5 अप्रैल के लिए मोदी की अपील- पर वाकई महाशक्ति का विशेष दिन- कैसे?
देश और दुनिया संकट से गुजर रही है, 5 अप्रैल के लिए मोदी की अपील ;महाशक्ति का अहसास होगा; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी के बीच शुक्रवार को देशवासियों के साथ 12 मिनट का एक वीडियो मैसेज साझा किया। ये करें: दीया, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाएं। कुछ पल अकेले बैठकर मां भारती का स्मरण करें। ये न करें:घर से बाहर न जाएं। सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा न तोड़ें। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है। प्रेरित भी किया: कोरोना संकट को हराने के लिए प्रकाश के तेज को चारों ओर फैलाना है। कोई अकेला नहीं है। दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है, जो हम ताकत से हासिल न कर पाएं। इस दौरान प्रकाश की महाशक्ति का अहसास होगा और इससे पता चलेगा कि कोई अकेला नहीं है। हम सभी देशवाली एक संकल्प के लिए साथ हैं। इस दौरान कोई घर से बाहर न जाए और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है। 5 अप्रैल को 5 मिनट बैठकर मां भारती का स्मरण करिए और देशवासियों के बारे में सोचिए। दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है, जो हम ताकत से हासिल न कर पाएं। आइए एक साथ कोरोना को हराएं।
इस बार रविवार 5 APRIL 20 को प्रदोष आ रहा है. हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत को काफी महत्व दिया गया है.रविवार को आने वाला यह प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने वालों की स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं .जानिए रविवार को प्रदोष का व्रत रखने के फायदे : यह महामंत्र समस्त व्याधियों को शांत कर देता है
Chandra Shekhar Joshi- Execlusive Report: विद्वान गुरूजनो के विशेष आशीर्वाद निर्देश से प्रस्तुत-
होनी-अनहोनी पर हमारा वश तो नहीं, लेकिन बुरा वक्त अगर टल जाए तो अनहोनी से बचा जा सकता है। रवि प्रदोष- रविवार के दिन होने वाले प्रदोष को रवि-प्रदोष कहा जाता है। रवि-प्रदोष व्रत दीर्घायु व आरोग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है। रवि-प्रदोष व्रत करने से साधक को आरोग्यता व अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। पंचाक्षरी मंत्र का जप करना चाहिए
भगवान शिव जब अग्रि स्तंभ के रुप में प्रकट हुए तब उनके पांच मुख थे। जो पांचों तत्व पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि तथा वायु के रूप थे। सर्वप्रथम जिस शब्द की उत्पत्ति हुई वह शब्द था ॐ बाकी पांच शब्द नम: शिवाय की उत्पत्ति उनके पांचों मुखों से हुई जिन्हें सृष्टि का सबसे पहला मंत्र माना जाता है यही महामंत्र है। इसी से अ इ उ ऋ लृ इन पांच मूलभूत स्वर तथा व्यंजन जो पांच वर्णों से पांच वर्ग वाले हैं वे प्रकट हुए। त्रिपदा गायत्री का प्राकट्य भी इसी शिरोमंत्र से हुआ इसी गायत्री से वेद और वेदों से करोड़ो मंत्रों का प्राकट्य हुआ।
यह महामंत्र समस्त व्याधियों को शांत कर देता है
इस मंत्र के जाप से सभी मनोरथों की सिद्धि होती है। भोग और मोक्ष दोनों को देने वाला यह मंत्र जपने वाले के समस्त व्याधियों को भी शांत कर देता है। बाधाएं इस मंत्र का जाप करने वाले के पास भी नहीं आती तथा यमराज ने अपने दूतों को यह आदेश दिया हैं कि इस मंत्र के जाप करने वाले के पास कभी मत जाना। उसको मृत्यु नहीं मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंत्र शिववाक्य है यही शिवज्ञान है। जिसके मन में यह मंत्र निरंतर रहता है वह शिवस्वरूप हो जाता है।
5 अप्रैल, 2020 : प्रदोष व्रत शक संवत 1942 माह चैत्र पक्ष शुक्ल तिथि द्वादशी नक्षत्र मघा सूर्योदय 6.07 सूर्यास्त 6.40 : प्रदोष व्रत मुंडन : आज मुंडन का मुहूर्त नहीं है। विवाह : आज विवाह का मुहूर्त नहीं है। वाहन : आज वाहन खरीदने का मुहूर्त नहीं है। गृहप्रवेश : आज गृह प्रवेश का मुहूर्त नहीं है।
