हम आपकी बात सुनेंगे -आप भी अर्थशास्त्रियों की बात सुनें-उम्मीद थी कि आप आज गरीबों के लिए एक पैकेज का ऐलान करते- किसनेे कहा
नई दिल्ली:पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि हम दीया जलाएंगे, लेकिन जवाब में अर्थशास्त्रियों की बात भी सुनें. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘हम आपकी बात सुनेंगे और पांच अप्रैल को दीया जलाएंगे. लेकिन इसके बदले में आप भी अर्थशास्त्रियों की बात सुनें. हमें उम्मीद थी कि आप आज गरीबों के लिए एक पैकेज का ऐलान करते, जिन्हें निर्मला सीतारमण अपने भाषण में भूल गई थीं. पी. चिदंबरम ने लिखा कि काम करने वाला हर व्यक्ति, चाहे बिजनेस क्षेत्र से हो या फिर दिहाड़ी मजदूर उसे मदद की जरूरत है और आर्थिक शक्ति को रि-स्टार्ट करने की जरूरत है. संकेत दिखाना जरूरी है, लेकिन सख्त फैसले लेना भी जरूरी है. पी. चिदंबरम के अलावा कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि आज फिर प्रधान शोमैन को सुना. लोगों के दुख, आर्थिक चोट के बारे में कुछ नहीं कहा गया. भविष्य को लेकर क्या प्लान है और लॉकडाउन के बाद क्या होगा, इसपर कुछ नहीं कहा गया. सिर्फ एक फीलगुड मोमेंट तैयार किया गया.
लेकिन इन सारी कवायदों के बीच प्रधानमंत्री से उम्मीद है कि वह इन 10 ठोस सवालों के भी जवाब दें. कोरोना वैक्सीन बनाने कि दिशा में क्या काम हो रहा है? #’स्वास्थ्य योद्धाओं’ की सुरक्षा किट कितनी उपलब्ध? # देश में कितने ICU और वेंटेलेटर हैं? # जल्द से जल्द जांच हो इसके लिए क्या तैयारी है? # क्वारंटाइन में रखे गए लोगों की देखभाल कैसे हो रही है? # लॉकडाउन के अलावा और क्या उपाय कर रही है सरकार? # कैसे पहुंचेगी सरकारी मदद? # तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की कितनी पहचान? # दिहाड़ी मजदूरों के लिए क्या उपाय हैं?# लोगों की नौकरियां कैसे सुरक्षित रहेंगी?
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी इसपर सवाल खड़े किए और अपने ट्वीट में लिखा, ‘इन मसलों पर सरकार के कदम सुनने को नहीं मिले, वायरस को रोकना-टेस्टिंग किट्स-गरीबों को खाना पहुंचा-मजदूरों को आर्थिक मदद करना’. दीया किसी मकसद से जलाएं, अंधविश्वास के लिए नहीं. गौरतलब है कि बीते दिनों भारत सरकार की ओर से कोरोना संकट के बीच एक लाख 70 हजार करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया गया था. जिसमें 80 करोड़ नागरिकों को गेंहू-चावल, 20 करोड़ से अधिक महिला जनधन बैंक खाता धारकों को आर्थिक मदद देने की बात कही गई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह अपने एक वीडियो संदेश में देशवासियों से दीया जलाने की अपील की है. पीएम ने कहा कि इस रविवार यानी 5 अप्रैल की रात को नौ बजे, आप नौ मिनट तक दीया या फिर मोबाइल का फ्लैश जलाएं. पीएम मोदी बोले कि इस एकता के जरिए हम कोरोना के अंधकार को मिटाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) एक बार फिर वीडियो मैसेज के जरिये जनता से मुखातिब हुए और कोरोना वायरस (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ अपना संदेश दिया. इस पर राइटर चेतन भगत (Chetan Bhagat) और बॉलीवुड एक्टर वीर दास (Vir Das) का रिएक्शन आया है. जहां पिछली बार 22 मार्च को उन्होंने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था और 5 बजे पांच मिनट तक थाली या ताली बजाने के लिए कहा था. वहीं, इस बार पूरे देश की एकजुटता दिखाने के लिए 5 अप्रैल को रात 9 बजे प्रकाश फैलाने के लिए कहा है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कहा है कि 5 अप्रैल को देश के सभी लोग अपने घरों की लाइट बंद कर देंगे, और अपने घर की खिड़की या दरवाजे पर आकर दीया, मोमबत्ती या मोबाइल की टॉर्च लाइट जलाएंगे.
