भारत को पता है कि दुनिया में ताकत का केंद्र कहां है

70 साल से भारत का इंतजार था-नेतान्याहू
भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी तीन दिन के दौरे पर इजरायल पहुंच गए हैं। मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो इजराइल यात्रा गए हैं। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया है। नरेंद्र मोदी के स्वागत में खुद इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू बेन गुरियन एयरपोर्ट पहुंचे हैं। एयरपोर्ट पर इजरायल के 11 मंत्री भी मौजूद रहे। पीएम ने उनसे भी मुलाकात की। 10 मिनट के भीतर दोनों प्रधानमंत्री तीन बार गले लगे।
गले मिलने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी हिन्दी में कहा- दोस्त आपका स्वागत है। उन्होंने कहा- 70 साल से इस पल का इंतजार था। भारत से रिश्ते आसमान से भी ऊंचे। यहां पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति और पोप जैसा सम्मान दिया गया। पीएम मोदी ने भी गर्मजोशी से स्वागत के लिए इजरायली पीएम का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इजरायल आना सम्मान की बात है।
नेतन्याहू ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा, ‘‘ मेरे मित्र, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस्राइल में आपका स्वागत है।’’ मोदी के पहुंचने के बाद वहां सेना के बैंड ने दोनों देशों के राष्ट्रगान की धुन बजाई और इस दौरान दोनों नेता साथ साथ खड़े रहे। हवाई अड्डे पर इस्राइल के सभी वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे। मोदी की तीन दिन की यात्रा के दौरान नेतन्याहू लगातार उनके साथ रहेंगे और आम तौर पर ऐसा अमेरिकी राष्ट्रपति के लिये ही होता है।

1950 में इजरायल को मान्यता देने के बाद भी भारत ने लंबे समय तक उससे दूरी बना कर रखी. 1992 में नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान भारत ने पहली बार इजरायल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए. भारत के बड़े-बड़े नेताओं ने एक के बाद एक इजरायल के कई दौरे किये हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इजरायल जाकर रिश्ते मजबूत किये. इजरायल के साथ लगातार मजबूत होते रक्षा संबंधों के साथ तो अब फिलिस्तीन की स्वनिर्धारण का मुद्दा कहीं लुप्त हो चुका है. खुद अरब देश भी ईरान को ‘काबू में रखने’ और अमेरिका से नजदीकी के चलते फिलिस्तीन मद्दे पर नरम रुख अपना रहे हैं. इसलिए प्रधानमंत्री के इजरायल दौरे के दौरान फिलिस्तीन मुद्दे पर खास जोर देंगे इसकी संभावना कम ही है.
1967 में हुए अरब-इजरायली युद्ध में इजरायल की भारी जीत के पचास साल बीत चुके हैं और आज भारत का इजरायल और फिलिस्तीन को लेकर नजरिया बदल चुका है. भारत को पता है कि दुनिया में ताकत का केंद्र कहां है और दीर्घकालिक विदेश और रक्षा नीति को नए सिरे से ढालने की जरुरत है.

  1991 में शीत युद्ध का अंत हो गया था और USSR टूट चुका था. इसके साथ ही भारत का अमेरिका समर्थित इजरायल के करीब आना स्वाभाविक था. इतना ही नहीं, 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इजरायल ने भारत को तोप सप्लाई किये. इस दौरे से महज तीन महीने पहले इजरायल ने अपना अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा भारत के किया. भारत ने इजरायल के साथ 2 बिलियन डॉलर के मिसाइल सौदे पर मुहर लगा दी. ध्यान रहे कि इजरायली हथियारों का सबसे बड़ा ग्राहक भारत ही है. बराक 8 सिस्टम एक खास तकनीक एमएफ-स्टार (मल्टी फंक्शन सर्विलांस एंड थ्रेट अलर्ट राडार) से लैस है. इसमें डाटा लिंक वाला वेपन सिस्टम है, जो हवा में अधिकतम 100 किलोमीटर की रेंज तक दुश्मनों को भांपकर उसे 70 किलोमीटर के दायरे में तबाह कर देता है. जानकार मानते हैं कि यह सिस्टम भारत की हवाई सुरक्षा की खामियों को भरने में अहम भूमिका निभा सकता है.

इस साल अप्रैल महीने में भारत ने इजरायल के साथ लगभग दो अरब डॉलर का डिफेंस डील किया है. इस मिसाइल समझौते के तहत इजरायल भारत को डिफेंस सिस्टम देगा. इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) भारत को मीडियम रेंज का एडवांस्ड जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम (एमआरएसएएम) देगा.
एमआरएसएएम सुरक्षा प्रणाली के जरिए दुश्मनों के एयरक्राफ्ट, मिसाइल और ड्रोन विमानों को जमीन से हवा में 70 किलोमीटर के दायरे में मार गिराया जा सकता है.
इसके अलावा इजरायल भारत द्वारा बनाए पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए लॉन्ग रेंज मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी मुहैया कराएगा  – आईएआई ने बयान जारी कर कहा कि इजरायल के डिफेंस डील के इतिहास में यह अकेला सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट है. बयान में कहा गया कि इस डील से पता चलता है कि भारत सरकार को हमारी काबिलियत पर भरोसा है. इस तकनीक को हम अपने पार्टनर्स के साथ ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी के साथ बना रहे हैं.
इजरायल की आईएआई ने यह तकनीक डीआरडीओ के साथ मिलकर साझा तौर पर डेवलप की है. इस प्रोजेक्ट में कुछ और भारतीय कंपनियों मसलन लार्सन एंड टूब्रो ने भी सहयोग किया है.
इजरायल भारत के तीन सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक है. पिछले दस साल में 10 अरब डॉलर की डील हासिल करने के अलावा इजरायल ने आखिर के दो साल में हथियारों के सात डील भारत से हासिल किए हैं.
इसके अलावा कई दूसरी बड़ी डील भी बातचीत के दौर में हैं. इनमें दो इजरायल निर्मित फाल्कन एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एडब्लूएसीएस) भी शामिल हैं, जिन्हें रूस में बने आईएल-76 मिलिट्री एयरक्राफ्ट पर लगाया जाना है.
चारों एरोस्टेट राडार और कुछ हमलावर ड्रोन भी खरीदे जाने हैं. भारतीय सेनाओं के पास इजरायल में बने 100 ड्रोन विमान पहले से ही हैं
 

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