सीने में जलन, आंखो में तूफां सा क्‍यो है? प्रवासी उत्‍तराखण्‍डियो का रुझान

22 August 20: Himalayauk Newsportal Bureau # High Light# दिल्ली में उत्तराखंड के मूल निवासियों की बड़ी आबादी रहती है, जिसका रुझान ‘आप’ की तरफ है # 62 प्रतिशत लोगों ने भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में ‘आप’को राज्य की राजनीति में आने को कहा # अरविन्‍द केजरीवाल ने कोरोना काल में आम जनता का दिन इस तरह जीता, जिससे  उनकी लोकप्रियता बढती जा रही है#  केजरीवाल ने कोरोना के इस दौर में अपने काम को अंजाम देने वाले वॉरियर का नए अंदाज में सम्मान किया  # उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा से राज्य में आप की सक्रियता तेज #   अब आम आदमी पार्टी की धमक से नए सियासी समीकरण बन सकते हैं : 2022 :उत्तराखंड विधान सभा चुनाव : क्या है राज्य का मूड; अगर आज चुनाव हो जाय तो?

दिल्ली में उत्तराखंड के मूल निवासियों की बड़ी आबादी रहती है, जिसका रुझान ‘आप’ की तरफ है। कोरोना के चलते हजारों लोग दिल्ली से उत्तराखंड लौटे हैं। इन लोगों ने दिल्ली में बिजली, पानी, स्कूल, महिलाओं को फ्री यात्रा समेत सरकार की कई योजनाएं नजदीक से देखी हैं। लौटे लोगों ने स्थानीय लोगों के बीच भी इस बात को लेकर चर्चा की है। यह बात सर्वे में आई है। इसके बाद से पार्टी राज्य में अपनी मजबूती को लेकर काफी आश्वस्त है।  राज्य में आम आदमी पार्टी का विस्तार तेजी से चल रहा है। घर-घर जाकर लोगों से पार्टी की नीतियों को लेकर चर्चा की जा रही है। उत्तराखंड में कुल 10,800 बूथ हैं। इनमें से 6000 से ज्यादा बूथों पर पार्टी ने प्रभारी तय करने के साथ ही पांच-पांच लोगों की टीम भी नियुक्त कर दी है। 

राजनीतिक गलियारों में भी हलचल बढ़ना तय है। अब जब ‘आप’ उत्तराखंड में भी खुद को मजबूत करने में जुट गई है, तो बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। मुख्मयंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी कह दिया है कि आप कुछ भी नहीं। खैर, अब आने वाले वक्त में ये देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने के बाद उत्तराखंड के सियासी गलियारों में क्या कुछ होने वाला है।

शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार तथा सरकारी स्कूलों की दशा किसी से छिपी नहीं है। स्कूलों में शिक्षकों के साथ ही अन्य सुविधाओं की कमी है, राज्‍य में बच्‍चो की पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों की तरफ रुख हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में पहाड़ में स्थिति विकट है। पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और अस्‍पतालो की दशा छिपी हुई नही है। आलम ये है कि पर्वतीय क्षेत्र में छोटी-छोटी बीमारियों की दशा में भी उपचार के लिए कई-कई किमी पैदल नापकर शहरी क्षेत्रों के अस्पतालों तक पहुंचना पड़ता है। यही नहीं, रोजगार की दशा किसी से छिपी नहीं है। पहाड़ों पर उद्योग चढ़ाने की मुहिम आज तक परवान नहीं चढ़ पाई है;

इन मुददो को लेकर अरविन्‍द केजरीवाल उत्‍तराखण्‍ड में पहली पसंद बन सकते हैं, चन्‍द्रशेखर उपाध्‍याय ने उक्‍त बिन्‍दुओ के अलावा अन्‍य मुददो पर भी चर्चा करते हुए बताया कि

