प्रदेश के विभाजन का मुद्दा गरमा गया – केंद्रीय मंत्री का समर्थन – मेरठ राजधानी & पितृ पक्ष में दान का विशेष महत्व -कुछ चीजों का दान निषेध & जातीय आधारित गणना सर्वे रिपोर्ट जारी #3 शूटर लड़कियों ने देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया & Top News 2 oct 23
2 OCT 23 # HIGH LIGHT# Asian Games 2023: बाएं से, रजत पदक विजेता भारत की राजेश्वरी कुमारी, मनीषा कीर और प्रीति रजक। चीन में जारी 19वें एशियन गेम्स में शूटिंग ट्रैप टीम महिला प्रतियोगिताओं # एक बार फिर से प्रदेश के विभाजन का मुद्दा गरमा गया # 21 नवंबर 2011 को विधानसभा ने पारित कर दिया और फिर इसे केंद्र सरकार को भेज दिया गया # प्रधानमंत्री पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है # मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हार-जीत का लेकर अटकलें # 20 मिनट में दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंच सकते हैं # क्या आपने भीगी हुई मूंगफली खाई है? #पितृ पक्ष में दान का विशेष महत्व #गलत तरीके से पानी पीने पर कुछ गंभीर बीमारियां # बिहार में जातीय आधारित गणना (Bihar Caste based census) की सर्वे रिपोर्ट जारी # लंग्स के लिए दवा के समान है किशमिश, टमाटर और सेब #
HIGH LIGHT NEWS मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद मुइज्जू ने शानदार जीत हासिल की है. मोहम्मद मुइज्जू और उनकी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस को चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है. इसलिए मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को भारत के लिए एक तरह से झटके के तौर पर देखा जा रहा है
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तीन शूटर लड़कियों ने देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया
Asian Games 2023: बाएं से, रजत पदक विजेता भारत की राजेश्वरी कुमारी, मनीषा कीर और प्रीति रजक। चीन में जारी 19वें एशियन गेम्स में शूटिंग ट्रैप टीम महिला प्रतियोगिताओं
हांगझोऊ: तस्वीर के बीच में एक गरीब मछुआरे की बेटी, जिसने हवा में उड़ते लक्ष्य को मार गिराने का धैर्य मछली पकड़कर जीवन यापन करने की कला से विकसित किया। उनके दाहिनी ओर पटियाला शाही परिवार के वंशज की बेटी और बाईं ओर मध्यप्रदेश के इटारसी के एक ड्राई-क्लीनर की बेटी, जो सेना में सबसे कम उम्र की महिला निशानेबाज में से एक है। चीन के हांगझोऊ में जीवन के तीन अलग-अलग चक्र एकसाथ आ गए। मनीषा कीर, राजेश्वरी कुमारी और प्रीति रजक ने मिलकर महिलाओं की टीम शूटिंग ट्रैप इवेंट में भारत का पहला रजत सिल्वर मेडल जीता।
प्रीति रजक और मनीषा कीर को शुरू में एशियाड टीम में जगह नहीं मिली थी, लेकिन ओपनिंग सेरेमनी से चंद रोज पहले बिना किसी स्पष्टीकरण के उन्हें स्क्वॉड में एंट्री मिल गई। चयन में असफलता के कारणों का भले ही आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया गया हो, लेकिन निशानेबाजों ने पदक के साथ अपने विरोधियों को गलत साबित कर दिया।
खासतौर पर मनीषा कीर, जिन्होंने चौथी सीरीज में सारे 25 लक्ष्य भेदकर भारत को पोडियम तक पहुंचाया। 24 वर्षीय यह शूटर वीमेंस सिंगल फाइनल में पहुंचने वाली एकमात्र भारतीय भी थे, लेकिन छठे स्थान पर बाहर हो गई। मगर आखिरी में जगह की निशानेबाजी और टीम के लिए सिल्वर मेडल के साथ-साथ उन्होंने और भी बहुत कुछ हासिल किया। शॉटगन शूटिंग, जिसे राजपरिवार का खेल माना जाता है, वहां एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की आम लड़की का पहुंचना खास बात है।
