क्या बैंक लोन देने को तैयार हैं?& एक फ्रंटलाइन वारियर और हीरो CM- जिसने जनता के लिए खुद को रिस्क में डाला & TOP NEWS 8 JUNE 20

8 JUNE 20# Himalayauk Newsportal & Print Media # High Light # कोरोना के कुल केस में 70 फीसदी सिर्फ पांच राज्यों में हैं # सरकार पैकेज का ऐलान करने के बाद बैठ नहीं सकती – पूर्व गवर्नर रघुराम राजन # राजन ने कहा कि सरकार ने 3 लाख करोड़ लोन का ऐलान किया. क्या बैंक लोन देने को तैयार हैं. सिर्फ ऐलान से काम नहीं होने वाला. ये भी देखना होगा कि क्या ये काम कर रहे हैं. # दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत बिगड़ गई  # दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फैसले को खारिज कर दिया  # कोरोना संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी ने वर्चुअल रैली की शुरुआत कर दी # कोरोना को मिटाने के लिए आयुर्वेद के कई अस्त्र युद्ध क्षेत्र में सक्रिय #चीन की कंपनियों का भारत में निवेश पांच गुना बढ़कर 60 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है. # न्यूजीलैंड कोरोना मुक्त हो गया है. # Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com

कोरोना के कुल केस में 70 फीसदी सिर्फ पांच राज्यों में हैं

देश लॉकडाउन के बंधनों से मुक्त हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है. 8 जून की सुबह 8 बजे तक के आंकड़ों के हिसाब से देश में कुल कोरोना मरीजों की संख्या 2 लाख 56 हजार 611 पहुंच गई है. जबकि 7135 मरीजों की मौत हुई है. हैरानी की बात ये है कि कोरोना के कुल केस में 70 फीसदी सिर्फ पांच राज्यों में हैं.

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और राजस्थान वो पांच राज्य हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज हैं. महाराष्ट्र- 85975, तमिलनाडु- 30152, दिल्ली- 27654, गुजरात- 20,070 और राजस्थान में 10,331 केस हैं. यानी इन पांच राज्यों को मिलाकर कुल केस की संख्या 1 लाख 74 हजार से ज्यादा पहुंच रही है, जो कुल मामलों का करीब 70 फीसदी है.

कोरोना के शुरुआती दौर में 1 अप्रैल को जब भारत में कुल कोरोना केस की संख्या 1764 थी तब महाराष्ट्र में 302, दिल्ली में 120, गुजरात में 74, राजस्थान में 93 और तमिलनाडु में 124 केस थे. यानी 1764 में से कुल 713 केस इन पांच राज्यों से थे, जो कुल केस का 40 फीसदी थे.

इसके बाद 14 अप्रैल को पहला लॉकडाउन पूरा हो गया. केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दूसरे चरण का ऐलान कर दिया जो 3 मई तक चला. पूरा देश बंद रहा. न ट्रेन चली, न फ्लाइट, न बस, न टैक्सी. यहां तक कि एक जिले से दूसरे जिले में भी जाने की छूट नहीं दी गई. बावजूद इसके कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ता चला गया. 1 मई को देश में कोरोना के कुल मरीजों की संख्या 43932 पहुंच गई.

सरकार पैकेज का ऐलान करने के बाद बैठ नहीं सकती – पूर्व गवर्नर रघुराम राजन

कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. सरकार के इस ऐलान को 20 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है. सरकार के इस ऐलान से लोगों को कितनी राहत मिलेगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि सरकार पैकेज का ऐलान करने के बाद बैठ नहीं सकती. वो ये नहीं कह सकती कि उसने अपना काम कर दिया. राजन ने कहा कि सरकार को ये देखना होगा कि क्या लोगों की जरूरतें पूरी हो रही है.

रघुराम राजन ने कहा कि सिर्फ ऐलान से काम नहीं होने वाला है. ये भी देखना होगा कि क्या ये काम कर रहे हैं. अगर नहीं काम कर रहे तो जरूरतों को पूरा करने के लिए बदलाव करना होगा. इंडिया टुडे टीवी के शो न्यूजटुडे में रघुराम राजन ने कहा कि पूरी दुनिया के लिए ये मंदी होनी वाली है. इससे बाहर निकलने में कितना समय लगेगा ये कहना मुश्किल होगा.

