31 अक्टूबर शरद पूर्णिमा- ये खास दिन माता लक्ष्मी का है जन्मदिन

29 Oct. 20: Himalayauk Newsportal & Print Media:

शरद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट तक शरद पूर्णिमा तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक

शरद पूर्णिमा पर एक गाय के घी का दीपक जलाकर दाहिने हाथ की ओर ओर रखें। दीपक की लौ कपास की न हों, लाल धागे की बाती तैयार कर दिया जलाएं। दीपक सुबह तक जलता रहना चाहिए।

31 अक्टूबर को है शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)…जो माता लक्ष्मी की आराधना के लिए बेहद ही विशेष दिन माना जाता है. कहते हैं इसी दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थीं इसीलिए ये खास दिन इनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. जिसे लक्ष्मी जयंती(Lakhmi Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. लिहाज़ा मां को प्रसन्न करना हो तो इससे बेहतर और कोई दिन हो ही नहीं सकता.  

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इस बार शरद पूर्णिमा शुक्रवार -शनिवार दोनों दिन है. इस लिए धन और वैभव के लिहाज से यह बहुत ही शुभ योग है. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस लिए इस दिन महालक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. इसमें भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा से बहुत ही शुभ लाभ प्राप्त होता है. यही नहीं इस बार इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है जो बहुत ही उत्तम योग है.

पूर्णिमा और अमावस्या पर चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चन्द्रमा इतने बड़े समुद्र में उथल-पुथल कर उसे कंपायमान कर देता है तो जरा सोचिए कि हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएं हैं, सप्त रंग हैं, उन पर चन्द्रमा का कितना गहरा प्रभाव पड़ता होगा। अ त: इस रात कोई एक मंत्र का पूर्णत.: मन लगाकर ध्यान करें। 100 प्रतिशत कामना पूरी होगी।

हिन्दू धर्म में आश्विन मास की शरद पूर्णिमा का ख़ास महत्त्व है. इसलिए भक्त जन इसकी सही तिथि के बारे में हमेशा जानने का प्रयास करते रहते हैं. ऐसे में इस बार शरद पूर्णिमा की सही तारीख का और भी महत्त्व हो जाता है क्योंकि इस बार शरद पूर्णिमा दो दिन पड़ा रही है. इस स्थित्ति में भक्त जन किस दिन अपना व्रत रखें और पूजा करें? इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए बतादें कि इस बार शरद पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम को 5.45 से लग रही है और 31 अक्टूबर को रात 8 बजे खत्म हो जाएगी, इसलिए शरद पूर्णिमा का व्रत 31 अक्टूबर को रखा जाएगा. वहीं स्नान, दान और कथा शुक्रवार को यानी कि 30 अक्टूबर ही करना शुभ रहेगा.

इसके अलावा मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और इसकी चांदनी से अमृत बरसता है. तभी इस रात खीर बनाकर चांद की रोशनी मे रखी जाती है ताकि उस अमृत्व के कुछ अंश खीर में आ सके. बाद में खीर सभी को प्रसाद के रूप में बांटी जाती है. वहीं इस दिन देवी को प्रसन्न करने के कुछ खास उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं. उनमें से एक है भोग…इस दिन मां लक्ष्मी(Maa Lakshmi) को विशेष प्रकार के भोग लगाने से उनकी असीम कृपा प्राप्त की जा सकती है. तो चलिए बताते हैं कि इस दिन देवी महालक्ष्मी को क्या कुछ भोग लगाया जा सकता है. 

इस दिन माता लक्ष्मी को मखाने का भोग लगाना चाहिए इससे मां प्रसन्न होकर कृपा बरसाती हैं. मां को बताशे का भोग भी लगाया जा सकता है. और मां को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.  इस दिन देवी मां को खीर का भोग लगाना काफी पुण्यदायी माना गया है. सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही नहीं बल्कि हर शुक्रवार के दिन भी मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाया जाता है. खासतौर से चावल व मखाने से बनी हुई खीर का. कहते हैं इस भोग से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं. इस दिन पान भी मां लक्ष्मी को अर्पित किया जा सकता है. कहते हैं किसी भी तरह की पूजा में पान व सुपारी शुभ मानी जाती है. इसीलिए माता लक्ष्मी को भी इससे प्रसन्न किया जा सकता है. खासतौर से गाय के दूध से बनी दही का भोग लगाने से मां की कृपा हासिल की जा सकती है. भोग लगाने के बाद घर के सदस्यों को प्रसाद रूप में उसे बांटे इससे शुभ फल प्राप्त होता है.

हर महीने में पूर्णिमा आती है पर शरद पूर्णिमा का खास महत्व होता है। आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं और माना जाता है कि इस दिन चांद अपनी सोलह कलाओं में होता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद से निकलने वाले किरणें अमृत की तरह होती है। इस दिन रात को चांद की विशेष पूजा होती है, चांद की चांदनी में कुछ देर बैठते हैं ताकि ये किरणें हम पर पड़े।   वहीं शरद पूर्णिमा वाली रात को खीर बनाकर चांद की रोशनी में पूरी रात रखा जाता है। ऐसे मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें जब पूरी रात खीर पर पड़ती तो खीर में विशेष औषधिगुण आ जाती है। 

हिन्दू धर्म ग्रंथो का मानना है कि समुद्र मंथन में अश्विन महीने की पूर्णिमा पर महालक्ष्मी प्रकट हुईं. इसी वजह से इस दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन महालक्ष्मी रात्रि में विचरण करती हैं इस लिए इस दिन जो रात में जगकर लक्ष्मी जी को याद करता है. उसकी सारी मुरादें पूरी होती हैं.

इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस पूर्णिमा में श्री हरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इस बार यह पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 को है।  इस दिन माता लक्ष्मी रात में धरती पर विचरण करती हैं। इसलिए इसे लक्ष्मी पूर्णिमा का नाम दिया गया है। इस दिन खासतौर पर चावल की खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखी जाती है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी से अमृतवर्षा होती है। इसलिए चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की सेहत संबंधी परेशानियां खत्म होती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की भी विशेष पूजा की जाती है। इससे कई प्रकार की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा के दिन रातभर जाकर मां का जागरण किया जाता है। इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

शरद पूर्णिमा का चंद्रमा अपने पूरे शबाब पर होगा। अमृत बरसेगा। इस अमृत को आप भी खीर बना कर ग्रहण करेंगे।  इस उपाय के अनुसार आपको 4 लौंग लेनी है। जी हां वही लौंग जो घरों में मसाले और मुखवास के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसके साथ ही एक लाल कपड़ा लेना है। इसके बाद महालक्ष्मी और कुबेर जी को ध्यान में रख कर घर के पूजा घर में बैठ कर देसी घी की ज्योत जलानी है और फिर 2 लौंग के जोड़े को इस में डाल देना है।  बची हुई दो लौंग को लाल कपड़े में बांध कर सच्ची श्रद्धा से उसे महालक्ष्मी का रूप मान कर अपनी तिजोरी में रख देना है। बस आपको केवल यही करना है। कोई मंत्र नहीं, कोई तंत्र नहीं। ऐसा करने से मात्र कुछ ही दिनों में आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएगी, सबसे महत्वपूर्ण तो यह कि कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी। आपके पास इतना पैसा आएगा कि संभालना मुश्किल हो जाएगा।

इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि हर पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अत: आप सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें। यदि कुंडली में चंद्र ग्रहण है तो यह दिन उसे हटाने का सबसे अच्छा दिन है। इस दिन चन्द्रमा से संबंधित चीजें दान करना चाहिए या इस दिन खुलकर लोगों दूध बांटना चहिए। इसके अलावा 6 नारियल अपने ऊपर से वार कर किसी बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए।

इस शरद पूर्णिमा की रात 5 विशेष मंत्रों से मिलेगी चंद्र देव की कृपा…

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः शरद पूर्णिमा की रात में सिर्फ इस मंत्र को पढ़ लीजिए.. मिलेगा इतना कुछ जो आपने सोचा भी नहीं होगा

ॐ चं चंद्रमस्यै नम:


दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।


ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।


ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।


ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विद्महे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।

भागवत महापुराण में कहा गया है कि आप चाहते हैं आपका भाग्य, सौभाग्य बन जाए तो शरद पूनम पर चमकीले, श्वेत और सुंदर चंद्र देव को इस मंत्र से पूजें। पुत्र पौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे।”

दीवाली के दिन करें वास्तुनुसार पूजा

उत्तर दिशा में पूजा – माना जाता है कि उत्तर दिशा धन की दिशा होती है. और मां लक्ष्मी जिनकी पूजा दीवाली के दिन होती है, धन की देवी मानी गई हैं इसीलिए दीवाली की पूजा उत्तर दिशा या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए. इसके मुताबिक पूजा करने वाले का मुख घर की उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए.   

हर बार बदले मूर्तियां – हर साल दीवाली पूजन में इस्तेमाल की जाने वाली लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां नई होनी चाहिए. पुरानी मूर्तियों को इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए. लेकिन अगर आपके पास चांदी की मूर्तियां हैं तो दोबारा उन्हें गंगाजल से साफ करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है. 

लाल रंग का इस्तेमाल – कहते हैं देवी को लाल रंग अति प्रिय होता है इसीलिए दीवाली की पूजा में लाल रंग की वस्तुओं का इस्तेमाल विशेष तौर से करना चाहिए. जैसे इस दिन पूजा के दौरान देवी को लाल रंग के कपड़े, लाल रंग के फूल, लाल श्रृंगार अर्पित करें. इससे मां को प्रसन्न किया जा सकता है. 

रोली से बनाएं स्वास्तिक – पूजा घर में दोनों तरफ रोली से स्वास्तिक का निर्माण करना भी शुभ माना जाता है. कहते हैं स्वास्तिक भगवान गणेश का ही स्वरूप होता है. जो अत्यंत शुभ फल देने वाला माना गया है. इससे घर में मौजूद तमाम तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. 

पूजा में बजाए शंख – लक्ष्मी पूजन में शंख का बहुत ही महत्व होता है. और शंख की आवाज़ को अत्यंत शुभ माना गया है. इसीलिए दीवाली की पूजा में शंख ज़रुर बजाना चाहिए इससे देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. और मन व मस्तिष्क दोनों में सकारात्मक ऊर्जा आती है. 

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