इस कटौती से सरकार के पास 7900 करोड़ रुपये आएंगे- देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं

6 April: 2020: High Light # Himalayauk Bureau # सांसदों की सैलरी, भत्तों, पेंशन आदि में एक साल के लिये 30 फ़ीसदी की कटौती # अगले दो महीने में बहुत बड़ी संख्या में मास्क, ग्लव्स, गोगल्स जैसे पीपीई उपकरण, टेस्ट किट और वेंटिलेटर की ज़रूरत # 2 करोड़ 70 लाख एन95 मास्क, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के उपकरणों वाले एक करोड़ 50 लाख पीपीई किट, 16 लाख टेस्ट किट और 50 हज़ार वेंटिलेटर # देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं # राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और कई राज्यों के राज्यपाल-उप राज्यपाल का भी स्वैच्छिक रूप से अपनी सैलरी में कटौती करने का फ़ैसला # हर सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपये सरकार से मिलते हैं. # इस फंड को हटाने पर सरकार के पास 7900 करोड़ रुपये आएं ##

कोरोना वायरस के संकट से लड़ने के लिये सभी सांसदों की सैलरी, भत्तों, पेंशन आदि में एक साल के लिये 30 फ़ीसदी की कटौती होगी। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इससे संबंधित अध्यादेश पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को इस बारे में बताया। 

अगले दो महीने में बहुत बड़ी संख्या में मास्क, ग्लव्स, गोगल्स जैसे पीपीई उपकरण, टेस्ट किट और वेंटिलेटर की ज़रूरत – देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं – कोरोना वायरस का संक्रमण जिस तेज़ी से फैल रहा है उसको देखते हुए सरकार ने ही अनुमान लगाया है कि अगले दो महीने में बहुत बड़ी संख्या में मास्क, ग्लव्स, गोगल्स जैसे पीपीई उपकरण, टेस्ट किट और वेंटिलेटर की ज़रूरत होगी। इसमें 2 करोड़ 70 लाख एन95 मास्क, स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के उपकरणों वाले एक करोड़ 50 लाख पीपीई किट, 16 लाख टेस्ट किट और 50 हज़ार वेंटिलेटर शामिल हैं। हालाँकि यह आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गई है और यह ख़बर मीडिया रिपोर्टों में छन-छन कर बाहर आई है। यह ख़बर तब आई है जब देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और ऐसे में हर रिपोर्ट में यह बात कही जा रही है कि कोरोना से लड़ने के लिए तैयारी पुख्ता की जानी चाहिए। क्योंकि यह वायरस काफ़ी ज़्यादा संक्रामक है और यह तेज़ी से फैलता है इसलिए इस वायरस से पीड़ित बीमार के इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बड़ी चिंता की वजह है। चिंता का कारण इसलिए भी है क्योंकि उनके लिए ज़रूरी मास्क, ग्लव्स, कवरॉल जैसे सुरक्षा के उपकरणों की भारी कमी की ख़बरें आ रही हैं। कई जगहों से ऐसी ख़बर भी आई थी कि क्योंकि कवरॉल नहीं थे तो रेनकोट पहनकर इलाज किया जा रहा था। एक जगह से ख़बर आई थी कि डॉक्टर हेलमेट पहनकर इलाज कर रहे थे। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और कई राज्यों के राज्यपाल-उप राज्यपाल का भी स्वैच्छिक रूप से अपनी सैलरी में कटौती करने का फ़ैसला ; केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर  ने कहा कि सांसद अधिनियम, 1954 के तहत 1 अप्रैल, 2020 से सैलरी, भत्ते और पेंशन में 30 फ़ीसदी की कटौती होगी। इसके अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और कई राज्यों के राज्यपाल-उप राज्यपाल ने भी स्वैच्छिक रूप से अपनी सैलरी में कटौती करने का फ़ैसला लिया है। जावड़ेकर ने कहा कि इस रकम को भारत सरकार की समेकित निधि में जमा किया जायेगा और इसका इस्तेमाल कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने में किया जायेगा। 

