90 करोड़ रुपए की नकदी मिली

प्रस्‍तुति- हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल (www.himalayauk.org) Leading Digital Newsportal
भारत की कुल आधिकारिक जीडीपी (काला धन और सफेद धन मिलाकर) 225 लाख करोड़ रुपये की है। एक अनुमान के मुताबिक इनमें से काला धन 75 लाख करोड़ रुपये और सफेद धन 150 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि, देश में कुल कितना कालाधन है, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है लेकिन एक आंकलन में कहा गया कि देश में मौजूद काला धन का 8 फीसदी हिस्सा नकदी रुप में है। यानी 75 लाख करोड़ का 8 फीसदी हिस्सा करीब 6 लाख करोड़ रुपये नकदी रूप में है।
वही दूसरी ओर आयकर विभाग की विभिन्‍न टीमों ने गुरुवार को चेन्‍नई में आठ ठिकानों पर छापेमारी की। अन्‍ना नगर और टी नगर में हुई छापेमारी में 90 करोड़ रुपए की नकदी मिली है, जिसमें से 70 करोड़ रुपए नए नोटों की शक्‍ल में बरामद किए गए हैं। इसके अलावा 100 किलो सोना भी बरामद किया गया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार चेन्‍नई के ज्‍वेलर्स के घर पर छापेमारी में यह बरामदगी की गई है। आयकर विभाग कारोबारी सेकर रेड्डी, श्रीनिवास रेड्डी और प्रेम से भी पूछताछ की है। इन लोगों पर रुपए एक्‍सचेंज कराने का रैकेट चलाने का आरोप है। सीबीआई ने नई करंसी के एक्‍सचेंज को लेकर तीन अलग मामले दर्ज किए हैं और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। विस्‍तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।
8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद से ही आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय की कई टीमें देशभर में छापेमारी कर रही हैं। इस प्रक्रिया में कई ठेकेदारों, बिल्‍डरों, इंजीनियरों, राजनेताओं के पास से करोड़ों रुपए की नई करंसी बरामद की गई है। बुधवार को ईडी ने हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग की खबर के बाद 50 बैंक शाखाओं में छापेमारी की थी। ईडी ने उन खातों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है जिसमें एक बार में काफी सारा पैसा जमा किया गया था।
आयकर अधिकारियों ने 4 दिसंबर को उडुपी से तीन व्यक्तियों के पास से दो-दो हजार रुपए के नोट वाली 71 लाख रुपए की राशि जब्त की थी। आयकर विभाग के करीब 50 अधिकारियों ने देशव्यापी अभियान के तहत बेंगलुरु, चेन्नई और इरोड़ (तमिलनाडु) के कई ठिकानों में छापेमारी की है। विभाग ने बताया कि 6 दिसंबर तक 130 करोड़ रुपए की नकदी और ज्‍वेलरी जब्‍त की जा चुकी है। इसके अलावा 2000 करोड़ की बेनामी संपत्ति की बात भी करदाताओं ने कबूली है। छापेमारी में पांच करोड़ रुपए से ज्यादा की नई नकदी पकड़ी गयी है।

