पतंजलि की ‘कोरोनिल दवा’ लॉन्च -ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज कानून का उल्लंघन? & Top News 23 June 20

23 June 20: Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper

Yoga teacher Ramdev’s Patanjali Ayurved has been asked by the government to furnish details of Ayurvedic medicines it launched today claiming they can cure coronavirus within seven days. The company has also been ordered to stop advertising or publicizing such claims until they have been examined.

The medicines, “Coronil and Swasari”, were developed based on research and trials on 280 patients across the country, Patanjali’s founder Ramdev told the media. The medicines come in a Corona kit priced at Rs 545, which was to be sold across India within a week. The Ministry of Ayush has asked Patanjali to provide at the earliest details like the composition of the medicines, the results of its research, the hospitals where the research was conducted, whether the company had a clearance from the Institutional Ethics Committee and whether it had registered for the clinical trials.

“Facts of the claim and details of the stated scientific study are not known to the ministry,” the Ayush Ministry said in a statement hours after the Patanjali launch.  The ministry has also asked for copies of the license and product approval details of the Ayurvedic medicines, which were made in Haridwar, Uttarakhand. There is no scientific evidence of any alternative cure for COVID-19, even as vaccines are being tested by many countries. The World Health Organisation has also cautioned against such claims. Ramdev claimed Patanjali’s medicines showed “100 per cent favourable results” in clinical trials.

पतंजलि के बाबा रामदेव ने कोरोना पर दवा बनाने का दावा किया है. मंगलवार को बाबा रामदेव ने हरिद्वार में कोरोनिल दवा की लॉन्चिंग की. इस मौके पर बाबा रामदेव ने कहा कि दवा का हमने दो ट्रायल किया था. पहला- क्लिनिकल कंट्रोल स्टडी, दूसरा- क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल.

बाबा रामदेव ने बताया कि इस आयुर्वेदिक दवा को बनाने में सिर्फ देसी सामान का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मुलैठी समेत कई चीजें शामिल हैं. साथ ही गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासारि का भी इस्तेमाल इसमें किया गया है. उन्होंने बताया कि गिलोए में पाने जाने वाले टिनोस्पोराइड और अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्व और श्वासारि के रस के प्रयोग से इस दवा का निर्माण हुआ है.

ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून 1954 का उल्लंघन

पतंजलि की तरफ से मंगलवार को दावा किया गया कि उन्होंने कोरोना से निजात दिलाने वाली एक दवा की खोज कर ली है. वहीं आयुष मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की खबर के आधार पर इस मामले को संज्ञान में लिया है. मंत्रालय का कहना है कि कंपनी की तरफ से जो दावा किया गया है उसके फैक्ट और साइंटिफिक स्टडी को लेकर मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं पहुंची है. मंत्रालय ने कंपनी को इस संबंध में सूचना देते हुए कहा है कि इस तरह का प्रचार करना कि इस दवाई से कोरोना का 100 प्रतिशत इलाज होता है, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून 1954 का उल्लंघन है.

योग गुरु रामदेव ने मंगलवार को कोरोना के खिलाफ कारगर दवाई बनाने का दावा करते हुए ‘कोरोनिल दवा’ लॉन्च की है. योग गुरु का कहना है कि उनकी दवाई ‘कोरोनिल’ से सात दिन के अंदर 100 फीसदी रोगी रिकवर हो गए. ‘कोरोनिल दवा’ का सौ फीसदी रिकवरी रेट है और शून्य फीसदी डेथ रेट है. हालांकि भारत सरकार के अंतर्गत आने वाला आयुष मंत्रालय योग गुरु के दावे से इत्तेफाक नहीं रखता.

पतंजलि से कहा गया है कि वह नमूने का आकार, स्थान, अस्पताल जहां अध्ययन किया गया और आचार समिति की मंजूरी के बारे में विस्तृत जानकारी दे. आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से जल्द से जल्द उस दवा का नाम और उसके घटक बताने को कहा है जिसका दावा कोविड उपचार के लिए किया जा रहा है.

बाबा रामदेव ने कहा कि दिल्ली से लेकर कई शहरों में हमने क्लिनिकल कंट्रोल स्टडी किया. इसके तहत हमने 280 रोगियों को सम्मिलित किया. क्लिनिकल स्टडी के रिजल्ट में 100 फीसदी मरीजों की रिकवरी हुई और एक भी मौत नहीं हुई. कोरोना के सभी चरण को हम रोक पाएं. दूसरे चरण में क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल किया गया.

केंद्र सरकार ने इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है और कहा है कि दवाई की स्टडी को लेकर जो भी जानकारी है उसे सरकार देखेगी. मंत्रालय ने इस संबंध में कंपनी को सैंपल साइज, स्टडी डाटा जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करने को कहा है. साथ ही फिलहाल कंपनी की तरफ से दवाई के विज्ञापन पर रोक लगाने को भी कहा गया है.

