सोशल मीडिया का इस्तेमाल ; अब भाजपा के लिए एक चुनौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़ास और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने  युवाओं को  सोशल मीडिया  से बचने की सलाह दी. सोशल मीडिया से मिली जीत- अब सोशल मीडिया से बचने की सलाह

PHOTO CAPTION; The Prime Minister, Shri Narendra Modi during the India Cultural Road Show organised in honour of the Prime Minister of Japan, Mr. Shinzo Abe, in Ahmedabad, Gujarat on September 13, 2017.

एक समय था जब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया का इस्तेमाल जनमत के निर्माण और विरोधियों पर हल्ला बोलने के लिए किया करते थे. 2012 के गुजरात विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने सोशल मीडिया का बेहतरीन इस्तेमाल किया और दोनों चुनावों में जीत दर्ज की. पांच साल बाद गुजरात में फिर से चुनाव होने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़ास और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने  युवाओं को अहमदाबाद में संबोधित किया और उन्हें सोशल मीडिया पर भाजपा विरोधी अभियान से बचने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर भाजपा विरोधी प्रोपेगैंडा कांग्रेस चला रही है. शाह का ये बयान सोमवार को सुर्खियों में छाया रहा. उन्होंने युवाओं को तथ्यों के आधार पर वोट देने की अपील की.

यह सबकुछ चकित करने वाला है. आखिर गुजरात में पांच सालों में ऐसा क्या बदल गया? जिस भाजपा के लिए सोशल मीडिया चुनाव का अहम हथियार हुआ करता था, आज वही भाजपा इससे लोगों को बचने की सलाद दे रही है. सोशल मीडिया पर दुनिया भर के गुजराती ‘विकास’ का मज़ाक बना रहे हैं. 2012 विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने ‘दिशा बदलें, दशा बदलें’ का नारा लगाया था. जवाब में भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास’ लेकर आई, जिसे लोकसभा चुनावों के लिए भी इस्तेमाल किया गया. भाजपा ने उस समय तत्कालीन केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ ‘गुजरात के साथ अन्याय’ अभियान की भी शुरुआत की थी. टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया पर इसके ऐड चलाए गए थे जो पार्टी के लिए फ़ायेदमंद साबित हुए. तकनीक और मल्टीमीडिया के ज़रिए नरेंद्र मोदी ने उस वक्त एक बार में कई जगहों पर लोगों को संबोधित भी किया था.

2007 विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का मुखौटा भी खूब चला था. पार्टी के चुनावी वादों की ज़मीनी हक़ीक़त और चुनावी प्रोपेगैंडा के बीच जैसे-जैसे अंतर बढ़ता जा रहा है, सत्ताधारी पार्टी को सोशल मीडिया पर उपहास का सामना करना पड़ रहा है. अभी सोशल मीडिया पर ‘विकास पगला गया है’ चलन में है. मूसलाधार बारिश के बाद अहमदाबाद की सड़कों में हुए गड्ढों की तस्वीर ने स्थानीय मीडिया में जगह बनाई. गड्ढों की वजह से दुर्घटना के शिकार लोगों के अस्पताल पहुंचने की ख़बर भी छपी. जिसके बाद ठेकेदारों और सरकार के बीच भ्रष्टाचार के मुद्दे को हवा मिली.

असल मुद्दों से दूरी’ सड़कों की मरम्मत करने की बजाए सरकार ने अपनी पूरी ताकत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन में झोंक दी है. वह   बुलेट ट्रेन की नींव रखने गुजरात आ रहे हैं हैं. उनके साथ जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी होंगे. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी ने राज्य के लोगों से मेट्रो ट्रेन का वादा किया था, जो अभी तक नहीं मिल सकी है. ऐसे में बुलेट ट्रेन लोगों को छलावा लग रहा है जिसका सोशल मीडिया पर मज़ाक बनाया जा रहा है. वास्तविकता यह है कि सोशल मीडिया पर चल रहा ‘विकास पगला गया है’ अभियान लोगों का है, जिसे आगे कांग्रेस इस्तेमाल कर सकती है. भाजपा तकनीक का इस्तेमाल करने और सोशल मीडिया से जनमत का निर्माण करने वाली पार्टी रही है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी बाद में इसके महत्व को समझा.  केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जीतू भगनानी के जन्मदिन के मौके पर अहमदाबाद पहुंचे. दोनों मंत्रियों ने आगामी चुनाव को लेकर कई सभाएं कीं जिसमें नेताओं के साथ-साथ आईटी टीम को भी संबोधित किया गया. दोनों मंत्रियों को राज्य में होने वाले चुनाव का प्रभार दिया गया है. पूर्व में हुए जाति आधारित आंदोलनों में जिस तरह से सोशल मीडिया का इस्तेमाल हुआ है, यह भाजपा के लिए एक चुनौती की तरह होगी.

