संघ सीधे तौर पर आगे नहीं आएगा, संघ प्रमुख और सर कार्यवाह रणनीति के लिए भोपाल पहुंचे

संघ प्रमुख मोहन भागवत और सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी समता एक्सप्रेस से नागपुर से भोपाल पहुंचे ;लव जिहाद पर कानून ला चुके या क़ानून लाने की कार्यवाही कर रहे राज्यों में अब मध्य प्रदेश, यूपी, हरियाणा, असम, कर्नाटक राज्य शामिल हैं। कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही   सरकारो को राज्‍यो के हाईकोर्ट से झटके मिलने पर संघ ने नई रणनीति को अंजाम दे दिया है।

कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क़ानून लाने से पहले ही झटका दे दिया है। मुसलिम लड़के से शादी करने को लेकर एक लड़की के मामले में दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ़ कहा कि, ‘किसी भी वयस्क व्यक्ति के लिए अपनी पसंद की शादी करना, संविधान में दिए गये मौलिक अधिकार के अंतर्गत है’।

वही दूसरी ओर  लव जिहाद पर विहिप करेगी अगुवाई संघ सीधे तौर पर आगे नहीं आएगा। विहिप और सक्रिय छोटे-छोटे हिन्दू संगटनों को आगे किया जाएगा, जो इस पर काम करेगा।

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संघ प्रमुख मोहन भागवत और सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी समता एक्सप्रेस से नागपुर से भोपाल पहुंचे। स्टेशन से वे सीधे समीधा पहुंचे। सुबह कुछ देर आराम करने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चुनिंदा पदाधिकारियों को समीधा बुलाया और बैठक की। वहीं शाम को देवास में एक निजी कार्यक्रम में शामिल हुए।

संघ ने तय किया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए के धन संग्रह का काम 15 जनवरी से 27 फरवरी तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चलेगा। इसके चलते मध्यप्रदेश में पदाधिकारियों की बैठक ली गई है। मोहन भागवत और सुरेश भैयाजी जोशी ने राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह को लेकर पदाधिकारियों से चर्चा की है। इसके लिए प्रदेश के हर जिले में एक दर्जन लोगों को दायित्व देने की बात सामने आई है। इसमें संघ के साथ विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों को भी आगे रखा जाएगा। बैठक में हिंदूवादी कुछ अन्य संगठनों को भी इसमें साथ लेकर काम करने का कहा गया है। लव जिहाद कानून पर विहिप करेगी अगुवाई सूत्रों के मुताबिक लव जिहाद के मामले पर भी यहां चर्चा हुई। बताया जाता है कि संघ सीधे तौर पर आगे नहीं आएगा। विहिप और मध्यप्रदेश में सक्रिय छोटे-छोटे हिन्दू संगटनों को आगे किया जाएगा, जो इस पर काम करेगा। साथ ही इस तरह का मामला दिखाई या सुनाई देने पर ये संगठन जिला प्रशासन और पुलिस को सूचना देने का काम भी करेगा।

कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क़ानून लाने से पहले ही झटका दे दिया है। हाईकोर्ट ने कथित लव जिहाद के चलते लड़की पर पड़ रहे दबाव पर अपना फ़ैसला देते हुए कहा कि,  ‘अपनी मनपसंद की शादी करने के लिए दो वयस्क व्यक्तियों को संवैधानिक व्यवस्था के तहत मौलिक अधिकार मिला हुआ है, धर्म या जाति के आधार पर वयस्क कपल को मिली इस स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

वही दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने साफ़ कहा हैकि, ‘अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ शादी करने वालों के रिश्ते पर एतराज जताने और विरोध करने का हक न तो उनके परिवार को है और न ही किसी व्यक्ति या सरकार को। अगर राज्य या परिवार उन्हें शांतिपूर्वक जीवन में खलल पैदा कर रहा है तो वो उनकी निजता के अधिकार का अतिक्रमण है।’

