माघ गुप्त नवरात्र कल से ;साधक दस महाविद्याओं की साधना में लीन

17 To 25 गुप्त नवरात्र 2018 (Maagh Gupt Navratri 2018)  गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। बुध ग्रह के लिए आराध्य देव दुर्गा जी है। अतः बुध की शांति हेतु दुर्गा माता की आराधना करनी चाहिए –  “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नम:”

ये गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में आती है। गुप्त नवरात्रियों का महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रियों से भी अधिक हैं क्योंकि इनमें देवी अपने पूर्ण स्वरूप में विद्यमान रहती हैं जो प्रकट रूप में नहीं होता है। गुप्त नवरात्रियों में देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं, लेकिन इसमें सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण बात यह है कि साधकों को पूर्ण संयम और शुद्धता से देवी आराधना करना होती हैं।  साधक गुप्त स्थान पर रहते हुए देवी के विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना में लीन रहते हैं।

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ह्रीं दुं दुर्गापरमेश्वर्यै नमः॥
बुधवार दि॰ 17.01.18 को प्रातः 07:47 मि॰ के बाद मूल प्रकृति जगदंबा की उपासना का पर्व माघ गुप्त नवरात्र का प्रारंभ हो जाएगा। माघ शुक्ल प्रतिपदा किंस्तुगकरण हर्षण व वज्र योग के बनने से बुध ग्रह की शांति व बुद्धिबल में वृद्धि हेतु महादुर्गा की उपासना, पूजा व उपाय श्रेष्ठ रहेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बुध, सौरमंडल के नवग्रहों में सबसे छोटा व सूर्य से निकटतम ग्रह है।
बुध ग्रह व्यक्ति को विद्वता, वाद-विवाद की क्षमता प्रदान करता है। यह जातक के दांतों, गर्दन, कंधे व त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है। यह कम्युनिकेशन, नेटवर्किंग, विचार चर्चा व अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। कांस्य धातु प्रिय, उत्तर दिशा के स्वामी हरे रंग के बुद्धदेव का मूल अंक 5 है।

देवी महादुर्गा बुद्धदेव पर अपना अधिपत्य रखती हैं। महादुर्गा व्यक्ति के 32 दांतों पर अपनी सत्ता रखती है। महादुर्गा तैंतीस कोटी देवताओं के तेज से प्रकट हुई थी। सभी देवताओं ने उन्हें अपने प्रिय अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित किया था। महादुर्गा मूलतः शिव अर्ध दंगा पार्वती का ही एक रूप है जिसके पूरक स्वयं दुर्गेश रूप में शिव हैं। माघ शुक्ल पक्ष में महादुर्गा के विशेष पूजन व उपाय से शत्रुओं पर जीत मिलती है, बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है व रोगों का शमन है।

 

 वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है .तदानुसार इस वर्ष गुरुवार 17 जनवरी 2018 से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ होगी. ये नवरात्रि अन्य नवरात्रि की तरह नौ दिन मनाई जाती है .अतः इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 18 जनवरी से 25 जनवरी तक मनाई जाएगी  हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा की साधना के लिए नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है.नवरात्रि के दौरान साधक विभिन्न साधनो द्वारा माँ भगवती की विशेष पूजा करते है तथा नवरात्रि के ही समय में कुछ भक्त तंत्र विद्या सीखते है जिसे गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए अति विशेष माना जाता है।  साधक अपनी पूजा से माँ भगवती को प्रसन्न करते है। गुप्त नवरात्रि के सम्बन्ध में बहुत कम लोगो को जानकारी है। d गुप्त नवरात्रि शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएँ, महाकाल आदि के लिए विशष महत्व रखती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक कठिन भक्ति नियम से व्रत तथा माँ दुर्गा की साधना करते है। माँ दुर्गा साधक के कठिन भक्ति और व्रत से दुर्लभ और अतुल्य शक्ति साधक को प्रदान करती है। इस तरह गुप्त नवरात्रि की कथा तथा महिमा सम्पन्न हुई।  www.himalayauk.org (Newsportal)  

हिमालयायूके के लिए प्रसिद्व ज्‍योतिषविद- परम आदरणीय परमानंद मैदुली जी- पूर्व वाइस चांसलर-  मोबा0 9837549698

 

माघ गुप्त नवरात्र 18 जनवरी 2018 से लेकर 26 जनवरी 2018 तक रहेगी।

हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।

 मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

 देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

आशादा नवरात्रि जिसे गुप्त नवरात्री या वरही नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है नौ दिवसीय वराही देवी को समर्पित उत्सव है। गुप्त नवरात्री के दिन तांत्रिकों और साधकों के लिए बहुत ही शुभ माने जाते है।