राजन ने कहा कि आज अमेरिका में रोजगार के आंकड़े आए. लोगों ने जितनी उम्मीद की थी वो इससे ज्यादा रही. इसका मतलब ये हुआ कि जब आप इंडस्ट्री खोलेंगे तो उससे आपको रिकवर होने में मदद मिलेगी. रघुराम राजन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए ये साल तो खराब रहने वाला है. हमें अभी ग्रोथ पर सोचना नहीं चाहिए. ये निगेटिव रहने वाला है. कितनी जल्दी भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी, इस पर उन्होंने कहा कि ये इसपर निर्भर करता है कि अर्थव्यवस्था को कितनी चोट पहुंची है.

रघुराम राजन ने कहा कि हमने वायरस को फैलने से रोकने का पहला स्टेप ही नहीं उठाया. हाउसहोल्ड और लघु उद्दोग को कम से कम नुकसान हो, इस पर स्टेप उठाना चाहिए था. फाइनेंशियल सेक्टर को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. सरकार को उस पर काम करना होगा जिससे वो रफ्तार पकड़ सकें. अब तक जो भी किया उससे आगे बढ़कर सरकार को बहुत कुछ करना होगा.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि ऐलान करने के बाद सरकार बैठ नहीं सकती. ग्राउंड पर क्या असर है उसको लेकर कदम उठाना चाहिए. सरकार ने गरीबों के लिए राशन का ऐलान किया था, क्या वो लोगों तक पहुंच रहा है. क्या वो लोग उससे संतुष्ट हैं. या आपको और भी काम करने की जरूरत है. आप लोगों को वायरस या भूख से मरने का विकल्प नहीं दे सकते. हमें इसी चीज से बचना होगा.

राजन ने कहा कि सरकार ने 3 लाख करोड़ लोन का ऐलान किया. क्या बैंक लोन देने को तैयार हैं. सिर्फ ऐलान से काम नहीं होने वाला. ये भी देखना होगा कि क्या ये काम कर रहे हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत बिगड़ गई 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत बिगड़ गई है. सीएम केजरीवाल को कल से हल्का बुखार और गले में खराश की शिकायत है. अब उनका कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा. कल दोपहर से सारी मीटिंग कैंसिल कर दी गई और सीएम केजरीवाल ने किसी से मुलाकात नहीं की. उन्होंने अपने आपको आइसोलेट कर लिया है. इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुखार है और उन्हें खराश की दिक्कत है. कल से ही वह अपने आवास पर आइसोलेट हैं. कल उनका कोरोना टेस्ट होगा. वह डायबिटिक भी हैं.

गौरतलब है कि कल ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अस्पतालों का बंटवारा कर दिया है. केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने फैसला किया है कि दिल्ली के अस्पताल, चाहे वो सरकारी हों या निजी उनमें अब सिर्फ दिल्लीवालों का ही इलाज होगा. दिल्ली में मौजूद सिर्फ केंद्र के अस्पतालों में दिल्ली से बाहरवालों का इलाज होगा. सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद इसका ऐलान किया था. दिल्ली सरकार को डॉक्टर महेश वर्मा कमेटी ने ये सुझाव दिया था. इसके अलावा दिल्ली सरकार की मानें तो उन्होंने दिल्ली वालों से उनकी राय भी ली थी, और दिल्ली वालों की राय पर केजरीवाल सरकार ने मुहर लगा दी, कि दिल्ली सरकार के अस्पताल में सिर्फ दिल्ली वाले इलाज कराएंगे.

