मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक,सोशल) अपनी जिम्मेदारी को लेकर संवेदनशील बना रहेगा- सुप्रीम कोर्ट
HIGH LIGHT# केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश दिए जाने की मांग की थी कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सिस्टम से कोरोना वायरस पर तथ्यों की पुष्टि किए बिना कोई भी मीडिया प्रतिष्ठान किसी खबर का प्रकाशन अथवा प्रसारण न करे. #मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल) अपनी जिम्मेदारी को लेकर संवेदनशील बना रहेगा- सुप्रीम कोर्ट # दहशत पैदा करने वाली अपुष्ट खबरें नहीं चलाई जाएंगी – सुप्रीम कोर्ट # अमेरिकी साइंटिस्ट का दावा- तैयार कर ली कोरोना वायरस की दवा # चीन का फरमान- भालू के पित्त से बनी दवा से करो कोरोना का इलाज # वही आमजन चर्चा के अनुसार उत्तराखण्ड में सोशल मीडिया को लेकर उत्तराखण्ड सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग को जिम्मेदारी निभानी चाहिए# Presented by: himalayauk
अमेरिकी साइंटिस्ट का दावा- तैयार कर ली कोरोना वायरस की दवा डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया में रहने वाले फिजिशियन और डिस्ट्रीब्यूटेड बायो के सीईओ डॉ. जैकब ग्लानविले ने कहा है कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही कि इंजीनियरिंग का काम पूरा कर लिया गया है. अब हमारे पास एक प्रभावशाली एंटीबॉडीज है जो कोरोना के खिलाफ काम कर सकता है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, कैलिफोर्निया में रहने वाले फिजिशियन और डिस्ट्रीब्यूटेड बायो के सीईओ डॉ. जैकब ग्लानविले ने कहा है कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही कि इंजीनियरिंग का काम पूरा कर लिया गया है. अब हमारे पास एक प्रभावशाली एंटीबॉडीज है जो कोरोना के खिलाफ काम कर सकता है. अगर इस एंटीबॉडी का परीक्षण सफल होता है तो शॉर्ट टर्म के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. असल वैक्सीन लोगों की आजीवन रक्षा करती है, लेकिन शॉर्ट टर्म वैक्सीन 10 साल तक सुरक्षा दे सकती है. कोरोना वायरस से अब तक दुनियाभर में 8,62,500 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं. 42,500 से अधिक लोग कोरोना से जान भी गंवा चुके हैं.
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के बीच शहरों में काम करने वाले मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन इस फेक न्यूज की वजह से हुआ कि लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय जारी रहेगा. लाइव लॉ के अनुसार, सीजेआई एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने कहा, ‘शहरों में काम करने वाले मजदूरों का बड़ी संख्या में पलायन इस फेक न्यूज की वजह से हुआ कि लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय जारी रहेगा. ऐसे दर्दभरे पलायन से उन लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिन्होंने ऐसी खबरों पर भरोसा किया और ऐसा कदम उठाया. वास्तव में, इस दौरान कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.’ पीठ ने कहा, ‘इसलिए हमारे लिए यह मुश्किल है कि हम इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया द्वारा फैलाए गए फेक न्यूज को नजरअंदाज कर दें.’ पीठ ने ये टिप्पणियां एक जनहित याचिका पर दिए आदेश में की जिसमें कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए कल्याणकारी उपाय किए जाने की मांग की गई थी.
मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल) अपनी जिम्मेदारी को लेकर संवेदनशील बना रहेगा- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने आगे कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल) अपनी जिम्मेदारी को लेकर संवेदनशील बना रहेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि दहशत पैदा करने वाली अपुष्ट खबरें नहीं चलाई जाएंगी.’ पीठ ने यह साफ करते हुए कहा कि महामारी पर स्वतंत्र चर्चा में हस्तक्षेप करने का उसका कोई इरादा नहीं है, लेकिन मीडिया को आधिकारिक दरअसल, जनहित याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया था कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सिस्टम से कोरोना वायरस पर तथ्यों की पुष्टि किए बिना कोई भी मीडिया प्रतिष्ठान किसी खबर का प्रकाशन अथवा प्रसारण न करे. सरकार ने कहा था कि अभूतपूर्व तरह की स्थिति में जानबूझकर या अनजाने में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया या वेब पोर्टलों पर किसी फर्जी या गलत खबर के प्रकाशन अथवा प्रसारण से समाज के एक बड़े तबके में गंभीर और अपरिहार्य रूप से दहशत फैलने जैसे हालात पैदा हो सकते हैं.
चीन का फरमान- भालू के पित्त से बनी दवा से करो कोरोना का इलाज — चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह दवा देने की सिफारिश की है. नेशनल जियोग्राफिक और द इंडिपेडेंट वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार चीन में पाए जाने वाले भालू के पित्ताशय में से पित्त निकाला जाता है. फिर उससे दवा बनती है. चीन और वियतनाम में करीब 12 हजार भालुओं को फॉर्मों में रखा जाता है. चीन में जिंदा जानवरों को खाने और उनसे दवा बनाने की परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है. चीन की सरकार ने भी 54 प्रकार के जंगली जीव-जंतुओं को फॉर्म में पैदा करने और उन्हें खाने की अनुमति दी है. इसमें उदबिलाव, शुतुरमुर्ग, हैमस्टर, कछुए और घड़ियाल भी शामिल हैं. वैज्ञानकों की मानें तो कोरोना वायरस चमगादड़, सांप, पैंगोलिन या किसी अन्य जानवर से उत्पन्न हुआ है. चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी जनवरी में कहा था कि कोरोनो वायरस वुहान के एक बाजार से जानवरों से निकलकर इंसानों के अंदर आया था.
सरकार ने कहा कि संक्रामक रोग की प्रकृति को देखते हुए इस तरह की रिपोर्टिंग के आधार पर समाज के किसी तबके में दहशत भरी प्रतिक्रिया न सिर्फ स्थिति के लिए खतरनाक होगी, बल्कि इससे समूचे राष्ट्र को नुकसान पहुंचेगा. केंद्र ने कहा कि यद्यपि दहशत पैदा करने का कृत्य आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत एक आपराधिक कृत्य है, शीर्ष अदालत से उचित दिशा-निर्देश झूठी खबर से देश को किसी संभावित और अपरिहार्य परिणाम से बचाएगा. हलफनामे में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को भारत सरकार द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया. मजदूरों का पलायन रोकने के मुद्दे पर केंद्र ने कहा कि इसने आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत निर्देश जारी किए हैं और एक 24X7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से कामगारों के पलायन को रोकने और 24 घंटे के भीतर इस महामारी से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए एक पोर्टल बनाने का भी केंद्र को निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इस पोर्टल पर महामारी से संबंधित सही जानकारी जनता को उपलब्ध करायी जाए, ताकि फर्जी खबरों के जरिए फैल रहे डर को दूर किया जा सके.
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