उपवास रख कर और श्लोकों और मंत्रों का जप करके भक्त देवी के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते है। यह माना जाता है कि इस नवरात्री के दौरान देवी तुरंत भक्तों की प्रार्थनाओं पर ध्यान देती हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करती हैं। वराही देवी को तीन रूपों में पूजा की जाता है: दोषों को हटाने वाली धन और समृद्धि का उपहार देने वाली और ज्ञान की देवी। गुप्त नवरात्री पूजा तांत्रिक पूजा के लिए भारत के कई हिस्सों में प्रसिद्ध है। यह शक्ति की प्राप्ति के लिए और धन समृधि और ज्ञान प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है। देवी दुर्गा संकट के उन्मूलन के लिए जानी जाती है। देवी दुर्गा व्यथित लोगों के प्रति दया दिखाती है। इस नवरात्री में दुर्गा सप्तशती के पाठ को पड़ा जाता है।

 बुध ग्रह के लिए आराध्य देव दुर्गा जी है। अतः बुध की शांति हेतु दुर्गा माता की आराधना करनी चाहिए। जन्मकुंडली में बुध के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए बुध मंत्र का जप करने से अनेक प्रकार की समस्याओ से मुक्ति पा सकते है। यदि आप बुध के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं या जन्मकुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है, तो आपको यह उपाय अवश्य करना चाहिए। बुध मन्त्र का जप बुधवार के दिन से आरम्भ करना चाहिए। “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नम:”

ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः

  ज्योतिष में बुध बुद्धि का प्रतीक है जो सभी परिस्थितियों तथा सम्बन्धों में समान रूप से सक्रिय हो सकता है। यह चेतना का प्रतीक है। मृत्यु के बाद मनुष्य का पार्थिव शरीर भू लोक पर ही रहकर विनष्ट हो जाता है परंतु मनुष्य का अंतः अस्तित्व उसके मनस द्वारा ही मृत्यु के बाद लोकों में परिचालित होता है। अतः यह स्पष्ट है कि बुध के इस दायित्व में मनुष्य के नवीनीकरण की शक्ति भी निहित है। जन्मकुंडली में बुध का प्रभाव किसी भी जातक के व्यक्तित्त्व पर मूलरूप से पड़ता है। ज्योतिष में बुध ग्रह का सम्बंध बुद्धि वा दिमाग से है यही कारण है कि जिस जातक की जन्मकुंडली में बुध मजबूत है वह शिक्षा के क्षेत्र में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है। बुध के साथ ग्रहो की युति से अनेक प्रकार के योग उत्पन्न होते है। बुध और सूर्य की युति से बुधादित्य योग, केंद्र में उच्च का होने पर “भद्र योग” का निर्माण करता है ।
बुध ग्रह अति चंचल भ्रमणशील एवं मिलनसार ग्रह है यह जिस ग्रह के साथ रहता है उसी के जैसा व्यवहार करने लगता है। यथा बुध यदि सूर्य ग्रह के साथ है तो जातक दर्शनशास्त्र का ज्ञाता या लेखक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।

ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह बुद्धि, बुआ, व्यापार, शिक्षा, गणित, गार्डेन, वृक्ष, चांदी, वृक्षारोपण, जमीन, विष्णु, अध्यापक, विद्वान, भाषा, ड्राइवर, लिपिक, ब्रेन, मेन्टल संतुष्टि इत्यादि का कारक ग्रह है। बुध ग्रह स्वास्थ्य को अधिक रूप से प्रभावित करता है। शरीर में स्थित स्नायु तंत्र पर बुध का पूर्ण अधिकार है इसी कारण यदि जन्मकुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में है या अशुभ ग्रह के प्रभाव में है तो जातक मानसिक परेशानी एवं डिप्रेशन का शिकार होता है। यदि जन्मकुंडली में बुध ग्रह पीड़ित है तो उपर्युक्त अवयवों में विकार होगा ही होगा इसमें कोई संदेह नहीं है। अतः व्यक्ति को बुध से सम्बंधित मन्त्र, पूजा दान इत्यादि करके शारीरिक व्याधि से छुटकारा पा सकता है। बुध ग्रह यदि अनुकूल स्थिति में है तो जातक को बौद्धिक सुख प्रदान करता है।जातक बौद्धिकता की पराकाष्ठा का अनुभव करता है इसी के कारण समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है। यदि बुध जन्मकुंडली में शुभ स्थिति में है तो यह जातक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति रखता है परन्तु यदि अगर बुध अशुभ स्थिति में है तो मान-सम्मान, प्रतिष्ठा तथा बुद्धि को नष्ट करता है।

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