30 अप्रैल;बदीनाथ धाम में 100 वर्षो बाद फिर नही होगे अखण्ड ज्योति के दर्शन

High Light# बद्रीनाथ धाम में कपाट खुलते मंदिर में प्रज्जवलित अखण्ड ज्योति के दर्शन का विशेष महत्व # यह अखण्ड ज्योति साल भर लगातार प्रज्जवलित रहती है # कपाट बंद रहने के दौरान ठंडे मौसम में भी यह जलती है # अखण्ड ज्योति भगवत कृपा का आशीर्वाद # कपाट खुलने पर पुजारियों द्वारा भगवान और अखण्ड ज्योति की पूजा # तीर्थयात्री पवित्र तप्त कुंड में डुबकी लगाकर भगवान की पूजा और अखण्ड ज्योति के दर्शन करते हैं # 30 अप्रैल को भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलेगे, #  वर्ष 1920 में गढवाल परिक्षेत्रमें हैजा फैला था उस समय भी महामारी के भय से धाम के कपादोदघाटन के दौरान श्रद्वालुओ को अनुमति नही दी गयी थी # बद्रीनाथ धाम के कपाट 6 महीने बाद एक बार फिर खुलने को तैयार हैं. #Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: CS JOSHI- EDITOR

भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने पर दिव्‍य ज्‍योति के दर्शन श्रद्वालुओ को नही हो पायेगे, 30 अप्रैल को भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलेगे, धाम के धर्माधिकारी भुवन उनियाल ने मीडिया को बताया कि पूर्वजो के अनुसार वर्ष 1920 में गढवाल परिक्षेत्रमें हैजा फैला था उस समय भी महामारी के भय से धाम के कपादोदघाटन के दौरान श्रद्वालुओ को अनुमति नही दी गयी थी अब 100 वर्षो बाद एक बार फिर श्रीबद्रीनाथ धाम में अखण्‍ड ज्‍योति के दर्शन नही हो पायेगे

बद्रीनाथ धाम में पहले दिन मुख्य दर्शन अखंड ज्योति के ही मान्य होते हैं। अखंड ज्योति को देखने भक्त देश के कोने कोने से बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं। बद्री विशाल के साथ अखंड ज्योति शीतकाल में भी जलती रहती है।  ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ में शीतकाल में भी देवताओं द्वारा पूजा की जाती है। पुराणों में लिखा है कि बद्रीनाथ में 6 माह मनुष्य पूजा करेंगे और 6 माह देवता पूजा करेंगे। मान्यता है कि शीतकाल में नारद जी धाम के मुख्य पुजारी होते हैं। नारद जी प्रतिदिन मां लक्ष्मी और बद्रीनाथ जी की पूजा अर्चना करते हैं।  माना जाता है कि भगवान विष्णु की कृपा पाने का एक आसान रास्ता बद्रीनाथ से होकर जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त श्री हरि विष्णु की कृपा पाने के लिए पूरी श्रद्धा से बद्रीनाथ पहुंचते हैं। भगवान विष्णु उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। 

भगवान बदरीनारायण के कपाट 30 अप्रैल को खुलने हैं। कपाट खुलने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण, रीति-रिवाज व आदिकाल से चली आ रही परंपरा के साथ कपाट खुलेंगे। धार्मिक अनुष्ठानों में भक्तों की भीड़ नहीं रहेगी। वर्ष 1920 में भी कपाटोद्धाटन पर ऐसा ही हुआ था। तब भारत में हैजा फैला था। कपाट खुलने पर अखंड ज्योति के दर्शन को भारी संख्या में तीर्थ यात्री पहुंचते हैं, लेकिन इस बार तीर्थ यात्रियों के नहीं पहुंचने से बदरीधाम में उल्लास नजर नहीं आएगा। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने में अब 19 दिन शेष हैं। लेकिन देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़े को देखते हुए इस वर्ष बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने के दौरान होने वाले अखंड ज्योति के दर्शन को लेकर तीर्थयात्रियों की मौजूदगी को लेकर संशय बना हुआ है। संक्रमण की रोकथाम के लिए कपाटोद्धाटन से पूर्व होने वाले आयोजनों में समिति के लोग ही उपस्थिति रहेंगे। आयोजन समितियों ने यह निर्णय लिया है। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन उनियाल ने बताया कि पूर्वजों के अनुसार वर्ष 1920 में गढ़वाल परिक्षेत्र में हैजा फैला था। उस समय भी महामारी के भय से धाम के कपाटोद्धाटन के दौरान तीर्थयात्री धाम में नहीं पहुंचे थे। वहीं अब सौ वर्षों बाद कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए एक बार फिर तीर्थयात्रियों के अखंड ज्योति के दर्शन न कर पाने की स्थितियां बनी हैं। ऐसे में बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा के प्रभावित होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। कपाट खुलने पर अब यहां छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन किये जाने की परम्‍परा इस बार नही हो पायेगी

