11 फरवरी शनिवार को पहला चंद्र ग्रहण; राशियों पर चंद्रग्रहण का असर

#ग्रहों का अशुभ फल कैसे समाप्त करे #ग्रहण के समय में मत्र जपने पर अक्षय पुण्य #संक्रमण काल में प्रदर्शन आदि नहीं करना चाहिए#चंद्रग्रहण की शुरूआत तड़के चार बजकर दो मिनट दो सेकेंड पर #और यह आठ बजकर 25 मिनट पांच सेकेंड तक # ॐ लक्ष्मीभ्यो नम: और ॐ श्री शुकले महाशुकले निवासे, श्री महालक्ष्मी नमो नम: मंत्रो का 108 बार जाप करे और दान आदि करे#माना जाता है कि सभी 12 राशियों पर चंद्रग्रहण का असर #इस साल चंद्र ग्रहण दो बार लगेगा। पहला चंद्रग्रहण 11 फरवरी को तड़के 04:06:26 बजे # 06:14:39 बजे ग्रहण अपने चरम पर # 08:22:53 बजे समाप्त # विशेष बात यह है कि 11 फरवरी को प्रथम चंद्रग्रहण में सूतक नहीं #ग्रहण के दिन क्या करें क्या न करें #माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार # मंत्रोंच्चारण करें #इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर # अपने आराध्य देव का ध्यान लगाएं #जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव #वे शनि मंत्र का जाप करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करें #जिन जातकों की कुंडली में मांगलिक दोष है, वे इसके निवारण के लिये चंद्रग्रहण के दिन सुंदरकांड का पाठ करें तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगें #आटा, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, साबुत उड़द की दाल, सतनज, काला तिल, काला वस्त्र आदि किसी गरीब जरुरतमंद को दान करें #ग्रहों का अशुभ फल समाप्त करने और विशेष मंत्र सिद्धि के लिये इस दिन नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि शुभ मंत्रों का जाप करें #दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमदभागवत गीता, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ भी कर सकते हैं # 

फरवरी के 11 तारीख को साल 2017 का पहला चंद्र ग्रहण सुबह 4 बजे लगने वाला है। बता दें की यह चंद्र ग्रहण का प्रवेश 11 फरवरी यानी शनिवार के दिन सुबह 4 बजकर 10 मिनट पर होगा और यह सुबह 8.25 बजे तक रहेगा। जबकि सूर्य ग्रहण 26 फरवरी को पड़ेगा। बता दें की इस उपछाया ग्रहण को पर्व नहीं माना गया है। लेकिन इस साल 2017 में दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्रग्रहण पड़ने वाले हैं। 11 फरवरी को सुबह 4 बजकर 4 मिनट पर चंद्र ग्रहण शुरू होगा। इसका अधिकतम समय 11 फरवरी को सुबह 6 बजकर 13 मिनट पर होगा और इस ग्रहण की समाप्ति 11 फरवरी शनिवार को सुबह 8 बजकर 23 पर मिनट होगी।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय स्थिति है। इसमें चंद्रमा, पृथ्वी के और पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर चक्कर काटते हुए एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया से होकर गुजरता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। ऐसा केवल पूर्णिमा को ही संभव होता है, इसलिये चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है।

मौजूदा वर्ष में ग्रहणों की खगोलीय घटनाओं का सिलसिला शुक्रवार (11 फरवरी) को लगने वाले उपच्छाया चंद्रग्रहण से शुरू होगा। यह ग्रहण भारत में दिखायी देगा। उज्जैन की प्रतिष्ठित जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्रप्रकाश गुप्त ने भारतीय संदर्भ में की गयी कालगणना के हवाले से शुक्रवार को बताया कि उपच्छाया चंद्रग्रहण की शुरूआत तड़के चार बजकर दो मिनट दो सेकेंड पर होगी और यह आठ बजकर 25 मिनट पांच सेकेंड पर खत्म होगा।

उन्होंने बताया कि चार घंटे से ज्यादा वक्त तक चलने वाली खगोलीय घटना के दौरान पृथ्वी से चंद्रमा कुछ धुंधला दिखायी देगा और इसके प्रकाश की तीव्रता कम हो जायेगी। उपच्छाया चंद्रग्रहण तब लगता है, जब चंद्रमा पेनुम्ब्रा (ग्रहण के वक्त धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पड़ने वाली धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है।

11 फरवरी शनिवार को पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। चन्द्र ग्रहण का स्थानीय समय कुछ इस तरह रहेगा। 10 फरवरी को उपच्छाया से पहला स्पर्श 20:34:15, परमग्रास चन्द्र ग्रहण 22:43:53। 11 फरवरी को उपच्छाया से अंतिम स्पर्श, 00:53:26, उपच्छाया की अवधि 04 घण्टे 19 मिनट्स 10 सेकंड। इस ग्रहण पर सूतक लागू नहीं होगा। बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों पर भी इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। इस ग्रहण पर सूतक लागू नहीं होगा। नासा के अनुसार भारत, यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक, अंटार्कटिका के अधिकतर हिस्सों में यह चंद्र ग्रहण देखा जाएगा।
ग्रहण के दिन किसी को भी उधार न दें। ग्रहण लगने से पहले जितना पैसा चाहिए उतना पैसा निकाल कर अलग से रख लें। तिजोरी को सफेद कपड़े से ढ़क कर रखें। ग्रहण काल में तिजोरी को स्पर्श न करें।
प्रतिदिन किए गए जाप-पाठ, हवन-यज्ञ एवं मंत्रों का अनुष्ठान करने के उपरांत भी वो फल प्राप्त नहीं होता जो केवल ग्रहण के समय में जपने पर अक्षय पुण्य मिल जाता है। ग्रहण लगने से पहले और दो दिन बाद तक के संक्रमण काल में कोई शुभकार्य, विवाह, निर्माण, नए व्यवसाय का आरंभ, सगाई, लंबी अवधि का निवेश, मकान का सौदा या एडवांस, आंदोलन, धरना-प्रदर्शन आदि नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दिन चाकू से किसी चीज को न काटे और नही कैंची, सूई-धागे का प्रयोग करें। ऊंचे स्वरों में मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है। चन्द्र ग्रहण के दिन बुजुर्ग, रोगी एवं बच्चों को छोड़कर घर के बाकी सदस्य भोजन न करें तो श्रेष्ठ है।
ऐसा माना जाता है कि चंद्रग्रहण कुंवारों के लिए अच्छा नहीं होता है क्योंकि सुंदरता का प्रतीक चंद्रमा तो श्रापित है और जो भी कुंवारा लड़का या लड़की उसे देखता है तो उसकी शादी या तो रूक जाती है या बहुत मुश्किलों से तय होती है।
साल का पहला चंद्रग्रहण 11 फरवरी को पड़ रहा है, लेकिन यह उपछाया चंद्रग्रहण है। जबकि सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ऐसे में उपछाया होने के कारण इसे पर्व नहीं माना गया है और इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। पं. सतीश सोनी, ज्योतिषाचार्य –

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