आप नेता और विधायक राघव चड्ढा ने भी सीएम केजरीवाल के जल्द स्वस्थ होने की बात कही. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘डियर अरविंद केजरीवाल आप हमारी प्रेरणा और कोरोना के खिलाफ एक फ्रंटलाइन वारियर और हीरो हैं. आपने दिल्ली की जनता के लिए खुद को रिस्क में डाला. आप स्वास्थ संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में हमारे विचार, प्रार्थनाएं और शुभकामनाएं आपके साथ हैं. ‘

दिल्ली में कुल मरीजों का आंकड़ा 27 हजार 654 है. पिछले 24 घंटे में 1320 नए मामले सामने आए हैं. अब तक 761 लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली में मौजूदा समय में 219 कंटेनमेंट जोन हैं. ये आंकड़े डराने वाले हैं. देश की राजधानी में एक जून के बाद हर रोज 1200 से ज्यादा कोरोना केस आ रहे हैं. देश में कुल मरीजों का आंकड़ा 2 लाख 56 हजार 611 है, जिसमें 7 हजार 135 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1 लाख 24 हजार 95 लोग ठीक हो चुके हैं. यानी अभी भी 1 लाख 25 हजार 381 एक्टिव केस हैं.

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फैसले को खारिज कर दिया 

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के कोरोना मरीजों का इलाज होगा. सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल ने डीडीएमए चेयरपर्सन होने की हैसियत से संबंधित विभागों और प्रशासन को निर्देश दिया है कि बाहरी राज्य के किसी व्यक्ति को इलाज से मना न किया जाए.

 बहरहाल, उपराज्यपाल के इस फैसले से दिल्ली के बाहर के कोरोना मरीजों और उनके परिवारों को राहत मिलेगी जो महामारी के दौरान इलाज की मांग कर रहे हैं.

दिल्ली सरकार ने रविवार को बड़ा फैसला लिया था. अब दिल्ली में दिल्ली सरकार और प्राइवेट अस्पतालों में केवल दिल्ली के निवासियों का इलाज होगा. जबकि दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के अस्पतालों में सभी का इलाज होगा. कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली कैबिनेट ने यह फैसला लिया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को इसका ऐलान किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि जून के अंत तक 15 हजार कोरोना के मरीजों के लिए बेड की जरूरत होगी. एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने ये फैसला लिया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज होगा.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मार्च के महीने तक दिल्ली के सारे अस्पताल पूरे देश के लोगों के लिए खुले रहे. किसी भी समय दिल्ली के अस्पतालों में 60 से 70 फ़ीसदी लोग दिल्ली से बाहर के थे. लेकिन कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर दिल्ली के अस्पताल बाहर वालों के लिए खोल दिए तो दिल्ली वालों का क्या होगा?

कोरोना संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी ने वर्चुअल रैली की शुरुआत कर दी

सोमवार ओडिशा जन संवाद रैली को पूर्व बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया. शाह ने कहा कि ये जो संवाद परंपरा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चालू रखी है वो दुनिया की राजनीति को रास्ता दिखाने वाली होगी. ऐसी महामारी के समय भी कोई पार्टी अपने देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने के लिए किस तरह से जनसंवाद कर सकती है.आज जन संवाद आपके सामने हो रहा है और ऐसी 75 वर्चुअल रैली के माध्यम से भाजपा के कई नेता जनता से संवाद करने वाले हैं.

कोरोना संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी ने वर्चुअल रैली की शुरुआत कर दी है. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति की है. 2014 में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों, आदिवासियों, दलितों की सरकार होगी. पीएम मोदी जो बोलते हैं, वो करते हैं. उन्होंने देश के 60 करोड़ से ज्यादा गरीबों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ढेर सारे काम किए.

शाह ने कहा कि PM मोदी ने 50 करोड़ गरीब भारतीयों के लिए आयुष्मान भारत की शुरुआत की, उन्हें स्वास्थ्य का अधिकार दिया, 5 लाख रुपये के इलाज का खर्च मोदी सरकार उठा रही है. साथ ही 10 करोड़ घरों में शौचालय बनाकर माताओं-बहनों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया. इसके अलावा 2.5 करोड़ लोगों को जिनके पास घर नहीं था उनको मोदी सरकार ने घर देने का काम किया.

