बीजेपी किसानों को कृषि कानून क़ानूनों के फ़ायदे नही बता पाई जिससे सियासी जलजला

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा- सरकार ने पंजाब के प्रतिनिधि मंडल को तीन बजे बुलाया है. इसके बाद सरकार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के प्रतिनिधि मंडल से शाम सात बजे चर्चा करेगी. हम सभी इस मामले पर फाइनल फैसला चाहते हैं. किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा.

BREAKING Farmers’ Protest: Swaraj India chief Yogendra Yadav, who was part of a seven-member committee of farmers, backed out from government negotiations.

1 Dec. 20; Himalayauk Newsportal Bureau

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत में किसानों के आंदोलन पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि कनाडा हमेशा शांतपूर्ण प्रदर्शन के बचाव में खड़ा रहेगा। भारत सरकार ने इस पर संभली हुई प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह भारत का अंदरूनी मामला है।

कृषि कानून रद्द करने की मांग कर रहे आंदोलनरत किसानों के साथ केंद्र सरकार की बातचीत चल रही है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल , आंदोलनकारी किसानों के 35 प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर रहे हैं सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के साथ मंगलवार सुबह मुलाकात की. कृषि कानूनों के खिलाफ ये किसान दिल्‍ली में मोर्चा डाले हुए हैं.समझा जाता है कि किसानों के साथ तीसरे राउंड की बातचीत में सरकार नए कृषि कानून के बारे में जानकारी के साथ इस बात का आश्‍वासन दे सकती है कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी MSP को खत्‍म नहीं किया जाएगा.

पहले सरकार की ओर से 3 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव रखा गया था. गृहमंत्री अमित शाह ने शर्त रखी थी कि किसानों को बातचीतके लिए बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड पर जाना होगा और दिल्ली की सीमाओं से हटना होगा. लेकिन सशर्त बातचीत के इस प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया था.

पंजाब किसान यूनियन के नेता अमरीक सिंह ने   कहा कि हम सरकार के सामने अपनी दो मांगें मुख्य तौर पर रखेंगे. पहली मांग कि तीनों कानून को तत्काल प्रभाव से वापिस लिया जाए और दूसरी मांग कि सरकार MSP की लीगल गारंटी दे.  जिस तैयारी से किसान आए हैं, वो सोच कर आए हैं कि केंद्र सरकार इनकी बात आसानी से नहीं मानेगी. उनके पास 6 महीने का तेल, गैस, आटा, दाल, चावल हैं. वे इन तीनों क़ानूनों को वापस कराकर अपने घर जाएंगे. सरकार को इनसे खुले मन से बातचीत करनी चाहिए.

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केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए बुंदेलखंड़ के करीब 500 किसान निजी साधनों से बृहस्पतिवार को दिल्ली कूच करेंगे। यह जानकारी एक किसान संगठन के पदाधिकारी ने दी. 

किसान आंदोलन (Farmers Protests) को लेकर हरियाणा की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी को अब फिर सत्ता में उसकी एक और सहयोगी पार्टी ने चेतावनी दी है. हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) के अध्यक्ष और उनके पिता अजय चौटाला (Ajau Chautala) ने कहा कि सरकार को इस मसले पर बड़ा सोचना चाहिए और किसानों की मांगों पर कुछ समाधान निकालना चाहिए. इसके अलावा राज्य की गठबंधन की सरकार के सहयोगी निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने भी सत्ता से अपना गठबंधन तोड़ लिया है.

सोमवार को ही राजस्थान से उसके एक सहयोगी सांसद हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी से अपना रिश्ता खत्म करने की धमकी दी थी.

नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले पांच दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जमे हुए हैं. इस बीच किसानों के विरोध प्रदर्शन पर केंद्र सरकार एक्टिव हो गई और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया. दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच बातचीत शुरू हुई है. विज्ञान भवन में किसान नेताओं और सरकार के बीच बैठक शुरू हो गई है. बैठक में अलग अलग किसान संगठनों के 35 नेता हिस्सा ले रहे हैं. सरकार की ओर से तीन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सोमप्रकाश शामिल हैं.

