गुजरात के राज्यपाल 27 को देदून में करेगे सम्मानित
दून में सुरेश प्रभु को स्वच्छ राजनीति सम्मान ; स्व0 श्री नित्यानन्द स्वामी जी की जयंती समारोह
File Photo: 13 June;
#www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) CS JOSHI-EDITOR
उत्तराखंड में गरीबों के मसीहा के रूप में विख्यात स्व0 श्री नित्यानन्द स्वामी जी की 27 दिसम्बर को जयंती मनायी जायेगी- स्वच्छ राजनीति सम्मान समारोह कार्यक्रम स्थान सर्वे आफ इंडिया के सभागार हाथीबडकला देदून में होगा जहां कार्य्रक्रम के मुख्य अतिथि- गुजरात के राज्यपाल श्री ओपी कोहली होगे, कार्यक्रम में रेल मंत्री सुरेश प्रभु को स्वच्छ राजनीति सम्मान से सम्मानित किया जायेगा- इसके अलावा उदयोग अलंकरण से बिरला उदयोग समूह की लालकुआ नैनीताल स्थित सेन्चूरी मिल के मुख्य अधिशासी अधिकारी श्री जेपी नारायण को सम्मानित किया जायेगा- इसके अलावा एनआईवीएच के डायरेक्टर अनुराधा डालमिया के अलावा सामाजिक क्षेत्र तथा पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित किया जायेगा- कार्यक्रम की शुरूआत 2;30 बजे होगी-
वही दूसरी ओर देहरादून में १2 दिसंबर २०१६ को उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री स्व० नित्यानन्द स्वामी की चौथी पूण्यतिथि पर पर श्री नित्यानन्द स्वामी जन सेवा समिति (रजि०) के तत्वाधान में दून मेडिकल कॉलेज में मरीजों को फल व बिस्कुट के पैकेट वितरित किये गए। और स्वामी जी भावपूर्ण स्मरणकर श्रद्धासुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर आयोजित सादे समारोह को संबोधित करते हुए समिति की उपाध्यक्ष व स्वामी जी की पुत्री ज्योसना शर्मा ने स्वामी जी का भावपूर्ण स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा गरीब निर्बल लोगों की सेवा की। उससे प्रेरणा लेते हुए स्वामी की स्मृति को सदैव संजीव बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष उनकी पूण्यतिथि पर मरीजों को फल वितरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी गरीबों के मसीहा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष आर.के. बख्शी ने कहा कि स्वामी जी के जीवन चरित्र के हमें जनसेवा की प्रेरणा मिलती है । उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने मुख्यमंत्रितत्व काल में जो आदर्श स्थापित किये हैं। उन्हें सदैव स्मरण किया जायेगा।कार्यक्रम के प्श्चात समिति के पदाधिकारियों व नित्यानन्द स्वामी के परिजनों ने दून मेडिकल कॉलेज के विभिन्न वार्डों में घूम-घूमकर वहां स्वाथ्य लाभ ले रहे मरीज व उनके तीमारदारों को फल व बिस्कुट के पैकेट बांटे इसके बाद सभी लोग महिला चिकत्सालय के वार्डों में भर्ती मरीजों के पास गये और उन्हें भी फल आदि वितरित किये। इस अवसर पर कई तीमारदारों ने नित्यानन्द स्वामी के साथ बिताये क्षणों की याद ताजा की। और उनकी पूण्यतिथि पर उन्हें स्मरणकर अपने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष आर.के. बख्शी, सचिव राहुल अग्रवाल,संयुक्त सचिव विनायक शर्मा, सहसचिव गतिका शर्मा, ब्रजेश कुमार शर्मा, रघुवीर सिंह पंवार, विजय जायसवाल, के.पी. सिंह के अलावा महंत परमानन्द पुरी, गुरमीत सिंह, कर्नल डोगरा,अनुराधा डोगरा, नीतिका शर्मा मयूर राठौर समेत कई महानुभाव शामिल थे।
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स्व0 श्री नित्यानन्द स्वामी जी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री रहे हैं। उनके शासनकाल में उत्तराखण्ड का नाम उत्तरांचल था। वे राज्य के प्रथम मुख्यमन्त्री थे और उनका शासनकाल ९ नवम्बर, २००० से लेकर २९ अक्टूबर, २००१ तक चला। इनका जन्म २७ दिसंबर, १९२७ को हरियाणा राज्य में हुआ था, लेकिन उन्होनें अपना लगभग सारा जीवन देहरादून में बिताया जहाँ पर उनके पिता भारतीय वानिकी संस्थान में कार्यरत थे। उनका विवाह चन्द्रकान्ता स्वामी से हुआ और उनकी चार बेटियाँ हैं। कम आयु में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़ गए और देहरादून में उन्होंने स्थानीय विरोधों में भागीदारी की।ये पेशे से एक वकील थे और जन संघ से जुड़कर उन्होनें सक्रीय राजनीति में प्रवेश किया। व्यावसायिक रूप से वकील, स्वामी ने जनसंघ के अन्तर्गत सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। नित्यानन्द पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गए और बाद में भारतीय जनता पार्टी में पहुँचे हैं। राजनीति की सीढ़ी चढ़कर, वह गढ़वाल और कुमाऊँ के सबसे बड़े (क्षेत्र-वार) स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद में चुने गए। वह १९९१ में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के उपाध्यक्ष बने और १९९२ में सर्वसम्मति से उसी के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष २००० में उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) के पृथक राज्य बनने पर, भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें नए राज्य के मुख्यमन्त्री का पदभार सम्भालने के लिए कहा। उन्होने ९ नवम्बर २००० से २९ अक्टूबर २००१ तक पदभार ग्रहण किया और फिर भाजपा के कहने पर भगत सिंह कोश्यारी के पक्ष में स्वेछिक पदत्याग किया।
तबसे लेकर वे अपने निवास चुनावक्षेत्र लक्ष्मण चौक (देहरादून नगर) से राज्य विधानसभा के लिए दो चुनाव लड़ेे (२००२ और २००७ में), पर दोनों ही में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल से हार गए। तथापि स्वामी उत्तराखण्ड में एक लोकप्रिय नेता के रूप में हमेशाा याद किये जाते रहेगे- स्व0 स्वामी जी ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के रूंप में स्वच्छ राजनीति के नये आयाम स्थापित किये-
– हिमालयायूके की प्रस्तुति-