देवभूमि के रूप में प्रसिद्ध हिमालय पर्वत की वादियों में नर और नारायण पर्वत के बीच, अलकनंदा नदी के दक्षिण किनारे स्थित है – बद्रीनाथ धाम। भारत की उत्तर दिशा में यह हिंदुओं के सबसे प्राचीन तीर्थों में एक है। यह वैष्णव धाम है। जहां भगवान विष्णु की पूजा होती है। भगवान विष्णु का तीर्थ होने से इसका महत्व वैकुंठ की तरह माना जाता है। शास्त्रों में इसे विशालपुरी भी कहा गया।

मंदिर के कपाट यानी द्वार अगले छ: माहों के लिए खुलते हैं। मंदिर के कपाट अप्रैल-मई में खुलकर अक्टूबर-नवंबर विजयादशमी तक खुले रहते हैं।

पौराणिक मान्यताओं में बद्रीनाथ की स्थापना सतयुग में मानी जाती है। वेदों में भी बद्रीकाश्रम का वर्णन आया है। मंदिर में वर्तमान में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति को आठवीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने नारदकुंड से निकालकर तप्तकुंड के पास गरुड़ गुफा में बद्रीविशाल के रूप में प्रतिष्ठित किया था।

बद्रीनाथ धाम में कपाट खुलते मंदिर में प्रज्जवलित अखण्ड ज्योति के दर्शन का विशेष महत्व है। यह अखण्ड ज्योति साल भर लगातार प्रज्जवलित रहती है यानी कपाट बंद रहने के दौरान ठंडे मौसम में भी यह जलती है। श्रद्धालु इस अखण्ड ज्योति को भगवत कृपा और आशीर्वाद मानते हैं। क्योंकि मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान ब्रद्रीनाथ योग मुद्रा में जाते हैं और देवताओं द्वारा उनकी पूजा की जाती है।

मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने के समय पूजा और आरती की परंपरा है। कपाट खुलने पर दर्शन मंडप से पुजारियों और कुछ विशेष लोगों द्वारा भगवान और अखण्ड ज्योति की पूजा की जाती है। सभी तीर्थयात्री पवित्र तप्त कुंड में डुबकी लगाकर सभा मंडप या बाहर से ही भगवान की पूजा और अखण्ड ज्योति के दर्शन करते हैं।

बद्रीनाथ धाम के कपाट 6 महीने बाद एक बार फिर खुलने को तैयार हैं. हिन्दुओं के चार धामों में एक भगवान विष्णु के इस मंदिर की बड़ी मान्यता है. भगवान बद्रीनाथ के गेट खुलने के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है. इस दिन वैदिक मंत्रोचारण के साथ पारंपरिक तरीके से पूजा की जाती है और फिर मंदिर का गेट खोल दिया जाता है. उसके बाद देश भर के श्रद्धालु लाखों की संख्या में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं.

हर साल सर्दियों के मौसम में भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. जब दोबारा भगवान बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं तो मंदिर में दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. यह हिन्दुओं के चार महत्वपूर्ण धामों में से एक है. इस साल भगवान ब्रदीनाथ के मंदिर का गेट 30 अप्रैल की सुबह खोला जाएगा. इसके खुलने का समय 4.30 बजे रखा गया है. इसकी घोषणा राज पुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल और संपूर्णानंद जोशी ने बुधवार को बसंत पंचमी के मौके पर की थी 29 अप्रैल को केदारनाथ के कपाल खोल दिए जाएंगे। वहीं 30 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर भक्तौों के लिए बद्री नाथ के कपाट खोले जाएंगे।

पिछले साल मई महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे और भगवान बद्रीनाथ की पूजा अर्चना की थी. इसके बाद चार महीने में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे. इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड टूट गया था..

फरवरी माह में 4 धामो के क्रोधित पुजारियों ने श्राप दे डाला थाhttps://himalayauk.org/char-dham-dev-eshthanam-act-uk-angry-priest/

चार धामों में एक बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थल है। पुराणों में भी इस मंदिर का विशेष वर्णन किया गया है। भगवान बद्रीनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त हर साल बद्री विशाल के मंदिर में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। आज से अगले 6 महीने तक अब श्री बद्रीनारायण यहां भक्तों को दर्शन देंगे।  पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने मात्र से उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जगत पालनहर श्रीहरि विष्णु का ये पवित्र धाम बद्रीनारायण मंदिर आस्था और विश्वास का महासंगम माना जाता है। 

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