पतंजलि की कोरोना से क्योर का दावा करने वाली दवा ‘कोरोनिल’ को लेकर पहले आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और आयुष मंत्रालय दोनों ने पल्ला झाड़ लिया था. आयुष मंत्रालय ने कहा था कि आईसीएमआर के अधिकारी ही इस बारे में सही जानकारी दे पाएंगे. जबकि आईसीएमआर के अधिकारियों के मुताबिक आयुर्वेदिक दवा से संबंधित सभी जिम्मेदारी आयुष मंत्रालय का है. जिसके बाद अब आयुष मंत्रालय ने पूरे मामले को संज्ञान में लिया है.

बाबा रामदेव ने दावा किया कि 100 लोगों पर क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल की स्टडी की गई. 3 दिन के अंदर 69 फीसदी रोगी रिकवर हो गए, यानी पॉजिटिव से निगेटिव हो गए. यह इतिहास की सबसे बड़ी घटना है. सात दिन के अंदर 100 फीसदी रोगी रिकवर हो गए. हमारी दवाई का सौ फीसदी रिकवरी रेट है और शून्य फीसदी डेथ रेट है.

बाबा रामदेव ने कहा कि इस दवाई को बनाने में सिर्फ देसी सामान का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मुलैठी-काढ़ा समेत कई चीज़ों को डाला गया है. साथ ही गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासरि का भी इस्तेमाल किया गया. आयुर्वेद से बनी इस दवाई को अगले सात दिनों में पतंजलि के स्टोर पर मिलेगी. इसके अलावा सोमवार को एक ऐप लॉन्च किया जाएगा.

पतंजलि द्वारा लॉन्च किए गए इस ‘दिव्य कोरोना किट’ में तीन तरह की दवाएं होती है. इसमें कोरोनिल टैबलेट के अलावा रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त करने वाली श्वसारी वटी भी मिलेगी. साथ ही नेजल ड्रॉप के तौर पर अणु तेल का भी इस्तेमाल किया गया है. इसे सुबह के वक्त तीन-तीन बूंद नाक में डाला जाता है. इसके बाद खाली पेट श्वसारि की तीन-तीन टैबलेट दी जाती है, जिसमें अकर्करा, रुदन्ति और काकड़ा सिंगी जैसी जड़ी बूटियां शामिल हैं. खाने के बाद मरीज को कोरोनिल की तीन गोलियां दी जाती हैं.

बाबा रामदेव ने बताया कि पतंजलि मेगा स्टोर पर यह दवा तकरीबन 600 रुपये में उपलब्ध होगी. हालांकि जिन गरीब परिवारों के पास इसे खरीदने के लिए 600 रुपये भी नहीं हैं, उन तक इसे मुफ्त पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है. पतंजलि के लैब में 500 वैज्ञानिकों के सहयोग से इस दवा को विकसित किया जा सका है. लॉकडाउन में सिर्फ कर्फ्यू के दिन छोड़ दें तो वैज्ञानिकों ने इसे बनाने में दिन-रात मेहनत की है. पहले आयुर्वेद की दवाओं के प्रभाव को समझने के लिए जानवरों पर रिसर्च नहीं होते थे, लेकिन पतंजलि के लैब में अब जानवरों पर भी दवाओं का टेस्ट किया जाने लगा है. इसमें हम देखते हैं कि आयुर्वेद की दवा का जानवर के लिवर, किडनी, हार्ट और दिमाग पर कैसा असर हो रहा है.

श्वसारि मरीज का रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त करने का काम करती है. कोरोना वायरस के कारण श्वसन तंत्र में होने वाली दिक्कतों को इससे दूर किया जा सकता है. जबकि कोरोनिल बॉडी के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के साथ-साथ डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, शुगर, हृदय समस्या, नर्वस सिस्टम और मानसिक तनाव को दूर करने में मददगार है. इसमें मौजूद गिलोय का तत्व बुखार की समस्या से निजात दिलाता है.

बाबा रामदेव ने कहा कि यह दवा न सिर्फ कोरोना के गंभीर लक्षण वाले रोगियों के इलाज के लिए बनी है, बल्कि जिन लोगों में माइल्ड सिम्टम्स है या जिन लोगों में इसके लक्षण नजर ही नहीं आ रहे हैं. वे भी इसका सेवन कर सकते हैं. दालचीनी, लॉन्ग, पीपली, सोंठ, गिलोय, तुलसी, अदरक, काली मिर्च और मुलैठी का काढ़ा हमने पूरे देश को बताया था. उससे भी घरों में रहकर हजारों लोग ठीक हुए हैं. लेकिन एक साक्ष्यों पर आधारित दवा बनाना चुनौतीभरा कार्य था.

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बाबा रामदेव ने कहा, ‘हमने योग के दम पर कोरोना मरीजों को ठीक होते देखा था और अब आयुर्वेद के जरिए भी लोगों को स्वस्थ्य किया है. ड्रग डिसक्वरी के साइंटिफिक पैरामीटर्स को फॉलो करते हुए कोरोना की आयुर्वेदिक दवा बनाना एक बड़ी उपलब्धि है. क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल में पतंजलि ने एविडेंस पर आधारित रिसर्च पहले भी की है. इससे पहले डेंगू जैसे जानलेवा वायरस पर काबू पाने के लिए जेब्रा फिश पर परीक्षण किया था.’

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