वैदिक ज्योतिष के अनुसार विवाह योग
जानिए की कब होगी आपकी शादी या विवाह ज्योतिष द्वारा ?
ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है।
—-पण्डित “विशाल” दयानन्द शास्त्री।।
मोब–09669290067….
एवम् वाट्सअप—09039390067…।।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी जातक का विवाह तब होता है जब उसकी कुंडली के अनुसार सप्तमेश की दशा या अन्तर्दशा , सातवे घर में स्थित ग्रहों की दशा या अन्तर्दशा अथवा सातवे घर को देखने वाले ग्रहों दशा अन्तर्दशा आती है , यदि छठे घर से सम्बंधित दशा या अन्तर्दशा चल रही हो तो विवाह में देरी अथवा विघ्न आते है!
यहाँ यह ध्यान रखना जरुरी हैं की दशा या अंतर दशा विवाह के लिए मंजूरी देते है तो गोचर के ग्रहों की मंजूरी लेना भी आवशयक होता है, सबसे पहले गुरु और शनि की मंजूरी होनी चाहिए ! जब गुरु और शनि गोचर में कुडली में लग्न से सातवे स्थान से सम्बन्ध बनाते है , चाहे दृष्टि द्वारा या अपनी स्थिति द्वारा , तो वह कुंडली में विवाह के योग का निर्माण करते है , लेकिन इस स्थिति में गोचर के ग्रहों का शुभ मुहूर्त निर्णय जाचना आवश्यक होता है, क्योकि यदि मुहूर्त निर्णय शुभ न हुआ तो विवाह में परेशानिया उत्पन्न हो सकती है।।जिस घरों में गृह गोचर करते है उन घरों से सम्बंधित अष्टक वर्ग के नंबर अवश्य अवश्य होने चाहिए, अन्यथा ग्रहों की मंजूरी के उपरांत भी विवाह नहीं हो सकता।।
यह भी ध्यान रखें —-इसके बाद मंगल और चन्द्र ग्रहों का सम्बन्ध, पाचवे और नौवे घर से होना चाहिए ! शुभ और सुखी विवाहित जीवन के लिए १२ वे और ११ वे घरों की शुभता भी आवशयक है ! यदि विवाह प्रेम से सम्बंधित है तो पाचव घर के बल की आवशयकता होती है ! छठा और दसवां घर विवाह में रूकावट उत्पन्न करता है , यदि दशा और अन्तर्दशा इस घरों से सम्बंधित है तो विवाह नहीं होगा , इन दशाओं में यदि विवाह हो भी जाए तो ज्यादा समय तक सम्बन्ध नहीं चलता तथा तलाक हो जाता है।।।।
यदि दशानाथ और अन्तर्दशा नाथ विवाह की मंजूरी नहीं देते और गोचर के गृह विवाह का योग नहीं बनाते तो विवाह में देरी , विवाह न होना अथवा विवाह के पश्चात् तलाक हो सकता है!
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आइये ज्योतिष से जानें विवाह के योग—-
पण्डित “विशाल”दयानन्द शास्त्री,मोब–09669290067…एवम्—
वाट्सअप–09039390067…।।
आजकल के लड़के-लड़कियाँ उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में बड़ी उम्र के हो जाने पर विवाह में काफी विलंब हो जाता है। उनके माता-पिता भी असुरक्षा की भावनावश बच्चों के अच्छे खाने-कमाने और आत्मनिर्भर होने तक विवाह न करने पर सहमत हो जाने से भी विवाह में विलंब निश्चित होता है।
ऐसे में अच्छा होगा यदि किसी विद्वान ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रह या दोष को ज्ञात कर उसका निवारण समय रहते कर लिया जाये।।
ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है। वे विवाह को लेकर अत्यंत चिंतित हो जाते हैं। वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है।
मंगल दोष निवारणार्थ जातक को अंगारेश्वर महादेव (उज्जैन, मध्यप्रदेश) पर गुलाल एवम् भात पूजन अवश्य करवाना चाहिए। यहाँ किये गए इन विशेष पूजन के फलस्वरूप जातक का आगामी जीवन सुखद हो जाता हैं।
मांगलिक बच्चों के विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर, विवाह के योग कब बनते हैं, जान सकते हैं।
धयान रखें जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।।।
शादी या विवाह होने के कुछ योग निम्नानुसार हैं—-
(1) लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आए।
(2) जब शुक्र और सप्तमेश एक साथ हो, तो सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
(3) लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
(4) शुक्र एवं चंद्र में जो भी बली हो, चंद्र राशि की संख्या, अष्टमेश की संख्या जोड़ने पर जो राशि आए, उसमें गोचर गुरु आने पर।
(5) लग्नेश-सप्तमेश की स्पष्ट राशि आदि के योग के तुल्य राशि में जब गोचर गुरु आए।
(6) दशमेश की महादशा और अष्टमेश के अंतर में।
(7) सप्तमेश-शुक्र ग्रह में जब गोचर में चंद्र गुरु आए।
(8) द्वितीयेश जिस राशि में हो, उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में। अधिक जानकारी के लिए आप मुझसे सशुल्क (दक्षिणा या फीस के साथ) संपर्क कर सकते हैं—
पण्डित”विशाल” दयानन्द शास्त्री,
(मोब.नंबर–09669290067 एवम् वाट्सअप नंबर–09039390067)
LIG–2,मकान नंबर –217,इन्द्रा नगर,
आगर रोड, उज्जैन ( मध्यप्रदेश)पिनकोड–456006….