आप पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का इंटरव्यू सोशल मीडिया समेत तमाम प्रिंट एवम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुर्खियां बन गया जिसमें उन्होंने एक थर्ड पार्टी सर्वे में उत्तराखंड में 62% संभावना जताई है, इससे बीजेपी उत्तराखंड में मॉनो हड़कम्प मच गया, 21 अगस्त को बीजेपी की राष्ट्रीय हस्तियां देहरादून थी, उत्तराखंड प्रभारी श्याम जाजू, राष्ट्रीय पदाधिकारी शिव प्रकाश जी समेत देहरादून पहुच गए, यद्धपि दिखावा उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष का सरकारी मकान में गृह प्रवेश था, पर यह कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्यक्रम नही था जिसके लिये राष्ट्रीय हस्तियां देहरादून में जुटती, सिर्फ जुटी ही नही दायित्वधारियों की सूची को फाइनल किया गया, और भी अनेक विषयों पर मंथन हुआ,

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव वर्ष 2022 के शुरुआती माह में प्रस्तावित है, राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी में शुमार हुए अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड के हालात को लेकर अपनी पार्टी का सुनहरा भविष्य वहां देख रहे है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान भी दिया है, उत्तराखंड के 62 प्रतिशत लोग बोले-यही है राइट चॉइस, ! लड़ेंगे उत्तराखंड की सभी विधान सभा सीटों पर चुनाव?केजरीवाल की तैयारी को देखकर अनेक बड़े नेता भी आप पार्टी में शामिल हो सकते है, वही उत्तराखंड में पहुचे प्रवासी उत्तराखण्डी देल्ली विधान सभा का रिजल्ट यहां भी दोहरा दे तो आश्चर्य नही

चन्‍द्रशेखर उपाध्‍याय कहते है कि उत्‍तराखण्‍ड में कोविड अस्पताल कितने खोले गये होगे: बडा सवाल जबकि अरविन्‍द केजरीवाल ने कोरोना काल में आम जनता का दिन इस तरह जीता,

एक खबर के अनुसार अरविन्‍द केजरीवाल ने कोरोना काल में आम जनता का दिन इस तरह जीता, जिससे  उनकी लोकप्रियता बढती जा रही है, शायद तभी उनको उत्‍तराखण्‍ड प्रवासियो ने उत्‍तराखण्‍ड विधानसभा चुनाव में उनको सहयोग देने का आश्‍वासन देकर उनको आमंत्रित किया, वही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना के इस दौर में अपने काम को अंजाम देने वाले वॉरियर का नए अंदाज में सम्मान किया है। केजरीवाल कोरोनो शहीद के घर गए और परिवार को एक करोड़ रुपये का चेक दिया। कोरोना महामारी के इस दौर में सभी लोग अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं। देशभर के स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी और सुरक्षा कर्मी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। इस दौर में जरूरत है कि इन लोगों की हौसला आफजाई की जाए। तमाम सरकारें इस दिशा में काम कर रही हैं। लेकिन दिल्ली के सीएम केजरीवाल का अंदाज एकदम जुदा है। पिछले दिनों दिल्ली के एक सफाईकर्मी राजू की कोरोना से लड़ते हुए मौत हो गई थी। अवाम ने इसे एक सामन्य की घटना माना। लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इसे गंभीरता से लिया। सीएम ने तय किया कि इस शहीद का सम्मान होगा। सीएम केजरीवाल खुद राजू के घर पहुंचे और परिवार का सात्वंना दी। इतना ही नहीं केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की ओर से एक करोड़ रुपये की राशि भी इस परिवार को दी। साथ ही यह भी कहा कि दिल्ली सरकार हर संभव मदद करेगी।

