वे मैसूर के 19वें दीवान थे और 1912 से 1918 तक रहे. मैसूर में किए गए उनके कामों के कारण उन्हें मॉर्डन मैसूर का पिता कहा जाता है. उन्होंने मैसूर सरकार के साथ मिलकर कई फैक्ट्रियों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करवाई थी. उन्होंने मांड्या जिले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य योगदान दिया था. विश्वेश्वरैया को देश में सर एमवी के नाम से भी जाना जाता था.
विश्वेश्वरैया बांधों में पानी के व्यर्थ प्रवाह को रोकने के लिए ब्लॉक सिस्टम के संस्थापक थे. इसे पहली बार पुणे में खडकवासला जलाशय में स्थापित किया गया था. उन्होंने मुसी नदी द्वारा हैदराबाद शहर के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की. एम वी मैसूर में महान कृष्ण राजा सागर बांध के आर्किटेक्ट थे.
सर एम वी ने 1909 में मैसूर राज्य के मुख्य इंजीनियर के रूप में और 1912 में मैसूर रियासत के दीवान के रूप में कार्य किया. एम विश्वेश्वरैया ने मैसूर राज्य में कई नई रेलवे लाइनों को भी चालू किया था. तिरुमाला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण की योजना तैयार करने में भी उनका योगदान है.
वर्तमान में इंजीनियरो का कार्यक्षेत्र बहुत बदल और बढ गया है
रोबोट ऐसे सभी काम करने में सक्षम होते हैं, जो इंसान के लिए मुश्किल होते हैं या जिन्हें करना उन्हें पसंद नहीं आता। कई रोबोट्स का उपयोग ऐसे कामों के लिए भी होता है, जो इंसानों के लिए खतरनाक माने जाते हैं, इन क्षेत्रों में मिलते हैं मौके
स्पेस रिसर्च: रोबोटिक्स इंजीनियर स्पेस रिसर्च से जुड़ी संस्थाओं जैसे कि इसरो, नासा आदि में काम करते हैं, जहां रोबोटिक टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
मेडिकल क्षेत्र: रोबोट्स, सर्जरी और मेडिसिन के रिहेबिलिटेशन सेक्टर में प्रमुखता से इस्तेमाल किए जाते हैं। रोबोटिक डिवाइस को कई तरह की थेरेपी में इस्तेमाल किया जाता है। यहां भी रोबोटिक्स इंजीनियरों के लिए काम करने के अच्छे मौके होते हैं। प्राइवेट संस्थाएं: रोबोटिक्स इंजीनियर प्राइवेट कंपनियों में रोबोटिक सिस्टम डिजाइन करते हैं और उनकी टेस्टिंग करते हैं, कंपनियों के लिए उपयोगी सॉफ्टवेयर और स्वचालित उपकरण बनाते हैं। एंटरटेनमेंट: रोबोटिक्स से जुड़े पेशेवरों की गेमिंग इंडस्ट्री में अच्छी-खासी मांग होती है, जहां वे रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से मजेदार वीडियो गेम्स बनाते हैं। इनवेस्टिगेशन: जांच एजेंसियां और पुलिस विभाग बड़े पैमाने पर रोबोट्स का इस्तेमाल करते हैं। खासतौर पर खतरनाक बम खोजने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए रोबोट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाता है। बैंकिंग: बैंकिंग और स्टॉक्स से जुड़े कामों के लिए बैंकिंग क्षेत्र में भी रोबोट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
आविष्कार: रिसर्च में रुझान रखने वाले ऑटोमेशन के विशेषज्ञ वैज्ञानिक भी बन सकते हैं, जहां वे रोबोटिक सिस्टम डिजाइन कर सकते हैं और ऑटोमेशन को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीकें इजाद कर सकते हैं।
रोबोटिक प्रोग्रामर: ये स्वचालित और स्वनियंत्रित बिजनेस प्रोसेस की डिजाइनिंग, निर्माण और क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होते हैं। रोबोटिक्स सिस्टम इंजीनियर: ये दक्ष पेशेवर कंप्यूटर आधारित डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग का इस्तेमाल करके रोबोटिक सिस्टम बनाते हैं। रोबोटिक सिस्टम को सुरक्षित और किफायती बनाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं इंजीनियरों की होती है।
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