हिमालयायूके का आंकलन- यह बन सकते है राष्ट्रपति- जबकि कोविंद का दोबारा आना नामुकिन

वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) 24 जुलाई 2022 को सेवानिवृत्त :नायडू उपराष्ट्रपति पद से अगले वर्ष 10 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे. पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जब नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री बनाया गया तो सभी बीजेपी और नीतीश कुमार के जेडीयू के बीच डील की बात कर रहे थे कि नीतीश के बाद बिहार में मुख्यमंत्री बीजेपी के किसी नेता को बनाया जाएगा और नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत किया जाएगा.

रोचक होगा यह देखना कि अगला राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति क्या इन्हीं तीन लोगों में से कोई होगा या फिर प्रतिभा पाटिल और रामनाथ कोविंद की तरह किसी ऐसे नेता की लाटरी लग जायेगी जो इस समय इस पद के बारे में सपने में भी नहीं सोच रहा होगा!

कौन बनेगा देश का अगला राष्ट्रपति- रामनाथ कोविंद का दोबारा चुना जाना मुश्किल :वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) 24 जुलाई 2022 को सेवानिवृत्त हो जायेंगे.  अगले राष्ट्रपति के नामों पर चर्चा शुरू हो गई है। इनमें रतन टाटा (Ratan Tata) का नाम भी शामिल है। एनडीए के साथ ही यूपीए भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर सकता है। विपक्षी दलों की ओर से सबसे बड़ा नाम शरद पवार का है। हालांकि पवार ने अब तक तो इन्कार किया है। वहीं राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू का नाम दौड़ में है। एनडीए की ओर से एक अन्य नाम केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का है। नीतीश कुमार का नाम भी चर्चा में है, लेकिन कहा जा रहा है कि उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त हो रहा है। इस बीच, अगले राष्ट्रपति के नामों पर चर्चा शुरू हो गई है। इनमें रतन टाटा (Ratan Tata) का नाम भी शामिल है।  अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा भले ही मीडिया से गायब हो लेकिन राजनीतिक पार्टियों के अंदर इसे लेकर रणनीति बननी शुरू हो गई है. जाहिर सी बात है NDA के पास पूर्ण बहुमत है इसलिए राष्ट्रपति भी NDA का ही होगा. लेकिन NDA में वह कौन होगा फिलहाल इस पर मंथन चल रहा है. Himalayauk Newsportal Execlusive Chandra Shekhar Joshi Editor

देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, इसका फैसला करने में उत्तर प्रदेश अहम भूमिका निभा सकता है। मौजूदा स्थिति में एनडीए आगे है, लेकिन यूपीए भी बहुत पीछे नहीं है। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, सांसदों और विधायकों का मौजूदा वोट प्रतिशत देखें तो एनडीए 49.9% पर है। यूपीए के पास 25.3% वोट है तो अन्य के पास 24.8% वोट हैं। अभी इलेक्टोरल कॉलेज के हिसाब से यूपी में सबसे बड़ा हिस्सा भाजपा के पास है। सबसे बड़ा प्रदेश होने के कारण यूपी के विधायकों का कुल वोट प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा 15.26 फीसदी है।

वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम में एक कम्मू(कायस्थ परिवार) में हुआ था  उन्होंने वी.आर. हाई स्कूल, नेल्लोर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वी.आर. कॉलेज से राजनीति तथा राजनयिक अध्ययन में स्नातक किया। वे स्नातक प्रतिष्ठा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये। तत्पश्चात उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुये। कुछ दिनों तक वे आंध्र प्रदेश के छात्र संगठन समिति के संयोजक भी रह चुके हैं।

इंटरनेट मीडिया पर कैम्पेन चलाकर रतन टाटा को देश का अगला राष्ट्रपति बनाए जाने की अपील की जा रही है। ट्विटर पर #RatanTata4President अभियान शुरू किया गया है। तमिल फिल्मों के सबसे बडे़ निर्माता नागा बाबू ने भी रतन टाटा को राष्ट्रपति बनाए जाने का समर्थन किया है। रतन टाटा के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी साख बहुत अच्छी है, इसलिए वह इस पद के योग्य हैं। बरहाल, रतन टाटा की ओर से अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

देश के अगले राष्ट्रपति को लेकर विपक्षी दलों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। वैसे संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई शख्स लगातार दो टर्म के लिए इस पद पर नहीं रह सकता, लेकिन हर पांच साल बाद नया राष्ट्रपति चुने जाने की परंपरा बन गई है। बता दें, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ही लगातार दो बार इस पद पर चुने गए थे। उनके बाद किसी और को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। एक बात और है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष से अधिक आयु के नेता को पद दिए जाने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में रामनाथ कोविंद का दोबारा चुना जाना मुश्किल लग रहा है। महामहिम कोविंद 1 अक्टूबर को 76 वर्ष के हो जाएगे।.

