बीजेपी को इस चुनाव में इन की आवश्यकता नहीं- ठेस पहुंची नेताओ ने कहा
(HIMALAYAUK Bureau) भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक और कानपुर से संसद सदस्य, मुरली मनोहर जोशी को कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नहीं चाहते हैं कि वह फिर से चुनाव में खड़े हों. वही दूसरी ओर गिरिराज सिंह ने कहा कि मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है क्योंकि बिहार में किसी भी सांसद की सीट नहीं बदली गई है. भाजपा की राज्य इकाई को मुझे बताना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों किया गया. बीजेपी को इस चुनाव में अपने मार्गदर्शकों की आवश्यकता नहीं है। लौह पुरूष के नाम से मशहूर लाल कृष्ण आडवाणी के बाद मार्ग दर्शक मंडल के एक और सदस्य मुरली मनोहर जोशी का टिकट काट दिया गया है। चुनावों में स्टार प्रचारक रहीं सुषमा स्वराज, उमा भारती और अरुण जेटली जैसे कई नेताओं ने उम्र और स्वास्थ्य के कारण ख़ुद चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया है। चुनाव मैदान से बाहर दिग्गज नेताओं पर एक रिपोर्ट –
ये संदेश पार्टी के महासचिव राम लाल ने सोमवार को जोशी को दिया. मुरली मनोहर जोशी ने एक पत्र जारी कर इसकी पुष्टि की है. अब ऐसा माना जा रहा है कि लालकृष्ण आडवाणी के बाद भाजपा जोशी का भी टिकट काट देगी.
हालांकि जोशी ने चुनाव न लड़ने से इनकार किया है. जोशी ने राम लाल से कहा कि वह कोई भी घोषणा नहीं करेंगे और वह कानपुर से सांसद के रूप में चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. सूत्रों का कहना है कि जोशी ने राम लाल से कहा कि यह उनके लिए बहुत बड़ा अपमान है कि मोदी और शाह ने उन्हें संदेश देने के लिए इस्तेमाल किया जो उन्हें खुद बताना चाहिए था.
बातचीत से जुड़े सूत्रों के अनुसार, जोशी ने कहा, ‘वे किस चीज से डरते हैं? वे मुझसे सामना क्यों नहीं कर सकते?’ 2014 के चुनाव में, जोशी ने मोदी के लिए अपनी वाराणसी सीट छोड़ दी थी और फिर 57% वोट हासिल करके एक रिकॉर्ड अंतर से कानपुर जीता था.
भाजपा मीडिया को बता रही है कि 2014 के चुनाव के बाद मार्गदर्शक मंडल में शामिल होने वाले सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस बार लोकसभा के लिए नहीं लड़ने का फैसला किया है, जिसमें आडवाणी और शांता कुमार भी शामिल हैं, जिनसे भी राम लाल ने मुलाकात की थी.
आडवाणी के विपरीत, भौतिकी के पूर्व प्रोफेसर जोशी आरएसएस के पसंदीदा व्यक्ति हैं और बताया जा रहा है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत मोदी-शाह के इस कदम से बेहद परेशान हैं.
संसद की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष जोशी ने अपने रिपोर्ट के जरिए कई बार मोदी सरकार को शर्मिंदा किया है. रक्षा तैयारियों, गंगा की सफाई और बैंकिंग एनपीए पर उनकी रिपोर्ट मोदी सरकार के लिए काफी दिक्कत भरी रही. जोशी ने पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई बड़े फ्रॉड करने वाले लोगों की सूची पर भी काफी सख्त रवैया अपनाया था.
कानपुर से टिकट काटना शायद जोशी की आलोचनात्मक रिपोर्टों के लिए सजा है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘भाजपा के संस्थापकों के साथ व्यवहार करने का यह कोई तरीका नहीं है. उन्हें सचमुच बाहर निकाल दिया जा रहा है. मोदी और शाह ने एक खतरनाक मिसाल कायम की है और बाद में उन्हें इसी का सामना करना पड़ेगा.’ मालूम हो कि सुषमा स्वराज और उमा भारती जैसे बड़े नेताओं ने भी चुनाव लड़ने से मना कर दिया है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सोमवार को कहा कि वह इस बात से आहत हैं कि भाजपा ने उन्हें उनकी मौजूदा नवादा सीट से चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि वे अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करेंगे.
हालांकि समाचार एजेंसी एएनआई से गिरिराज सिंह ने यह बात साफ करते हुए कहा कि बेगुसराय संसदीय सीट से उन्हें कोई समस्या नहीं है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने उन्हें बेगुसराय से टिकट दिया है. सिंह ने कहा, ‘मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है क्योंकि बिहार में किसी भी सांसद की सीट नहीं बदली गई है. यह फैसला मुझसे बात किए बिना लिया गया. भाजपा की राज्य इकाई को मुझे बताना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों किया गया. मुझे बेगुसराय से कोई शिकायत नहीं है लेकिन मैं अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकता हूं.’
हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैं 1996 और 2014 में बेगुसराय से लड़ना चाहता था लेकिन तब पार्टी नेतृत्व ने कहा कि वहां से भोला सिंह लड़ना चाहते हैं. इसके बाद मुझे नवादा से उतारा गया. उन्होंने कहा कि उन्होंने नवादा के लोगों के लिए बहुत मेहनत से काम किया है.’
सिंह ने दावा किया कि चिराग पासवान और बिहार भाजपा प्रमुख नित्यानंद राय ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वे उन्हें उनकी पसंद का सीट देंगे. चिराग पासवान ने मुझसे कहा कि उन्होंने नवादा सीट नहीं लिया बल्कि भाजपा ने उन्हें खुद दिया है. मुझे इससे और दुख हुआ.
लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं। लंबे समय तक गुजरात की गाँधीनगर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ते और जीतते रहे आडवाणी को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है। इस सीट पर इस बार बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ताल ठोकेंगे। आडवाणी बीजेपी अध्यक्ष से लेकर, देश के गृह मंत्री, उप प्रधानमंत्री जैसे पदों पर रह चुके हैं। पार्टी को खड़ा करने में आडवाणी का अहम योगदान रहा है। ख़बरों के मुताबिक़, आडवाणी टिकट काटे जाने से बेहद नाराज हैं।
मुरली मनोहर जोशी भी आडवाणी की तरह ही इस बार चुनावी मैदान में नहीं दिखेंगे। माना जा रहा है कि कानपुर से उन्हें टिकट न मिलना लगभग तय हो गया है। इससे नाराज जोशी ने अपने संसदीय क्षेत्र के वोटरों के नाम एक खत लिखा है। इस खत में जोशी ने लिखा है, ‘भारतीय जनता पार्टी के महासचिव रामलाल ने मुझसे कहा है कि मुझे कानपुर या कहीं से भी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।’ ख़बरों के मुताबिक़, जोशी भी टिकट काटे जाने को लेकर नाराज़ हैं और उन्होंने नाराजगी ज़ाहिर करने के लिए ही अपने संसदीय क्षेत्र के वोटरों को खत लिखा है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि जोशी का नाम बीजेपी की स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी नहीं है। जोशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्री जैसे बड़े पदों पर रह चुके हैं।
विदेश मंत्री और प्रखर वक्ता सुषमा स्वराज ने भी इस बार चुनाव न लड़ने का एलान किया है। सुषमा ने कई महीने पहले ही आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के बारे में पार्टी नेतृत्व को सूचित किया था। सुषमा ने कहा था कि वह ख़राब सेहत के चलते चुनाव नहीं लड़ेंगी। सुषमा मध्य प्रदेश की विदिशा सीट से कई बार लोकसभा की सांसद रह चुकी हैं और वाजपेयी सरकार में भी अहम ओहदों पर रही हैं। सुषमा देश भर में बीजेपी का जाना-माना चेहरा हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली भी इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। जेटली को 2014 में अमृतसर सीट से हार का सामना करना पड़ा था। बाद में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया था। जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं।
कलराज मिश्र बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। कलराज मिश्र घोषणा कर चुके हैं कि वह आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। कलराज उत्तर प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष से लेकर केंद्र में मंत्री जैसे बड़े पदों पर रहे हैं। 77 वर्षीय कलराज मिश्र को उम्र ज़्यादा होने के कारण मोदी सरकार की कैबिनेट से हटना पड़ा था।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में हुसैन को भागलपुर लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। बिहार में समझौते के मुताबिक़, भागलपुर सीट अब जेडीयू के खाते में चली गई है। शाहनवाज़ बीजेपी का मुसलिम चेहरा माने जाते हैं। टिकट कटने के बाद शाहनवाज़ ने कहा था कि बिहार में एनडीए के साथी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने उनकी सीट ले ली है लेकिन फिर भी वे पार्टी की जीत के लिए मेहनत करेंगे। शाहनवाज़ केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी। उमा 2014 में झाँसी से लोकसभा का चुनाव जीती थीं। उमा ने कुछ समय पहले घोषणा थी कि वह लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी। उमा केंद्रीय मंत्री होने के साथ ही पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।
पूर्व मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी भी इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके खंडूड़ी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। खंडूड़ी ने उम्र का हवाला देकर बीजेपी आलाकमान को पहले ही बता दिया था कि वह इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे। जनरल बीसी खंडूड़ी को रक्षा मामलों की संसदीय समिति के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया था।
इन सभी नेताओं का बीजेपी को शीर्ष तक पहुँचाने में अहम योगदान रहा है। लेकिन इस बार बीजेपी को चुनाव में इनका पूरा साथ नहीं मिलेगा। हालाँकि इनमें से कुछ नेता पार्टी के लिए प्रचार ज़रूर करेंगे लेकिन फिर भी इन नेताओं के चुनाव न लड़ने या पूरी तरह चुनाव मैदान से बाहर रहने पर पार्टी को इनकी कमी ज़रूर खलेगी।
और अंत में उत्तराखण्ड में भाजपा को खडे करने वाले ग्रासरूट के नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का भी टिकट काट दिया गया है,
कोश्यारी का का बीजेपी को शीर्ष तक पहुँचाने में अहम योगदान रहा है।