हाई कोर्ट का पतंजलि पर 10 लाख का जुर्माना – कोरोना को लेकर फैले डर और परेशानी को हथियार बना रहे हैं- जस्टिस ने कहा
कोरोनिल नाम की दवा से कोरोना का इलाज करने का दावा कर रहे योग गुरू रामदेव को तगड़ा झटका लगा है। मद्रास हाई कोर्ट ने उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने पतंजलि द्वारा कोरोनिल शब्द का इस्तेमाल करने पर लगे स्टे को हटाने की मांग को भी खारिज कर दिया।
मद्रास हाई कोर्ट में चेन्नई की अरुद्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से याचिका दायर की गई थी। यह कंपनी पिछले तीन दशक से कोरोनिल के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क का इस्तेमाल कर रही थी।
जस्टिस सीवी कार्तिकेय ने अपने 104 पेज के आदेश में कहा, ‘पतंजलि और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ने इस बात को कई बार प्रोजेक्ट किया कि वह 10 हज़ार करोड़ रुपये की कंपनी है, लेकिन इसके बाद भी वे मुनाफ़ा कमाने के लिए लोगों के बीच कोरोना को लेकर फैले डर और परेशानी को हथियार बना रहे हैं।’
अदालत ने कहा कि वे आम लोगों के बीच कोरोना के इलाज का दावा कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि उनकी कोरोनिल टैबलेट कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है बल्कि यह खांसी, बुखार और सर्दी के लिए एक इम्यूनिटी बूस्टर है।
अदालत ने कहा, ‘यह आसानी से पता किया जा सकता है कि कोरोनिल एक रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क है। अगर कंपनी ने यह पता किया और फिर भी वे धृष्टता के साथ इस नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं तो फिर उनकी बात सुनने का कोई कारण नहीं है।’
अदालत ने कहा कि पतंजलि अदयार कैंसर इंस्टीट्यूट और नैचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज को 5-5 लाख रुपये दे। अदालत ने कहा कि यह पैसा 21 अगस्त से पहले दे दिया जाना चाहिए।
रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने जून के अंत में कोरोनिल से कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज का दावा किया था। रामदेव ने कहा था पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और निम्स, जयपुर ने इसे मिलकर तैयार किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि दवा के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल के लिए क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री- इंडिया (सीटीआरआई) की मंजूरी ली गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने उसी दिन पतंजलि से कहा था कि वह कोरोनिल का प्रचार तब तक रोक दे जब तक शोध में इस दवा से इलाज के दावे का सत्यापन नहीं हो जाता।
इसके बाद रामदेव, बालकृष्ण, वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, एनआईएमएस के अध्यक्ष बलबीर सिंह तोमर और निदेशक अनुराग तोमर के ख़िलाफ़ जयपुर के ज्योति नगर थाने में एफ़आईआर दर्जकराई गई थी।
आयुष मंत्रालय के टास्कफ़ोर्स ने भी साफ़ शब्दों में कहा था कि पतंजलि इस दवा को ‘कोविड-19 के इलाज’ की दवा कह कर नहीं बेच सकता है।
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