श्री बाबा मोहन राम मंदिर हरि नाथ मंदिर आलमपुर (आलूपुर) धाम राजस्थान हरि नाथ बाबा का समाधि स्थल

श्री बाबा मोहन राम मंदिर हरि नाथ मंदिर आलमपुर (आलूपुर) धाम राजस्थान हरि नाथ बाबा का समाधि स्थल है यहां पर उनकी गद्दी है

By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे

हरि नाथ बाबा का असली नाम रकम सिंह था उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के भूमा खेड़ी के रहने वाले थे इनके पिता का नाम चौधरी काले राम था और इनकी माता का नाम श्रीमती रुकमा देवी था हरि नाथ बाबा के तीन भाई बहन हैं रकम सिंह बहुत कम उम्र में ही दिल्ली में डीडीए में नौकरी करते थे रकम सिंह बचपन में ही अपने माता पिता के साथ काली खोली जाकर बाबा मोहन राम के दर्शन करता था बाबा मोहन राम के चरणों में उनका हमेशा ध्यान लगा रहता था

यहां तक की जब अपनी ड्यूटी पर होता बैठकर बाबा मोहन राम के भजन गाने लगता और ध्यान मग्न हो जाता एक दिन की बात है जब वह अपनी ड्यूटी पर था तो उसका एक साथी मशीन द्वारा पार्क की घास काट रहा था मशीन में जोड़ा बैल बिल्कुल धीरे धीरे चल रहा था काम कुछ ज्यादा था तो जल्दी खत्म करना था बैल हांकते समय रकम सिंह ने बैल को दो डण्डी मारी जिसके कारण वे डण्डी बैल के शरीर में उमड़ गई डण्डी के निशान बैल के शरीर पर पड़े देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए

वह अपने आप को धिक्कारने लगा वे ड्यूटी देकर घर चले आए घर आकर उसने खाना पीना भी नहीं खाया वह रात भर सोचते ही रहे कि उसने एक पशु को इतनी जोर से डण्डी मारी रात भर उसे नींद नहीं आई उसका दिल बिल्कुल उचाट हो गया जिसकी वजह से वह तीन दिन ड्यूटी पर नहीं गया तीन दिन के बाद जब वह ड्यूटी पर पहुंचा तो वह यह देखकर दंग रह गया कि उसकी तीन दिन की गैर हाजरी नहीं है उसके विभाग में एस .डी .ओ ने उसे बताया कि तुम तीन दिन से लगातार आ रहे हो उसके विभाग के चौधरी ने भी इस बात की पुष्टि की

स्टोर कीपर ने सबके सामने उसे बताया कि तुम पहले की तरह इन दिनों में लगातार आए हो सुबह काम करने के औजार को तुम ले जाते और फिर शाम को वापस खुद अपने हाथों से जमा करते रहे हो

अब तो उसकी बात सुनकर सोच में पड़ गया कि मैं तो तीन दिन से ड्यूटी पर नहीं आ रहा हूं और यहां मैं लगातार ड्यूटी दे रहा हूं यह कैसे हो सकता है घर पर और ड्यूटी पर भी मैं जब घर में था तो मेरी ड्यूटी किसने दी यानी इसका मतलब यह हुआ कि जब मैं तीन दिन घर रहा तो बाबा मोहन राम ने मेरी जगह तीन ड्यूटी दी

बाबा मोहन राम जब मेरी जगह मेरे रूप में ड्यूटी दे सकता है तो मुझे भी सब कुछ त्याग कर उनकी शरण में चले जाना चाहिए और वह उसी समय ड्यूटी छोड़कर काली खोली वाले की शरण में आ गए और आज तक काली खोली वाले के चरणो में रह रहे हैं

अब तो वे ब्रह्मलीन हो गए उनकी समाधि और उनकी गद्दी आलू पर धाम में है जो मलिकपुर गांव के पास है बहुत शानदार मंदिर है इन्होंने दिल्ली यूपी राजस्थान मैं अपनी मेहनत से व बाबा की कृपा से अनेकों मंदिर बनवाए जिसमें आलू पर मंदिर व दिल्ली मैं नाथूपुर मुख्य हैं

ये मंदिर देखने योग्य है उनके चेहरे को देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो सामने खुद बाबा मोहन राम साक्षात साक्षात रूप में बैठे हैं इनके शिष्यों की संख्या के बारे में अनुमान लगाना असंभव है

बाबा की दौज पर आलू पुर मंदिर में और बाकी दिनों में नाथूपुर मंदिर पर इनके दर्शन करके धन्य हो सकते हैं अब इन्हें भगत जन रकम सिंह के नाम से नहीं बल्कि बाबा हरि नाथ के नाम से जानते हैं

आलू पुर में मंदिर के अंदर इनका बहुत भव्य मंदिर बन रहा है इनका का समाधि स्थल बहुत ही सुंदर बनाया जा रहा है जो लगभग बनकर तैयार हो गया है काली खोली धाम में जो चढ़ने और उतरने के लिए ऊपर पड़िया बनाई है वे बाबा हरिनाथ ने बनवाई थी रकम सिंह पर कृपा कीनी ड्यूटी आप तीन दिन दीनी सब कुछ त्याग शरण तेरी आया हरि नाथ बाबा कहलाया जगमग जगमग जोत जली है मोहन आरती होने लगी है

Himalaya Gaurav Uttrakhand

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