 लोकसभा और राज्यसभा के हर सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपये सरकार से मिलते हैं. इसे MPLAD फंड कहा जाता है. 2 साल के लिए इस फंड को हटाने पर सरकार के पास 7900 करोड़ रुपये आएंगे. ये पैसा भारत सरकार के Consolidated Fund में जाएगा. इस रकम का इस्तेमाल कोरोना से लड़ने में किया जाएगा. जावड़ेकर ने यह भी जानकारी दी कि सांसद निधि को 2022 तक के लिये ख़त्म कर दिया गया है। इसके तहत हर सासंद के 10 करोड़ रुपये को राष्ट्र निर्माण के काम में लगाया जायेगा। 

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ने के लिये बहुत धन की आवश्यकता होगी। ऐसे में केंद्र सरकार के इस फ़ैसले को बेहद अहम माना जा रहा है। क्योंकि बड़ी संख्या में एन95 मास्क, पीपीई किट, सर्जिकल ग्लव्स, वेंटिलेटर, टेस्ट किट और दूसरी ज़रूरी चीजों के लिये पैसे की आवश्यकता होगी। इसके लिये भारत सरकार पीएम केयर्स फ़ंड के जरिये भी पैसा जुटा रही है। 

वही दूसरी ओर

ऐसी भी ख़बरें आती रही हैं कि टेस्ट किट की भारी कमी है और इस कारण संक्रमण के संभावित मरीजों की जाँच पूरी नहीं हो पा रही है। प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी तब यह बात सामने आई थी जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्होंने एक लाख किट माँगे थे, लेकिन सिर्फ़ 4 हज़ार ही दिए गए हैं। जिन मरीजों की हालत ज़्यादा बिगड़ेगी उनके लिए वेंटिलेटर काफ़ी महत्वपूर्ण होंगे, लेकिन देश में इसकी भारी कमी है। इसके लिए आलोचना की जाती रही है कि सरकार ने पहले से तैयारी नहीं की। 

कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने और स्वास्थ्य व्यवस्था में इन्हीं खामियों के बीच इन उपकरणों की ज़रूरत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने ख़बर दी है कि यह अनुमान अधिकार प्राप्त अधिकारियों के समूह की 3 अप्रैल की बैठक में लगाया गया है। इस समूह का नेतृत्व नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत कर रहे हैं। यह बैठक निजी क्षेत्र, एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से समन्वय कायम करने के संदर्भ में थी। इस अनुमान को उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ साझा किए गए। बैठक में फिक्की के प्रतिनिधि भी शामिल थे। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अनुमान लगाए गए इन उपकरणों की खरीद के लिए आगे की कार्यवाही की जा रही है। रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि जून तक के लिए जिन 50 हज़ार वेंटिलेटर का अनुमान लगाया गया है उनमें से 16 हज़ार पहले से ही उपलब्ध हैं और 34 हज़ार के लिए ऑर्डर दे दिया गया है। वेंटिलेटर के अलावा पीपीई और दूसरे उपकरणों की विदेशों से खरीद की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विदेश मंत्रालय को भी जोड़ा गया है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र से जुड़े उद्योग के प्रतिनिधि यह जानना चाहते थे कि अगले 6-12 महीने में इन उपकरणों की कितनी माँग रहेगी क्योंकि इसी के अनुसार वे इसको बनाने की योजना बनाएँगे और इसमें पैसे लगाएँगे। बता दें कि सरकार ने 19 मार्च से मास्क, ग्लव्स, कवरॉल जैसे उपकरणों और 24 मार्च से वेंटिलेटर से निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। 24 मार्च को ही देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। अधिकार प्राप्त अधिकारियों के समूह में अमिताभ कांत के अलावा अलग-अलग मंत्रालयों में सचिव, संयुक्त सचिव, उप सचिव स्तर के छह और अफ़सर शामिल हैं। 

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