मां काली से मोदी ने मांगा आशीर्वाद : जाग्रत शक्तिपीठ- यहां दान,दंड दोनो देती है महाकाली- यूनेस्को विश्व विरासत की सूची में शामिल इस अदभूत शक्ति पीठ मंदिर में
500 वर्षों के बाद कालिका मंदिर का शिखर ध्वज फहरा कर मां काली से पीएम मोदी ने मांगा जनसेवा करने का आशीर्वाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 18 जून को गुजरात के पंचमहल जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पावागढ़ कालिका मंदिर का लोकार्पण किया. कालिका के दरबार में जो एक बार चला जाता है उसका नाम-पता दर्ज हो जाता है। यहां यदि दान मिलता है तो दंड भी। माता के नाम से एक अलग ही पुराण है, जिसमें उनकी महिमा का वर्णन है। पावागढ़ माताजी के सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन देरोल, गोधरा, वडोदरा —
माना जाता है कि विश्वामित्र ने यहाँ काली माँ की तपस्या की थी और काली की मूर्ति को विश्वामित्र ने ही प्रतिष्ठित किया था। हिन्दू धर्म में मान्य शक्तिपीठ। ‘पावागढ़ शक्तिपीठ’ गुजरात में एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। इस शक्तिपीठ में स्थित काली माँ को ‘महाकाली’ कहा जाता है। माना जाता है कि यहाँ पर सती का वक्षस्थल गिरा था।
“मां, मुझे भी आशीर्वाद दो कि मैं और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक त्याग और समर्पण के साथ देश के जन-जन का सेवक बनकर उनकी सेवा करता रहूं.’
चंद्रशेखर जोशी मुख्य संपादक की रिपोर्ट -9412932030
गुजरात की ऊंची पहाड़ी पावागढ़ पर बसा मां कालिका का शक्तिपीठ सबसे जाग्रत माना जाता है। कालिका माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती के दाहिने पैर की अंगुलियां पावागढ़ पर्वत पर गिरी थी। यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व विरासत की सूची में शामिल कर रखा है.
मां काली से पीएम मोदी ने मांगा जनसेवा करने का आशीर्वाद, मां, मुझे भी आशीर्वाद दो कि मैं और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक त्याग और समर्पण के साथ देश के जन-जन का सेवक बनकर उनकी सेवा करता रहूं.’
माना जाता है जो भी भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जहां कालिका की दक्षिण मुखी प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर 1525 फीट ऊंचाई पर स्थित है।
पावागढ़ की पहाड़ी का संबंध गुरु विश्वामित्र से भी रहा है। मान्यता है कि गुरु विश्वामित्र ने यहां माता काली की तपस्या की थी और उन्होंने ही मूर्ति को स्थापित किया था। यहां बहने वाली नदी का नाम भी उन्हीं के नाम पर विश्वामित्री पड़ा।
पावागढ़ पर्वत की उम्र लगभग 8 करोड़ साल है। यह पहाड़ 40 वर्ग किलोमीटर के घेरे में फैला हुआ है। प्राचीन काल में इस दुर्गम पर्वत पर चढ़ाई करना असंभव था। चारों तरफ खाइयों से घिरे होने के कारण यहां हवा का वेग भी हर तरफ बहुत ज्यादा रहता था, इसलिए इसे पावागढ़ कहा जाने लगा। यानी, ऐसी जगह जहां पवन (हवा) का वास हमेशा एक जैसा हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 18 जून 22 को गुजरात के पावागढ़ में श्री कालिका माता के पुनर्विकसित मंदिर का दर्शन और उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, सपना जब संकल्प बन जाता है और संकल्प जब सिद्धि के रूप में नजर के सामने होता है। इसकी आप कल्पना कर सकते हैं। आज का ये पल मेरे अंतर्मन को विशेष आनंद से भर देता है। कल्पना कर सकते हैं कि 5 शताब्दी के बाद और आजादी के 75 साल के बाद तक मां काली के शिखर पर ध्वजा नहीं फहरी थी, आज मां काली के शिखर पर ध्वजा फहरी है। ये पल हमें प्रेरणा और ऊर्जा देता है और हमारी महान संस्कृति एवं परंपरा के प्रति हमें समर्पित भाव से जीने के लिए प्रेरित करता है।
