जब बहुत ज़रूरी हो, तभी घर से बाहर निकलें- प्रधानमंत्री का संबोधन- & आखिर कुदरत ने क्यो भयभीत कर दिया
मोदी ने संबोधन में कहा , ‘मैं प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। मैं लोगों से ‘जनता कर्फ्यू’ मांग रहा हूं। 22 मार्च यानी रविवार को लोग अपने घरों में ही रहें। & वर्तमान दिन, हथियार आयुध, कार्यप्रणाली विफल हो गए हैं और दुनिया खतरे में -पूरी दुनिया को खतरनाक मोड़ पर – भारत में सभी शंकराचार्यों से इस आपदा की घड़ी में अपनी चुप्पी तोड़कर कोरोना वायरस को हराने व ध्वस्त का आग्रह – पैंथर्स सुप्रीमो का चुप्पी तोड़ने का आग्रह #Himalayauk Execlusive Report
भारत में तेज़ी से पैर फैला रहे कोरोना वायरस के संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात 8 बजे देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना वायरस की महामारी से बचने के लिये प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना बेहद आवश्यक है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि लोगों को इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने सावधानी बरतने पर ज़ोर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से बचने के लिये आपको पूरा योगदान देना है और मानव जाति और भारत की जीत के लिये, ऐसा करना ज़रूरी है।
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मोदी ने संबोधन में कहा, ‘जो सरकारी नौकरी में हैं, जनप्रतिनिधि हैं, मीडियाकर्मी हैं, उनकी सक्रियता बेहद ज़रूरी है। लेकिन समाज के बाक़ी लोगों को ख़ुद को समाज से आइसोलेट कर लेना चाहिए। मेरा सीनियर सिटीजन से आग्रह है कि 60-65 साल से ऊपर के लोग घर से बाहर न निकलें।’
लगता है प्रकृति ने मानवता पर रीसेट बटन दबाया है;;शायद प्रकृती हमसे कुछ कहना चाहती हो
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की प्रस्तुति-
कोरोना वायरस (कॉविड-19) के सकारात्मक प्रभाव क्या हैं? पृथ्वी कितनी तेजी से बेहतर स्थिति में लौटने लगी है, मतलब पृथ्वी ने बिल्कुल भी समय नहीं गंवाया।
वेनिस की नहरों में लम्बे अरसे के बाद साफ पानी देखने को मिला है। डॉल्फ़िन्स भी नजर आ रही हैं। लगता है प्रकृति ने मानवता पर रीसेट बटन दबाया है। कोविड-19 एक बुरी चीज है, आशा है कि हम इससे जल्द ही छुटकारा पा लेंगे, लेकिन इस भीषण पीड़ा के बावजूद, प्रदूषण में कमी दिखना एक सकारात्मक बात है। नासा से प्राप्त सलग्न फोटो को जारी किया गया है-
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘साथियों, आपसे मैंने जो भी मांगा है, आपने मुझे कभी निराश नहीं किया है। अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं, आपको कुछ नहीं होगा और कोरोना से बचे रहेंगे तो यह सोच सही नहीं है। ऐसा करके हम अपने साथ, अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। इसलिये मेरा सभी देशवासियों से यह आग्रह है कि जब बहुत ज़रूरी हो, तभी घर से बाहर निकलें। चाहे आपका काम बिजनेस से जुड़ा हो, ऑफ़िस से जुड़ा हो, हो सके तो घर से ही काम करें।’
मोदी ने कहा, ‘मैं प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। मैं लोगों से ‘जनता कर्फ्यू’ मांग रहा हूं। 22 मार्च यानी रविवार को लोग अपने घरों में ही रहें। जो लोग आवश्यक सेवा से जुड़े हैं, उन्हें जाना ही पड़ेगा। लेकिन बाक़ी लोग इसका पालन करें। 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ की सफलता हमें आगे की चुनौतियों के लिये तैयार करेगी। मैं सभी राज्य सरकारों से इसमें सहयोग की अपील करता हूं।’ मोदी ने कहा कि सभी लोग ‘जनता कर्फ्यू’ का संदेश एक-दूसरे तक पहुंचाएं और उन्हें जागरूक करें।
