मिशन 2019 से पहले  राजस्‍थान में मायावती भी चाहती है शेयर, क्‍यो?

HIGH LIGHTS; #राजनीतिक गलियारे में पीएम पद को लेकर चर्चा का दौर शुरू#बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की मायावती को देश का अगला प्रधानमंत्री के लिए रणनीति #अखिलेश यादव के सामने धर्म संकट # क्या वह पिता मुलायम सिंह यादव को नजरअंदाज करेंगे. #सपा और सपा गठबंधन करके चुनाव लड़ने की तैयारी में ###

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने लखनऊ और कानपुर मंडल के पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के सम्मेलन में पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वह मायावती को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाने के लिये जुट जाएं, क्योंकि देश में दलितों का सबसे सशक्त प्रतिनिधित्व वह ही कर सकती हैं. बीएसपी कार्यकर्ताओं के इस आह्वान के साथ ही राजनीतिक गलियारे में पीएम पद को लेकर चर्चा का दौर शुरू हो गया है. बीएसपी की ओर से मायावती को पीएम पद का दावेदार बनाए जाने से समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने धर्म संकट पैदा हो गया है. दरअसल, अखिलेश यादव ने पिछले दिनों सपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कहा था कि वह मुलायम सिंह यादव को 2019 में प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं. बीएसपी की ओर से मायावती को पीएम प्रत्याशी बनाए जाने का आह्वान किए जाने के बाद अखिलेश यादव के सामने सवाल है कि क्या वह पिता मुलायम सिंह यादव को नजरअंदाज करेंगे.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह को राहुल गांधी के बारे में दिए गए बयान के कारण पद से हटा दिया है. मायावती ने कहा, ‘मुझे पता चला है कि बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह ने बीएसपी की विचारधारा के खिलाफ बात कही है और दूसरे दलों के नेताओं के बारे में निजी टिप्पणी की हैं. ये उनकी निजी राय है. इसलिए उन्हें अपने पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है.’

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा गठबंधन करके चुनाव लड़ने की तैयारी में है. ऐसे में दोनों पार्टियों को किसी एक चेहरे को ही आगे कर मैदान में उतरना होगा, लेकिन दोनों ही दल अपना-अपना पीएम प्रत्याशी बता रहे हैं.
  सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि फिलहाल वह प्रधानमंत्री पद का सपना नहीं देखते हैं. वे राज्य की सियासत संभालना चाहते हैं. मायावती के पीएम बनाने के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट तौर से तो कुछ नहीं कहा था, लेकिन ये जरूर कहा था कि वह बड़ी हैं और चुनाव बाद देखा जाएगा कि वह कौन सी जिम्मेदारी संभालेंगी. अखिलेश के इस बयान के मायने निकाले जाएं तो कह सकते हैं कि गठबंधन बचाए रखने के चलते अखिलेश यादव ने मायावती को केंद्र में ओहदा दिलाने की बात को सिरे से नकार नहीं रहे हैं.

 राजस्‍थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ जबर्दस्‍त सत्‍ता विरोधी लहर में मायावती भी चाहती है शेयर 

इसके अलावा-  मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भले ही विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस, बसपा के साथ तालमेल की कोशिशों में हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सख्‍त रुख के चलते यह आसान नहीं दिखता. ऐसा इसलिए क्‍योंकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा ने साफ कर दिया है कि वह या तो इन तीनों ही चुनावी राज्‍यों में कांग्रेस के साथ तालमेल करेगी, अन्‍यथा वह अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. इससे कांग्रेस के समक्ष मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. दरअसल कांग्रेस राज्‍यवार ढंग से विभिन्‍न पार्टियों से तालमेल की संभावनाएं टटोल रही है. मसलन कि दलित वोटरों को रिझाने के लिए वह बीएसपी के साथ मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़, यूपी जैसे राज्‍यों में तो तालमेल करना चाहती है लेकिन अन्‍य राज्‍यों में उसके साथ गठबंधन की इच्‍छुक नहीं है. इसी कड़ी में पिछले शनिवार को कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी की मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान के कांग्रेस अध्‍यक्षों एवं प्रभारियों से मुलाकात हुई थी. उसमें मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ के नेताओं ने तो बसपा के साथ तालमेल की पुरजोर वकालत की लेकिन राजस्‍थान यूनिट के नेताओं ने इसका विरोध किया. उनका तर्क था कि राजस्‍थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ जबर्दस्‍त सत्‍ता विरोधी लहर है. दूसरी बात कि राजस्‍थान में बसपा कुछ क्षेत्रों तक सीमित है. ऐसे में उसके साथ गठबंधन से कांग्रेस को दीर्घकालिक अवधि में नुकसान होगा. तीसरा परंपरागत रूप से हर पांच साल में राजस्‍थान में सत्‍ता कांग्रेस और बीजेपी के बीच बदलती रही हैं. इसलिए कांग्रेस को उम्‍मीद है कि इस बार राजस्‍थान में उसकी जीत तय है. इन परिस्थितियों को देखते हुए कांग्रेस की राजस्‍थान यूनिट वहां पर बसपा के साथ किसी तरह के तालमेल के मूड में नहीं है. लेकिन मध्‍य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं का मानना है कि वहां पर बसपा के साथ तालमेल से बीजेपी को कड़ी चुनौती दी जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अलग-अलग राज्‍यों में बसपा के साथ तालमेल के मुद्दे पर भिन्‍न राय उत्‍पन्‍न होने पर उस मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन तीन राज्यों के नेताओं से कहा है कि वे इस संदर्भ में अगले कुछ दिनों के भीतर ‘जमीनी ब्यौरा’ सौंपें. उन्‍होंने फिलहाल बसपा से तालमेल के मुद्दे पर अपनी कोई राय जाहिर नहीं की. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं से कहा है कि जमीनी ब्यौरा हासिल करें, बसपा की क्या स्थिति है और सीटों के तालमेल में सही सूरत क्या होगी?” उसके बाद जमीनी हकीकत का आकलन करने के बाद ही पार्टी निर्णय करेगी.