पीएम मोदी ने आगे कहा, आज सदियों बाद पावागढ़ मंदिर में एक बार फिर से मंदिर के शिखर पर ध्वज फहरा रहा है। ये शिखर ध्वज केवल हमारी आस्था और आध्यात्म का ही प्रतीक नहीं है! ये शिखर ध्वज इस बात का भी प्रतीक है कि सदियां बदलती हैं, युग बदलते हैं, लेकिन आस्था का शिखर शाश्वत रहता है। अयोध्या में आपने देखा कि भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है, काशी में विश्वनाथ धाम हो या मेरे केदार बाबा का धाम हो आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुनर्स्थापित हो रहे हैं आज नया भारत अपनी आधुनिक आकांक्षाओं के साथ साथ अपनी प्राचीन पहचान को भी जी रहा है, उन पर गर्व कर रहा है। आज का ये अवसर सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का भी प्रतीक है।
अभी मुझे मां काली मंदिर में ध्वजारोहण और पूजा-अर्चना का भी अवसर मिला है। मां काली का आशीर्वाद लेकर विवेकानंद जी जनसेवा से प्रभुसेवा में लीन हो गए थे। मां, मुझे भी आशीर्वाद दो कि मैं और अधिक ऊर्जा के साथ, और अधिक त्याग और समर्पण के साथ देश के जन-जन का सेवक बनकर उनकी सेवा करता रहूं। मेरा जो भी सामर्थ्य है, मेरे जीवन में जो कुछ भी पुण्य हैं, वो मैं देश की माताओं-बहनों के कल्याण के लिए, देश के लिए समर्पित करता रहूं। माता के दरबार का कायाकल्प और ध्वजारोहण, मैं समझता हूं कि हम भक्तों और शक्ति उपासकों के लिए इससे बड़ा उपहार क्या हो सकता है। मां के आशीर्वाद के बिना ये संभव भी कहां हो सकता है।
मान्यता है कि पावागढ़ माता का मंदिर भगवान श्रीराम के समय का है। राम के पुत्र लव और कुश समेत कई ऋषि मुनियों और बौद्ध भिक्षुओं ने यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया था। किसी समय में इस मंदिर को शत्रुंजय मंदिर के नाम से जाना जाता था यानी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला मंदिर कहा जाता था।
गुजरात के पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी की चोटी पर कालिका माता का मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था. आक्रांता सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं सदी में चम्पानेर पर हमले के दौरान इस मंदिर के शिखर को ध्वस्त कर दिया था. इसके साथ ही वहां पर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी. चूंकि मंदिर के शिखर पर दरगाह मैनेजमेंट का कब्जा था. इसलिए इतने सालों तक वहां पर कोई शिखर या खंभा भी नहीं लगाया जा सका था, जिससे मंदिर की पताका फहराई जा सके. ऐतिहासिक महत्व का यह मंदिर चम्पानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क का हिस्सा है. यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व विरासत की सूची में शामिल कर रखा है. कालिका मंदिर के ट्रस्टी अशोक पांड्या ने बताया कि मंदिर के शिखर से दरगाह को शिफ्ट करने के लिए मुस्लिम पक्ष से कई दौर की बातचीत की गई. दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों ने इस अनुरोध को मान लिया. मंदिर का ऊपरी शिखर खाली कर, पीर सदनशाह की दरगाह को पास की एक सौहार्दपूर्ण बस्ती में शिफ्ट कर दिया गया, जिसके बाद मंदिर का पताका फहराने के लिए खंभा लगाने का मार्ग प्रशस्त हो सका. पीएम मोदी ने 500 वर्षों के बाद कालिका मंदिर का शिखर ध्वज फहराया.
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