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नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को वित्‍तमंत्री अरुण जेटली ने कई अहम घोषणाएं कीं। केंद्र सरकार ने ईंधन और ट्रेन टिकटों की खरीद डिजिटल मोड से करने पर विभिन्‍न तरह की छूट दी है। यह बताते हुए कि लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में कैश के जरिए लेन-देन से आर्थिक खर्च बढ़ता है, वित्‍तमंत्री ने कहा कि सरकार क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और ई-वॉलेट्स के जरिए भुगतान को प्रोत्‍साहन दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500, 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने की घोषणा के ठीक एक महीने बाद मीडिया से बात करते हुए जेटली ने कहा कि देश ने पिछले एक माह में कई परिवर्तन देखें हैं। उन्‍होंने कहा, ”आज पीएम द्वारा विमुद्रीकरण के फैसले की घोषणा किए गए एक महीना हो गया और पिछले 30 दिनों में हमने अर्थव्‍यवस्‍था में कई बदलाव देखे हैं।” जेटली ने कहा कि विमुद्रीकरण का उद्देश्‍य डिजिटल लेन-देन की तरफ बढ़ना है। वित्‍त मंत्री ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा तय कार्यक्रम के तहत ही करंसी रिलीज की जा रही है।
डिजिटल मोड से पेमेंट करने वालों को पेट्रोल/डीजल सस्‍ता मिलेगा। कैशलेस तरीकों के इस्‍तेमाल पर 0.75 प्रतिशत का डिस्‍काउंट होगा। * नाबार्ड की तरफ से उन किसानों को Rupay कार्ड मिलेगा, जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है। उप-नगरीय रेलवे में डिजिटल पेमेंट मोड से मंथली सीजन टिकट (एमएसटी) खरीदने वालों को 0.75 प्रतिशत छूट मिलेगी। इसकी शुरुआत मुंबई उप-नगरीय रेलवे से होगी और 1 जनवरी, 2017 से फैसला प्रभावी होगा।
* डिजिटल मोड में रेलवे टिकट बुक करने वालों को 10 लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलेगा।
* रेलवे की अन्‍य सुविधाओं जैसे रिटायरिंग रूम, कैटरिंंग इत्‍यादि का पेमेंट डिजिटल तरीके से करने पर 5 प्रतिशत का डिस्‍काउंट मिलेगा। * 10 हजार की आबादी वाली गावों को दो पीओएस मशीनें दी जाएंगी, इसके लिए 1 लाख गांवों का चयन किया जाना है। * सभी राष्‍ट्रीय राजमार्गों पर डिजिटल भुगतान पर 10 फीसदी छूट।
* सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनियों के कस्टमर पोर्टल से इंश्योरेंस लेने पर जनरल इंश्योरेंस पर 10%,लाइफ इंश्योरेंस पर 8% की छूट। * क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड से 2,000 रुपए तक के भुगतान पर कोई सर्विस टैक्‍स नहीं लिया जाएगा। * सेंट्रल गवर्नमेंट के विभागों को कैशलेस ट्राजेक्‍शंस करने के निर्देश दिए गए हैं।
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आर्थिक मामलों के जानकारों में भी काला धन की रकम पर मतभेद है। प्रो. अरुण कुमार इसे 6.5 लाख करोड़ रुपये मानते हैं। एक सरकारी वकील ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसी उम्मीद है कि 5 लाख करोड़ रुपये नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में वापस नहीं आ सकेंगे। इसलिए कई आर्थिक जानकार करीब-करीब 6 लाख करोड़ रुपया काला धन का अनुमान लगा रहे हैं।
31 मार्च 2016 के आंकड़े के मुताबिक 500 और 1000 रुपये के नोटों की कुल कीमत 14.5 लाख करोड़ रुपये थी। सरकार ने इन नोटों को 8 नवंबर 2016 को प्रचलन से बाहर कर दिया। यानी उनकी नोटबंदी कर दी। लिहाजा, आर्थिक विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक 14.5 लाख करोड़ रुपये में से 6 लाख करोड़ रुपये जो काला धन है उसे हटा दिया जाय तो शेष कुल 8.5 लाख करोड़ रुपये सफेद धन है। सरकार को उम्मीद थी कि 500 और 1000 रुपये के रूप में जो कालाधन मौजूद है वह दोबारा बैंकों में जमा नहीं होंगे।
अगर बैंकों में सिर्फ 8.5 लाख करोड़ रुपये ही जमा होते हैं तो सरकार यह दावा कर सकती थी कि काला धन (6 लाख करोड़ रुपया) अर्थव्यवस्था से बाहर हो गया लेकिन अगर कुल 14. 5 लाख करोड़ रुपये बैंकों में वापस जमा हो जाते हैं तो कहा जा सकता है कि सरकार इस मुद्दे पर फेल रही है। हालांकि, सरकारी वकील शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क देते रहे हैं कि 5 लाख करोड़ रुपये वापस नहीं आ पाएंगे। हालांकि अभी तक करीब 11 लाख करोड़ रुपये वापस बैंकों में जमा हो चुके हैं। आर्थिक जानकार मानते हैं कि अगर सरकारी दावे को मान भी लेते हैं तो इस नोटबंदी से सिर्फ 6 लाख करोड़ रुपये सरकारी खजाने में आएंगे।
नोटबंदी के एक महीने बाद जब नफा-नुकसान की बात हो रही है। ऐसे में सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) के मुताबिक 30 दिसंबर 2016 तक नोटबंदी अभियान के तहत होनेवाला कुल खर्च 1.28 लाख करोड़ रुपया है जो जीडीपी का 0.9 फीसदी होता है। इस रकम का बोझ देश के हरेक पुरुष, महिला और बच्चे पर करीब 1000 रुपये आता है। हालांकि सीएमआईई ने इसे फिलहाल कंजरवेटिव एस्टीमेट ही बताया है। वित्त वर्ष खए अंत तक ही इसका सही आंकलन किया जा सकेगा। सीएमआईई के मुताबिक साल 2016-17 और 2017-18 की जीडीपी में ह्रास हो सकता है। हालांकि जीडीपी में कितनी गिरावट आएगी, इस पर भी अलग-अलग दरों (0.5 फीसदी से लेकर 3 फीसदी तक) का अनुमान है।
7 दिसंबर, 2016 को भी रिजर्व बैंक ने कहा कि साल 2016-17 के दौरान जीडीपी में 0.5 फीसदी की गिरावट हो सकती है। चूंकि मौजूदा वित्त वर्ष में तीन महीने शेष हैं, इसलिए कहा जा सकता है कि अगले वित्त वर्ष में यह गिरावट करीब 2 फीसदी हो सकती है। जैसा कि संसद में (राज्यसभा में) पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं। अगर सचमुच ऐसा होता है तो अगले वित्त वर्ष की जीडीपी में 2 फीसदी गिरावट का मतलब 3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। यानी अगले साल तक नोटबंदी से देश को कुल 4.3 लाख करोड़ (1.3 लाख करोड़ और 3 लाख करोड़) रुपये हो सकता है।
7 दिसंबर, 2016 को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के बयान के मुताबिक, बैंकों में अब तक 11.5 लाख करोड़ रुपये वापस आ चुके हैं। सिर्फ 3 लाख करोड़ रुपये बचे हैं और अभी 22 दिन बाकी हैं। ऐसे में अभी और पैसे बैंकों में वापस आने बाकी हैं। अगर सभी पैसे बैंकों में वापस जमा हो जाते हैं जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस से केन्द्रीय राजस्व सचिव हंसमुख अधिया कह चुके हैं, तब देशवासियों को अनायास ही मोदी सरकार के इस नोटबंदी के फैसले से 4.3 लाख करोड़ रुपये का बोझ सहना होगा और यह बोझ आम जनता को टैक्स के रूप में चुकाना होगा।

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