वही दूसरी ओर 
बीएसपी के नेता जयप्रकाश सिंह ने राहुल गांधी के पीएम पद की दावेदारी पर सवाल उठाए हैं. जयप्रकाश सिंह ने राहुल गांधी के नाम के साथ विदेशी मूल का मुद्दा जोड़ा है. हालांकि बीएसपी ने उनके इस बयान के बाद एक्शन लेते हुए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया है. इससे एक बात तो साफ है कि बीएसपी चाहती है कि आगामी चुनावों में कांग्रेस के साथ उसके रिश्ते बरकरार रहें.

राहुल गांधी के लिए पीएम पद की दावेदारी पर तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी चुप्पी साध चुकी है. वहीं बीजेपी और एनडीए के अन्य घटक दल विपक्षी खेमे में पीएम पद के कई दावेदार होने की बात का जोर शोर से प्रचार कर रहे हैं.
सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव 1990 के दशक के अंत में प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे. साल 1998 के अंत में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की अल्पमत में आ गई थी. नए लोकसभा चुनाव की आहट के बीच वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश जारी थी. एक मौके पर ऐसा लगा कि मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री बन जाएंगे, लेकिन माना जाता है कि लालू प्रसाद ने उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया था.
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बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह को राहुल गांधी के बारे में दिए गए बयान के कारण पद से हटा दिया है. मायावती ने कहा, ‘मुझे पता चला है कि बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह ने बीएसपी की विचारधारा के खिलाफ बात कही है और दूसरे दलों के नेताओं के बारे में निजी टिप्पणी की हैं. ये उनकी निजी राय है. इसलिए उन्हें अपने पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है.’ इससे पहले जय प्रकाश सिंह ने कहा था कि ‘राहुल गांधी अपने पिता से अधिक अपने मां जैसे दिखते है और सोनिया जी विदेशी मूल की है. इसलिए राहुल जी कभी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हो सकते है.’ उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा वक्त की मांग है कि मायावती प्रधानमंत्री बनें. मायावती दबंग नेता हैं और वो ही पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से टक्कर ले सकती हैं. मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में जब तक पार्टी किसी औपचारिक गठबंधन की घोषणा नहीं करती है, तब तक पार्टी के नेताओं को आदेश दिया गया है कि वो किसी भी स्तर पर गठबंधन के बारे में कुछ न बोलें. उन्हें ये बात हाईकमान के ऊपर छोड़ देनी चाहिए. मीडिया में ये खबर आने के तुरंत बाद बीजेपी के तरफ से विपक्षी दलों पर हमला बोला गया और पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि विपक्षी एकता का सिर्फ एक मकसद है किसी भी तरह से प्रधानमंत्री की कुर्सी हासिल करना. इसके अलावा उनमें एकता जैसा कुछ नहीं. विपक्षी दल बीजेपी को रोकने के लिए मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं, और ऐसे में जय प्रकाश सिंह का बयान उनके लिए बड़ी दिक्कत पैदा कर सकता था. मामले की गंभीरता को देखते हुए मायवती ने तुरंत कार्रवाई की और उन्हें पार्टी के पद से हटाने की घोषणा कर दी. इसके बावजूद ऐसे बयानों से विपक्षी एकता की कोशिशों को झटका जरूर लगेगा और भाजपा इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करेगी.

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