पंजाब के मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा है कि केंद्र सरकार को चाहिए कि खुले दिल से उनकी(किसानों) मांगों पर विचार करें और उन्हें मानें. किसानों के प्रदर्शन के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास पहुंचे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास से बैठक करके निकल गए हैं. इस बैठक में कंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए.

किसानों के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सिंघु बॉर्डर पहुंची शाहीन बाग की बिलकिस दादी को हिरासत में लिया गया. कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर(दिल्ली-हरियाणा) पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच पंजाब किसान यूनियन के स्टेट प्रेसिडेंट आरएस मनसा ने कहा है कि मैं सरकार की तरफ से बुलाई गई बैठक में जाऊंगा.

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत जारी है. बैठक में 30 किसान संगठनों के प्रतिनिधि और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश मौजूद हैं. किसानों के साथ बैठक से पहले कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि, हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे उनके मुद्दों को हल किया जा सकता है. उनकी सुनवाई के बाद सरकार समाधान पर पहुंचेगी. कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार को कोविड-19 और ठंड का हवाला देते हुए किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसम्बर की बजाय मंगलवार को ही बातचीत के लिए बुलाया था.

किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘ हमारी बैठक में, हमने केन्द्र का आज दोपहर तीन बजे बातचीत करने का प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला किया है. प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रतिनिधि केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे.’’ केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे हैं. किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा.

चौटाला की जेजेपी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को लेकर धर्मसंकट में फंसी हुई है

बीजेपी सरकार के साथ राज्य सत्ता साझा करने वाली दुष्यंत चौटाला की जेजेपी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को लेकर धर्मसंकट में फंसी हुई है, क्योंकि वो खुद को किसानों की पार्टी बताती है और किसान ही उसके कोर वोट बैंक हैं. ये किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत उन्हें डर है कि उन्हें फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी, जहां से उन्हें फसल पर निश्चित मूल्य मिलता था. किसानों को दिल्ली आने से रोकने की कोशिश करने में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने भारी-भरकम तरीकों का इस्तेमाल किया था. खट्टर के आदेश पर पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले बरसाए और कई जगहों पर उनपर वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया गया. यहां तक कि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश में हाईवे तक खोदकर रख दिया था.

अजय चौटाला ने कहा कि ‘सरकार को किसानों की समस्या जल्द से जल्द हल करनी चाहिए. किसानों को एमएसपी लागू करने के लिए पुख्ता आश्वासन देना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि अन्नदाता सड़कों पर परेशान हो रहे हैं. ऐसे में सरकार को बड़ी सोच रखकर किसानों की मांग पूरी करनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार अपने कृषि कानूनों में एमएसपी को शामिल कर किसानों की मांग पूरी करे. चौटाला ने यह भी कहा कि किसान संगठनों व केंद्र सरकार के बीच वार्ता के सकारात्मक परिणाम आएंगे.

बता दें कि इसके पहले केंद्र में बीजेपी पहले ही अपने सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल के साथ को खो चुकी है. इसके अलावा अभी सोमवार को ही राजस्थान से उसके एक सहयोगी सांसद हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी से अपना रिश्ता खत्म करने की धमकी दी थी.

चौटाला परिवार अपने पार्टी के कुछ नेताओं के मुकाबले फिलहाल थोड़ा नरम रुख ही अपनाए हुए हैं. उनके पार्टी के विधायक जोगी राम सिहाग ने तो खट्टर सरकार की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा था, ‘हरियाणा की सरकार अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे किसानों से ऐसे पेश आ रही है, जैसे कि वो आतंकवादी हों. यह बस अन्याय ही नहीं, निर्दोष किसानों पर अत्याचार है.’