RJD नेता शिवानंद तिवारी ने पूछे सवाल- प्रधानमंत्री जी ने गरीबों का नाम तो लिया. लेकिन गरीबों का जीवन कैसे चलेगा? रोज कमाने खाने वाले लोग अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे? सरकार के पास उनके लिए क्या योजना है ?ऐसे करोड़ों लोगों को प्रधानमंत्री जी के भाषण ने निराश किया होगा. पीएम कहते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग को हर हालत में कायम रखना है. लेकिन झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले एक एक कमरे में पूरा परिवार गुजर-बसर करने वाले लोग सोशल डिस्टेंसिंग को कैसे बनाए रखेंगे? इसका कोई जिक्र प्रधानमंत्री जी के भाषण में नहीं था
आपको बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है. इसस फैसले के 9 दिन हो गए हैं. लेकिन कोरोना वायरस की भी रफ्तार तेज हो गई है. इस दौरान लोगों की लापरवाही, पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों के झगड़े और तबलीगी जमात का मुद्दा भी सामने आया है. इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है. सरकार और मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी की चैन तोड़ना बहुत जरूरी है.
कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एक तरह से इस बीमारी की रफ्तार दोगुनी हो चुकी है. अगर आंकड़ों पर ध्यान दें तो 3 अप्रैल यानी आज 2 हजार के पार हो चुकी है और अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इस बीच 150 से ज्यादा लोग इस बीमारी से उबर भी चुके हैं. इस बीमारी के इलाज में कई देश भर में कई डॉक्टर भी चपेट में आ चुके हैं और कई जगहों पर इस कोरोना वायरस से जूझ रहे इन ‘योद्धाओं’ के पास उचित दस्ताने, मॉस्क और खुद के बचाव के लिए जरूरी किट नहीं है. दूसरी ओर जो सबसे अहम बात सामने आ रही है कि इस बीमारी के संक्रमित जल्द से जल्द हो सके क्योंकि सभी एक्सपर्ट का कहना है कि जितनी जल्दी जांच होगी इस बीमारी को रोकने में उतना ही कम वक्त लगेगा. लेकिन देश में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही जांच करने वाली लैबों पर दबाव भी बढ़ रहा है. इस बीच कई लोगों ने देश में ही ऐसी जांच किट बनाने लेने का दावा किया है जल्द परिणाम दे सकती हैं. लेकिन इन किटों को अस्पतालों में उपलब्ध करा दिया गया और या अभी कराया जाएगा इस पर कोई ठोस सूचना नहीं मिल पा रही है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की है कि 5 अप्रैल को घरों की लाइट बुझाकर बाहर प्रकाश करना है. इससे पहले वह ‘जनता कर्फ्यू’ की शाम 5 बजे स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस और इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के समर्थन में थाली बजाने को कहा था. इसी के दो दिन बाद उन्होंने पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया. लेकिन इन सारी कवायदों के बीच प्रधानमंत्री से उम्मीद है कि वह इन 10 ठोस सवालों के भी जवाब दें.
कोरोना वैक्सीन बनाने कि दिशा में क्या काम हो रहा है?
पूरी
दुनिया में कोरोना वैक्सीन की बनाने के लिए होड़ मची हुई है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया
में खबरें में आ रही हैं कि कुछ देशों में इसका क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू हो गया
है. भारत में भी इस पर कई वैज्ञानिकों ने दावे किए हैं लेकिन अभी किसी ठोस नतीजे
पर नहीं पहुंचा जा सका है. लेकिन इस पर सरकार की ओर से भी कोई जानकारी नहीं दी जा
रही है कि भारत अपनी खुद वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहा है या इसे भी विदेशों से
ही खरीदने की तैयारी है. कम से कम प्रधानमंत्री को इस बारे में खुद जानकारी देनी
चाहिए.
‘स्वास्थ्य
योद्धाओं‘ की
सुरक्षा किट कितनी उपलब्ध?
इस
बीमारी से अग्रिम मोर्चे पर लड़ाई रहे डॉक्टर और नर्स भी इस खतरे से दूर नहीं है.
कई डॉक्टर इसकी चपेट में आ चुके हैं. इस समय इनकी सुरक्षा भी बहुत जरूरी है. कई
जगहों से खबरें आ रही हैं इन लोगों के बीच जरूरी दस्ताने और मॉस्क उपलब्ध नहीं
हैं. पीएम मोदी को देश को इस मुद्दे पर भी आश्वासन देना चाहिए कि सरकार इस दिशा
में क्या काम रही है. हालांकि कई निजी कंपनियों ने इसके उत्पादन का काम शुरू किया
है लेकिन मांग के मुताबिक सप्लाई हो पा रही है या नहीं इस पर भी पीएम मोदी
को खुद बताना चाहिए.
