बीजेपी में छंटनी -अब इस बडे कद के नेता को टिकट नहीं देने के संकेत
भोपाल: लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को टिकट नहीं देने के संकेत बीजेपी के बड़े नेताओं से मिलने लगे हैं. बीजेपी के मजबूत गढ़ में से एक माने जाने वाली इंदौर लोकसभा को लेकर पार्टी संगठन से लेकर संघ के अंदर जबरदस्त तरीके से मंथन का दौर जारी है. पार्टी के सभी बड़े नेताओं के बीच प्रदेश के अलग-अलग सीटों पर रोजाना मंथन हो रहा है, लेकिन कोई इंदौर लोकसभा सीट को लेकर मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है. इसकी बड़ी वजह प्रदेश बीजेपी से लेकर पार्टी के केंद्रीय संगठन तथा संघ में महाजन का कद है. संघ प्रमुुख सेे सीधे सम्पर्क तथा संघ प्रमुख का उन पर वरद हस्त है, कारण है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस पूरे मामले पर खुद महाजन से चर्चा करेगा. बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर से उतारा जा सकता है.
इन सबके बीच विजयवर्गीय के बेटे आकाश ने संकेत दिया है कि सुमित्रा महाजन के अलावा उनके पिता और मेयर मालिनी गौड़ के नाम पर भी चर्चा चल रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाएगा.
वही दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा की गुजरात इकाई की ओर से की जा रही मांग के बावजूद हो सकता है कि वह राज्य की किसी लोकसभा सीट से इस बार चुनाव नहीं लड़ें। चूंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ेंगे, लिहाजा एक और राष्ट्रीय स्तर के नेता के राज्य से चुनाव लड़ने की संभावनाएं कम हैं। मोदी ने 2014 में गुजरात की वड़ोदरा और उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीटों से चुनाव जीता था और बाद में उन्होंने वड़ोदरा सीट छोड़ दी थी। गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होंगे। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख चार अप्रैल है।
मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने खुद महाजन के टिकट कटने के संकेत दिए हैं. प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि इंदौर की सीट को लेकर जो भी फैसला पार्टी संगठन को करना वो महाजन की सहमति से ही किया जाएगा, वो हमारी पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं.
बीजेपी ने अभी तक मध्यप्रदेश में अपने 14 सीटों पर प्रत्याशी के नामों का ऐलान किया है. इनमें पार्टी के बड़े नेता केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सीट बदलने मुरैना से चुनाव लड़ने का ऐलान भी शामिल हैं लेकिन बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली इंदौर लोकसभा सीट पर 8 बार की मौजूदा सांसद सुमित्रा महाजन का नाम नहीं होने से उनके टिकट कटने की चर्चाओं ने सियासी गलियारों में जोर पकड़ा और पार्टी संगठन के बड़े नेताओं ने भी बहुत हद तक स्थिति साफ नहीं कर इंदौर की सीट पर अटकलों को हवा दी.
16वीं लोकसभा की अध्यक्ष 75 वर्षीय सुमित्रा महाजन 8 बार से लोकसभा सांसद हैं. सदन के सभापति के पैनल में लंबे समय तक कार्य कर चुकी हैं. सुमित्रा महाजन को प्यार से ‘ताई’ बुलाते हैं. मीरा कुमार के बाद सुमित्रा महाजन दूसरी महिला लोकसभा स्पीकर है और मध्य प्रदेश से पहली लोकसभा की स्पीकर हैं. 2014 के चुनाव में मध्यप्रदेश से महाजन ने 4 लाख 66 हजार 901 वोटों से जीत दर्ज की थी. प्रदेश के किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत है. इंदौर में भी यह अब तक सबसे बड़ी जीत है.
बीजेपी आलाकमान ने जैसे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है. माना जा रहा है कि पार्टी लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का भी टिकट काट सकती है. ऐसी अटकलें हैं कि सुमित्रा महाजन की इंदौर सीट भी ‘एज फैक्टर’ के कारण उलझ गई है. बीजेपी आलाकमान ने जैसे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है. माना जा रहा है कि पार्टी लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का भी टिकट काट सकती है. ऐसी अटकलें हैं कि सुमित्रा महाजन की इंदौर सीट भी ‘एज फैक्टर’ के कारण उलझ गई है. इंदौर में कांग्रेस को तीन दशक से जीत नसीब नहीं हुई है. जबकि सुमित्रा महाजन यहां से आठ बार लगातार चुनाव जीत चुकी हैं. उन्हें मात देने के लिए पार्टी किसी बड़े चेहरे को उतार सकती है. हालांकि मंगलवार को उनकी उम्मीदवारी पर भ्रम की स्थिति इसलिए भी पैदा हो गई क्योंकि उन्होंने पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में यह सुझाव दिया कि या तो वह या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर सीट से चुनाव लड़ें. उन्होंने इस संबंध में पार्टी हाईकमान को एक प्रस्ताव भी भेजा है. सुमित्रा महाजन ने स्पष्ट किया कि वह केवल मजाक कर रही थीं. पार्टी हाईकमान को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है. ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि महाजन कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार कर रही हैं. ऐसी अटकलें हैं कि सिंधिया को आधिकारिक रूप से कांग्रेस उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर से उतारा जा सकता है.
सुमित्रा महाजन की उम्मीदवारी बीजेपी के 75 पार फार्मूले में उलझ गई है. बीजेपी के कई बड़े नेता अभी तक इस फार्मूले में उलझकर अपनी सीट गंवा चुके हैं. दूसरी ओर महाजन का टिकट भी इसी के जद में आ रहा है. यही कारण है किउनके नाम पर अभी तक पेंच फंसा हुआ है. वहीं महाजन के नाम के अलावा इस सीट पर मेयर मालिनी गौड और आईडीए के अध्यक्ष रहे शंकर लालवानी का नाम जोरों पर है. दोनों के नामों में से एक नाम पर पार्टी दो दिनों के अंदर फैसला कर सकती है.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है कि बीजेपी में छंटनी शुरू हो गई है. पार्टी में वरिष्ठ नेताओं का सम्मान खत्म हो गया है जहां तक सुमित्रा महाजन की बात है. ताई का एज फैक्टर तो है ही साथ ही उनकी निष्क्रियता भी बड़ा फैक्टर है जिससे बीजेपी डरी हुई है उसे हार का खतरा दिखाई दे रहा है.