मई 2020 में कई ग्रहों की स्थितियां बदल रही है,परिवर्तन का व्यापक प्रभाव

HIGH LIGHT# 4 मई को ग्रहों का सेनापति मंगल राशि बदलकर मकर से शत्रु राशि कुंभ में प्रवेश करेगा # इनके इस परिवर्तन का व्यापक प्रभाव पड़ेगा # जिससे देश के कई हिस्सों में आंधी-तूफान व आगजनी आदि प्राकृतिक आपदा आने संभवाना # न्याय के देवता शनि 11 मई को मार्गी से वक्री होने जा रहा है # शनि की चाल बदलते ही सभी राशियों पर अच्छे-बुरे प्रभाव दिखने शुरू हो जाएंगे. वही मोहिनी एकादशी 3 मई 2020 को है # वक्री गुरु 29 जून की रात धनु राशि में प्रवेश करेगा। #13 सितंबर को गुरु धनु में और 29 सितंबर को शनि मकर में मार्गी होंगे। # इस के अलावा 4 मई से कर बाबा केदारनाथ के दर्शन की तैयारी कर रही है उत्तराखण्‍ड सरकार; मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समय आएगा, जब हम भयमुक्त होकर बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकें.

मई 2020 में कई ग्रहों की स्थितियां बदलने वाली है। इस माह में गुरु और शनि वक्री होंगे। मंगल राशि बदलेगा। मई माह में सभी नौ ग्रहों की दशा शुभ रहे, इसके लिए क्‍या करना चाहिए

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4 मई को ग्रहों का सेनापति मंगल राशि बदलकर मकर से शत्रु राशि कुंभ में प्रवेश करेगा। मंगल ग्रह का यह भ्रमण 44 दिन का होगा। इसके चलते खाद्य पदार्थो में कमी के चलते महंगाई बढ़ने की संभवाना है। 4 मई को ग्रहों का सेनापति मंगल राशि बदलकर मकर से शत्रु राशि कुंभ में प्रवेश करेगा। मंगल ग्रह का यह भ्रमण 44 दिन का होगा। इसके चलते खाद्य पदार्थो में कमी के चलते महंगाई बढ़ने की संभवाना है। कुंभ राशि में स्थिर मंगल की सूर्य,शुक्र पर दृष्टि होने से देश के कई हिस्सों में आंधी-तूफान व आगजनी आदि प्राकृतिक आपदा आने संभवाना बनी हुई है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मकर राशि में गुर-शनि की युति 1961 में बनी थी। 11 मई की शाम शनि और 14 मई की रात गुरु ग्रह वक्री हो जाएगा। इसके बाद ये दोनों ग्रह मकर राशि में एक साथ वक्री रहेंगे।

सोमवार, 4 मई को ग्रहों का सेनापति मंगल राशि बदलकर मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं। मकर राशि में मंगल, गुरु और शनि की युति बनी हुई है। मंगल के निकलने के बाद गुरु और शनि मकर राशि में रह जाएंगे। सिर्फ इन दोनों ग्रहों की मकर राशि में युति 59 साल बाद बनेगी।

पंडित रामजीवन दुबे के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि 4 मई 2020 दिन सोमवार को शाम 4:10 बजे भूमि पुत्र मंगल का गोचरीय परिवर्तन कुम्भ राशि मे होगा। मंगल अपनी उच्च राशि एवं शनि की पहली राशि मकर को छोड़कर शनि की दूसरी राशि कुम्भ में प्रवेश करेंगे। स्वगृही शनि,नीच के गुरु से अलग होंगे मंगल। इनके इस परिवर्तन का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। मंगल सेना, पुलिस बल,रक्षा संयंत्र,आग, भूमि भवन एवं वाहन के कारक ग्रह है। अत: इनके इस परिवर्तन के बाद इन क्षेत्रों में भी व्यापक प्रभाव दिखेगा। इस अवधि में सेना,पुलिस,सैन्य तंत्र आदि का पराक्रम एवं शौर्य देश हित मे दिखेगा ,पूर्ण मनोयोग से सभी बल कार्य करेंगे परंतु थोड़ा सतर्क रहकर कार्य करना होगा । साथ ही मंगल के इस परिवर्तन का अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ेगा। सभी लग्नों एवं राशियों पर भी प्रभाव पड़ेगा।

