मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे

भोपाल से भारतीय जनता पार्टी ने अपने जिस हिन्दू आतंक के कार्ड को चुनावी मैदान में उतारा है, उसने अपनी एंट्री के साथ ही चर्चाओं का नया दौर शुरू कर दिया है। और जब प्रज्ञा ठाकुर को ‘न्याय’ दिलाने की बात भारतीय जनता पार्टी कह रही है तो उसे क्या हेमंत करकरे पर सवाल उठाने होंगे? 

आईपीएस एसोसिएशन ने साध्वी प्रज्ञा के बयान की निंदा की है और कहा है कि सभी शहीदों का सम्मान होना चाहिए. आईपीएस एसोसिएशन ने ट्वीट किया, “अशोक चक्र विजेता दिवंगत हेमंत करकरे ने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. हम एक उम्मीदवार के उनका (करकरे का) अपमान करने वाले बयान की निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि हमारे सभी शहीदों के बलिदान का सम्मान होना चाहिए.”

महाराष्ट्र में अपनी चुनावी सभा में हिन्दू आतंकवाद का ठीकरा कांग्रेस के सिर पर फोड़ने की कोशिश की थी। कहा था कि यह शब्द गढ़कर कांग्रेस ने हिन्दुओं और हिन्दू धर्म का अपमान किया था। लेकिन जलगाँव बम काण्ड के अभियुक्तों को लेकर कांग्रेस को घेरते नज़र आ रहे थे, क्या अब प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद ख़ुद ही उसमें उलझ रहे हैं?

हेमंत करकरे वह पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी शहादत दी थी। राष्ट्रपति ने उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया था। मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी  हमले को 10 साल हो गए हैं। इस दर्दनाक हादसे से पूरा देश सहम गया था। 2008 के इस हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया था। इन आतंकवादियों में से एक आतंकवादी अज़मल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया था और उसे बाद में फाँसी दी गयी थी। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने कई जगहों पर हमले कर 166 लोगों की हत्या कर दी थी। भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने बहादुरी से लड़ते हुए 9 आतंकवादियों को ढेर कर दिया था। हमले में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे, सेना के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विजय सालस्कर की भी मौत हो गई थी। यह हमला 26 से 29 नवंबर तक चला था। 

दक्षिण मुंबई में मुंबई पुलिस जिमखाना में 26/11 के शहीदों के नाम पर पुलिस स्मारक बनाया गया है। हर साल की तरह 26 नवम्बर, 2018 को इस आतंकवादी हमले की 10 वीं बरसी मनाई गयी। 

 आज से दस वर्ष पहले मुंबई में हुए आतंकवादी हमले का सामना करने वाले व्यक्तियों और परिवारों को हम याद करते हैं। अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिस और सुरक्षा कर्मियों को हमारा नमन। न्याय को सुनिश्चित करने और आतंकवाद को परास्त करने के लिए भारत पूर्णतया प्रतिबद्ध है – राम नाथ कोविंद, राष्ट्रपति

 दसवीं बरसी पर राज्यपाल सी. विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री देवन्द्र फडनवीस ने स्मारक पर जाकर राजकीय सम्मान के साथ पुष्प अर्पित किये थे। मुंबई के लोग इस हमले को नहीं भूले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया था कि मुंबई में हुए भयावह 26/11 के आतंकवादी हमलों में अपनी जान गंवा चुके लोगों को श्रद्धांजलि, शोकाकुल परिवारों के साथ हमारी एकजुटता है। प्रधानमंत्री ने लिखा था कि देश हमारी बहादुर पुलिस और सुरक्षाबलों का आभारी है, जिन्होंने मुंबई हमले के दौरान आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ाई लड़ी।

ऐसा नहीं है कि आतंकवाद की मुंबई में यह कोई पहली घटना थी। महानगर की लोकल रेल और बेस्ट की बसों के साथ-साथ भीड़-भाड़ वाले बाज़ारों में कई बार बम धमाके हुए हैं। लेकिन 26/11 आते ही हेमंत करकरे, अशोक कामटे, विजय सालस्कर और मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की तस्वीरों वाले होर्डिंग्स और बैनर शहर भर में दिखाई देने लगते हैं। 

ऐसे में प्रज्ञा ठाकुर ने मुंबई में 26/11 हमले के दौरान शहीद हुए एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे पर आरोप लगाते हुए उनका अपमान किया है। साध्वी ने कहा है कि उनके कहे के अनुसार सवा महीने में हेमंत करकरे का अंत हुआ। ग़ौरतलब है कि महाराष्ट्र के मालेगाँव में साल 2008 में बम धमाके हुए थे, जिसमें साध्वी प्रज्ञा को आरोपी बनाया गया था। इस हमले में कई लोगों की जान गई थी। 

 साध्वी के चुनाव लड़ने को लेकर राजनीतिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने गुरुवार को चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए, क्योंकि उन पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।

बता दें कि साध्वी प्रज्ञा हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई हैं और बीजेपी ने उन्हें भोपाल संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। भोपाल में कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है। हेमंत करकरे को उनके वीरता प्रदर्शन के लिए मरणोपरांत राष्ट्रपति के हाथों अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। अब प्रज्ञा ठाकुर के इन आरोपों पर मुंबई और महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गयी है। पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरा बोरवणकर ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर को इसके लिए माफ़ी माँगनी चाहिए क्योंकि करकरे किस तरह के अधिकारी थे यह महाराष्ट्र पुलिस सेवा में कार्य करने वाले लोगों को पता है। 26/11 मुंबई हमलों की गवाह देविका रोटावन, जिसने कसाब की पहचान की थी, उन्होंने भी इस पर दुःख व्यक्त किया है। 

राजनीतिक दलों को छोड़कर आम लोग इस बात को लेकर काफ़ी आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं। ऐसे में ये चर्चाएँ जोरों पर हैं कि क्या महाराष्ट्र और मुंबई में प्रज्ञा ठाकुर वाला हिन्दू कार्ड भारतीय जनता पार्टी के लिए उलटा पड़ेगा?

 संजय राय   साभार

ACCORDING BBC

महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे.

इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी. एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक़ यह मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी.

महाराष्ट्र एटीएस ने हेमंत करकरे के नेतृत्व में इसकी जांच की और इस नतीजे पर पहुँची कि उस मोटरसाइकिल के तार गुजरात के सूरत और अंत में प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े थे.

प्रज्ञा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य रह चुकी थीं. पुलिस ने पुणे, नासिक, भोपाल इंदौर में जांच की. सेना के एक अधिकारी कर्नल प्रसाद पुरोहित और सेवानिवृत मेजर रमेश उपाध्याय को भी गिरफ़्तार किया गया.

इसमें हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत का नाम सामने आया और साथ ही सुधाकर द्विवेदी उर्फ़ दयानंद पांडेय का नाम भी आया.

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