UK; सियासत में 4 दशक से ज़्यादा वक़्त का अनुभव रखने वाले हरीश रावत के सामने युवा पुष्‍कर सिंह धामी

पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री नियुक्‍त किये गये हैं. पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट से विघायक हैं. पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ”मैं पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सभी का धन्यवाद करना चाहूंगा.” पार्टी को चुनाव में जिताने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनौती हैं और चुनौती को स्वीकार करता हूं.

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पुष्कर सिंह धामी 4 JULY 2021 (रविवार) सीएम पद की शपथ लेंगे

शुक्रवार देर रात तीरथ सिंह रावत ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखकर अपने इस्तीफे की पेशकश की थी. उन्होंने संवैधानिक बाध्यता का हवाला देते हुए सीएम पद से इस्तीफा देने की बात कही.

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद सतपाल महराज, त्रिवेंद्र सिंह रावत, धन सिंह रावत समेत कई नाम इस रेस में आगे माने जा रहे थे धामी जिस कैबिनेट के मुखिया बने हैं, उसमें बहुत अनुभवी नेता शामिल हैं। इनमें बंशीधर भगत से लेकर सतपाल महाराज और बिशन सिंह चुफाल तक का नाम शामिल है।  विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाना निश्चित ही बेहद दुरूह लक्ष्य है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत के गुटों के लोगों को भी धामी को साथ लेकर चलना होगा। 

उत्तराखण्ड प्रदेश के सीमान्त जनपद पिथौरागढ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडी हाट में 16 सितंबर 1975 को जन्मे सैनिक पुत्र पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति को ही धर्म के रूप में अपनाया। आर्थिक आभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। तीन बहनों के अकेले भाई पुष्कर सिंह धामी ने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया। पुष्कर सिंह धामी ने स्नातकोत्तर के बाद मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध के मास्टर डिग्री प्राप्त की है।

धामी के अलावा, परिवार में उनकी तीन बहन भी हैं. उनके पिता पूर्व में भारतीय सेना में भी रह चुके हैं. धामी का जन्म गांव टुण्डी, पिथौरागढ़ में हुआ था.  उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन एवं औद्योगिक संबंध में पीजी और एलएलबी की शिक्षा पूर्ण की है  

सन् 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया है। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिका निभाई। उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त पूर्व मुख्यमंत्री के साथ एक अनुभवी सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया। वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। सन 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये गये। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने के लिए 11 जनवरी 2005 को प्रदेश के युवाओं को जोड़कर विधान सभा का घेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की गयी जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है।कुशल नेतृत्व क्षमता तथा शैक्षिणिक एवं व्यावसायिक योग्यता के कारण पूर्ववर्ती भा0ज0पा0 सरकार में वर्ष 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष बने।

उत्तराखंड को राजनीतिक प्रयोगशाला बना दिया गया। निश्चित रूप से कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाएगी ही, पश्चिम बंगाल में तीरथ के बहाने जो तीर छोड़ा गया है उससे बचने के लिए ममता बनर्जी को अभी से मशक्कत करनी होगी। मतलब कि सियासत अब कुर्बानी लेने लगी है।

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा कि इस राजनीतिक घटनाक्रम से प्रदेशवासियों को डबल इंजन की परिभाषा समझ में आ रही है। राज्य में शासन व्यवस्था बिल्कुल ठप पड़ चुकी है।  2017 में प्रचंड बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस पैने हमले कर रही है। भाजपा ने   कांग्रेस में नई जान फूंक दी है।  पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड के सम्मुख संवैधानिक उलझन में भाजपा को कुछ सूझ नहीं रहा है। जनता से वायदे पूरे करने में विफल रहने पर भाजपा अब मुख्यमंत्री बदलकर ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही है। 

तीरथ सिंह रावत प्रकरण ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए सीधा संदेश दिया है।  उत्तराखंड ही की तरह पश्चिम बंगाल में भी विधानपरिषद नहीं है। ऐसे में अगर चुनाव आयोग 5 नवंबर से पहले चुनाव नहीं कराता है तो ममता के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहना संभव नहीं रह जाएगा। चुनाव आयोग कोविड की महामारी को अपने फैसले की विवशता के रूप में पेश कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ जाएगा और अपनी जगह किसी और को कुर्सी पर पदासीन करना होगा।