वही न्याय के देवता शनि 11 मई को मार्गी से वक्री होने जा रहा है. जब किसी ग्रह की चाल उल्टी होती है तो उसे वक्री कहा जाता है. वक्री होने के बाद शनि देव 29 सितंबर तक इसी अवस्था में रहने वाले हैं. शनि की चाल बदलते ही सभी राशियों पर अच्छे-बुरे प्रभाव दिखने शुरू हो जाएंगे. वृषभ, सिंह, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए ज्योतिषविद वक्री शनि को अशुभ मान रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि शनि की उल्टी 

मोहिनी एकादशी 3 मई 2020 को है.

मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का बड़ा महात्‍म्‍य  है. जिस तरह हिन्‍दू धर्म में कार्तिक माह बेहद पवित्र माना जाता है ठीक उसी तरह वैशाख महीने में आने वाली मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2020) को भी पुराणों में बेहद पावन माना गया है. मान्‍यता है कि मोहिनी एकादशी व्रत (Mohini Ekadashi Vrat) बेहद फलदायी है. हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस एकादशी (Ekadashi) के प्रताप से व्रत करने वाला व्‍यक्ति मोह-माया से ऊपर उठ जाता है. कहते हैं कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु ने वैशाख शुक्‍ल एकादशी के दिन ही मोहिनी (Mohini) का रूप धारण किया था. भगवान ने अपने इसी मोहिनी रूप (Mohini Roop) से असुरों को मोहपाश में बांध लिया और सारा अमृत पान देवताओं को करा दिया था.

मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त 
मोहिनी एकादशी की तिथि:
 3 मई 2020
एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 मई 2020 को सुबह 9 बजकर न मिनट से 
एकादशी तिथि समाप्‍त: 4 मई सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक 
पारण का समय: 4 मई को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 18 मिनट तक

मोहिनी एकादशी का महत्‍व ;हिन्‍दू धर्म में मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का विशेष महत्‍व है. इस एकादशी को बेहद फलदायी और कल्‍याणकारी माना गया है. मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि माता सीता के विरह से पीड़ित भगवान श्री राम और महाभारत काल में युद्धिष्ठिर ने भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिउ इस एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया था.

उत्तराखंड के CM- ने कहा-  राज्य के श्रद्धालु 4 मई से कर सकेंगे बाबा केदारनाथ के दर्शन; वह समय आएगा, जब हम भयमुक्त होकर बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकें.

उत्तराखंड के CM- ने कहा-  राज्य के श्रद्धालु 4 मई से कर सकेंगे बाबा केदारनाथ के दर्शन; वह समय आएगा, जब हम भयमुक्त होकर बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकें. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने    हम चाहते हैं कि लोग दर्शन करें. देश के हालात ठीक हों, हम बाबा केदार से यह प्रार्थना करते हैं. बाबा केदारनाथ के दर्शन कब से श्रद्धालु कर पाएंगे, इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 4 मई से प्रदेश के सभी ग्रीन जोन को पूरी तरह से खोल दिया जाएगा. जो भक्त वहां जाना चाहें, 4 मई से जा पाएंगे. ये सभी प्रदेश के ही होंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समय आएगा, जब हम भयमुक्त होकर बाबा केदारनाथ के दर्शन कर सकें. 2012 की आपदा को याद करते हुए उन्होंने कहा कि रौनक फिर लौटेगी. ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था के संबंध में उन्होंने कहा कि विग्रह स्थल पर कैमरे की व्यवस्था नहीं है. समाज में परंपराओं का महत्व है. मंदिर का बाहर से दर्शन कराया जा सकता है. मुख्यमंत्री रावत ने साथ ही यह भी कहा कि विग्रह स्थल का ऑनलाइन दर्शन कराने के लिए पुजारी समाज से बात कर विचार किया जा सकता है.

