कुमायूं का यह मंदिर देवताओं की विधानसभा’ की मान्यता लिए है; चमत्कारिक शक्तियो का केन्द्र
High Light #उत्तराखंड का चमतकारी मंदिर ब्यानधुरा। मनोकामना पूरी होती है -Himalayauk Newsportal by CS Joshi #लोकमान्यताओं के आधार पर उत्तराखंड की पुण्य भूमि में देवी देवताओं का समय समय पर अवतार हुआ है। : कुमायूं का यह मंदिर देवताओं की विधानसभा’ की मान्यता लिए है; ब्यानधुरा क्षेत्र की चमत्कारिक शक्तियो का केन्द्र है; : इस मंदिर में अनेक चमत्कार होते रहते हैं। : ऐड़ी देव के अवतार के द्वारा मंदिर में अनेक चमत्कार होते रहते हैं। :बताया जाता है कि यहां के अस्त्रों के ढेर में ऐड़ी देवता का सौ मन भारी धनुष भी है।: ऐडी देवता के अवतार ही उस धनुष को उठा पाते हैं : देव शक्ति के रूप में ब्यान्धुरा ऐड़ी साक्षात शक्ति है ऐड़ी देव की आस्था के चलते उन्हें सुख मिला है। :: ब्यान्धुरा बाबा की आस्था रखने वाले सदैव सुखी रहते हैं। : चंद्रशेखर जोशी मुख्य संपादक हिमालयायूके न्यूस्पोर्टल की एक्सेकलुसिवे रिपोर्ट Chandra Shekhar Joshi- Group Editor
इस मंदिर के ठीक आगे गुरु गोरखनाथ की धुनी हैं , जो कि लगातार जलती हैं एवम् गुरु गोरखनाथ की धुनी के अलावा मंदिर प्रांगण में एक अन्य धुनी भी है , जिसके समक्ष जागर आयोजित होते हैं |
इस मंदिर में विराजमान देवता को ऐड़ी देवता कहा जाता है। वैसे तो पूरे कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर ऐड़ी देवता के मंदिर स्थित है परन्तु ब्यानधुरा स्थित इस ऐड़ी देवता के मंदिर की पौराणिक मान्यता उनमें से सबसे अधिक है, इसी कारण समूचे कुमाऊं में इसे ‘देवताओं की विधानसभा‘ के नाम से भी जाना जाता है।
मनोकामना पूर्ण मंदिर के पुजारी कहते हैं कि यहां के अस्त्रों के ढेर में ऐड़ी देवता का सौ मन भारी धनुष भी उपस्थित है। लोक मान्यताओं के अनुसार ब्यानधुरा मंदिर में जलते दीपक के साथ रात्रि जागरण करने से वरदान मिलता हैं , इस मंदिर को कहा जाता है देवताओं की विधानसभा की मान्यता है
इस मंदिर के ठीक आगे गुरु गोरखनाथ की अखंड धुनी हैं , जो कि लगातार जलती हैं। गुरु गोरखनाथ की धुनी के अलावा मंदिर प्रांगण में एक अन्य धुनी भी है , जिसके समक्ष प्रतिवर्ष जागर आयोजित होते हैं। इसके साथ ही मंदिर में प्रतिवर्ष विभिन्न पर्वों जैसे- मकर संक्रांति, चैत्र नवरात्र , माघी पूर्णमासी को भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता हैं।
इस मंदिर को कहा जाता है देवताओं की विधानसभा
लोक मान्यताओं के अनुसार अर्जुन का गांडीव धनुष आज भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं और सिर्फ ऐड़ी देव के अवतार ही उस धनुष को उठा पाते हैं।
कुमाऊं मंडल के चम्पावत में स्थित ब्यानधुरा बाबा के प्रसिद्ध धाम की। जो अपने चमत्कारों के कारण पूरे कुमाऊं मंडल में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है, जहां मन्नत पूरी होने पर धनुष और बाण चढाए जातें हैं
इस मंदिर में अनेक चमत्कार होते रहते हैं। इस मंदिर में ऐड़ी देवता को जहां लोहे के धनुष-बाण तो चढ़ाये जाते ही हैं , वहीं अन्य देवताओं को अस्त्र-शस्त्र चढ़ाने की परम्परा भी है। इस मंदिर की पौराणिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर को शिव के 108 ज्योर्तिलिंगों में से एक की मान्यता प्राप्त है।
मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि अगर अंखड़ ज्योति जलाकर कीर्तिन करें तब भी उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित एक ऐसे ही मंदिर से रूबरू कराने जा रहे हैं जहां मन्नत पूरी होने पर धनुष और बाण चढाए जातें हैं। हम बात कर रहे हैं राज्य के कुमाऊं मंडल के चम्पावत में स्थित ब्यानधुरा बाबा के प्रसिद्ध धाम की। जो अपने चमत्कारों के कारण पूरे कुमाऊं मंडल में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है, मंदिर में भारी संख्या में चढ़ाए गए धनुष और बाण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। जैसा कि नाम से ही विदित है ब्यान का अर्थ है बाण और धुरा का अर्थ ऊची चोटी से है। इस प्रकार ब्यानधुरा का शाब्दिक अर्थ है बाणों की चोटी। सबसे खास बात तो यह है कि जिस चोटी पर यह मंदिर स्थित है उसका आकार भी एक धनुष के समान ही है।
इस मंदिर की पौराणिक मान्यता बहुत ज्यादा है। इसी कारण कुमाउं में इसे देवताओं की विधानसभा के नाम से जाना जाता है।
चम्पावत, नैनीताल व उधमसिंह नगर जनपदों की सीमा से लगे सेनापानी रेंज के घने जंगलों के बीच स्थित ब्यानधुरा मंदिर सड़क से 35 किमी दूर एक ऊंची चोटी पर है। इस मंदिर में विराजमान देवता को ऐड़ी देवता कहा जाता है। वैसे तो पूरे कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर ऐड़ी देवता के मंदिर स्थित है परन्तु ब्यानधुरा स्थित इस ऐड़ी देवता के मंदिर की पौराणिक मान्यता उनमें से सबसे अधिक है, इसी कारण समूचे कुमाऊं में इसे ‘देवताओं की विधानसभा’ के नाम से भी जाना जाता है।
बताया जाता है कि यहां के अस्त्रों के ढेर में ऐड़ी देवता का सौ मन भारी धनुष भी है। अर्जुन के गांडीव धनुष को आज भी सिर्फ भी ऐडी देवता के अवतार ही उस धनुष को उठा पाते हैं
ब्यानधुरा मंदिर में स्थित ऐडी देवता कालांतर में राजा ऐडी लोकदेवताओं में पूजे जाते हैं और जहां यह मंदिर स्थित है, राजा ऐडी ने यहीं तपस्या की थी। अपने तप के बल से राजा ने देव्तत्व प्राप्त किया था। राजा ऐडी धनुष विघा में काफी निपुण थे और उनका एक रूप महाभारत काल में अर्जुन के रूप में अवतार लिया। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र को अपना निवास स्थान .. बनाया था। साथ ही अर्जुन ने यहीं पर अपने गांडीव धनुष को पहाड़ की चोटी के पत्थर के नीचे छिपाए थे, जो आज भी मौजूद हैं। कहा जाता है कि ऐडी देवता के अवतार ही उस धनुष को उठा पाते हैं
ऐड़ी ब्यानधुरा धाम में दो जगहों से पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए खटीमा के श्रीपुर-बिचवा से चकरपुर होते हुए सेनापानी के बाद जंगल से ब्यानधुरा मंदिर पहुंचा जा सकता है। सेनापानी होते हुए करीब 25 किमी का रास्ता तय करना पड़ता है। वहीं, टनकपुर के सूखीढांग से होते हुए एसडीएम रोड (सूखीढांग-डांडा-मीनार) होते हुए तलियाबांज के रास्ते ब्यानधुरा मंदिर पहुंचते हैं। तलियाबांज तक सड़क बाद 20 किमी पैदल चलना पड़ता है।
by Chaandrashekhar Joshi Group Editor; Mob.9412932030 Dehradun (Uttrakhand)