मोदी ने कहा, ‘आपके इन प्रयासों के बीच ‘जनता कर्फ्यू’ के दिन मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं। पिछले दो महीने से सैकड़ों लोग काम में जुटे हुए हैं। इनमें रेलवे, बस, ऑटो की सुविधा से जुड़े लोग, मीडियाकर्मी, सरकारी कर्मचारी, अस्पतालों में काम कर रहे और कई अन्य लोग शामिल हैं। ये सभी लोग दूसरों की सेवा में जुटे हुए हैं। ये लोग अपने संक्रमित होने का ख़तरा भी मोल लेते हैं। 22 मार्च को हम इन लोगों को धन्यवाद अर्पित करें। हम अपने घर के दरवाज़े पर खड़े होकर शाम को 5 बजे 5 मिनट तक ताली बजाकर, घंटी बजाकर, थाली बजाकर इन लोगों का आभार व्यक्त करें। नगर निकाय इसकी सूचना सायरन से लोगों तक पहुंचाएं।’
प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘साथियों इस वैश्विक महामारी का अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा है। भारत सरकार ने COVID-19 टास्क फ़ोर्स के गठन का फ़ैसला लिया है। यह टास्क फ़ोर्स इस महामारी को लेकर भविष्य के क़दमों के बारे में फ़ैसला लेगी।’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘दवाओं की कमी न हो, इसके लिये सरकार ज़रूरी क़दम उठा रही है। मेरा सभी देशवासियों से आग्रह है कि ज़रूरी सामान इकट्ठा करने की होड़ न करें। पिछले दो महीनों में 130 करोड़ भारतीयों ने इस संकट को अपना संकट माना है। आने वाले समय में भी हमको इस संकट से निपटने के लिये तैयार रहना होगा। सभी देशवासियों को दृढ़ संकल्प के साथ इस कठिनाई का मुक़ाबला करना होगा।’
वर्तमान दिन, हथियार आयुध, कार्यप्रणाली विफल हो गए हैं और दुनिया खतरे में -पूरी दुनिया को खतरनाक मोड़ पर – भारत में सभी शंकराचार्यों से इस आपदा की घड़ी में अपनी चुप्पी तोड़कर कोरोना वायरस को हराने व ध्वस्त का आग्रह – पैंथर्स सुप्रीमो का चुप्पी तोड़ने का आग्रह
नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक एवं
मोटरसाइकल पर 1967-1973
तक विश्व शांति यात्रा करने वाले प्रो. भीम सिंह ने भारत में
सभी शंकराचार्यों से इस आपदा की घड़ी में अपनी चुप्पी तोड़कर कोरोना वायरस को
हराने व ध्वस्त का आग्रह किया, जिसने पूरी दुनिया को खतरनाक मोड़ पर खड़ा कर दिया
है, जिससे
मानवता के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।
कई अन्य प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ पैंथर्स सुप्रीमो
ने हिंदू, इस्लाम, ईसाई, यहूदी, बौद्ध, सिख धर्मों और अन्य सभी
संप्रदायों के प्रमुखों और धार्मिक प्रचारकों से अपील की है कि वे दुनिया में
कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के खिलाफ सामूहिक/संयुक्त रूप से बिना किसी देरी के कदम
उठाएं, जिससे
अन्य सभी वर्तमान दिन, हथियार आयुध, कार्यप्रणाली विफल हो गए हैं और दुनिया खतरे में है।
प्रो. भीम सिंह ने दुनिया में कहीं भी राजनेताओं व शासकों से
धार्मिक संस्थानों, मस्जिदों, मंदिरों, गिरजाघरों, यहूदी उपसानागृहों, गुरुद्वारों और अन्य सभी
आध्यात्मिक स्थलों पर जाने की भूमिका निभाई है। उन्होंने दुनिया में कहीं भी
वर्तमान शासकों से आग्रह किया कि वे उपासकों, पुजारियों, तीर्थयात्रियों या किसी
भी अन्य धार्मिक स्थल के आंदोलन में हस्तक्षेप न करें और उपासकों को अपने संबंधित
धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति दें।
प्रो. भीम सिंह ने शासकों से अपील की कि वे दुनिया में कहीं भी