भारत के अलग-अलग हिस्सों में जारी किसानों के प्रदर्शन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो समेत कई कनाडाई नेताओं ने टिप्पणी की है. अब इसपर भारत के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है. भारत ने इस तरह की टिप्पणी को गैर जरूरी करार दिया है. 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हमने कुछ कनाडा के नेताओं के भारत के किसानों के बारे में कमेंट सुने हैं. ऐसे बयान गैर जरूरी हैं, वो भी तब जब किसी  कतांत्रिक देश के आंतरिक मुद्दों से जुड़े हो. साथ ही ये भी जरूरी है कि डिप्लोमेटिक बातचीत को किसी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाए

कोई भी राजनीतिक दल किसानों को नाराज़ कर सियासत नहीं कर सकता।

कोई भी राजनीतिक दल किसानों को नाराज़ कर सियासत नहीं कर सकता। मोदी सरकार जैसे ही किसान अध्यादेश लेकर आई तो यहां किसान पंचायतों का दौर शुरू हो गया और जब सरकार ने क़ानून ही बना दिए तो किसानों ने दिल्ली कूच का एलान कर दिया। किसानों की सियासी अहमयित को जानते हुए ही शिरोमणि अकाली दल ने मोदी सरकार से कहा कि वह इन क़ानूनों को वापस ले, वरना वह एनडीए से बाहर निकल जाएगी। लेकिन मोदी सरकार ने शायद इसे हल्के में लिया।  किसानों के सड़क पर आने के बाद जब अकाली दल को अपनी सियासी ज़मीन जाती दिखी तो वह एनडीए से बाहर निकल आयी। इसके बाद किसान दिल्ली पहुंच गए और अब टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर खूंटा गाड़कर बैठ गए हैं।  ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, हरियाणा के कई बीजेपी सांसद इस बात को मानते हैं कि किसानों के ख़िलाफ़ सरकार ने जिस तरह ताक़त का इस्तेमाल किया वह ग़लत था। कुछ सांसदों का यह भी मानना है कि उनकी सरकार के कृषि क़ानूनों में गड़बड़ है। उन्होंने कांग्रेस पर किसानों को भड़काने के आरोप लगाए और इस बात को भी स्वीकार किया कि बीजेपी किसानों को इन क़ानूनों के फ़ायदे बताने में असफल रही। खट्टर के किसानों को कांग्रेस कार्यकर्ता कहने वाले बयान पर भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह कहते हैं, ‘हमें इस बात को स्पष्ट तौर पर समझना चाहिए कि किसान सिर्फ किसान होता है। ये कहना ग़लत होगा कि वे हमारे किसान नहीं हैं। पहले किसान आते हैं, फिर राजनीतिक दल क्योंकि वह हमारे अन्नदाता हैं।’ हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह कहते हैं कि कृषि बिलों के पास होने से पहले किसानों से बेहतर ढंग से बात की जा सकती थी। अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया कहते हैं कि हम किसानों को समझा सकते हैं लेकिन किसानों के आंदोलन को राजनीति से जोड़ना ठीक नहीं होगा। 

तीनों नए कृषि क़ानूनों को तुरंत वापस लिया जाए वरना उनकी पार्टी एनडीए में बने रहने पर पुनर्विचार करेगी

अकाली दल, पंजाब और हरियाणा बीजेपी के बाद राजस्थान के एक नेता को किसानों की नाराज़गी का डर सता रहा है। इनका नाम हनुमा न बेनीवाल है। बेनीवाल ने बीजेपी से निकलकर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी नाम से दल बनाया और 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए में शामिल हो गए थे। नागौर से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले बेनीवाल किसान आंदोलन के कारण अपनी सियासी ज़मीन को ख़तरा होते हुए देख रहे हैं। बेनीवाल ने 30 नवंबर को गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि इन तीनों नए कृषि क़ानूनों को तुरंत वापस लिया जाए वरना उनकी पार्टी एनडीए में बने रहने पर पुनर्विचार करेगी। बेनीवाल को पता है कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के किसान संगठनों का आपस में जबरदस्त तालमेल है। ऐसे में जब किसान संगठन इन कृषि क़ानूनों के विरोध में हैं तो वे किस मुंह से किसान मतदाताओं के बीच में जाएंगे। इसलिए उन्होंने बीजेपी और मोदी सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है और सरकार का जैसा सख्त रूख़ है, उसमें नहीं लगता कि बेनीवाल ज़्यादा दिन एनडीए में टिक पाएंगे। 

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