मनीषा कीर की निशानेबाजी की शुरुआत आकस्मिक थी। बचपन में वह अपने पिता के साथ मछलियां पकड़ने और बेचने जाया करती थीं। भारतीय निशानेबाजी के दिग्गज मानशेर से हुई अचानक मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी। ओलिंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता, मानशेर पिछड़े बैकग्राउंड से आने वाले ऐसे ही लोगों की तलाश में हैं, जो शूटिंग जैसा महंगा खेल नहीं खेल सकते। एमपी राज्य अकादमी के भोपाल स्थित शूटिंग रेंज में उन्होंने एक ट्रायल के दौरान कोने में पीछे खड़ी मनीषा कीर को बेकार खड़ा देखा और उसे शूटिंग का मौका दिया। उस पल के बाद, मनीषा कीर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह भारत की सबसे बेहतरीन महिला शॉटगन निशानेबाजों में से एक बन गईं।
मनीषा कीर की ही तरह 20 वर्षीय प्रीति रजक भी मध्यप्रदेश राज्य अकादमी की खान से निकला कोहिनूर हैं, जो बाद में इंदौर के उपनगर महू स्थित आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में सबसे कम उम्र की महिला निशानेबाजों में से एक बन गई। हालांकि तीनों में 31 वर्षीय राजेश्वरी के लिए शूटिंग सबसे स्वाभाविक बात थी, जिन्होंने हाल ही में पेरिस ओलिंपिक के लिए कोटा भी हासिल किया है। एथलीटों और निशानेबाजों के परिवार में जन्में उनके पिता रणधीर, जिनके चाचा यादवेंद्र सिंह पटियाला के आखिरी महाराजा थे, ने 1968 और 1984 के बीच लगातार पांच ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया।
एशिया ओलिंपिक परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष रणधीर कहते हैं, ‘उसे शुरू में कारतूसों की आवाज बिल्कुल पसंद नहीं थी, उसे तेज आवाजें कभी अच्छी नहीं लगी, लेकिन फिर उसने अचानक शूटिंग शुरू कर दी। हमारी विरासत बहुत पुरानी है। मेरे परदादा, दादा, चाचा, मैं और अब राजेश्वरी। वह मुझसे कहीं अधिक मेहनत करती है।’
पिता ने दिया बेटी को मेडल
रणधीर के लिए यह पदक सिर्फ इसलिए खास नहीं था क्योंकि यह पदक उनकी बेटी ने जीता था बल्कि इसलिए कि मंच पर इतिहास ने भी खुद को दोहराया था। जब रणधीर ने 1982 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता तो उन्हें यह पदक उनके पिता भालिंदर सिंह से मिला, जो एशियाई खेल महासंघ के अध्यक्ष थे। रविवार को रणधीर ने ही अपनी बेटी को रजत पदक दिया। रणधीर कहते हैं, ‘तो इतिहास खुद को दोहरा रहा है और खेल में परिवार की विरासत जारी है। राजेश्वरी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं, उनके साथी अपना रास्ता खुद बना रहे हैं।
यूपी में एक बार फिर से प्रदेश के विभाजन का मुद्दा गरमा गया – केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान
यूपी में एक बार फिर से प्रदेश के विभाजन का मुद्दा गरमा गया है. केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान (Sanjeev Balyan) ने पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाना चाहिए और मेरठ की इसकी राजधानी बनाना चाहिए. उन्होंने कहा, इस क्षेत्र की आबादी आठ करोड़ है और यहां से हाईकोर्ट 750 किमी. दूर है. ऐसे में इसे अलग राज्य बनाने की मांग एकदम जायज है. ये पहली बार नहीं है जब यूपी के विभाजन की मांग तेज हुई हो, 12 साल पहले भी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने यूपी को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव दिया था.
2011 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार में बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी को चार हिस्सों पूर्वांचल, पश्चिम प्रदेश, अवध प्रदेश और बुंदेलखण्ड में बांटने का प्रस्ताव दिया था. 16 नवंबर 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मंत्रिपरिषद की बैठक में इसे मंजूरी दी और फिर इसे यूपी विधानसभा में पेश किया गया. यूपी का चार भागों में विभाजित करने वाले इस प्रस्ताव को 21 नवंबर 2011 को विधानसभा ने पारित कर दिया और फिर इसे केंद्र सरकार को भेज दिया गया.
उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राज्य के बंटवारे की मांग शुरू हो गई है. केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता संजीव बालियान ने रविवार को एक सभा में कहा कि वह पश्चिम प्रदेश यानी पश्चिमांचल की मांग का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि यूपी का पश्चिमी क्षेत्र अगर राज्य बनता है तो उसकी राजधानी मेरठ होगी.
मायावती सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव के मुताबिक यूपी को चार राज्यों में विभाजित करने की बात कही गई थी, इनमें पूर्वांचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखण्ड में 7 जिले शामिल होने थे. उस समय केंद्र में यूपीए-2 की सरकार थी. केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर कई स्पष्टीकरण मांगे और प्रस्ताव को वापस भेज दिया. उस वक्त सपा और कांग्रेस समेत कुछ छोटे दलों ने आपत्ति भी दर्ज कराई थी, वहीं संजीव बालियान की पार्टी बीजेपी भी इसके विरोध में दिखाई दी थी.
बसपा सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक अगर यूपी को चार हिस्सों में विभाजित किया जाता तो पश्चिमी प्रदेश में आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली समेत 22 जिलों को शामिल किए जाने का प्रावधान था, वहीं पूर्वांचल में वाराणसी, गोरखपुर, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती समेत 32 जिले, अवध प्रदेश में लखनऊ, देवीपाटन, कानपुर जैसे जिलों को शामिल किया जाता और बुंदेलखंड में तीन मंडल और 11 जिलों को मिलाकर राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया गया था.
संजीव बालियान के बयान ने यूपी के पश्चिमी क्षेत्र में नया मुद्दा जोड़ दिया है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले यह मुद्दा जोर पकड़ सकता है. बता दें पश्चिमी यूपी में कुल 26 जिले आते हैं. इसमें मेरठ, बुलन्दशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मोरादाबाद, बिजनोर, रामपुर, अमरोहा, संभल, बरेली, बदायूँ, पिलीभीत, शाहजहाँपुर, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ, एटा, हाथरस, कासगंज, इटावा, औरैया और फर्रुखाबाद शामिल हैं.
लोकसभा सीट के तौर पर बात करें तो पश्चिमी यूपी में शाहजहांपुर, बरेली, बदायूं, अमरोहा, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, संभल, सहारनपुर, रामपुर, पीलीभीत, नगीना, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, मेरठ, मथुरा, अलीगढ़, एटा, मैनपुरी, कैराना, हाथरस, फिरोजाबाद, फर्ररुखाबाद, फतेहपुर सीकरी, इटावा, बुलंदशहर, बिजनौर, बागपत, अमरोहा, आंवला, अलीगढ़ और आगरा शामिल है.
यह मुद्दा राष्ट्रीय लोकदल, समाजवादी पार्टी के साथ-साथ बसपा की भी मुश्किलें बढ़ सकती है. 2019 के चुनाव के आधार पर देखें तो वेस्ट यूपी की 7 लोकसभा की सीट- सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद और रामपुर में बीजेपी हार गई थी. वह पश्चिमांचल के बहाने से जनता को इस मुद्दे पर साथ लाने की कोशिश करेगी.
चूंकि मामला पश्चिमी यूपी से जुड़ा है ऐसे में रालोद और जयंत चौधरी इस मुद्दे पर चुनाव के समय बीजेपी के खिलाफ नहीं जाना चाहेंगे. वहीं सपा और अखिलेश यादव, जो राज्य के बंटवारे के खिलाफ रहे हैं, वह रालोद के साथ हैं, ऐसे में उसके सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है. इसके साथ ही बसपा खुद इस मुद्दे का विरोध नहीं कर पाएगी क्योंकि यह प्रस्ताव उसने ही 12 साल पहले पेश किया था.
बीजेपी किसी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी- उसको देना कि मोदी आया था
राजस्थान में बीजेपी का सीएम फेस कौन होगा, इसको लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज चित्तौड़गढ़ में स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी किसी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी बल्कि कमल के निशान पर ही चुनाव लड़ा जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मोदी की हर गारंटी को हर बूथ तक पहुंचाना है. इस चुनाव में हमारा एक ही चेहरा है और वो चेहरा है कमल. इस कमल को ही भारी बहुमत से जिताना है. हम इस कमल के नेतृत्व में, कमल के निशान से राजस्थान का भाग्य भी तेज गति से आगे बढ़ाएंगे. हमारी उम्मीद कमल है, हमारा उम्मीदवार कमल है. हम कमल खिलाएंगे, भाजपा को जिताएंगे.”
