5 जून से लेकर 5 जूलाई तीन ग्रहण- ज्योतिष के जानकारों केे अनुसार डराने वाले संकेत- ग्रह-नक्षत्रों में भारी उलटफेर
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, अगले एक महीने तक ग्रह-नक्षत्रों में भारी उलटफेर देखने को मिल रहा है। 5 जून से 5 जुलाई 2020 तक एक महीने में तीन ग्रहण पड़ रहे हैं जो भीषण विपदा का संकेत दे रहे हैं। ज्योतिषीय गणना में ग्रणह के प्रभावों को बताती एक पुरानी कहावत “एक पाख दो गहना, राजा मरे या सेना” गांवों में प्रचलित है। इस कहावत का अर्थ है एक पक्ष (शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष) यानी 15 दिन में दो ग्रहण होने से या तो राजा की हत्या या सेना के मारे जाने का संकेत होता है। यानी भीषण विपदा का संकेत है। यह ग्रहण चूड़ामणि योग भी बना रहा है। इसमें स्नान, दान, जप और हवन करना कोटि गुना महत्व देगा। Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; Mail; himalayauk@gmail.com
21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को चंद्रग्रहण हैं जो करीब 15 दिन में ही पड़ रहे हैं। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि एक पखवाड़े में दो ग्रहण ही नहीं एक महीने ( 5 जून से 5 जुलाई 2020 तक ) में तीन ग्रहण होने जा रहे हैं जो कि ज्योतिष के जानकारों केे अनुसार डराने वाले संकेत हैं।
पंडित राजीश शास्त्री के अनुसार, एक मास में तीन ग्रहण के साथ ही सूर्य, मंगल व गुरु ग्रहों का परिवर्तन व वक्री होने की वजह से भयंकर आपदा के संकेत मिल रहे हैं। इन ग्रहण की वजह से कहा जा रहा हैं कि प्राकृतिक आपदा, जल प्रलय, विश्व स्तर पर युद्ध किसी राजनेता की हत्या जैसी घटनाएं घट सकती हैं। प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, भूकंप और महामारी आदि से जन-धन की हानि का खतरा है।
इस साल मंगल जल तत्व की मीन राशि में पांच माह तक बैठेंगे। ऐसे में वर्षा असामान्य रूप से अत्यधिक होगी और महामारी का भय रहेगा।
8 JUNE 20: Himalayauk Newsportal & Print Media: . विशेष बात ये है कि 5 जून से लेकर 5 जूलाई 2020 तक तीन ग्रहण लग रहे हैं. ये संयोग ज्योतिष शास्त्र की दृ़ष्ठि से शुभ नहीं माना जा रहा है. : ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं का भी कारण बनते हैं. : सीमा विवाद, तनाव जैसी स्थिति की तरफ भी इशारा ::एक भयानक भूकंप या भूकंपों की श्रृंखला आ सकती है. :: हिमालय की तरफ से भूकंप आएगा तो दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र पर ज्यादा असर पड़ेगा :: जवाहरलाल नेहरू सेंटर ऑफ एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में प्रोफेसर सीपी राजेंद्रन ने आशंका जताई है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है.
सूर्य ग्रहण जून माह में ही पड़ रहा है. 5 जून 2020 के बाद अब सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को लगने जा रहा है. एक माह में दो ग्रहण लगना शुभ नहीं होता है. चंद्र ग्रहण के बाद सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. साल का दूसरा ग्रहण 5 जून को लगा था. विशेष बात ये है कि 5 जून से लेकर 5 जूलाई 2020 तक तीन ग्रहण लग रहे हैं. ये संयोग ज्योतिष शास्त्र की दृ़ष्ठि से शुभ नहीं माना जा रहा है. एक माह में दो ग्रहण प्राकृतिक आपदाओं का भी कारण बनते हैं. इसके अतिरिक्त सीमा विवाद, तनाव जैसी स्थिति की तरफ भी इशारा करते हैं. दो ग्रहण कई क्षेत्रों में हानि का सूचक भी होता है. इसलिए इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान शिव और भगवान विष्णु की उपासना करना चाहिए.