Panchang for Sunday# 5 April 2020 05 Sun # बाबु जगजीवन राम जयंती , खजूर रविवार (पाम संडे) , प्रदोष व्रत #Chaitra Pradosh puja time : April 05, 6:40 pm – April 05, 8:59 pm# After April 05, the next pradosh vrat falls on April 20, Monday. #Pradosh Vrat Tithi & Puja Timings on April 05, Sunday
Sunrise | 05 April, 2020 06:18 AM. |
Sunset | 05 April, 2020 06:40 PM. |
Trayodashi Tithi Start | 05 April, 2020 07:25 PM. |
Trayodashi Tithi End | 06 April, 2020 03:52 PM. |
Pradosha Puja Time | April 05, 06:40 PM – April 05, 08:59 PM |
व्रत-त्योहार की दृष्टि से अप्रैल माह विशेष है। इस माह में कई व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं। यानि कि पूरा माह ईश्वर की आराधना-उपासना में बीतेगा परन्तु 5 अप्रैल का क्या महत्व है– प्रदोष व्रत (5 अप्रैल शुक्ल पक्ष और 20 अप्रैल कृष्ण पक्ष) भगवान शिव को अत्यंत प्रिय प्रदोष व्रत अत्यंत शुभ एवं महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। पूजन संध्याकाल में किया जाता है। व्रती को सफेद या फिर हल्के रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद पंचाक्षरी मंत्र का जप करना चाहिए। भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाकर प्रदोष कथा पढ़कर आरती करें। साथ ही भोलेनाथ को अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाकर सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
नम: शिवाय: पंचतत्वमक मंत्र है इसे शिव पंचक्षरी मंत्र कहते हैं। इस पंचक्षरी मंत्र के जप से ही मनुष्य सम्पूर्ण सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है। शास्त्रों के मुताबिक पंचाक्षरी मंत्र का स्मरण व्यक्ति के जीवन में हर काम और इच्छा को पूरा करने वाला होता है। इस मंत्र के ध्यान मात्र से ही शिव भक्त के जीवन से सारे कलह मिट जाते हैं : पंचाक्षरी मंत्र यानी नम: शिवाय के आगे हमेशा ऊँ लगाकर जप करें। यह षडाक्षरी मंत्र बन जाता है। नियत संख्या में पंचाक्षरी मंत्र जप की अवधि में व्यक्ति खान-पान, वाणी और इंद्रियों पर पूरा संयम रखें। मंत्र जप बहुत शुभ और जल्द मनोरथ पूर्ति करने वाला वाला माना गया है। शिव उपासना में पंचाक्षरी मंत्र यानी नम: शिवाय का ध्यान भी बहुत ही शुभ और असरदार माना गया है। उसके दरिद्रता, रोग, दुख एवं शत्रुजनित पीड़ा एवं कष्टों का अंत हो जाता है एवं उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है।
सूर्यास्त के बाद और रात्रि आने से पहले के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। इस व्रत को किसी भी उम्र के लोग रख सकते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार इस व्रत को दो तरीकों से रखा जा सकता है। आप चाहें तो सूर्य के उगने के बाद से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रख सकते हैं और भगवान शिव की पूजा के बाद आप संध्या काल में अपना व्रत खोल सकते हैं। वहीं दूसरी ओर आप पूरे 24 घंटे का कड़ा उपवास रखकर और रात भर जागकर महादेव की आरधना करके भी प्रदोष व्रत कर सकते हैं। पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन किया गया है कि त्रयोदशी के दिन देवी पार्वती और महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। जिस तरह ये व्रत अति कल्याणकारी है ठीक उसी तरफ अलग अलग दिन पड़ने वाले इस व्रत की महिमा भी अलग है।
रविवार को रवि प्रदोष व्रत का व्रत रखने के फायदे :
1. रवि प्रदोष का व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति, यश , निरोग जीवन और लंबी आयु प्राप्त होती है. 2. रवि प्रदोष का संबंध सूर्य से होता है. अत: चंद्रमा के साथ सूर्य भी आपके जीवन में सक्रिय रहता है. इससे चंद्र और सूर्य अच्छा फल देने लगते हैं. जिस जातक कुंडली में सुर्य कमजोर हो उसे यह व्रत करने से उसकी सूर्य संबंधी सारी परेशानियां दूर हो जाती है. 3. यह प्रदोष सूर्य से संबंधित है. सुर्य को ग्रहों का स्वामी कहा जाता है. यह नाम, यश और सम्मान भी दिलाता है. अगर आपकी कुंडली में अपयश के योग हो तो यह प्रदोष व्रत जरुर करें. 4. पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति प्रदोष का व्रत करता रहता है वह संकटों से दूर रहता है और उनके जीवन में धन और यश बना रहता है.
