सावन- राशि अनुसार शिव शुभ मंत्र, 8 जुलाई ;पहली संकष्टी चतुर्थी, कई शुभ योग

श्रावण मास में अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव के मंत्र का विधि-विधान से जाप किया जाए तो निश्चित रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. राशि के अनुसार मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव अपने साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं.  8 जुलाई को सावन मास की पहली संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. Presents by Himalayauk

मेष राशि- भगवान शिव की कृपा पाने के लिए पूरे सावन महीने में ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करें. इस मंत्र जप के साथ भगवान शिव को बिल्ब पत्र चढ़ाना न भूलें. 

वृष राशि- वृष राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग के मंत्रों का उच्चारण करें. 

मिथुन राशि-मिथुन राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने के लिए ‘ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम:’ मंत्र का जप करें. 

कर्क राशि- श्रावण मास में शिव का आशीर्वाद पाने के लिए कर्क राशि के जातक ‘ॐ चंद्रमौलेश्वर नम:’ मंत्र का जाप करें. 

सिंह राशि- सिंह राशि के जातक ‘ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम:’ मंत्र का जाप करें. 

कन्या राशि- कन्या राशि के जातक भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए पूजा में ‘ॐ नमो शिवाय कालं ॐ नम:’ मंत्र का जप करें. 

वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातक शिव कृपा पाने के लिए पूरे सावन मास में ‘ॐ हौम ॐ जूँ स:’ मंत्र का जप विशेष रूप से करें. 

धनु राशि- धनु राशि के जातक शिव कृपा से तमाम बाधाओं को दूर करने और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए ‘ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नम:’ मंत्र का जप करें. 

मकर राशि- मकर राशि के जातक भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए ‘ॐ हौम ॐ जूँ स:’ मंत्र का जप करें. 

कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातक भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए ‘ॐ हौम ॐ जूँ स:’ मंत्र का जप करें. 

मीन राशि- मीन राशि के जातक शिव कृपा पाने के लिए ‘ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नम:’ मंत्र का जप करें.

पावन मास की शुरुआत भी शुभ संयोग में यानी भगवान शिव का दिन माने जाने वाले सोमवार 06 जुलाई 2020 से हो गई और समाप्ति भी सोमवार 03 अगस्त 2020 को होगी.  सावन माह की अपनी संस्कृति है. सावन में श्रवण नक्षत्र और सोमवार से भगवान भोलेनाथ का गहरा संबंध है. भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमार से कहा कि मुझे सभी महीनों में सावन सबसे ज्यादा प्रिय है. सावन की विशेषता है कि इसका हर दिन व्रत करने योग्य होता है.  सावन में महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, शतरूद्र का पाठ, पुरुष सूक्त का पाठ और पंचाक्षर आदि शिव मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. बता दें कि श्रवण नक्षत्र का पूर्णिमा तिथि से योग होने के कारण इस माह को श्रवण भी कहा जाता है. देवताओं में भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं. ऐसे में इस पावन मास में विधि-विधान से शिव का पूजन करके उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है. भगवान शिव के आशीर्वाद से साधक के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे मन वांक्षित फल की प्राप्ति होती है. श्रावण मास में शिव की पूजा करने से शत्रुओं का नाश और रोग-शोक दूर होता है.

8 जुलाई को सावन मास की पहली संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन को माना गया है. 6 जुलाई से सावन मास का आरंभ हो चुका है. चार्तुमास भी शुरू हो चुके हैं. चार्तुमास में पृथ्वी की बागडोर भोलेनाथ के हाथों में होती है. चातुर्मास में भगवान शंकर पृथ्वी का भ्रमण करते हैं. गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं. 8 जुलाई की संकष्टी चतुर्थी कई मायनों में विशेष है.  प्रथम सावन की पहली संकष्टी है और दूसरी विशेष बात ये है कि इस दिन बुधवार का दिन है. बुधवार का दिन गणेश जी का दिन माना जाता है. इसलिए इस दिन की जाने वाली पूजा विशेष फलदायी है.