केदारनाथ के कपाट खुल गए हैं। लेकिन कोराना के चलते इस बार आम यात्रियों के लिए यहां आने पर पाबंदी है। पहली बार ही केदारनाथ के रावल जिनका स्थान गुरु के बराबर है, वह भी कपाट खुलते वक्त मौजूद नहीं थे। रावल भीमाशंकर लिंग के मुताबिक उनके जीवन में ऐसा पहली बार हुआ है। भीमाशंकर लिंग केदारनाथ के 324वें रावल हैं। दक्षिण भारत में उनका जन्म हुआ और महाराष्ट्र के सोलापुर के गुरुकुल में वेदों की पढ़ाई। हर साल रावल महाराष्ट्र से उत्तराखंड आते हैं। वह इन दिनों केदारनाथ से 70 किमी दूर ऊखीमठ में हैं और क्वारैंटाइन का पालन कर रहे हैं। 

 मई 2020 में कई ग्रहों की स्थितियां बदलने वाली है। इस माह में गुरु और शनि वक्री होंगे। मंगल राशि बदलेगा।  नौ ग्रहों के लिए कर सकते हैं ये शुभ काम ; सूर्य- मई की शुरुआत में सूर्य मेष राशि में है। 14 मई को ये ग्रह राशि बदलकर वृष राशि में प्रवेश करेगा।

चंद्र– चंद्र 1 मई को सिंह राशि और 3 तारीख को कन्या में प्रवेश करेगा। इसके बाद लगभग हर ढाई दिन में ये ग्रह राशि बदलेगा।

मंगल– 4 मई को ये ग्रह मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। 

बुध– ये ग्रह मेष राशि में है। 9 मई को बुध वृष राशि में जाएगा। 24 मई को ये ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करेगा।

गुरु- ये मकर राशि में है और 14 मई को ये ग्रह वक्री हो जाएगा।

शुक्र– ये ग्रह वृष राशि में है। 13 मई को ये ग्रह वक्री हो जाएगा।

शनि- शनि मई में मकर राशि में रहेगा। 11 मई को शनि वक्री होगा।

राहु-केतु- ये दोनों ग्रह राशि नहीं बदलेंगे। राहु मिथुन में और केतु राशि में रहेगा।

नौ ग्रहों के लिए कर सकते हैं ये शुभ काम

सूर्य के लिए रोज सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। चंद्र, शुक्र के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए। मंगल के लिए लाल मसूर का दान करें। बुध के लिए गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं। गुरु ग्रह के लिए शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं। शनि और राहु-केतु के लिए हर शनिवार तेल का दान करें।

 ज्योतिष में कुल नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु-केतु बताए गए हैं। कुंडली में ग्रहों के अशुभ फलों से बचने के लिए उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। ग्रहों के मंत्र जाप से अशुभ असर कम हो सकता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सभी नौ ग्रहों के अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद पूजा का प्रबंध करें। जिस ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहते हैं, उस ग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए। पूजन में सभी आवश्यक सामग्रियां अर्पित करें। पूजा में संबंधित ग्रह के मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।

सूर्य मंत्र – ऊँ सूर्याय नम:। सूर्य को अर्घ्य देकर इस मंत्र के जाप से प्रसन्नता, एकाग्रता और मान-सम्मान मिलता है।

चंद्र मंत्र – ऊँ सोमाय नम:। इस मंत्र का जाप करने से मानसिक तनाव दूर होता है।

मंगल मंत्र – ऊँ भौमाय नम:। इस मंत्र के जाप से भूमि संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं।

बुध मंत्र – ऊँ बुधाय नम:। बुध के मंत्र का जाप करने से बुद्धि बढ़ती है।

गुरु मंत्र – ऊँ बृहस्पतये नम:। इस मंत्र के जाप से वैवाहिक जीवन की अशांति दूर हो सकती है।

शुक्र मंत्र – ऊँ शुक्राय नम:। मंत्र के जाप से पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है।

शनि मंत्र – ऊँ शनैश्चराय नम:। इस मंत्र के जाप से बाधाएं दूर हो सकती हैं।

राहु मंत्र – ऊँ राहवे नम:। इस मंत्र के जाप तनाव और विवादों से बचाव होता है।

केतु मंत्र – ऊँ केतवे नम:। केतु के मंत्र का जाप करने से अशांति और कलह से बच सकते हैं।

https://himalayauk.org/kedar-nath-kapat-open-29-april-20/ 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे वही 6 ग्रह वक्री होने से हलचल की स्थिति है

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