अपने-अपने धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए स्वतंत्र हों, क्योंकि आदमी और उसकी
मशीनें विफल हो गई हैं और यह केवल प्रकृति है, जो मानवता को लंबित आपदा से बचा
सकती है। इस पीड़ा से मानवता को बचाने के लिए हम सभी प्रार्थना करते हैं।
भगवान/प्रकृति ही एक रास्ता है।
राजस्थान प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष श्री अनिल शर्मा ने देश व विदेश में बढ़ते कोरोना वायरस से पीडि़त मरीजों की संख्या पर चिंता जताते हुए राजस्थान सरकार से आग्रह किया कि प्रदेशवासियों को भी समय रहते हुए इस माहामारी पर काबू पाने के लिए उचित कदम उठाकर योजना बनाए, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में भी कोरोना वायरस का खतरा मंडराने का खतरा है।
उन्होंने कहा कि समस्त देशवासियों को अपनी सुरक्षा एवं बचाव का स्वयं ध्यान रखना होगा और केन्द्र सरकार को भी देशवासियों को इस माहामारी बचाने में ठोस योजना बनानी होगी, जिससे इस भंयकर महामारी से पूर्णरूप से निजात मिल सके, जिससे लोग भयभीत हैं।
लगता है प्रकृति ने मानवता पर रीसेट बटन दबाया है;;शायद प्रकृती हमसे कुछ कहना चाहती हो
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की प्रस्तुति-
कोरोना वायरस (कॉविड-19) के सकारात्मक प्रभाव क्या हैं? पृथ्वी कितनी तेजी से बेहतर स्थिति में लौटने लगी है, मतलब पृथ्वी ने बिल्कुल भी समय नहीं गंवाया।
वेनिस की नहरों में लम्बे अरसे के बाद साफ पानी देखने को मिला है। डॉल्फ़िन्स भी नजर आ रही हैं। लगता है प्रकृति ने मानवता पर रीसेट बटन दबाया है।
कोविड-19 एक बुरी चीज है, आशा है कि हम इससे जल्द ही छुटकारा पा लेंगे, लेकिन इस भीषण पीड़ा के बावजूद, प्रदूषण में कमी दिखना एक सकारात्मक बात है। नासा से प्राप्त सलग्न फोटो को जारी किया गया है-
वही दूसरी ओर धार्मिक विद्वान इस मामले पर कुछ दूसरा ही पहलू दिखातेे है कि-
किसी ने क्या खूब लिखा है “कुछ तो छिपा है इस मंजर के दौर में” ; “करोना”; कुछ तो करो ना: आखिर कुदरत ने क्यो भयभीत कर दिया – शायद प्रकृती हमसे कुछ कहना चाहती हो
*अपनो से, अपने आप से, मुलाकात “करो ना”* !
मानो या ना मानो, कोई तो दिव्यशक्ती है, जो आपसे, मुझसे, हम सबसे ज्यादा बड़ी है! जो आपसे और मुझसे कहीं ज्यादा समझती और समझा सकती है!
क्या पता इस तेज *वायरस* के भय में ज़िन्दगी का कोई ऐसा सच़ छुपा हो, जो आप और मैं, अब तक नकार रहे थे ?
शायद प्रकृति हम से कुछ कहना चाह रही थी पर जीवन की पागल आपा-धापी में हमें वक्त ही नहीं मिलता की हम उसकी या किसी की, कुछ भी सुने।
हो सकता है कि, ये *वायरस* हमें फिर जोड़ने आया है – अपनी धरा से, अपनों से और अपने आप से!
शायद हवाई जहाज का कार्बन कम हो तो आकाश भी अपने फेफड़ों में ऑक्सीजन भर पाएगा।
शॉपिंग मॉल, सिनेमा घरों में कुछ दिन के लिए ताले लगे तो शायद दिल के ताले स्वतः ही खुल जाएंगे।
*हो सकता है किताब के पन्नों में सिनेमा से अधिक रस मिले। बच्चों को अपने जीवन के किस्से सुनाने का और उनसे उनकी मासूम कहानियां सुनने का आपको वक्त मिले!*
*लूड़ो की बाज़ी या कैरम की गोटियां आपको अपनो के करीब ला दे।*
शायद पता चल जाए, घर के खाने में रेस्टोरेंट के खाने से ज्यादा स्वाद है।
हो सकता है जो हो रहा है उस में एक अद्भुत सत्य छुपा है।
ये *वायरस* शायद हमसे कुछ कहने आया है, कुछ करवाने आया है।
*कुछ दिनों के लिए ही सही, बेबस होकर ही सही, भयभीत होकर ही सही, हम अपनी प्रकृति से, अपनो से, अपने आप से, एक बार मुलाकात तो करेंगे*
केवल प्रस्तुति “हिमालयायूके”