हाईकोर्ट ने कहा कि एतराज और विरोध करने वालों की नज़र में कोई हिन्दू या मुसलमान हो सकता है। लेकिन क़ानून की नज़र में अर्जी दाखिल करने वाले प्रेमी युगल सिर्फ़ बालिग जोड़े हैं और शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बाद पति-पत्नी के तौर पर साथ रह रहे हैं। कोर्ट ने धर्म बदलने वाली प्रियंका उर्फ़ आलिया के पिता की तरफ़ से पति सलामत अंसारी के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द कर दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के ‘लव जिहाद’ पर आये फ़ैसले के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फ़ैसला लव जिहाद पर हो रही राजनीति और लव जिहाद पर लाये जाने वाले क़ानूनों के अंतर को साफ़ करता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो बार सिंगल बेंच ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को ग़ैर क़ानूनी क़रार दिया था लेकिन हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दोनों सिंगल बेंच के आदेशों को पलटते हुए साफ़ कहा था कि, ‘किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है। महज अलग-अलग धर्म या जाति का होने की वजह से किसी को साथ रहने या शादी करने से नहीं रोका जा सकता है। दो बालिग लोगों के रिश्ते को सिर्फ़ हिन्दू या मुसलमान मानकर नहीं देखा जा सकता’। हालाँकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के कथित लव जिहाद पर इस टिप्पणी के बावजूद यूपी की योगी सरकार ने अध्यादेश लाकर कथित लव जिहाद को आपराधिक क़ानून में बदल दिया जिसमें 1 से 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान भी कर दिया गया। 

कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने एक मुसलिम लड़के वाजिद ख़ान ने बंदी प्रत्यक्षीकरण यानी हैबियस कार्पस रिट दाख़िल करते हुए अपनी प्रेमिका राम्या को रिलीज करने की माँग की थी। प्रेमिका राम्या को जब पुलिस ने अदालत में पेश किया तो उसने अदालत को बताया कि वह महिला दक्षता समिति, विद्यारण्यपुरा में रह रही है और उसे जबरन उसके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। राम्या ने अदालत को बताया कि उसके माता-पिता वाजिद ख़ान से शादी करने का विरोध कर रहे हैं जबकि वाजिद की माँ इस शादी के लिए तैयार हैं। अदालत ने राम्या के मामले में याचिका की सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि राम्या एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, वो अपना भला-बुरा सोचने और समझने के काबिल है। इसलिए राम्या को महिला दक्षता समिति से तुरन्त रिलीज किया जाए।

हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी यूपी सरकार के लाये गये क़ानून में कहा गया है कि विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है।

इसके अलावा इस क़ानून के मुताबिक़, धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी और यह बताना होगा कि धर्म परिवर्तन जबरन, दबाव डालकर, लालच देकर या किसी तरह के छल कपट से नहीं किया जा रहा है। अनुमति से पहले 2 महीने का नोटिस देना होगा। ऐसा न करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सज़ा होगी, वहीं कम से कम 10 हज़ार का जुर्माना भी देना होगा। अगर कोई सिर्फ़ लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए उसे शादी करेगा तो वह शादी शून्य मानी जाएगी, यानी उसे अमान्य माना जाएगा।

योगी सरकार ने कथित लव जिहाद के लिए लाये गये कानून उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के लिए विधानसभा सत्र का भी इंतज़ार नहीं किया और वह अध्यादेश ले आई। यूपी की राज्यपाल आंनदी बेन पटेल ने इस अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी है जिसके बाद पूरे यूपी में क़ानून लागू हो गया है। 6 महीने में यूपी सरकार को दोनों सदनों से यह अध्यादेश पास कराना होगा। क़ानून लागू होने के साथ ही यूपी के बरेली ज़िले में एक युवती के पिता की शिकायत के आधार पर राज्य में धर्मांतरण प्रतिषेध क़ानून के तहत पहला मामला भी दर्ज किया गया है। मामला बरेली ज़िले के देवरनिया थाने में दर्ज किया गया।

