नीतीश कुमार दूरी बनाए हुए गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को उन पर हाथ डालने की कीमत चुकानी होगी. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘भाजपा और आरएसएस के लोगो, सुनो. मेरी चाहे जो भी स्थिति हो, लालू तुमको दिल्ली की कुर्सी से उतारेगा. मैं साफ-साफ कह रहा हूं कि मुझे धमकाने की हिम्मत मत करो.’
चार्जशीट के बाद भी तेजस्वी मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तब नीतीश कुमार क्या एक्शन लेंगे, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों के विचार में भिन्नता है. लेकिन ये लगभग तय माना जा रहा है कि नीतीश कुमार में मंत्रियों को डिसमिस करने का साहस नहीं आएगा.
लालू प्रसाद के ठिकानों पर रेड के लिए शुक्रवार का दिन ही क्यों चुना? इस सवाल के पीछे भी एक राज छिपा है। सीबीआई सूत्रों के अनुसार रेड की पृष्ठभूमि एक सप्ताह पहले ही तैयार हो चुकी थी। सीबीआई चाहती तो किसी भी दिन रेड कर सकती थी, लेकिन 7 जुलाई का दिन चुनने के पीछे भी एक बड़ी वजह थी। उधर, सीबीआई जिन गाड़ियों से रेड डालने पहुंची थी उसके ड्राइवरों ने अफसरों के बारे में चौंकाने वाली बात बताई। सात जुलाई को ही रेड डालने के पीछे की वजह ये सामने आ रही है कि सीबीआई नहीं चाहती थी कि छापेमारी के दौरान लालू अपने आवास पर मौजूद रहें।
नीतीश कुमार दूरी बनाए हुए गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं.
राजनीतिक खेल अब धीरे-धीरे रोमांचकारी टर्न ले रहा है. सूबे के मुखिया नीतीश कुमार शुक्रवार से ही पटना से 110 किलोमीटर दूर राजगीर के सर्किट हाउस में सो-बैठकर लालू प्रसाद के घर पड़े सीबीआई के छापे से पनपे डेवलपमेंट पर मौन रहकर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं. डॉक्टरों की सलाह पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. दिन में घनिष्ठ मित्र और जदयू के राज्यसभसा सदस्य रामचन्द्र प्रसाद सिंह के साथ में हल्का-फुल्का घुम फिर लेते हैं. आज भी घोड़ा कटोरा के सैर पर गए थे. सर्किट हाउस में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी है. नीतीश कुमार के निर्दशों पर जदयू के प्रवक्ता और दूसरे नेता भी लालू प्रसंग से दूरी बनाए हुए हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ने बताया ‘साहब का आदेश है कि लालू जी के प्रकरण पर मुंह नहीं खोलना है. सूचना के अनुसार सीएम 10 जूलाई को वापस पटना लौटने वाले हैं
सीबीआई ने शुक्रवार को लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापा मारा। यह कार्रवाई रेल मंत्री रहते लालू द्वारा हर्ष कोचर को रेलवे के 2 होटल (रांची और पुरी में) गलत तरीके से दिलवाने के मामले में की गई। रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद ने हर्ष कोचर को रेलवे के 2 होटल (रांची और पुरी में) गलत तरीके से दिलवाए। इसके बदले हर्ष कोचर ने लालू को 2 एकड़ जमीन दी, जिस पर मॉल बन रहा था। यह जमीन डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम रजिस्ट्री हुई थी। इस कंपनी की डायरेक्टर राजद के राज्यसभा सदस्य प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता थी 2014 में लालू के बेटे तेजप्रताप यादव, तेजस्वी यादव, बेटी चंदा और रागिनी इस कंपनी के डायरेक्टर बनाए गए। 12 नवंबर, 2016 को कंपनी का नाम बदलकर लारा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया। ला माने लालू, रा माने राबड़ी। नई कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स के माध्यम से जमीन पर लालू परिवार का कानूनी कब्जा हो गया। 14 फरवरी, 2017 से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पुत्र तेज प्रताप और तेजस्वी को इसका निदेशक बनाया गया। कंपनी में राबड़ी देवी का 2402 और दोनों पुत्रों के 800-800 शेयर हैं। सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज किया है, जिसमें 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को कहा कि रेलवे के होटलों को सुधारने के लिए खुली निविदा के तहत आईआरसीटीसी ने होटलों को आवंटित करने का काम किया।
