शिवसेना ने भाजपा को चिढाया, पटेल होगे चुनाव अभियान प्रमुख
शिवसेना हार्दिक पटेल तथा कांग्रेस से भी सांठगाठ कर सकती है- एक्सक्सूलिव रिपोर्ट
बीजेपी ने शिवसेना पर कांग्रेस से साठगांठ का आरोप लगाया था वही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को राज्य में चुनावी प्रचार अभियान के चेहरा के रूप में घोषित किया है. दरअसल, हार्दिक पटेल गुजरात में आंदोलन के जरिए राज्य की बीजेपी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन चुके हैं
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बीजेपी ने शिवसेना पर कांग्रेस से साठगांठ का आरोप लगाया था. बीजेपी ने इस गंभीर आरोप के साथ देश की सबसे अमीर महानगरपालिका के चुनाव प्रचार में खलबली पैदा कर दी.बीजेपी ने शिवसेना और कांग्रेस के बीच टिकटों के बंटवारे में भी साठगांठ होने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि इन दोनों दलों ने बीजेपी के उम्मीदवार को हराने के लिए एक-दूसरे के सामने कमजोर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं मुम्बई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार ने यह बात कही.
हार्दिक पटेल ने साफ किया है कि वह फिलहाल राजनीति में नहीं आ रहे हैं। हार्दिक के इस बयान ने शिवसेना की उस घोषणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं जिसमें कहा गया था कि हार्दिक पटेल गुजरात विधानसभा के इस साल के अंत में होने चुनाव के लिए उनके सीएम कैंडिडेट होंगे। सभी कयासों पर विराम लगाते हुए हार्दिक पटेल ने संदेश जारी करके कहा कि वह ऐसी किसी उम्मीदवारी के लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं। रेडिफ मेल के मुताबिक, हार्दिक पटेल का एक संदेश व्हाट्सअप पर आ रहा है। उस संदेश में हार्दिक ने कहा है कि वह तबतक राजनीति या फिर कोई पार्टी ज्वॉइन नहीं करेंगे जबतक वह पटेलों को ओबीसी कोटा दिलवाने में कामयाब नहीं हो जाते।
मैसेज में हार्दिक ने आगे लिखा है, ‘मैंने पहले भी यह कहा है और आज फिर से इसको दोहरा रहा हूं। जबतक मैं पाटीदारों को आरक्षण और न्याय दिलवाने में कामयाब नहीं हो जाता तबतक किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वॉइन नहीं करूंगा। वैसे भी मेरी उम्र में चुनाव लड़ा ही नहीं जा सकता।’ दरअसल लोकसभा या फिर विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 25 साल की उम्र होनी चाहिए। हार्दिक फिलहाल 23 साल के हैं।
हार्दिक ने आगे लिखा, ‘मैं लोगों से मिल रहा हूं ताकि सपोर्ट ले सकूं ना कि राजनीति करना चाहता हूं। मैं काफी सभ्य और शांत परिवार से हूं। मैं यहां आर्दशों की लड़ाई लड़ने आया हूं। मैं एक गांव के परिवार से ताल्लुक रखता हूं जिसके पिता किसान हैं। मैं सीएम नहीं बनना चाहता। मैं आम आदमी बनना चाहता हूं।’
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को राज्य में चुनावी प्रचार अभियान के चेहरा के रूप में घोषित किया है. दरअसल, हार्दिक पटेल गुजरात में आंदोलन के जरिए राज्य की बीजेपी सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन चुके हैं. कहा तो यह भी जाता है कि आनंदीबेन के इस्तीफे की एक वजह भी वही थे. आनंदीबेन हार्दिक पटेल के आंदोलन को सही तरीके से नहीं संभाल पाईं और राज्य में बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी. माना जाता है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी हार्दिक पटेल के अच्छे संबंध हैं. कुछ समय पहले जयपुर में अरविंद केजरीवाल ने हार्दिक पटेल से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन जयपुर में प्रशासन ने उन दोनों को यह कहकर नहीं मिलने दिया था कि इसके लिए उन्हें गुजरात हाईकोर्ट से परमिशन लेनी होगी.
उल्लेखनीय है कि हार्दिक पटेल ने हाल ही में गुजरात लौटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया था. उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि आप दो लाख रुपये का सूट पहनते हैं और खुद को गांधी कहते हैं…आप चरखे के साथ बैठ नहीं सकते और खुद को गांधी कहते हैं.” पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल (23) छह महीने के बाद राजस्थान से गुजरात लौटे थे. वह इस दौरान राजस्थान में रह रहे थे. सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में पाटीदार या पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हार्दिक को छह महीने पहले देशद्रोह के एक मामले में इस शर्त के साथ कोर्ट ने जमानत दी थी कि वह छह माह गुजरात से बाहर रहेंगे.