21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण =सूर्य ग्रहण 21 जून की सुबह 9:15 बजे से दोपहर 15:03 बजे तक भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया। 21 जून को खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। भारत के अलावा यह सूर्यग्रहण एशिया, अफ्रिका और यूरोप में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगेगा।
साल 2020 का भारत में दिखाई देने वाला एक मात्र सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने जा रहा है। प्रभाव देश दुनिया पर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है। कुछ स्थानों पर सूर्य पूरी तरह छुप जाएगा। यह ग्रहण करीब 5 घंटे, 48 मिनट 3 सेकंड का रहेगा। इस ग्रहण के कारण अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सरकार का प्रयास बाधित होगा। कोरोना से बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हो सकते हैं जिससे सरकार को नई रणनीति तैयार करनी होगा।
5 जुलाई 2020 को चंद्र ग्रहण :5 जुलाई को भी चंद्रग्रहण लगेगा, लेकिन ये दोनों ग्रहण मांद्य ग्रहण है, जिस कारण से इनका किसी भी राशि पर कोई असर नहीं होगा। चंद्र ग्रहण सुबह 8: 37 बजे से 11:22 बजे तक अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा।
ग्रहण शुभ फल लेकर नहीं आते हैं. ये भविष्य में आने वाली परेशानियों के बारे में भी इंगित करते हैं. जून माह की ही अगर बात करें तो दो ग्रहण लग रहे हैं. 21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण लग रहा है. इसके बाद 5 जुलाई को पुन: चंद्र ग्रहण लग रहा है. सूर्य ग्रहण में सूतक काल मान्य होगा. 21 जून को लगने सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है. इस कारण मिथुन राशि पीड़ित होगी
साल का चौथा ग्रहण आषाढ़ माह की पूर्णिमा यानी 5 जुलाई को लगने जा रहा है. यह चन्द्र ग्रहण 5 जुलाई को सुबह में 08 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास की धरती फिर कांपी. 8 जून 2020 2.1 तीव्रता का झटका फिर आया. लगातार धरती हिलने की वजह से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़े भूकंप के आने की आशंका है. ऐसी आशंका देश के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने जताई है. इसके पीछे कारण ये है कि दिल्ली-एनसीआर (Delhi – NCR) में पिछले एक महीने से लगातार छोटे-छोटे भूकंप के कई झटके आ चुके हैं. इंडियन प्लेट लगातार उत्तर की ओर खिसक रही है. इसकी वजह से हिमालय में दबाव बन रहा है. जिस दिन ये दबाव रिलीज होगा, एक भयानक भूकंप या भूकंपों की श्रृंखला आ सकती है. लेकिन ये कब होगा ये बता पाना बेहद मुश्किल है
हिमालय की तरफ से भूकंप आएगा तो दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र पर ज्यादा असर पड़ेगा. दिल्ली सीसमिक जोन 4 में हैं. यानी ज्यादा खतरनाक और संवेदनशील इलाके में है. भूकंप आएगा तो दिल्ली एनसीआर में भयावह तबाही का मंजर देखने को मिलेगा.
ये सारे फॉल्टस हिमालय के टेक्टोनिक प्लेट से सटे हुए हैं, ऐसे में हिमालय के टेक्टोनिक प्लेट में होने वाले बदलावों की वजह से दिल्ली के आसपास के फॉल्टस हिलते हैं या कांपते हैं जिनकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस होते हैं हिमालयन टेक्टोनिक प्लेट के नीचे हो रही गतिविधियों से धरती के अंदर दबाव बनता है. ये दबाव जब रिलीज होता है तब भूकंप आता है. ये हल्के भी हो सकते हैं या फिर खतरनाक. ऐसे ही दबाव के रिलीज होने का नतीजा था 29 मई को रोहतक में आया 4.6 तीव्रता का भूकंप. सेंट्रल हिमालयन फुटहिल्स में बड़े भूकंप की आशंका है. क्योंकि इस इलाके में सैकड़ों सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ये बेहद शांत है. यही बात खतरनाक है
राजेंद्रन ने बताया कि यमुना नदी की मिट्टी ऐसी है कि उसपर भूकंप का ज्यादा खतरा है. इसकी वजह से इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है. अगर हिमालय की तरफ से भूकंप के झटके आते हैं तो गंगा का मैदानी इलाका और यमुना का इलाका बुरी तरह से प्रभावित होगा.
भूकंप की निगरानी करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था द नेशनल सेंटर ऑफ सीसमोलॉजी (The National Center of Seismology) ने बताया है कि 12 अप्रैल से 29 मई तक दिल्ली-NCR में 10 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. हाल ही में नोएडा में रात को 3.2 तीव्रता का झटका महसूस किया गया था. पिछले पांच दिनों में तीन बार झटके महसूस किए गए हैं.
आखिर ये दिल्ली-एनसीआर की जमीन के नीचे हो क्या रहा है. क्या कहीं और आ रहे भूकंप की वजह से दिल्ली-एनसीआर कांप रहे हैं. अब लोग डर की वजह से सोशल मीडिया पर इमरजेंसी किट/बैग रखने की सलाह दे रहे हैं. भूकंप से बचने के तरीके सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
जवाहरलाल नेहरू सेंटर ऑफ एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च में प्रोफेसर सीपी राजेंद्रन ने आशंका जताई है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. लेकिन ये कब आएगा और कितना ताकतवर होगा, ये कह पाना मुश्किल है. राजेंद्रन ने ये बातें एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में कहीं हैं.
सीपी राजेंद्रन ने 2018 में एक स्टडी की थी. जिसके मुताबिक साल 1315 और 1440 के बीच भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहाना खोला तक 600 किलोमीटर लंबी सीसमिक गैप बन गई थी. यानी जमीन के अंदर एक बड़ा गैप बन गया है. यह एक सक्रिय भूकंपीय फॉल्ट है. सीपी राजेंद्रन ने बताया कि इस गैप में आमतौर पर कोई हलचल नहीं दिखती. इस पर छोटे-छोटे झटके आते रहते हैं. पिछले 600-700 सालों से ये गैप शांत है. लेकिन इस पर लगातार भूकंपीय दबाव बन रहा है. हो सकता है कि यह दबाव भूकंप के तौर पर सामने आए. अगर यहां से भूकंप आता है तो यह 8.5 तीव्रता तक हो सकता है. अगर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 8.5 तीव्रता का भूकंप आता है भयावह तबाही का मंजर देखने को मिलेगा. दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं. इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं. इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हैं.
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