देेेश,दुनिया लड रही है कोरोना से- मध्य प्रदेश में सत्ता के लिए कोर्ट और बाहर जंग जारी

मध्य प्रदेश की सत्ता को हासिल करने और उसे बचाये रखने में जुटी बीजेपी और कांग्रेस के अधिवक्ताओं के बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जोरदार बहस हुई। कांग्रेस की ओर से दलील दी गई कि उसके विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफ़ा देने के बाद पैदा हुआ सियासी संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। अब इस मामले में कल फिर सुनवाई होगी। दूसरी ओर, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने उन्हें कांग्रेस के बाग़ी विधायकों से मिलने की अनुमति देने की मांग की थी। लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को रद्द कर दिया है। 

बेंगलुरू में मौजूद 16 विधायकों से ही कमलनाथ सरकार के बने रहने या नहीं रहने का फैसला होना है, इसलिए इन्हें लेकर आर-पार की लड़ाई छिड़ रही है.

सुप्रीम कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कोई फैसला तो नहीं सुनाया और गुरुवार सुबह साढ़े 10 बजे एक फिर सुनवाई होगी. लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणियां अहम रहीं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि स्पीकर ने 16 बागियों के इस्तीफे पर कोई फैसला क्यों नहीं किया. अगर स्पीकर संतुष्ट नहीं तो इस्तीफों को नामंजूर कर सकते हैं. अदालत ने ये भी टिप्पणी की कि अगर बजट पास नहीं होगा तो राज्य का काम कैसे चलेगा? कोर्ट क्या फैसला देगा ये तो बाद में पता चलेगा, लेकिन कमलनाथ सरकार को बचाने का दांव आज कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने चल दिया. वो बेंगलुरू में हैं और राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर बागी विधायकों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. कमलनाथ सरकार को बचाने का जिम्मा अब दिग्विजय सिंह ने खुद अपने कंधों पर ले लिया है. बागी विधायकों से मिलने की कोशिश के दौरान दिग्विजय सिंह को कर्नाटक पुलिस ने हिरासत में लिया फिर छोड़ा, लेकिन दिग्विजय मैदान छोड़ने को तैयार नहीं हैं. बता दें कि कांग्रेस के 16 बागी विधायक बेंगलुरु के रिजॉर्ट में हैं.

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देेेश,दुनिया लड रही है कोरोना से- मध्य प्रदेश में सत्ता के लिए कोर्ट और बाहर जंग जारी ;चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस ने दुनिया के सौ से अधिक देशों में पांव पसार लिए हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं. पिछले चंद दिनों के अंदर कोरोना वायरस के मामले 100 का आंकड़ा पार कर चुके हैं. वहीं, देश में अब तक 154 लोग कोरोना से संक्रमित पाए जा चुके हैं. सरकार ने एहतियातन यूरोपीय देशों, ब्रिटेन और तुर्की से भारतीय पासपोर्ट धारकों के आने पर भी रोक लगा दी है. तमाम मंदिर और पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए हैं. इन सबके बीच अब विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कोरोना से कैसे निपटें, यह सुझाव दिया. साथ ही सरकार पर सवाल भी उठाए.

कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अदालत में दलील दी कि बीजेपी अपनी ताक़त का दुरुपयोग करके लोकतंत्र को ख़त्म करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बीजेपी पर विधायकों का अपहरण करने और कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया। दवे ने कहा कि राज्यपाल लाल जी टंडन के द्वारा फ़्लोर टेस्ट बुलाये जाने के लिये कहना असंवैधानिक है। दवे ने कहा, ‘क्या यह लोकतंत्र है, जहां विधायकों का अपहरण कर लिया जाता है।’ दवे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे का भी उल्लेख किया। 

बीजेपी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विश्वास मत को टालने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसे इसमें जीत की उम्मीद नहीं है। रोहतगी ने कांग्रेस पर इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी पार्टी को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। रोहतगी ने दलील दी कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं और उन पर संविधान के तहत सरकार चलाने की जिम्मेदारी है। 

दो जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों के इस्तीफ़े के मामले की जांच करना स्पीकर एन.पी.प्रजापति का दायित्व है। कांग्रेस ने अपनी याचिका में कहा है कि अदालत बेंगलुरू में कथित रूप से बंधक बनाये गये उसके विधायकों को छुड़ाने में मदद करे। कांग्रेस का कहना है कि जब तक सभी विधायक सदन में मौजूद नहीं होंगे, ढंग से बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता। 

राज्यपाल लाल जी टंडन ने कमलनाथ सरकार से सोमवार को फ्लोर टेस्ट कराने के लिये कहा था। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण का हवाला देते हुए विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया था। इसके ख़िलाफ़ बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और मांग की थी कि 12 घंटे के अंदर विधानसभा के पटल पर शक्ति परीक्षण हो। 

चौहान ने कहा था कि कमलनाथ सरकार को सिर्फ 92 विधायकों का समर्थन हासिल है जो बहुमत से कम है। बीजेपी ने 106 विधायकों को राज्यपाल के सामने पेश किया था। कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान विधानसभा स्पीकर, राज्यपाल और राज्य सरकार को नोटिस भेजा था और मंगलवार को सुनवाई करने के लिये कहा था। 

बुधवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बाग़ीविधायकों से मिलने बेंगलुरू पहुंच गए और जिस होटल में बाग़ी विधायक रुके हुए हैं, उसके बाहर धरने पर बैठ गये। इसके बाद बेंगलुरू पुलिस ने दिग्विजय सिंह समेत 13 कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस दौरान दिग्विजय सिंह के साथ कर्नाटक बेंगलुरू के अध्यक्ष डी.के.शिवकुमार भी मौजूद रहे। 

बाग़ी विधायकों ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि उन पर किसी तरह का दबाव नहीं है। बाग़ी विधायकों ने एक सुर में कहा था कि वे बंधक नहीं हैं और स्वेच्छा से बेंगलुरू आये हैं। बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि वे अभी बीजेपी में शामिल नहीं हुए हैं और इस बारे में विचार करेंगे।

हरीश रावत बचा ले जाएंगे म0प्रदेश दरकार
हिमालयायूके की प्रस्तुति
कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस के नेता हर संभव कोशिश कर रहे हैं. राज्यपाल लालजी टंडन के दो बार कहने के बावजूद भी फ्लोर टेस्ट नहीं किया गया है. विधानसभा स्पीकर ने कोरोना वायरस के चलते इस कार्यवाही को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया है. बीजेपी इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीएम कमलनाथ और विधानसभा सचिव को नोटिस जारी किया है और साथ ही कहा है कि नोटिस की कॉपी बागी विधायकों तक भी पहुंचा दिया जाए. आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर अहम सुनवाई होनी है. उधर कांग्रेस के विधायकों को वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत की देखरेख में रखा गया है. जयपुर से वही सभी कांग्रेस विधायकों को भोपाल लेकर आए थे. दरअसल यहां सरकार बचाने का एक तरीका उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत वाला भी है. एक बार उनके खिलाफ भी उत्तराखंड के कांग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी. पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत जैसे बड़े नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था. ये मामला भी कोर्ट पहुंचा था. लेकिन हरीश रावत ने सभी विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करवा दी थी और बाकी बचे विधायकों की संख्या के आधार बहुमत साबित कर दिया था. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सीएम कमलनाथ को हरीश रावत के अनुभव फायदा मिलता है या नहीं. वहीं हरीश रावत का भी कहना है कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं है.

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