आज मैं राजस्थान के हर गरीब और दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवारों को एक और गारंटी दे रहा हूं. मोदी हर गरीब को पक्की छत देगा, पक्का घर देगा. अबतक चार करोड घर बना दिए है. जिनका बाकी रहा है काम चालू है. आपका घर भी बनेगा ये मोदी की गारंटी है. आपके गांव में ऐसा कोई भी गरीब परिवार हो, जिसके पास पक्की छत नहीं उसको देना कि मोदी आया था. सांवलिया सेठ के चरणों में बैठकर बोलके गया है कि तेरा भी पक्का घर बन जाएगा
सिखों को बदनाम करने का आरोप लगाया
कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) पर सिखों को बदनाम करने का आरोप लगाया है. रविवार को जयपुर में पीसीसी (PCC) वॉर रूम में मीडिया से बात करते हुए रंधावा ने कहा- ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले मुसलमानों को बदनाम किया और अब सिखों को बदनाम कर रहे हैं. ऐसे में अल्पसंख्यक कहां जाएंगे?’
2018 में BJP से बागी हुए विधायक ने कांग्रेस से दावेदारी ठोकी है. जैसलमेर का विधानसभा चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने वाला है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी से दावेदारों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा हो चुकी है
कनाडा के साथ भारत के चल रहे विवाद पर राजस्थान कांग्रेस प्रभारी ने आगे कहा, ‘अटल बिहारी वाजपेयी भी बीजेपी के प्रधानमंत्री थे, लेकिन वो भारत की बात करते थे. प्रधानमंत्री पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है. उन्हें देश के लिए बोलना चाहिए.’ रंधावा ने कहा, चुनाव होते हैं तो पीएम राजस्थान आकर बोलते हैं. अगर महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, तो क्या उन्हें मध्य प्रदेश में यह नजर नहीं आता? जो हमारे नागरिक नहीं हैं, उन्हें खालिस्तानी कहकर पीएम पंजाबियों पर सवाल उठा रहे हैं.’
सुखजिंदर रंधावा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को देश को जोड़ने की बात करनी चाहिए न कि हिंदुओं और सिखों को बांटने की. ऐसा कहकर प्रधानमंत्री सिखों की अखंडता पर बोल रहे हैं. आज भी जब पाकिस्तान से लड़ते हुए कोई शहीद होता है तो सबसे पहले किसी पंजाबी का शव आता है, क्या पंजाबी देशभक्त नहीं हैं? प्रधानमंत्री मोदी इस बारे में क्यों नहीं बोलते? क्या पीएम हमें बदनाम करना चाहते हैं?
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हार-जीत का लेकर अटकलें
टाइम्स नाउ ने चौंकाने वाले ओपिनयिन पोल जारी किया है. इस ओपिनयिन पोल सर्वे के मुताबिक, सत्तारुढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में कांटे के टक्कर होने के आसार जताए जा रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव प्रदेश में दोनों दलों को लगभग 42 फीसदी वोट शेयर मिलने की संभावना है. कांग्रेस ओवर ऑल 43.80 फीसदी वोट शेयर के साथ, 230 सीटों वाली विधानसभा में 118 से 128 सीटें मिलने की उम्मीद है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 114 सीटों पर जीत मिली थी.
मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. पिछले चुनाव में यानि 2018 चुनाव में बीजेपी को 109 सीटों पर जीत मिली थी, हालांकि बाद में कांग्रेस के बागी विधायकों के सहयोग से मध्य प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रही है. टाइम्स नाउ के ओपिनियन पोल के मुताबिक, साल 2023 के चुनाव में बीजेपी को 42.80 फीसदी वोट मिलने के आसार हैं, सीट शेयर पर नजर डालें तो उसके 102 से 110 सीट आने की उम्मीद है. आगामी विधानसभा चुनाव में निर्दल उम्मीदवारों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. जारी सर्वे के मुताबिक, मध्य प्रदेश में अन्य पार्टियों को निर्दल प्रत्याशियों को 13.40 फीसदी वोट शेयर, लगभग 0 से 2 सीटों पर कामयाबी मिल सकती है.