आम आदमी पार्टी   ने वर्ष 2022 में उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी और दिल्ली में विधायक दिनेश मोहनिया ने   इस संबंध में जानकारी दी।  आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा से राज्य में आप की सक्रियता तेज हो गई है। उत्तराखंड अध्यक्ष एसएस कलेर के मुताबिक एक -एक विधानसभा में जरूरत के अनुसार दो से तीन प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। अब बूथ इकाईयों का गठन किए जाने के बाद सभी 70 विधानसभा सीटों पर विधानसभा इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। जो अपनी टीम के साथ उक्त विधानसभा का काम देखेगा, यह काम अगले एक महीने में होने की उम्मीद है। यहां बूथ के बाद सीधे विधानसभा की ही इकाईयां गठित की जा रही हैं, जो विधानसभा चुनाव लड़ाने का काम करेंगी।  मोहनिया ने कहा, पार्टी ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर थर्ड पार्टी एजेंसी के जरिए जनता से फीडबैक लिया था। इसमें 62 प्रतिशत लोगों ने भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में ‘आप’को राज्य की राजनीति में आने को कहा।

इसी आधार पर पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। मोहनिया ने कहा कि पार्टी बड़े चेहरों के बजाय पलायन, बेरोजगारी, सरकारी स्कूलों की बदहाली,मोहल्ला क्लीनिक, आपदा प्रबंधन और शिक्षा जैसे विषयों को लेकर चुनाव में जाएगी। दिल्ली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दे उठाने पर ही वहां ‘आप’ को बिना चेहरों के भी भारी जीत मिली। इसी क्रम में पार्टी कार्यकर्ता स्थानीय मुद्दों का ब्ल्यू प्रिंट लेकर दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में भी घर-घर जाएंगे।  दूसरी पार्टियों के नेताओं को ‘आप’ में शामिल करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि तमाम लोग पार्टी के संपर्क में हैं। अच्छे लोगों को लेने में पार्टी गुरेज नहीं करेगी।

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को लेकर इनदिनों काफी चर्चाएं हो रही है। इसबीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने   कहा ‘अरे आप भी आप, आपके लिए मैं, इनके लिए ये आप, क्या आप-आप, आप कुछ नहीं’। कुल सीएम रावत के लहजे से ये साफ हो गया कि वो उत्तराखंड में आप को कहीं नहीं देख रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि ‘आप’ कुछ भी नहीं।   उत्तराखंड में मिशन-2022 को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए है। इस बीच आम आदमी पार्टी ने भी एलान कर दिया है कि वो उत्तराखंड की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी का मानना है कि उत्तराखंड में जनता अब भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरे विकल्प को तलाश कर रही है। पार्टी ने  प्रदेश में हाल ही में हुए सर्वे का भी हवाला दिया है। उनका कहना है कि उत्तराखंड के 62 फीसद लोग चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी यहां से चुनाव लड़े। 

भाजपा प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश है। यहां सभी को अपनी पार्टी बढ़ाने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। जाजू ने कहा कि आप की यह पहली बार घोषणा नहीं है। इससे पहले भी वे पंजाब में शपथ ग्रहण करने गए थे। गोवा में बहुमत मिलने का दावा किया था और काशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने वाले थे। आप दिल्ली तक सिमट गई है। ऐसी पार्टी को दिन में भी सपने देखने का अधिकार है। वे कुछ भी कहते रहें, ये देवभूमि है और भाजपा के अनुकूल वातावरण है। यहां के सभी सांसद व विधानसभा की 70 में 57 सीट भाजपा जीती है। भाजपा को उत्तराखंड में कोई नहीं हरा सकता। यहां भाजपा-कांग्रेस की टक्कर रही है। कभी कोई तीसरी शक्ति नहीं उभर पाई है। जहां तक उत्तराखंड का सवाल है तो केंद्र की मदद से त्रिवेंद्र रावत सरकार ने बहुत काम किए हैं और चप्पे -चप्पे पर भाजपा खड़ी है। भाजपा आप को चुनौती के तौर पर नहीं मानती। राज्य के लोग राष्ट्रवादी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उन्हें पूरा विश्वास है।