पारिवारिक अग्रजों से विमर्श करने के बाद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ‘किसी भी स्थिति’ में पद से इस्तीफा नहीं देने का मन बना लिया है. वैसे, लालू के छोटे पुत्र ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में शुक्रवार को ही रोष में ऐलान कर दिया था कि ‘नहीं देंगे इस्तीफा. किस बात पर दें इस्तीफा’. वरिष्ठ और विश्वस्थ राजद नेताओं से बातचीत के बाद लालू प्रसाद ने भी क्लियर कर दिया है कि क्रिमीनल केस दर्ज होने के बाद भी तेजस्वी यादव को मंत्री पद से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है. लालू प्रसाद ने तेजस्वी का बचाव करते हुए कहा कि ‘जब रेलवे का होटल 2005 में लीज पर दिया गया था उस समय तेजस्वी माइनर था. उस केस में वो कहीं से भी शामिल नहीं है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर सी बी आइ ने जान बुझकर उसको फसाया है’. लालू प्रसाद के परिवार का कोई सदस्य इस्तीफे का पक्षधर नहीं है. लालू कुनबे के विश्वस्त सूत्र ने बताया कि ‘साहब के परिवार का सर्वसम्मत निर्णय है कि एफआईआर दर्ज होने की बात छोड़िए, अगर सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर देगी तो हमारे कुल का एक भी अनमोल रत्न रिजाइन नहीं करेगा’. अब सीएम नीतीश कुमार को जो भी फैसला लेना हों लें. इसके लिए वो स्वतंत्र हैं. चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में शुक्रवार को रांची में लालू की पेशी थी। सीबीआई ने इसका फायदा उठाया और पटना वाले आवास पर छापा मार दिया।
इसके पीछे का तर्क यह है कि लालू अगर अपने आवास पर मौजूद रहेंगे तो उनके समर्थकों की भीड़ जुटेगी और फिर उनको संभालना मुश्किल हो सकता है। दूसरा यह कि सीबीआई की टीम पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से जो जानकारियां जुटाना चाह रही थी, वह शायद लालू की मौजूदगी में जुटा पाना थोड़ा कठिन हो सकता है खास बात यह भी रही कि लालू प्रसाद के रांची से पटना पहुंचने से ठीक पहले सीबीआई टीम वापस हो गई।
पिछले दिनों जब आयकर विभाग ने लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के ठिकानों पर जब छापेमारी की थी तो पटना वाले आवास को छोड़ दिया गया था। उस दिन लालू पटना में ही मौजूद थे। संभव है कि पटना वाले आवास पर आयकर की टीम की गैरमौजूदगी के पीछे की एक वजह यह भी रही हो। चारा घोटाला से जुड़े मामले में लालू को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई को सेना बुलाने की नौबत आ गई थी। लालू के ठिकानों पर जब कभी भी इस तरह की कार्रवाई हुई हैं एजेंसियां बेहद सतर्क होकर ऑपरेशन करती रही हैं। दरअसल लालू अपने समर्थकों के बीच बेहद पॉपुलर हैं और उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई का जबरदस्त तरीके से विरोध भी करते रहे हैं।
दिल्ली में एफआईआर दर्ज होने के बाद पटना पहुंची ब्यूरो की विशेष टीम के सदस्यों ने अपनी पहचान छिपाते हुए राजधानी में डेरा जमाया था। टीम के सदस्य करीब आधा दर्जन होटलों में अलग-अलग ठहरे थे। किसी को उन पर शक नहीं हो, इसके लिए भाड़े की गाड़ी का इस्तेमाल किया। बीते गुरुवार को ड्राइवर के सामने सीबीआई अफसरों ने खुद को जींस कपड़े का व्यापारी बता कर परिचय दिया आैर व्यापार के सिलसिले में मीटिंग के लिए जाने की बात कही। फिर भाड़े पर गाड़ी लेने के बाद सीबीआई की टीम अपने गुप्त मिशन पर लग गई।
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