Foregn; हम मृत बच्चों और जान बचाने के लिए भागने वाले लोगों की तस्वीरों को इग्नोर नहीं कर सकते? & सेना की सबसे बड़ी हार 

Himalaya UK NEWS Leading youtube Channel & Leading Newsportal & Daily Newspaper ; Chandra Shekhar Joshi Chief Editor Mob 9412932030 संस्थापक अध्यक्ष- बगलामुखी पीठ देहरादून

नेतन्याहू की चार साल बाद यह पहली यात्रा है. इस दौरान कमला हैरिस ने कहा, इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है.  वह कैसे करता है यह मायने रखता है. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कह दिया कि मैं चुप नहीं बैठूंगी. हम मृत बच्चों और जान बचाने के लिए भागने वाले लोगों की तस्वीरों को इग्नोर नहीं कर सकते. हम पीड़ा को लेकर सुन्न नहीं हो सकते, मैं चुप नहीं रहूंगी. बता दें कि गाजा में 9 महीने से युद्ध जारी है, इसके खत्म कराने के लिए कई देश दबाव भी बना रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं निकल पा रहा. गाजा में 39 हजार से अधिक लोगों की मौत इस युद्ध की वजह से हो चुकी है.

तन्याहू और बाइडेन के बीच कुछ खबरें ऐसी आई थीं, जिससे लग रहा था कि दोनों नेताओं के बीच रिश्तों में उतार-चढ़ाव है, लेकिन इस मुलाकात के बाद से ऐसा लगा कि अमेरिका ने बैलेंस रूख अपनाया है. कमला हैरिस ने कहा था कि इस युद्ध को खत्म करने का समय आ गया है. सभी बंधकों को रिहा किया जाए और फिलिस्तीनियों की पीड़ा खत्म हो.

विद्रोही लगातार सेना को हराकर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं

 म्यांमार में महीनों से गृहयुद्ध चल रहा है. म्यांमार में विद्रोही लगातार म्यांमार की सेना को हराकर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं. अब खबर है कि विद्रोहियों ने चीन की सीमा के पास एक प्रमुख क्षेत्रीय सैन्य मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है, जो म्यांमार की सेना के लिए सबसे बड़ी हार है. म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी ने कहा कि उसने सरकारी सैनिकों के साथ 23 दिनों की लड़ाई के बाद जीत हासिल की है. सरकारी सैनिकों को हराकर चीन से सटे लैशियो शहर पर कब्जा कर लिया है. विद्रोही ने दावा किया हमारी सेना ने जीत हासिल की है और दुश्मन सैनिकों को हटा रही है. बयान में कहा गया कि स्थानीय लोग शांत रहें और नियमों का पालन करें. वहीं, न्यूज पोर्टल म्यांमार नाउ ने म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी का लैशियो में कब्जा करने की पुष्टि की.

म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी उन अल्पसंख्यक विद्रोही समूहों में से है, जो सेना को उन क्षेत्रों से हटाने के लिए लड़ रहे हैं, जिन्हें वे अपना क्षेत्र मानते हैं. इसके लिए विद्रोहियों ने एक आंदोलन चलाया, जिसने जुंटा के शासन को कमजोर किया गया. धीरे-धीरे यह लड़ाई गृहयुद्ध में बदल गई. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस युद्ध में म्यांमार के 26 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. वहीं, कई लोग मारे भी जा चुके हैं.

म्यांमार में यह लड़ाई असल में 2021 के बाद से शुरू हुई. यहां म्यांमार की सेना ने अस्थायी लोकतंत्र के बाद 2021 में सत्ता में वापसी की. अब यह युद्ध पूरे देश को तबाह कर रहा है, लेकिन सेना हार मानने को तैयार नहीं है

YR. Contribution; Regards

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