मोहनिया ने कहा कि यहां की जनता चाहती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे पर दिल्ली का मॉडल उत्तराखंड में भी धरातल पर नजर आए। ऐसे में आम आदमी पार्टी मिशन2022- की तैयारियों में जुट गई है और प्रदेश की सभी सीटों पर लड़ने का मन बना लिया है। अब जब आम आदमी पार्टी ने भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिआ है, तो जाहिर है कि आगामी चुनाव काफी रोमांचक होगा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उत्तराखंड में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के एलान के बाद उत्तराखंड में भी सियासी हलचल बढ़ने के आसार हैं। आप का दावा है कि बदली परिस्थितियों में उत्तराखंड की जनता भाजपा और कांग्रेस से इतर तीसरा विकल्प चाहती है। पार्टी ने इस सिलसिले में कराए गए सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के 62 फीसद लोग चाहते हैं कि आप यहां चुनाव लड़े। जनता चाहती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के मसले पर दिल्ली का मॉडल यहां धरातल पर उतारे। इसे देखते हुए आप अब तैयारियों में जुट भी गई है। ऐसे में वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव यहां काफी दिलचस्प हो सकता है। माना जा रहा है कि उत्तराखंड में निरंतर जनाधार खो रही कांग्रेस के स्थान पर आप खुद को मतदाताओं के सामने स्वयं को बड़ी सियासी ताकत के रूप में पेश करने की रणनीति पर चल रही है।

उत्तराखंड की सियासी तस्वीर देंखें तो राज्य गठन के बाद से यहां भाजपा और कांग्रेस ही बारी-बारी सत्ता में आते रहे हैं। उत्तराखंड क्रांति दल समेत क्षेत्रीय ताकतें यहां उभर नहीं पाई हैं। सपा यहां पनप नहीं पाईं तो बसपा का जनाधार भी बुरी तरह सिमटा है। बीते छह वर्षों के परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो इस वक्फे में भाजपा अत्यंत मजबूत होकर उभरी है तो इसके ठीक उलट कांग्रेस बिखरी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर विस, लोस के साथ ही स्थानीय निकाय और सहकारिता के चुनावों में भाजपा ताकतवर होकर उभरी है। यही नहीं, वर्ष 2014 से लेकर अब तक कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इसका असर कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन पर साफ तौर पर दिखा है। राज्य में पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं लगी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर तो हुई ही, महज 11 सीटों तक भी सिमट गई। पंचायत और निकाय चुनाव में भी कांग्रेस अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा से पिछड़ गई। कांग्रेस ने इस सबसे कोई सबक भी नहीं लिया। अब भी पार्टी के अंदरूनी मतभेद अक्सर सतह पर नजर आते रहे हैं।

  अब आम आदमी पार्टी की धमक से नए सियासी समीकरण बन सकते हैं

जगह राज्य में दूसरी सबसे बड़ी सियासी ताकत के तौर पर खुद को पेश करने की हो सकती है। हालांकि, अगले डेढ़ साल के भीतर कांग्रेस जैसी पुरानी और मजबूत संगठन वाली पार्टी के विकल्प के रूप में खुद को तैयार करना आप के लिए इतना आसान भी नहीं होगा। यह भी समझा जा रहा है कि अन्य पार्टियों के कुछ ऐसे बड़े चेहरे आप के प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने का रास्ता चुन सकते हैं, जो स्वयं को हाशिये पर पा रहे हैं। इसकी झलक आने वाले दिनों में दिखने लगेगी।

अब आम आदमी पार्टी की धमक से नए सियासी समीकरण बन सकते हैं। दरअसल, आप की रणनीति कांग्रेस की यह भी गौर करना समीचीन होगा कि उत्तराखंड में आप ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी पांचों  सीटों पर प्रत्याशी उतारे, मगर उसे निराश होना पड़ा था। अब आम आदमी पार्टी ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार जैसे मुद्दों पर सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का एलान किया है। बता दें कि ये मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर सभी सियासी दल चुनाव लड़ते आ रहे हैं।

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