मध्य प्रदेश में क्षेत्रीय आधार पर देखें तो मालवा निमाड़ में 66 विधानसभा सीटें हैं. ओपिनियन पोल सर्वे में बीजेपी यहां सिर्फ 20 से 24 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस को 41 से 45 सीटों पर कामयाबी मिलने के आसार हैं. मध्य भारत में अन्य जगहों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. जारी सर्वे के मुताबिक, बीजेपी 22 से 24 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. जबकि कांग्रेस को यहां 12 से 14 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है.
प्रदेश की महाकौशल में क्षेत्र में कुल 38 विधानसभा सीटें हैं. यहां पर बीजेपी, कांग्रेस पर बढ़त बनाती नजर आ रही है. टाइम्स नाउ के सर्वे के मुताबिक, बीजेपी महाकौशल की 18 से 22 सीटों जीत का परचम लहरा सकती है. जबकि कांग्रेस 16 से 20 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है.
ग्वालियर-चंबल में 8 जिले हैं, जहां कुल 34 विधानसभा सीटें हैं. यहां पर कांग्रेस 26 से 30 सीटों पर दर्ज कर सकती है, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां 26 सीटों पर जीत दर्ज किया था. सत्तारुढ़ बीजेपी को ग्वालियर-चंबल नाकामी हाथ लगती दिखाई पड़ रही है, बीजेपी को यहां से सिर्फ 4 से 8 सीटों पर कामयाबी मिल सकती है.
विंध्य का शुमार मध्य प्रदेश की राजनीति में अहम है. यहां पर कुल 30 विधानसभा सीटें हैं, यहां बीजेपी 19 से 21 सीटों पर जीत का परचम लहरा सकती है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 8 से 10 सीटों पर सिमटती पर नजर आ रही है. अब बात करते हैं बुंदेलखंड की. बुंदेलखंड में 26 विधानसभा सीटें हैं. टाइम्स नाउ ओपिनियिन पोल के मुताबिक, बीजेपी और कांग्रेस में यहां कांटे की टक्कर हो सकती है. बीजेपी बुंदलेखंड की 13 से 15 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है, जबकि कांग्रेस 11 से 13 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां के 17 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ सात सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अर्बन एक्सटेंशन रोड- II (UER-II) पर बड़ा अपडेट दिया है. इस रोड के शुरू होते ही इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयर पोर्ट पर पहुंचना आसान हो जाएगा. उन्होंने प्राग में आयोजित होने वाली 27वीं वर्ल्ड रोड कांग्रेस में भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत में इस परियोजना के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि UER-II को आने वाले दो से तीन महीने में खोल दिया जाएगा. इसके खुलने के साथ ही एयरपोर्ट जाने वालों को सहूलियत होगी.
20 मिनट में दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंच सकते हैं
केंद्रीय मंत्री ने कहा, शहरी विस्तार रोड 2 (UER-II) दो से तीन महीने में खुल जाएगा. आमतौर पर आप लोग दिल्ली आते हैं और फिर एयरपोर्ट जाते हैं तो इसमें आपको दो घंटे लग जाएंगे. लेकिन इस सड़क के शुरू होने के बाद आप 20 मिनट में एयरपोर्ट तक पहुंच सकते हैं. उन्होंने बताया कि करीब 7,716 करोड़ रुपये की लागत से तैयार यूईआर-II (UER-II) 6 लेन का 75 किमी लंबा मुख्य एक्सप्रेसवे है और इस पर 4 लेन की सर्विस रोड है.
सड़क को पांच पैकेज में विकसित किया गया है. पैकेज 1-3 को NH-344M नाम दिया गया है. NH-344M आईजीआई हवाई अड्डे तक यात्रा के समय को 2 घंटे से घटाकर 20 मिनट कर देगा. यह वेस्ट / साउथ दिल्ली और गुरुग्राम से NH-44, चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू-कश्मीर की तरफ जाने के लिए ऑप्शनल रूट भी होगा. वहीं, पैकेज 4 या NH-344P, NH-344M से शुरू होगा और NH-352A (बरवासिनी बाईपास) पर खत्म होगा.