गाय की पूंछ पकड़ कर गंगा पार कर ली बीजेपी वालों ने अब गाय को तो बचा लो।  हरियाणा की एडवोकेट रेणुका चोपड़ा द्वारा यूपी के न्यायालय में दाखिल एक रिट पर सुनवाई करते हुए जज ने कहा।
लखनऊ। गाय की पूंछ पकड़ कर गंगा पार कर ली बीजेपी वालों ने अब गाय को तो बचा लो।  हरियाणा की एडवोकेट रेणुका चोपड़ा द्वारा यूपी के न्यायालय में दाखिल एक रिट पर सुनवाई करते हुए जज ने कहा। रेणुका ने एक बड़ा खुलासा किया है जिसमें प्रतिबंध के बावजूद कैसे भारी संख्या में हरियाणा से यूपी के बूचड़खानों में गाय एक्सपोर्ट की जा रही है। रेणुका चोपड़ा ने सबूत के साथ बताया कि हरियाणा में सभी पशु निर्यात कार्यालयों को खट्टर सरकार के लिखित आदेश है कि यूपी में गाय भेजनी हैं। जबकि बीफ प्रतिबंधित राज्यों से न तो दूसरें राज्यों में बीफ भेजा जा सकता है और न ही लाया जा सकता है। आपको याद दिला दें कि दोनों ही राज्यों में बीफ यानी गाय का मीट और हत्या पूरी तरह प्रतिबंधित है।
रेणुका ने यूपी पुलिस के कई एसएचओ से फोन पर हरयाणा के पशु निर्यात कार्यालय की कर्मचारी बनकर जब बात की तो एसएचओ बोले कि आप एक्सपोर्ट परमिट न बनाया करें क्योकि आपकी एक्सपोर्ट की गई सभी गाय बूचड़खानों में पहंुच रही हैं। काली-सफेद गायों में भी काफी राज़ छुपा है। रेणुका ने बताया कि बीजेपी नेता साहिवाल नाम की सफेद गायों को हिन्दुओं की गाय और काली गाय को मुसलमानों की गाय बताते हैं क्योकि काली गाय के मुकाबले सफेद गाय जल्दी बूढ़ी हो जाती है, विदेशों में सफेद गाय के मीट की ज्यादा डिमांड है और सफेद गाय का चमड़ा भी महंगा बिकता है। इसीलिए बीजेपी सफेद गायों की जनसंख्या बढ़ाने पर जोर देती है। रूचिका सबूतों के आधार पर बताती हैं कि केवल बीजेपी ही नहीं बल्कि यूपी की पूर्व अखिलेश सरकार भी सफेद गायों की मांग करती है क्योंकि बूचड़खानों को भी यही गाय चाहिए। इसके बाद सबूतों के आधार पर रेणुका बताती हैं कि उन्होंने यूपी के सहारनपुर की निवासी बनकर जब हरियाणा के पशु निर्यात अधिकारी से फोन पर गाय एक्सपोर्ट परमिट बनाने को पूछा तो जवाब मिला कि बन जाएगा, बस थोड़ी फीस लगेगी और जब रेणुका ने पूछा कि यूपी ले जाकर यदि वो गाय को कटवा दें तो क्या होगा? इस पर अधिकारी ने जवाब दिया कि कटवा देना, कोई नहीं पूछता है। एक खबर के हवाले से रेणुका ने बताया कि भारतीय गौ मास तथा अन्य पशुओं का मास दुबई में महंगे दामों पर बिकता है। उन्होंने बताया कि सफेद गाय का दुबई में महंगे दामों पर बिकता है। कानूनन जिन राज्यों में बीफ बैन है उन राज्यों में किसी भी राज्य से गाय एक्सपोर्ट नहीं की जा सकती है। लेकिन हरियाणा राज्य से यूपी में दूधारू, बूढ़ी और सूखी से लेकर सभ प्रकार की गाय का एक्सपोर्ट होता रहा है। इसके लिए बकायदा हरियाणा की खट्टर सरकार ने अपनी ओर से एक्सपोर्ट की परमिट दे रखी है और वो परमिट भी पूरे सात दिनों के लिए वैलिड है। यानी सात दिनों तक एक गाय से लेकर सैकड़ों गाय तक एक्सपोर्ट की जा रही है। उन्होंने पुलिस के बड़े अधिकारियों से लेकर गौ रक्षा संगठनों की मिलीभगत के सबूत दिखाए जिससे भारी मात्रा में गाय के काटे जाने की पुष्टि हो रही है।