किसी भी कार्य को आरंभ करने से पहले सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है. इन्हें सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है. गणेश जी को बल, बुद्धि और विवेक प्रदान करने वाला माना गया है. गणेश जी अपने भक्तों के सभी प्रकार के विघ्न यानि बाधा को दूर करते हैं. इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. जिन लोगों के जीवन में कोई कष्ट हैं उनके लिए संकष्टी चतुर्थी की पूजा विशेष परिणाम देने वाली मानी गई है, क्योंकि संकष्टी का अर्थ ही संकट को हरने वाली चतुर्थी है. संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें. इस दिन पूजा में भगवान गणेश जी की प्रिय चीजों का अर्पण और भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक व्रत रखा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से गणपति की पूजा करनी चाहिए. तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है. चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 8 जुलाई को प्रात: 09 बजकर 18 मिनट  चतुर्थी तिथि समाप्त: 9 जुलाई को प्रात: 10 बजकर 11 मिनट  संकष्टी के दिन चन्द्रोदय: रात्रि 10 बजे

सावन का पहला सोमवार 6 जुलाई को है. इस दिन से सावन का महीना शुरू हो जाएगा. सावन का महीना चातुर्मास मास का प्रथम महीना होता है. सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित है. सावन में सोमवार के व्रत और भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी प्रकारों के कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाला माना गया है. मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और पृथ्वी की बागडोर भगवान शिव संभालते हैं. चातुर्मास में भगवान शिव पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करते हैं. इसलिए चातुर्मास में सावन के महीने का विशेष महत्व है. सावन के सोमवार का व्रत दांपत्य जीवन के लिए शुभ फलदायी माना गया है. इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार आएंगे. पहला 6 जुलाई को पहला सोमवार, दूसरा 13 जुलाई, तीसरा 20 जुलाई, चौथा 27 जुलाई और पांचवा सोमवार 3 अगस्त को है.

सावन के सोमवार की महिमा शिवरात्रि के व्रत की तरह ही मानी गई है. मान्यता है कि जो कन्या सावन के सभी सोमवार का व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करती है उसे मनचाहा वर प्राप्त होता है.

कालसर्प दोष को ज्योतिष शास्त्र में एक अशुभ योग माना गया है. जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष का निर्माण होता है वह जीवन पर परेशान रहता है. हर कार्य में बाधा आती है. मानसिक तनाव बना रहता है. धन की हानि होती है और लोगों का सहयोग प्राप्त नहीं होता है जिस कारण जीवन में कष्ट और संघर्ष की स्थिति बनी रहती है. सावन में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक और पूजा करने से इस दोष की अशुभता कम होती है. पंचांग के अनुसार सावन के पहले सोमवार को विशेष योग बन रहे हैं. सोमवार को श्रावण मास का आरंभ हो रहा है. इस दिन तिथि प्रतिपदा है और वैधृति योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन नक्षत्र उत्तराषाढ़ा है. सूर्य मिथुन राशि और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे.

सोमवार का दिन स्वामी चंद्र देव का है. चंद्र देव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं. चंद्र देव का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ है. जिन्हें सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में जाना जाता है. ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी हैं. जिनकी महादशा दस वर्ष की होती है. चंद्रमा को नवग्रहों में दूसरा स्थान प्राप्त है. कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने पर जातक को मानसिक कष्ट झेलने पड़ते हैं.  सोमवार के दिन भगवान शिव की साधना-आराधना अत्यंत शुभ मानी जाती है. भगवान शिव ने चंद्र देव को अपने मस्तक पर धारण किया है. यह सुखद संयोग है कि 2020 में भगवान शिव की पूजा का सर्वोत्तम श्रावण मास सोमवार के दिन से ही प्रारंभ हो रहा है. सोमवार के दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक से सभी मनोकमानाएं पूरी होती हैं.

सोमवार का व्रत श्रावण, वैशाख, कार्तिक, चैत्र एवं मार्गशीर्ष आदि मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से प्रारंभ करना चाहिए. इस व्रत की शुरुआत सोलह सोमवार व्रत करने का संकल्प लेकर करना चाहिए. सोमवार का व्रत करने के लिए सोमवार के दिन प्रातः काल उठकर जल में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद ‘ॐ सों सोमाय नम:’ मंत्र का मन में जाप करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती का सफेद फूल, सफेद चंदन, पंचामृत, चावल, सुपारी, बेल पत्र, आदि से पूजन करें. पूजन के पश्चात ‘ॐ सों सोमाय नम:’ मंत्र की कम से कम तीन या ग्यारह माला जप करें. शिव के मंत्र का जप हमेशा रुद्राक्ष की माला से करें. सोमवार के व्रत में नमक का सेवन न करें. व्रत का उद्यापन हवन आदि के श्रावण, वैशाख, कार्तिक, चैत्र एवं मार्गशीर्ष आदि मासों में ही करना चाहिए. 

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