इससे NH-44 पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा. NH-344P KMPE के जरिये दिल्ली, KMPE और दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे के बीच कनेक्टिविटी भी बनेगी. पैकेज 5 या NH-344N बहादुरगढ़ बाईपास के लिए ढिचाऊं कलां गांव के पास NH-344M को बहादुरगढ़ के पास NH-10 से जोड़ता है. यह पूर्वी हरियाणा और दिल्ली में कंझावला के बीच कनेक्टिविटी में सुधार करेगा.
क्या आपने भीगी हुई मूंगफली खाई है?
नाश्ते में कुछ हेल्दी और टेस्टी खाएं. जिससे दिनभर शरीर को काम करने की एनर्जी मिले और पेट भी लंबे समय तक भरा रहे. ज्यादातर लोग नाश्ते में तलाभुना ही खाते हैं. हालांकि कुछ लोग सुबह के नाश्ते में हेल्दी आहार ही चुनते हैं. इसके लिए अंकुरित चना, मूंग, दूध-ब्रेड या फिर चीला खाते हैं. लेकिन अगर आप अपने दिन की शुरुआत अंकुरित बीज या अन्य पौष्टिक चीजों से करते हैं तो इससे आपकी सेहत को बहुत लाभ मिलेगा.
आपको बताएंगे मूंगफली के सेवन के बारे में. इसे किस तरह से नाश्ते में शामिल करने से आपके शरीर को अद्भुत फायदे मिल सकते हैं. मूंगफली के दाने अक्सर लोग व्रत आदि में अधिक खाते हैं. लेकिन कई व्यंजन ऐसे हैं जिसमें मूंगफली डाली जाती है और यह स्वादिष्ट भी लगती है. लेकिन क्या आपने भीगी हुई मूंगफली खाई है? अगर नहीं तो आज से भीगी हुई मूंगफली को नाश्ते में शामिल करें और देखें इससे आपको अनगिनत फायदे मिल सकते हैं.
पाचन होगा बेहतर है
यह बात तो सभी जानते हैं मूंगफली में भरपूर फाइबर पाया जाता है. यह एक फाइबर फूड है और फाइबर फूड डाइजेशन के लिए अच्छे माने जाते हैं. इसलिए अगर आप सूखी मूंगफली की जगह भीगी हुई मूंगफली खाते हैं तो इससे आपका पाचन बेहतर होगा.
दिमाग और आंखों के लिए हेल्दी
भीगी हुई मूंगफली का नाश्ते में सेवन करने से आपका माइंड शार्प होगा. इसे खाने से आपकी याद्दाश्त भी बेहतर होगी. इसी के साथ अगर आपको देखने में दिक्कत आ रही है तो आंखों की कमजोरी भी दूर होगी. आंखों पर पड़ने वाला स्ट्रेस दूर होता है. इसलिए आप भीगी हुई मूंगफली अच्छी मात्रा में खाएं.
स्किन के लिए फायदेमंद
भीगी भुई मूंगफली के सेवन से आपकी स्किन की चमक बढ़ेगी. अगर आपको चेहरे पर मुहांसे की समस्या है तो इसका रोजाना सेवन करें. कुछ ही दिनों में आपको अपनी स्किन एकदम साफ और निखरी हुई मिलेगी. आप चाहें तो भीगी हुई मूंगफली के साथ 2 बादम और मूंग दाल भी भिगो सकते हैं. ये पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है.
पितृ पक्ष में दान का विशेष महत्व – दान 100 गुना फल देता है. लेकिन इन दिनों में कुछ चीजों का दान निषेध माना जाता है.
पितृपक्ष में स्नान, दान और तर्पण का बहुत महत्व माना जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि के साथ दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देते हैं. आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. पितृ पक्ष में किया दान 100 गुना फल देता है. हालांकि दान को लेकर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में कुछ चीजों का दान भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इससे पितर वंशजों से नाराज हो जाते हैं और उन्हें जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. साथ ही, पितृदोष भी लगता है. ऐसे में जानते हैं, ऐसी कौन सी चीजें हैं, जिन्हें पितृपक्ष के दौरान दान करने से बचना चाहिए. पितृ पक्ष में तेल का दान शुभ नहीं माना जाता. पितृ पक्ष में तोल का दान करने से पितर नाराज हो जाते हैं. खासकर सरसों के तेल का दान पितृ पक्ष में नहीं करना चाहिए. इसके अलावा आप काला तिल, चावल, जौ आदि का दान कर सकते हैं.