उत्तरप्रदेश में इन दिनों अवैध तरीके से चलाये जा रहे बूचड़खानों पर योगी सरकार की गाज गिरी है। आंकड़ों से पता चलता हैं कि यूपी में बूचड़खानों का यह धंधा करीब 15,000 करोड़ का है। कई लोग सरकार की इस कार्रवाई पर प्रशन उठा कर कह रहे हैं कि इससे यूपी में एक ख़ास मजहब के लोगों को निशाना बनाया जा रहा हैं। बता दें यूपी में इस कारोबार से 25 लाख लोगों के चूल्हे जलते हैं।
अल कबीर एक्स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में मुल्क के कुछ बड़े बूचड़खाने चलाने वाले मालिकों की जानकारी बताई है। बीबीसी ने बताया कि ज्यादातर मबूचडखाने मुस्लिम नाम से चलते तो हैं लेकिन उनके मालिक हिन्दू हैं, खबर के मुताबिक तेलंगाना के मेडक ज़िले में रूद्रम नाम के एक कसबे में देश का सबसे बड़ा बूचड़खाना है। ‘अल कबीर एक्स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ नामी कंपनी इसे चलाती है। लगभग 400 एकड़ में फैले इस बूचड़खाने के मालिक का नाम सतीश सब्बरवाल हैं। अलकबीर वर्ल्ड के कई मुल्कों में बीफ को एक्सपोर्ट करती है। अल कबीर के ऑफिस दुबई, अबू धाबी, क़ुवैत, ज़ेद्दा, दम्मम, मदीना, रियाद, खरमिश, सित्रा, मस्कट और दोहा में हैं।
अरेबियन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लमिटेड के ओनर सुनील कपूर हैं। इसका मेन ऑफिस मुंबई के रशियन मैनशन्स में है। कंपनी बीफ़ के अलावा भेड़ के गोश्त का भी एक्सपोर्ट करती है। इस में विरनत नागनाथ कुडमुले, विकास मारुति शिंदे और अशोक नारंग नाम के शख्स हैं
एमकेआर एक्सपोर्ट्स
एमकेआर फ़्रोज़न फ़ूड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक का नाम मदन एबट हैं. कंपनी का मुख्य दफ्तर दिल्ली में है। एबट कोल्ड स्टोरेजेज़ प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना पंजाब के मोहाली ज़िले के समगौली नाम के गांव में है. इसे सनी एबट चलाते हैं।
अल नूर एक्सपोर्ट्स
एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना यूपी के उन्नाव में मौजूद हैै। इस कंपनी को ओपी अरोड़ा वर्ष 2001चला रहे है. यह खास तौर पर बीफ़ निर्यात करती है. कंपनी का दफ्तर नोएडा में है।
स्टैंडर्ड फ़्रोज़न फ़ूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स का बूचड़खाना तमिलनाडु के गांधीनगर में है. कंपनी के मालिक राजेंद्रन,मजहब को कारोबार से बिल्कुल अलग रखते हैं। महाराष्ट्र फ़ूड्स प्रोसेसिंग एंड कोल्ड स्टोरेज के पार्टनर सन्नी खट्टर का भी कहना यही है कि मजहब और धंधा अलग अलग हैं और दोनों को मिलाना ठीक नहीं है।

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CHANDRA SHEKHAR JOSHI- CHIEF EDITOR; 

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