अखिलेश यादव ने कहा, ‘सरकार एक तरफ़ अंतरजातीय व अंतरधार्मिक शादियों पर 50 हज़ार रुपए प्रोत्साहन राशि दे रही है, तो दूसरी ओर इसे रोकने के लिए क़ानून ला रही है। सरकार के लोगों को संविधान का अनुच्छेद 21 पढ़ना चाहिए। सपा ऐसे किसी भी क़ानून के पक्ष में नहीं है।’

कांग्रेस की तरफ़ से वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि इस अध्यादेश में सभी धर्मान्तरण, यहाँ तक कि विवाह की जाँच और प्रमाणित किए जाने का प्रावधान है, जो कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन और असंवैधानिक है।

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कुछ दिन पहले ही एक ज्वेलरी ब्रांड के विज्ञापन के कारण यह मुद्दा चर्चा में आ गया था. साथ ही, कथित लव जिहाद के मामले लगातार सुर्खियों में रहे हैं,  इस्लाम में जिहाद शब्द का अर्थ धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करना है. वर्तमान हालात में लव जिहाद एक गढ़ा हुआ शब्द है, जिसका मतलब शादी या प्रेम का झांसा देकर इस्लाम में धर्म परिवर्तन करवाने से समझा जाता है. माना जाता है कि लव जिहाद वह धोखा है, जिसके तहत कोई मुस्लिम युवक या आदमी किसी गैर मुस्लिम युवती या महिला को प्रेम का जाल बिछाकर मुस्लिम बनने पर मजबूर करता है. हालांकि यह संगठित रूप से किया जाता हो, ऐसा सबूत नहीं है, लेकिन कुछ सियासी पार्टियां ऐसा मानती हैं.

साल 2009 में, रिटायर्ड जस्टिस केटी शंकरन ने माना था कि केरल और मैंगलोर में जबरन धर्म परिवर्तन के कुछ संकेत मिले थे. तब उन्होंने केरल सरकार को इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कानूनी प्रावधान करने की बात कही थी. कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रेम के नाम पर, किसी को धोखे या उसकी मर्ज़ी के बगैर धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

साल 2009 में एक केस चर्चा में आया था जब एक लड़की को इस्लाम में कन्वर्ट किए जाने के आरोप लगे थे. स्पेशल ब्रांच के हवाले से उस वक्त आई खबरों में कहा गया था कि नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट और कैंपस फ्रंट जैसे कुछ समूह कई शहरों में, खास तौर से कॉलेजों में योजनाबद्ध ढंग से हिंदू और ईसाई लड़कियों को इस्लाम में कन्वर्ट करवाने के लिए ‘प्रेम के झांसे’ का खेल खेल रहे थे.

इसके बाद, 2014 में मेरठ के केस ने देश भर में चर्चा पाई. कलीम और शालू त्यागी के केस को लव जिहाद के तौर पर प्रचारित किया गया. इस केस में युवक और युवती ने यही कहा कि सियासी पार्टियां अपने फायदे के लिए लव जिहाद का प्रचार कर रही थीं, जबकि ऐसा कुछ नहीं था. तमाम विवाद के बावजूद दोनों ने निकाह किया. इसके बाद उसी साल एक और केस ने खलबली मचाई थी. राष्ट्रीय स्तर की शूटर तारा शाहदेव ने खुलकर कहा था कि उसके ससुराल पक्ष ने इस्लाम कबूल करने के लिए प्रताड़ना दी. तारा ने कहा था कि उसने जिस व्यक्ति से शादी की थी, यह समझकर की थी कि वह हिंदू था. इस मामले में सीबीआई जांच हुई और पीड़िता के पति समेत ससुराल पक्ष के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. उसी साल हादिया केस भी लव जिहाद का एक बेहद चर्चित केस था.

हादिया केस में लव जिहाद के तार सीरिया के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़े थे. हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से जांच को कहा था और एनआईए ने कहा था कि ‘लव जिहाद नकारा नहीं’ जा सकता. इसके बाद ताज़ा मामलों में कानपुर और बल्लभगढ़ के कुछ मामले सुर्खियों में रहे.

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