कब है रवि प्रदोष व्रत : रवि प्रदोष व्रत का दिन – 05 अप्रैल 2020 ( रविवार )
राहुकाल : 05:07 PM से 06:41 PM
रवि प्रदोष व्रत कथा :
एक समय सर्व प्राणियों के हितार्थ परम पावन भागीरथी के तट पर ऋषि समाज द्वारा विशाल गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सभा में व्यासजी के परम शिष्य पुराणवेत्ता सूतजी महाराज हरि कीर्तन करते हुए पधारे.सूतजी को आते हुए देखकर शौनकादि 88,000 ऋषि-मुनियों ने खड़े होकर उन्हे दंडवत प्रणाम किया. महाज्ञानी सूतजी ने भक्तिभाव से ऋषियों को हृदय से लगाया तथा आशीर्वाद दिया. विद्वान ऋषिगण और सब शिष्य आसनों पर विराजमान हो गए.शौनकादि ऋषि ने पूछा- हे पूज्यवर महामते! कृपया यह बताने का कष्ट करें कि मंगलप्रद, कष्ट निवारक यह व्रत सबसे पहले किसने किया और उसे क्या फल प्राप्त हुआ. श्री सूतजी बोले- आप सभी शिव के परम भक्त हैं, आपकी भक्ति को देखकर मैं व्रती मनुष्यों की कथा कहता हूं। ध्यान से सुनो.एक गांव में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था.उसकी साध्वी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी. उसे एक ही पुत्ररत्न था. एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया. दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बता दो. बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं.हमारे पास धन कहां है?तब चोरों ने कहा कि तेरे इस पोटली में क्या बंधा है? बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं.यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दु:खी मनुष्य है अत: हम किसी और को लूटेंगे. इतना कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया. बालक वहां से चलते हुए एक नगर में पहुंचा. नगर के पास एक बरगद का पेड़ था. वह बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया. उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए.राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया. ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई. अगले दिन प्रदोष व्रत था. ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी. भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली.उसी रात भगवान शंकर ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा उसका सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा. प्रात:काल राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया. बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई. सारा वृत्तांत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को आदेश देकर उस बालक के घर भेजा और उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया.उसके माता-पिता बहुत ही भयभीत थे. राजा ने उन्हें भयभीत देखकर कहा कि आप भयभीत न हो आपका बालक निर्दोष है. राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे कि वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें. भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार आनंद से रहने लगा.
अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत करता है, वह प्रसन्न व निरोग होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है सूर्य के लिए रोज सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। चंद्र, शुक्र के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाना चाहिए। मंगल के लिए लाल मसूर का दान करें। बुध के लिए गणेशजी को दूर्वा चढ़ाएं। गुरु ग्रह के लिए शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं। शनि और राहु-केतु के लिए हर शनिवार तेल का दान करें।
अप्रैल 2020 में ग्रहों की कैसी स्थिति रहेगी
सूर्य- सूर्य माह की शुरुआत में मीन राशि में है। 13 अप्रैल को ये ग्रह मेष राशि में प्रवेश करेगा। इसी के साथ खरमास भी समाप्त हो जाएगा। चंद्र-चंद्र 2 अप्रैल की सुबह ग्रह कर्क राशि में प्रवेश कर गया है। 4 तारीख की दोपहर सिंह राशि में जाएगा। इसके बाद हर ढाई दिन में ये ग्रह राशि बदलेगा। मंगल- इस माह मंगल मकर राशि में रहेगा। बुध- अभी ये ग्रह कुंभ राशि में है। 7 अप्रैल को ये ग्रह मीन राशि में जाएगा। 24 अप्रैल को बुध मेष राशि में प्रवेश करेगा। गुरु- देवताओं के गुरु बृहस्पति मकर राशि में ही रहेगा। शुक्र- पूरे माह ये ग्रह वृष राशि में रहेगा। शनि- शनि अप्रैल माह में मकर राशि में रहेगा। राहु-केतु- ये दोनों ग्रह भी राशि नहीं बदलेंगे। राहु मिथुन में और केतु राशि में रहेगा