बासी और जूठा खाना
पितृ पक्ष में अन्न का दान सबसे अच्छा माना जाता है. अन्न का दान करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन पितृ पक्ष के दौरान जूठा और बासी खाना किसी को दान करना पाप का भागीदार बनाता है. इससे पितर नाराज हो जाते हैं इसलिए भूलकर भी बासी-जूठा खआना किसी को दान न करें. कोशिश करें कि लोगों को शुद्ध और ताजा पका खाना खिलाएं. इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
पुराने कपड़े
पितृ पक्ष के दौरान पुराने कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना भी अच्छा नहीं माना जाता. इससे पितृदोष के साथ-साथ राहु दोष भी लगता है. पितृ पक्ष के दौरान नए वस्त्रों का दान कर सकते हैं.
काले कपड़े
पितृ पक्ष के दौरान कपड़ों का दान करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि काले कपड़ों का दान न करें. इससे पितर नाराज हो जाते हैं. इस दौरान सफेद कपड़ों का दान शुभ माना जाता है.
लोहे के बर्तन
लोहे के बर्तन का दान पितृ पक्ष में नहीं किया जाता. पितृ पक्ष में लोहे के बर्तन का दान नहीं करना चाहिए. इससे पितृदोष लगता है. पितृ पक्ष में स्टील के बर्तन का दान कर सकते हैं.
गलत तरीके से पानी पीने पर कुछ गंभीर बीमारियां
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि इंसान जितमा पानी पिए उसकी सेहत के लिए उतना ही अच्छा होता है. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर कई बीमारियों से दूर रहता है. पानी पीने से आप दिनभर फ्रेश भी महसूस करते हैं. डॉक्टर की सलाह होती है कि दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर हर व्यक्ति को पानी पीना चाहिए. दरअसल, शरीर में पानी की कमी होने पर सेल्स में ठीक तरह से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. लेकिन पानी पीने के साथ ही आपको यह भी पता होना चाहिए कि कहीं आप पानी पीते समय कुछ गलतियां तो नहीं कर रहे? क्योंकि गलत तरीके से पानी पीने पर आपको कुछ गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं.
गलत तरीके से पानी पीते हैं तो आपको गले का कैंसर हो सकता है
प्लास्टिक के बोतल में न पिएं पानी
आजकल प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. ऐसे में लोग पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन शायद आपको नहीं पता होगा कि प्लास्टिक की बोतल आपकी सेहत के लिए कितनी हानिकारक होती है. ऐसा एक स्टडी में पाया गया कि प्लास्टिक की बोतल में माइक्रोप्लास्टिक भारी मात्रा में मौजूद होते हैं. इससे प्लास्टिक का कचरा पानी में मिक्स हो जाता है और यही खून में माइक्रोप्लास्टिक पॉल्यूशन को फैलाता है. इसी की वजह से पानी पीने वाले रास्ते यानी गले के ऑर्गन को नुकसान पहुंचाता है और कैंसर होने का खतरा रहता है.
पानी की कितना मात्रा है जरूरी
अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं तो इससे आप डिहाइड्रेशन की समस्या से बच सकते हैं. अधिक गर्मी में व्यक्ति को पर्याप्त पानी पीना चाहिए. शरीर में पानी की कमी से लोगों को चक्कर आने की दिक्कत हो जाती है. एक्सपर्ट्स बताते हैं वयस्क को हाइड्रेटेड बॉडी के लिए दिन में 7 से 8 ग्लास पानी पीना चाहिए.
इस तरह से पानी न पिएं
अधिकतर लोग पानी पीते समय कुछ विशेष गलतियां करते हैं. जैसे फ्रिंज में लगी बोतल को निकालकर तुरंत पानी पीते हैं. साथ ही कुछ लोग एक बार में ही अधिक पानी पी लेते हैं. इतना ही नहीं खाना खाने के दौरान और तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए. आप इस बात का ध्यान रखें कि हाई मिनरल्स वाला पानी पीने से बचें. पीने पीने की ये सभी आदतें आपको बीमारी की चपेट में ला सकती हैं. इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखकर पानी पिएं. खड़े होकर पानी पीने से भी बचें. सही तरीके से पानी पीकर आप हेल्दी रह सकते हैं.