देश में कितने ICU और वेंटेलेटर हैं?
इटली
सहित तमाम ऐसे देश जिन्हें अपनी मेडिकल सेवाओं नाज था वह आज बुरे दौर में गुजर रहे
हैं. अमेरिका भी इस समय वेंटेलेटरों की कमी से जूझ रहा है. भारत में तो कई ऐसे शहर
हैं जहां वेटेंलेटर अभी तक उपलब्ध नही हैं. पीएम मोदी को इस बात की भी जानकारी
देनी चाहिए कि इस दिशा में क्या काम हो रहा है.
जल्द से जल्द जांच हो इसके लिए क्या
तैयारी है?
इस
बीमारी को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन के अलावा इसके मरीजों की जल्द जांच भी
मायने रखती है. दक्षिण कोरिया इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कुछ दिन पहले ही दावा
किया गया था कि पुणे की एक लैब ने देसी जांच किट बना ली है जो जल्द रिपोर्ट दे
सकेगी. लेकिन इसके बाद इसे कितने अस्पतालों को उपलब्ध कराया गया है इस पर भी कोई
ठोस जानकारी नहीं है.
क्वारंटाइन में रखे गए लोगों की
देखभाल कैसे हो रही है?
जिन
संदिग्ध मरीज को क्वारंटाइन में रखा गया है उनकी क्या देखभाल हो रही है. क्योंकि
कुछ मरीजों के फरार होने की खबर है. अगर ऐसे मरीजों ने दूसरों को संक्रमित कर दिया
तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी. दूसरी ओर जो लोग शहरों से छोड़कर गांवों में आए हैं उन
पर कैसे नजर रखी जा रही है. इस पर भी पीएम मोदी को ठोस जानकारी देनी चाहिए.
लॉकडाउन के अलावा और क्या उपाय कर रही
है सरकार?
9 दिन के
लॉकडाउन के अलावा सरकार और क्या कदम उठा रही है. इस दौरान भी मरीजों की संख्या
बढ़ी है. क्या सरकार ने मरीजों के बढ़ते ग्राफ का कुछ विश्लेषण किया और उसके नतीजे
में और क्या कदम उठाने की तैयारी है.
कैसे पहुंचेगी सरकारी मदद?
जिन
लोगों के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया है उनमें से आज भी कई ऐसे हैं जिनका
रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी योजना में नहीं है. ऐसे लोगों के लिए क्या योजना है.
ग्राम प्रधान स्तर पर जो भ्रष्टाचार और भेदभाव होता है इस दौर में इसकी सबसे बड़ी
मार गरीब तबके पर ही पड़ेगी. क्या सरकार ने इसको लेकर कोई समीक्षा की है.
तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की कितनी
पहचान?
सारी
तैयारियों के बीच तबलीगी जमात में आए लोगों के संक्रमण ने चिंता बढ़ा दी है. इन
लोगों को कैसे ट्रैक किया जा रहा है और अब तक क्या सफलता है इसका ठोस आंकड़ा नहीं
है. पीएम मोदी को इस बारे में केंद्र की सूचनाओं को साझा करना चाहिए.
दिहाड़ी मजदूरों के लिए क्या उपाय हैं?
दिहाड़ी
मजदूरों पर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर पड़ा है. क्या सरकार के पास ऐसे लोगों का
कोई ठोस आंकड़ा है और इनके परिवार की रोजी-रोटी पर कोई असर न पड़े क्या सरकार ने
कोई प्लान बनाया है.
लोगों की
नौकरियां कैसे सुरक्षित रहेंगी?
जैसा की
IMF भी कह चुका है कि दुनिया इस समय मंदी की
चपेट में आ चुकी है. इस हालात में अगले 6 महीनों
तक के लिए भारत सरकार की क्या तैयारी है ताकि लोगों को नौकरियां सुरक्षित रहे.
क्योंकि आरबीआई ने जीडीपी के आंकड़े जारी नहीं किए हैं और इस बीमारी का असर इस पर
पड़ना तय है. पीएम मोदी अगर कोई ठोस आश्वासन देते हैं तो निश्चित तौर लोगों का
विश्वास और मजबूत होता.