अप्रैल महीने का आरंभ ग्रहों की शुभ स्थिति में हुआ है। इस महीने सूर्य राशि चक्र की पहली राशि मेष में प्रवेश करेंगे। ग्रहों के संयोग के बीच अप्रैल का महीना सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा
मेष राशि : क्रोध पर काबू नहीं रखेंगे तो परिवार और कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना होगा। सूर्य के राशि परिवर्तन से आपका उत्साह और जोश बढेगा। अटके कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए अधिक सक्रिय रहेंगे। महत्वपूर्ण कार्यों के बनने से आपका मन आनंदित होगा।
वृष राशि : सुख और आनंद प्राप्त होगा इस महीने आपका स्वास्थ्य सामान्य रूप से अच्छा रहेगा। पारिवारिक जीवन में सुख और आनंद प्राप्त होगा। कारोबार में लाभ बढ़ेगा। सरकारी क्षेत्र से संबंधित काम में बाधा आएगी। कुछ गैर जरूरी खर्चे भी होते रहेंगे। संतान पक्ष को लेकर परेशान रहेंगे।
मिथुन राशि : यह महीना अनिश्चितताओं भरा रहेगा। मन में कई तरह से उलटे-सीधे विचार आएंगे। स्वास्थ्य कुछ नरम रहेगा, खान-पान और आराम का ध्यान रखें। पैसा बचाने की कोशिश करेंगे लेकिन पैसा निकलता जाएगा जिससे मन खिन्न हो सकता है। पारिवारिक उलझनों को लेकर आप परेशान रहेंगे।
कर्क राशि : प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे अप्रैल का महीना आपके लिए शुभ रहेगा। गुरु की शुभ दृष्टि राशि पर होने से नौकरी-व्यापार में आप प्रगति करेंगे। बीते कुछ दिनों से चली आ रही परेशानियों में कमी आएगी। सामाजिक क्षेत्र और कार्यक्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। इस महीने धर्म-कर्म में भी आप अधिक रुचि लेंगे। अधिकारी वर्गों से प्रोत्साहन और सहयोग मिलेगा।
सिंह राशि : महीने के पहले भाग में स्वास्थ्य विकार और कई तरह की चिंताएं रहेंगी। उलटे-सीधे खर्च होंगे। किसी संबंधी से वाद-विवाद हो सकता है। लेकिन 13 अप्रैल से सूर्य के मेष में आने से आपके खुशियों के दिन आरंभ हो जाएंगे। भाग्य आप पर मेहरबान होता दिखेगा। कई दिनों से रुका काम बनेगा। परिवार में खुशियों का महौल बनेगा
कन्या राशि : इस महीने आपकी राशि पर गुरु की शुभ दृष्टि हो रही है जिससे आध्यात्मिक भाव का विकास होगा। वाणी में मधुरता और विचारों में सद्भाव रहेगा जिसका जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आप लाभ प्राप्त कर सकेंगे। लेकिन राशि स्वामी बुध के नीच होने से आपको सगे-संबंधियों से वाद-विवाद में नहीं उलझना चाहिए।
तुला राशि : एक तरफ जहां पारिवारिक उलझनें रहेंगी वहीं दूसरी ओर सेहत को लेकर भी आपको अधिक ध्यान देने की जरूरत है। मानसिक उलझनों का भी सामना करना होगा। अनावश्यक ही विचारों के उलझन में खोए रह सकते हैं। जीवनसाथी से सहयोग आत्मबल प्रदान करेगा।
वृश्चिक राशि : अप्रैल आपके लिए शुभ फलदायी रहेगा। स्वास्थ्य आमतौर पर अनुकूल रहेगा। नौकरी में पद लाभ और धन वृद्धि का योग बना है। उच्च अधिकारियों से सहयोग और प्रोत्साहन प्राप्त कर सकेंगे। लेकिन घरेलू मामलों में उलझन की स्थिति रहेगी। निवेश के लिए समय अच्छा है।
धनु राशि : इस महीने कार्यक्षेत्र में चिंता बनी रहेगी। महत्वपूर्ण कार्य अटके रह सकते हैं। आर्थिक विषयों को लेकर भी आप चिंता में रहेंगे। निकट बंधुओं से मनमुटाव हो सकता है। पूजा-पाठ से मन उचाट रहेगा। वाणी पर संयम रखें। वैवाहिक जीवन में नोंक-झोंक के साथ प्यार बना रहेगा।
मकर राशि : अप्रैल का महीना कई मोर्चे पर आपके लिए अनुकूल है तो कई मोर्चे पर संघर्षपूर्ण। नौकरी व्यवसाय में धन लाभ और उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काम का दबाव रहने से आप व्यस्त रहेंगे। सेहत के मामले में लापरवाही से बचना होगा। क्रोध पर काबू रखना जरूरी है। पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी हो सकती है।
कुंभ राशि : धन के मामले में सावधानी से निर्णय लेना चाहिए। पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी रह सकती है। पूजा-पाठ और अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। भाई-बहनों से तालमेल बनाए रखेंगे तो फायदे में रहेंगे। महीने के उत्तरार्ध में आप अधिक एक्टिव होंगे और अटके कार्यों को पूरा करने की कोशिश करेंगे।
मीन राशिः
मानसिक रूप से परेशान रह सकते हैं। पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल बिगड़ सकता है। उतावलेपन और क्रोध की वजह से बना काम भी आप बिगाड़ लेंगे, इसलिए संयम से काम लें। कुछ उलटे सीधे खर्च भी इस महीने होने वाले हैं। सरकारी मामलों में कोई जोखिम लेने से बचें।
https://youtu.be/3iS6cS4P86YPanchang for Sunday, 5 April 2020
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