साहस हरीश रावत भी नही जुटा पाये

गैरसैण राजधानी घोषित#हरीश रावत भी राजधानी घोषित नही कर पाये- गैरसैण को तो १९९३ में ही राजधानी मान लिया गया था। इसके बाद ही राज्य निर्माण के आंदोलन ने गति पकडी। राज्य के लिए जो स्वतः आंदोलन हुआ उसके मूल में गैरसैण की उल्लेखनीय भूमिका रही है राजधानी के लिए किसी आयोग की जरुरत ही नहीं थी।  देहरादून को राजधानी बनाकर भाजपा ने दोहरी मानसिकता का परिचय दिया है: वही भाजपा तथा कांग्रेेस की सरकार आयोग की रिपोर्ट आने के बाद भी गैरसैण को राजधानी घोषित करने का साहस 18 नवम्‍बर 2016  के आखिरी सत्र में भी नही जुटा पायी- हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल – की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट-

गैंरसैण के मुद्ददे पर सरकार मौन ;  अजय भट्ट

इसी मुददे पर नेता प्रतिपक्ष उत्तराखण्ड विधान सभा/प्रदेश अध्यक्ष भा०ज०पा० उत्तराखण्ड श्री अजय भट्ट जी ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार पूरी तरह से धूर्तता पर उतर आयी है। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के उस बयान का बचकाना बताया जिसमें उन्होंने कहा कि भा०ज०पा० ने गैरसैंण में प्रदेश की जनता का अपमान किया है।
श्री भट्ट ने कहा कि प्रदेश की जनता का अपमान हमने नहीं बल्कि चारों ओर से प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किया है शराब, खनन और भू-माफियााओं के चंगूल में रहने वाली सरकार ने गैरसैंण में सात बार अपना सियासी नांटक तो कर दिया किन्तु दो बार लगातार सदन के भीतर गैंरसैण के मुद््दे पर सरकार मौन हो गयी और मुख्यमंत्री जी बार-बार बच्चों जैसी बातें करने लगे कि पहले भा०ज०पा० अपना दृष्टिकोण बताये जबकि हमने अपने चर्चा सम्बन्धी प्रस्ताव में स्पष्ट कहा कि सरकार गैरसैंण को अस्थाई, स्थाई, ग्रीष्मकालीन अथवा शीतकालीन जो भी राजधानी बनाना चाहती है तो सदन के भीतर बहस करे और हम पूरी तरह से सरकार के साथ हैं किन्तु सरकार ने इस बात पर ध्यान न देकर अपना सरकारी कामकाज बहुमत के आधार पर निपटाना प्रारम्भ कर दिया तो जब आपने विपक्ष की बात ही नहीं सुननी है तो सदन में रहने का औचित्य ही क्या था ?
श्री भट्ट ने कहा कि बार-बार गैरसैंण का राग अलापने वाले अध्यक्ष विधानसभा भी दोनों बार गैरसैंण में ही बेनकाब हो गये वो लगातार सरकार के पक्ष में कार्य रहते गैरसैंण के बारे में उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला और अब कह रहे हैं कि गैरसैंण पर किसी को भी बोलने का अधिकार नहीं है। माननीय अध्यक्ष विधानसभा का यह बयान भी कांग्रेस प्रवक्ता जैसा है।
श्री भट्ट ने कहा कि सरकार ने गैरसैंण में भवन बना दिया इधर रायपुर में टेण्डर आमंत्रित कर दिये विधान भवन के तो सरकार का दृष्टिकोण कहॉ से साफ रहा ऐसे में हमने जब सरकार से पूछा कि वह गैरसैंण पर अपना मन्तब्य स्पष्ट करे तो सरकार असमंजस में आ गयी और पूर्व की भॉति धूर्तता के साथ अपने कार्य निपटाते रही यह परम्परा प्रदेश के हित के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता का अपमान हमने नहीं स्वयं मुख्यमंत्री जी और उनकी पार्टी ने किया है।
श्री भट्ट ने कहा कि विगत वर्ष उनके ही पार्टी अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय ने कहा था कि ०१ नवम्बर २०१५ को कांग्रेस पार्टी गैरसैंण को राजधानी बनाये जाने का प्रस्ताव पास कर सरकार को सौंपेगी किन्तु उनके ही विधायक और मंत्री जब उनके सम्मेलन में नहीं पहचे तो उन्हें अपना स्टेण्ड वापस लेना पडा। उन्होंने कहा कि आज उन्हीं अध्यक्ष ने अपने बयान में कह दिया कि प्रदेश की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह दो-दो राजधानी का भार झेल सके। उन्होंने कहा कि इससे भी कांग्रेस पार्टी का दृष्टिकोण दिख गया है कि गैरसैंण में भवन खडा कर उन्होंने अपने ही परिवार के लोगों को टेण्डर देकर मात्र धन कमाई करने के अलावा कोई कार्य नहीं किया है।
श्री भट्ट ने कहा कि प्रदेश में परम्परा रही है कि जब भी सदन के भीतर विपक्ष के साथ टकराव होता है और स्थिति सही नहीं होती है तो अध्यक्ष विधानसभा विपक्ष तथा सरकार को बिठाकर सुलह कराते हैं किन्तु इस मुद््दे पर स्वयं अध्यक्ष विधानसभा भी बचना चाह रहे थे क्योंकि इससे उनकी भी पोल खुल रही थी कि वह भी मात्र मीडिया में ही गैरसैंण का राग अलापते हैं इसलिए उन्होंने विपक्ष एवं सत्ता पक्ष को बिठाने के बजाय सरकार के कामकाज निपटाना ही उचित समझा और वह यहॉ भी अपनी मनमानी करते दिखे। उन्होंने कहा कि वैसे भी उन्हें अध्यक्ष विधानसभा से न्याय की उम्मीद नहीं थी स्वयं को ईमानदार बताने वाले अध्यक्ष विधानसभा को एक बार नहीं कई मौकों पर बेनकाब कर दिया है इस तरह तमाम आरोपों में घिरने वाले भी सम्भवतः वह देश के पहले अध्यक्ष होंगे।
श्री भट्ट ने कहा कि न्याय की कुर्सी पर बैठने वाले लोगों को जब वोट बैंक के लिए पूरा प्रदेश नहीं बल्कि मात्र अपनी सियासी क्षेत्र की ही जनता दिखती हो और नौकरी के लिए अपने ही परिवार के लोग बेरोजगार दिखते हों तो ऐसे लोगों से किस तरह से न्याय की उम्मीद की जा सकती थी।

श्री भट्ट ने कहा कि लगातार दो वर्षों से गैरसैंण में सरकार पूरी तरह से गैरसैंण के ही मुद्दे पर बेनकाब हुयी है और साफ हो गया है कि गैरसैंण को मात्र अपनी राजनीतिक यात्रा के रूप में सरकार प्रयोग कर रही है तो अब मुख्यमंत्री जी को यह कहने का अधिकार नहीं रहा कि भा०ज०पा० ने प्रदेश की जनता का अपमान किया है बल्कि उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि प्रदेश की जनता का अपमान उन्होंने स्वयं किया है।
श्री भट्ट ने कहा कि जिन शहीदों की शहरादत से राज्य बना उनके सपनों को भी सरकार ने चूर-चूर किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस राज्य के पक्षधर नहीं थे और मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा, खटीमा तथा मसूरी गोलीकाण्ड के अप्रत्यक्ष रूप से दोषी थे दुर्भाग्य से ऐसे लोगों के हाथों में ही इस प्रदेश की सत्ता चली गयी तो भला प्रदेश का विकास कैसे सम्भव हो सकता है।

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