10 मार्च को तीरथ सिंह रावत ने शपथ ली और 2 जुलाई को उन्होंने इसलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्हें 10 सितंबर तक निर्वाचित होने का विश्वास नहीं था। 10 मार्च 2021 से आगे उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 तक यानी पूरे एक साल के लिए था।  क्या वास्तव में उत्तराखंड में ऐसी स्थिति पैदा हो गयी थी कि तीरथ सिंह रावत के लिए निर्वाचित होने के अवसर खत्म हो गये थे? चुनाव आयोग ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की थी कि 10 सितंबर से पहले उत्तराखंड में चुनाव नहीं कराए जा सकते। फिर संवैधानिक संकट खड़ा कैसे हुआ? कैसे यह स्वयं मान लिया गया कि 10 सितंबर से पहले चुनाव आयोग चुनाव नहीं करा सकता?

पुष्कर सिंह धामी 3 जुलाई 2021 को उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री मनोनीत हुए हैं, पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की खटीमा सीट से विधायक हैं। 45 साल के युवा धामी लगातार दो बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। धामी को पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का क़रीबी माना जाता है।  धामी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू की थी और उसके बाद वह दो बार उत्तराखंड में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे थे।  धामी और बीजेपी की उत्तराखंड इकाई के सामने विधानसभा का चुनाव जीतने का बडा लक्ष्‍य है

.3 जुलाई शनिवार को देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई और इसमें नए मुख्यमंत्री का चुनाव किया गया।  विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद धामी पार्टी के नेताओं के साथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे और उन्हें इस संबंध में पत्र सौंपा।  केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और डी. पुरंदेश्वरी बीजेपी विधायक दल की बैठक में मौजूद रहे। बैठक में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम व सह प्रभारी रेखा वर्मा भी मौजूद रहीं। 

बीजेपी ने 9 मार्च को उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई करवा दी थी लेकिन चार महीने से भी कम वक़्त में नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी बोरिया बिस्तर समेटने का आदेश दे दिया गया। 

राज्य में 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव हैं और धामी पर पार्टी को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी है। उनके सामने कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे हरीश रावत होंगे और ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या धामी बीजेपी की सत्ता में वापसी करा पाएंगे? क्या वह सियासत में चार दशक से ज़्यादा वक़्त का अनुभव रखने वाले हरीश रावत के सामने टिक पाएंगे? 

धामी ने पिछले दो विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज की है। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रशिक्षित स्वयंसेवक रहे हैं। संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से होते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा में आए और दो बार इसके अध्यक्ष रहे। 

पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के क़रीबी माने जाने वाले धामी जिस कैबिनेट के मुखिया बने हैं, उसमें बहुत अनुभवी नेता शामिल हैं। इनमें बंशीधर भगत से लेकर सतपाल महाराज और बिशन सिंह चुफाल तक का नाम शामिल है।  धामी के पास शहरी अनुश्रवण समिति के उपाध्यक्ष के तौर पर काम करने का दो साल का अनुभव है। वह राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री भी नहीं रहे हैं, ऐसे में वह कैसे सरकार चला पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है। 

अगर कांग्रेस हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो धामी का क़द निश्चित रूप से रावत के सामने हल्का पड़ सकता है। क्योंकि हरीश रावत पांच बार सांसद रहने के साथ ही, केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री, मुख्यमंत्री, दो बार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सहित संगठन में कई बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। 

हरीश रावत के बारे में कहा जाता है कि उत्तराखंड में वह अकेले ऐसे राजनेता हैं जिनका हर विधानसभा क्षेत्र में जनाधार है और 73 साल की उम्र में भी उनकी सक्रियता किसी नौजवान से कम नहीं है। 

पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री बनाये गये है. भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक में ये फैसला लिया गया. देहरादून में हुए विधायक दल की बैठक में धामी के नाम पर मुहर लगाई गई. धामी राज्य के 11वें सीएम होंगे. पुष्कर सिंह धामी एक युवा नेता हैं और फिलहाल वो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं. धामी का जन्म पिथौरागढ़ के टुंडी गांव में हुआ. धामी ऊधम सिंह नगर के खटीमा विधानसभा क्षेत्र से इस बार दूसरी बार विधायक बने हैं. धामी को भगत सिंह कोश्यारी का बेहद करीबी माना जाता है. पुष्कर सिंह धामी आरएसएस की पृष्ठभूमि के नेता हैं. राजनीति के शुरुआती दौर में वो एबीवीपी के कई अहम पदोंं पर रहे हैं. धामी दो बार बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. पुष्कर सिंह धामी के नाम का एलान खुद पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने किया. उत्तराखंड भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ”मेरी पार्टी ने एक सामान्य से कार्यकर्ता को सेवा का अवसर दिया है. जनता के मुद्दों पर हम सबका सहयोग लेकर काम करेंगे.” सीएम पद मिलने पर उन्होंने कहा, ”मैं पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सभी का धन्यवाद करना चाहूंगा.” पार्टी को चुनाव में जिताने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनौती हैं और चुनौती को स्वीकार करता हूं.

‘संवैधानिक संकट’ को तीरथ   ने अपने इस्तीफे की वजह बताया — ममता बनर्जी पर भी इस्तीफे का दबाव ब

चार महीने पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया. दरअसल सीएम पद की शपथ लेते वक्त तीरथ सिंह रावत  विधानसभा के सदस्य नहीं थे. छह महीने के भीतर उनका विधायक बनना जरूरी था. कोरोना के चलते राज्य में उपचुनाव नहीं हो पाएंगे. इसी ‘संवैधानिक संकट’ को तीरथ   ने अपने इस्तीफे की वजह बताया है तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद बीजेपी अब ममता बनर्जी पर भी इस्तीफे का दबाव बना रही है.   बीजेपी नेता अभी से ममता पर तंज कसने लगे हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व सांसद अनुपम हाजरा ने ट्वीट किया कि उत्तराखंड में छह महीने  में चुनाव नहीं हो सकता था. इसलिए तीरथ रावत ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. क्योंकि वह एक सभ्य व्यक्ति हैं. हालांकि सभी लोगों से इस तरह के व्यवहार की  अपेक्षा नहीं की जा सकती है  पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग फतह करने के बाद ममता बनर्जी ने 4 मई 2021 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. खुद नंदीग्राम में चुनाव हारने के चलते  ममता राज्य विधानमंडल की सदस्य नहीं हैं. ऐसे में उन्हें अनुच्छेद 164 के तहत छह महीने के अंदर यानी 4 नवंबर 2021 तक विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है और  संवैधानिक बाध्यता है  पश्चिम बंगाल में भवानीपुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई है, लेकिन ममता विधानसभा की सदस्य तभी बन पाएंगी जब तय अवधि के अंदर चुनाव हो सकें. मौजूदा दौर में  कोरोना संकट के चलते चुनाव आयोग अगर उपचुनाव नहीं करा पाता है तो 4 नवंबर को तीरथ सिंह रावत की तरह ममता बनर्जी को भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़  सकता है.   

उत्तराखंड की सियासत पर कुछ इस तरह ली जा रही हैं चुटकियां,  

उत्तराखंड की सियासत पर कुछ इस तरह ली जा रही हैं चुटकियां,   उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के पद से तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद से ही इंटरनेट मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।   मोहित कुकरेती  कहते है कि सीएम से ज्‍यादा तो मेरा सिलेण्‍डर चलता है, किसी ने कमेन्‍ट किया कि बीजेपी के सभी कार्यकर्ता फोन ऑन रखें। किसी को भी मुख्यमंत्री पद के लिए कॉल आ सकती है। एक कमेन्‍ट था मुख्यमंत्री पद के लिए आयोजित हो रही भर्ती में धन सिंह रावत लंबाई में बाहर। एक सज्‍जन लिखते है कि न ही पुल टिक रहे हैं न ही सड़क और न ही मुख्यमंत्री।

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