लंग्स के लिए दवा के समान है किशमिश, टमाटर और सेब
World Lung Day 2023 सेब जहां दिल के लिए फायदेमंद माने जाते हैं, वहीं इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट गुण फेफड़ों को भी मजबूत बनाते हैं और किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं।
लहसुन का करें सेवन
फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए लहसुन जरूर खाना चाहिए। लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को संक्रमण से बचाते हैं। फेफड़ों की बीमारी होने पर लहसुन का अधिक सेवन करना चाहिए। हल्दी और लहसुन का दूध पीने से जल्द आराम मिलता है। फेफड़ों का संक्रमण भी दूर हो जाता है।
सेब जहां दिल के लिए फायदेमंद माने जाते हैं, वहीं इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट गुण फेफड़ों को भी मजबूत बनाते हैं और किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं। सेब आंखों और पाचन को भी अच्छा करता है। सेब फ्लेवोनोइड, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता हैं।
किशमिश भी फेफड़ों के लिए फायदेमंद होते हैं। फेफड़ों को सेहतमंद रखने के लिए रोज सुबह खाली पेट एक मुट्ठी किशमिश खाना चाहिए। किशमिश रातभर पानी में भिगो देना चाहिए और सुबह खाली पेट इसका सेवन करना चाहिए। यह भी फेफड़ों की कई बीमारियों का खतरा कम करता है।
टमाटर में पाया जाने वाला रसायन लाइकोपीन फेफड़ों को मजबूत बनाता है। लाइकोपीन से भरपूर भोजन फेफड़ों के लिए अच्छा है। लाइकोपीन टमाटर के अलावा पपीता, गाजर, तरबूज, शकरकंद और हरी सब्जियां में भी पाया जाता
बिहार में जातीय आधारित गणना (Bihar Caste based census) की सर्वे रिपोर्ट जारी
बिहार में जातीय आधारित गणना (Bihar Caste based census) की सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार ने यह सर्वे करवाया था।
बिहार सरकार में अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सर्वे रिपोर्ट जारी की। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने इसके लिए किस तरह प्रक्रिया अपनाई और किस तरह इसमें त्रुटि की आशंका बिल्कुल नहीं है। बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ है। नीतीश कुमार सरकार ने जातीय जनगणना का फैसला लिया था। इसके खिलाफ हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों अनुमति दी थी।
आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है, बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। – नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
बिहार में 82% हिन्दू हैं 17. 7% मुसलमान, .05% ईसाई, .08% बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं राज्य में कुर्मी जाति की संख्या 2.87 प्रतिशत है कुशवाहा जाति की संख्या 4.21 प्रतिशत राजपूतों की संख्या 3.41 प्रतिशत
जाति जनगणना बिहार के गरीबों और जनता के बीच भ्रम फैलाने से ज्यादा कुछ नहीं करेगी। उन्हें (मौजूदा बिहार सरकार को) एक रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि नीतीश कुमार ने 18 साल तक राज्य पर शासन किया और लालू यादव ने 15 वर्षों तक राज्य पर शासन किया, लेकिन राज्य का विकास नहीं किया। जाति जनगणना का रिपोर्ट कार्ड सिर्फ दिखावा है।’ – केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, बेगुसराय में
Dt 27 Sep 23: गो मूत्र क्रान्ति आश्रम में एक बार फिर चमत्कार: 82 वर्षीय रोगी ने कहा: डॉक्टरों ने उम्र देखते हुए दवा देनी बंद कर दी, और ऑपरेशन को मना कर कहा कि जीवन के कुछ दिन इसी तरह काट लो, भला हो, एडवोकेट पंत जी का, आश्रम ले आए, मुझे दूसरा जीवन मिल गया: Execlusive Video by Himalayauk News by Chandra Shekhar Joshi Mob 9412932030 https://youtu.be/YzOIONlOr-4?si=m0PqoqeqXfKpnDDc