किसान आंदोलन- किसानों की सोशल मीडिया के जरिए मज़बूती से मोर्चेबंदी
The ninth round of discussion between farmers demanding repeal of the three agriculture laws and the centre — held days after the Supreme Court (SC) stayed their enactment “until further orders” — ended today with no progress towards ending the stalemate.
15 JAN 2021; किसान आंदोलन को शुरू हुए 50 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. इस दौरान न तो सरकार किसानों को राजी कर पाई है और न ही सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से ही बात बनती दिख रही है. ऐसे में किसानों ने सरकार की तीन ओर से मोर्चेबंदी शुरू कर दी है. पहला मोर्चा सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमिटी के खिलाफ है, जिसमें उन्हें आंशिक सफलता मिलती दिख रही है. दूसरा मोर्चा है सरकार के साथ बातचीत का और तीसरा मोर्चा है सोशल मीडिया के जरिए मज़बूती से अपनी बात रखने का. क्या किसान तीनों मोर्चों पर सरकार को घेरने में कामयाब हो पाएंगे या फिर अभी बहुत लंबा चलेगा किसान आंदोलन
पूरे कानून को रद्द करने की जरूरत नहीं जो संशोधन सरकार ने किए हैं, उन्हें सरकार वापस ले ले- लेकिन इस पर कृषि मंत्री ने कोई आश्वासन नहीं दिया- सरकार अपनी बात पर अड़ी हुई है- ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के अध्यक्ष ने कहा
15 JAN 21 कृषि कानूनों के खिलाफ किसान का प्रदर्शन आज लगातार 51वें दिन जारी रहा. इस बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच नई दिल्ली में बैठक हुई. 9वें दौर की यह बैठक भी बेनतीजा रही. अब 19 जनवरी को चर्चा होगी.
बैठक के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से अपील की कि वे अपने रूख में लचीलापन लाएं. बता दें कि प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वहीं सरकार कानून में संशोधन की बात कह रही है.
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान यूनियन के साथ 9वें दौर की वार्ता हुई. तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई. आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई. उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई. यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से चर्चा होगी.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने सरकार से बातचीत के बाद कहा, ”सरकार से ही हम बात करेंगे. 2 ही बिंदु है. कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो. हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे.” एक अन्य नेता ने कहा कि कोई समाधान नहीं निकला, न कृषि क़ानूनों पर न MSP पर. 19 जनवरी को फिर से मुलाकात होगी.
बैठक के दौरान हुए लंच ब्रेक के पहले खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने आवश्यक वस्तु कानून में किए गए बदलावों पर किसानों के सवालों का जवाब दिया. कुछ किसान नेता पीयूष गोयल का जवाब नहीं सुनना चाहते थे क्योंकि उनका कहना था कि कानून को वापस लेने के अलावा और कोई बातचीत नहीं हो सकती है. हालांकि कुछ अन्य किसान सरकार की बातचीत सुनने के पक्ष में थे.
प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच हुई नौवें दौर की बातचीत भी आज बेनतीजा रही. शुक्रवार की बातचीत के बारे में बात करते हुए ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के अध्यक्ष बालकरण सिंह बरार ने कहा, इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल सका.सरकार अपनी बात पर अड़ी हुई है कि तीनों कानून रद्द नहीं होंगे. हमने सरकार को सुझाव दिया कि इस एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में जो संशोधन सरकार ने किए हैं, उन्हें सरकार वापस ले ले. पूरे कानून को रद्द करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इस पर कृषि मंत्री ने कोई आश्वासन नहीं दिया. अब अगली बैठक 19 जनवरी को विज्ञान भवन में होगी 26 जनवरी के दिन हमारी ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी अगले 2 दिन में हम ट्रैक्टर रैली की रूट और अपने विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा फाइनल कर लेंगे, इसमें कुछ छुपा हुआ नहीं है. बरार ने कहा कि 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम को हम जल्द ही सार्वजनिक करेंगे.
किसान संगठनों का साफ कहना है कि हम मध्यस्थ (ब्रोकर्स) नहीं चाहते, हम सीधे सरकार के साथ बातचीत चाहते हैं. यही नहीं, उन्होंने सरकार से किसानों का समर्थन करने वालों के पीछे केंद्रीय एजेंसी लगाने से भी ‘बाज आने’ को कहा है.
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