 नायडू के राष्ट्रपति चुने जाने में कोई बाधा नहीं आएगी, क्योकि अभी एनडीए को बहुमत हासिल है. पर इस सम्भावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि मोदी पिछली बार की तरह ही किसी दूसरे प्रत्याशी को सामने ले आये. इतना तो तय है कि एनडीए का प्रत्याशी जो भी होगा वह बीजेपी से ही होगा. अगर राज्यों के राज्यपालों की सूची पर नज़र डालें तो उसमें सबसे चिरपरिचित नाम केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का है. बीजेपी के अन्दर लोगों का मानना है कि आरिफ मोहम्मद खान अगर राष्ट्रपति नहीं बने तो उन्हें उपराष्ट्रपति ज़रूर बनाया जायेगा. खान कानून और संविधान के विशेषग्य माने जाते हैं और उनके मार्फ़त हो सकता है कि बीजेपी गैर-दकियानूसी मुस्लिम मतदाताओं को 2024 के आम चुनाव के लिए आकर्षित करने की कोशिश करे.

 माना जा रहा है कि एनडीए के साथ ही यूपीए भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर सकता है। विपक्षी दलों की ओर से सबसे बड़ा नाम शरद पवार का है। हालांकि पवार ने अब तक तो इन्कार किया है। वहीं राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू का नाम दौड़ में है। एनडीए की ओर से एक अन्य नाम केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का है। नीतीश कुमार का नाम भी चर्चा में है, लेकिन कहा जा रहा है कि उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा।

अगले वर्ष फरवरी-मार्च में पांच राज्यों (Five States) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के ठीक बाद एक और चुनाव होने वाला है, जिसकी अभी कोई चर्चा नहीं हो रही है. शायद इसलिए कि उसमें जीत किसकी होगी इस बारे में शंका की कोई गुंजाइश नहीं है. वह चुनाव है भारतीय गणतंत्र के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव (15th President Election). वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) 24 जुलाई 2022 को सेवानिवृत्त हो जायेंगे. हालांकि, संविधान में ऐसा प्रावधान नहीं है कि कोई भी व्यक्ति को उस पद पर दुबारा ना चुना जाए, पर पांच साल के कार्यकाल के बाद राष्ट्रपति (President) की सेवानिवृति की एक परंपरा सी बन गयी है. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ही लगातार दो बार इस पद पर चुने गए थे. उनके बाद किसी और को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ.

अब तक के एकलौते गैर-कांग्रेसी राष्ट्रपति बने. भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी गैर-कांग्रेसी थे, पर उन्हें वामदलों को छोड़ कर अन्य सभी दलों का समर्थन प्राप्त था, और उनका चुनाव सिर्फ सांकेतिक था. वर्तमान सरकार अगर चाहे तो इस परंपरा से हट भी सकती है, पर इस बात की सम्भावना कम ही दिखती है कि कोविंद को फिर से एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा. वैसे भी मोदी ने एक अलिखित नियम बना दिया है कि 75 वर्ष से अधिक आयु के नेता को पद नहीं दिया जएगा. कोविंद 1 अक्टूबर को 76 वर्ष के हो जायेंगे, यानि इस नियम के अनुसार वह रेस से बाहर हो जायेंगे, जैसे कि लाल कृष्ण अडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी के बारे में 2017 में कोई चर्चा भी नहीं हुयी.

एनडीए की स्थिति और सुदृढ़ ही हुयी है, इसलिए एनडीए जिसे भी इस पद के लिए मनोनीत करेगा उसकी जीत पक्की है. सवाल सिर्फ यही है कि कौन बनेगा भारत का अगला राष्ट्रपति? इस सूची में सबसे पहले जिसका नाम हो सकता है वह हैं वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का. नायडू पूर्व में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, वाजपेयी और मोदी सरकार में मंत्री भी रहे और अगले वर्ष जुलाई में 73 वर्ष के ही होंगे. उनके चुने जाने की स्थिति में 75 वर्ष के नियम का उल्लंघन भी नहीं होगा. नायडू जब 2017 में उपराष्ट्रपति चुने गए तो ज्यादातर लोगों का मानना था कि उन्हें राष्ट्रपति बनना चाहिए था और रामनाथ कोविंद को उपराष्ट्रपति. जहां नायडू को पूरा देश जानता था, कोविंद के बारे में लोगों को कम ही पता था. बहरहाल, बीजेपी ने जो फैसला लिया उसपर कोई विवाद नहीं हुआ और कोविंद बड़े आसानी से विपक्ष की प्रत्याशी मीरा कुमार को हरा कर राष्ट्रपति पद के लिए चुन लिए गए.

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