मोदी ने अपनी परछाईं को मिशन यूपी की कमान सौंपी;मोदी का चौंकाने वाला बडा फ़ैसला- सियासी इनिंग की शुरआत

18 सालों तक वे मोदी के साथ परछाईं की तरह साथ रहने वाले अधिकारी को अचानक वीआरएस दिलवा कर मोदी ने अब उन्हें मिशन यूपी पर भेजा है, 1988 बैच के IAS अफ़सर अरविंद शर्मा डेढ़ साल बाद रिटायर होने वाले थे यही नही उन्‍हें एमएलसी बना कर तुरंत योगी सरकार में मंत्री बनाकर महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी भी दी जा सकती है. शर्मा ने कहा कि साहेब के हाथ मज़बूत करता रहूंगा. सत्ता के गलियारों में ब्यूरोक्रेसी मोदी को साहेब ही कहते रहे हैं.

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के शर्मा. जिन्हें मोदी मैन कहा जाता है. जो नरेन्द्र मोदी के सीएम से लेकर पीएम बनने तक हमेशा साथ रहे. पूरे 18 सालों तक वे मोदी के साथ परछाईं की तरह रहे. लेकिन तीन दिन पहले उन्होंने अचानक वीआरएस ले लिया. 1988 बैच के IAS अफ़सर अरविंद शर्मा डेढ़ साल बाद रिटायर होने वाले थे. मोदी ने अब उन्हें मिशन यूपी पर भेजा है. मऊ ज़िले के रहने वाले के शर्मा ने लखनऊ पहुंचकर वे बीजेपी में शामिल हो गए. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया. उन्हें एमएलसी बनाये जाने का फ़ैसला हुआ है. उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाकर महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी भी दी जा सकती है.

8 जनवरी को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की थी. कहा जाता है कि मोदी ने उसी समय योगी को इस फ़ैसले के बारे में बता दिया था. उस वक्त अरविंद शर्मा केंद्र में एमएसएमई मंत्रालय में सचिव थे. उन्हें आर्थिक मामलों का जानकार समझा जाता है. शर्मा ने राजनीति शास्त्र में एमए किया है. बीजेपी का नेता बनने के बाद अरविंद शर्मा बोले, मैं पार्टी में सम्मिलित होकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं, दल और पार्टियां बहुत हैं, मै मऊ से संबंधित हूं, मेरा किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हूं फिर भी बीजेपी जैसी पार्टी का सदस्य बनाया है, ये काम सिर्फ मोदी जी और बीजेपी ही कर सकती हैं.” अपने भाषण के आख़िर में शर्मा ने कहा कि साहेब के हाथ मज़बूत करता रहूंगा. सत्ता के गलियारों में ब्यूरोक्रेसी मोदी को साहेब ही कहते रहे हैं.

नरेन्द्र मोदी और अरविंद शर्मा का साथ अठारह सालों से भी अधिक का रहा है. सीएम से लेकर पीएम बनने तक शर्मा ने मोदी के साथ काम किया. 7 अक्टूबर 2001 को मोदी पहली बार गुजरात के सीएम बने. तब वे सबसे पहली बार मुख्यमंत्री के सचिव बने. मोदी के पास तीन आईएएस अफ़सरों का पैनल भेजा गया था. लेकिन उन्होंने शर्मा को ही चुना. उस समय वे सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना में पुनर्वास मामलों के कमिश्नर थे. मोदी जब बीजेपी के महामंत्री थे तभी उन्हें शर्मा के अच्छे काम के बारे में फ़ीडबैक मिला था. तब तक वे मेहसाणा और खेड़ा ज़िलों के कलेक्टर रह चुके थे. मोदी जब गुजरात के सीएम बने थे तब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भूकंप के बाद पुनर्वास की थी.

सचिव के रूप में अरविंद शर्मा को नरेन्द्र मोदी ने बहुत क़रीब से काम करते देखा. यहीं से उन्होंने मोदी का भरोसा जीता. ये भरोसा अब तक मज़बूत बना है. इसी भरोसे के दम पर मोदी ने शर्मा को यूपी भेजने का फ़ैसला किया है. कहा जा रहा है कि उन्हें राज्य में निवेश लाने की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. साथ ही इंफ़्रास्ट्रक्चर मज़बूत करने का काम भी उन्हें दिए जाने की चर्चा है. सूत्रों की माने तो उन्हें मंत्री बनाए जाने की बात है. शर्मा की एंट्री को लेकर यूपी में सत्ता के गलियारों में तरह तरह की अटकलें हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आख़िरी मोदी अपने ख़ास आदमी को वहां क्यों भेज रहे हैं? आख़िर इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या यूपी में सब ठीकठाक नहीं है? सवाल से भी है कि जो अफ़सर सबसे लंबे समय तक मोदी के साथ रहे, उन्हें ही लखनऊ क्यों भेजा गया? वैसे मोदी अपने चौंकानेवाले फ़ैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं.

नरेन्द्र मोदी पहली बार 26 मई 2014 को देश के प्रधान मंत्री बने. पीएमओ में सबसे पहली तैनाती अरविंद शर्मा की हुई. 30 मई को उन्हें पीएमओ में संयुक्त सचिव बनाए जाने का आदेश जारी हुआ. बाद में प्रमोशन पाकर वे यहीं एडिशनल सेक्रेटरी भी बनाए गए. गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए शर्मा साढ़े तेरह सालों तक सीएमओ में रहे. मोदी के सचिव रहते हुए उन्होंने औद्योगिक निवेश का काम संभाला. वाइब्रेंट गुजरात समिट कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. मोदी के हर विदेश दौरे में शर्मा उनके साथ रहे. बजट बनाने में भी उनका अहम रोल हुआ करता था. पहली पार अरविंद शर्मा मोदी की छत्र छाया से अलग अब योगी आदित्यनाथ के लिए काम करेंगे.

आईएस  अरविंद कुमार शर्मा ने अचानक वीरआएस (VRS)  लिया तो उनके VRS लेने से हर कोई हैरान हो गया था. अरविंद कुमार शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अफसरों में से एक माने जाते हैं. उनके वीआरएस लेने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें सरकार में किसी बड़े पद पर तैनात किया जा सकता है.  आईएएस अरविंद कुमार शर्मा (IAS Arvind Kumar Sharma) गुजरात, कैडर के 1988 बैच के IAS अफसर हैं.  यूं तो अरविंद कुमार का कार्यकाल अभी 2 साल का और बाकी था लेकिन सोमवार को उन्होंने अपने वीआरएस ले लिया था.  11 अप्रैल 1962 को काजा खुर्द में जन्म लेने वाले अरविंद कुमार शर्मा 1989 में एसडीएम के तौर पर पोस्ट हुए. अरविंद कुमार शर्मा की शुरूआती तालीम काझाखुर्द प्राथमिक विद्यालय से हुई. इसके बाद शहर के डीएवी इंटर कालेज से उन्होनें हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई मुकम्मल कर ग्रेजुएशन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की. अरविंद 1995 में मेहसाणा के कमिश्नर बने. गुजरात में नरेंद्र मोदी के चीफ मिनिस्टर बनने के बाद 2001 में उन्हें मुख्यमंत्री दफ्तर के सेक्रेटरी की जिम्मेदारी मिली और साल 2013 में वो मुख्यमंत्री के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी भी बने. कहा जा रहा है अपनी सियासी इनिंग की शुरआत करने के लिए अरविंद ने वीआरएस लिया है.

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