अमित शाह ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि का विवाद वर्षों से चल रहा था. करोड़ों लोग राह देखते थे कि कब राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनेगा. मोदी सरकार को आपने दोबारा बहुमत दिया, सटीक तरीके से अपना पक्ष रखा गया और सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया.

अमित शाह ने कहा कि कोरोना से लड़ने में हमसे कुछ चूक हुई होगी, लेकिन विपक्ष बताए उसने क्या किया? ‘ कोई स्वीडन में, कोई अमेरिका में लोगों से बात करता है, इसके अलावा और क्या किया आपने? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना में त्वरित सहायता के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये जरूरतमंदों के लिए दिए हैं. कोरोना संकट के समय करीब 3 लाख उड़िया भाई अलग-अलग क्षेत्रों से वापस आए हैं. उनकी सुरक्षा और घर वापसी के लिए पीएम मोदी ने श्रमिक ट्रेनों चलाई.

शाह ने कहा कि कांग्रेस सरकार में जब मनमोहन प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने RECP के निगोशिएशन की शुरुआत की थी. अगर RECP पर दस्तखत हो जाता तो इस देश का छोटा व्यापारी, उद्यमी, पशुपालक, किसान, मत्सय उद्योग ये सब अपना जीवन दुश्कर तरीके से जी पाते. लेकिन पीएम मोदी ने RECP की मीटिंग में कहा कि ये देश गांधी का देश है, गरीब, किसान, छोटे मजदूर और मेरे मछुआरे भाइयों से दगा नहीं कर सकता उनके हित की सोचना होगा. इस तरह हम RECP से बाहर हुए और आज हर छोटे व्यापारी, उद्यमी अपने आप को बचा हुआ महसूस कर रहे हैं.

कोरोना को मिटाने के लिए आयुर्वेद के कई अस्त्र युद्ध क्षेत्र में सक्रिय

दुनिया के सबसे नए वायरस को विश्व की सबसे बुजुर्ग चिकित्सा पद्धति मात देने आ खड़ी हुई है. कोरोना को मिटाने के लिए आयुर्वेद के कई अस्त्र युद्ध क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं. कहीं हर्बल मास्क तो कहीं हर्बल सैनिटाइजर से काम लिया जा रहा है. बाजार में अब जड़ी-बूटियों के चमत्कारिक अर्क के गुणों वाले सैनिटाइजर उपलब्ध होने लगे हैं.

कोरोना को किसी भी कीमत और किसी भी सूरत में कुचलना है, इसलिए यहां बात सिर्फ सैशे में काढ़ा तक ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक यानी हर्बल हैंड सैनिटाइजर तक भी जा पहुंची है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की नजर में ये देसी तकनीक विदेशी वायरस के छक्के छुड़ाएगी.

एमिल फार्मास्युटिकल कंपनी के कार्यकारी निदेशक, संचित शर्मा ने बताया कि जड़ी बूटियों पर भारतीय ऋषियों की सदियों पुरानी मेहनत, शोध, खोज और प्रयोग आज भी हमारे काम आ रहे हैं. बस जरूरत है तो प्राचीन ग्रन्थों के पन्नों को ध्यान से पलटने की है.

 कोरोना न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. दुनियाभर में अब तक इसके 67 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. कोरोना वायरस से दुनियाभर में मरने वालों का आंकड़ा चार लाख के पार पहुंचने वाला है. जबकि भारत में अब तक 2 लाख 36 हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आएं हैं, जिनमें से साढ़े छह हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है.

चीन की कंपनियों का भारत में निवेश पांच गुना बढ़कर 60 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में चीन की कंपनियों का निवेश वर्ष 2014 में 12 हजार करोड़ रुपये था, जो अब पांच गुना बढ़कर 60 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है. असल में चीन किसी तीसरे देश की कंपनियों के जरिए भारत में कई सेक्टर में निवेश कर रहा है. वर्ष 2019 में भारतीय स्टार्ट-अप्स में चीन का निवेश करीब 94 फीसदी बढ़ा है. 2018 में चीन के निवेश का आंकड़ा करीब 15 हज़ार करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष बढ़कर 29 हजार करोड़ रुपये हो गया है.

भारत में 30 बड़े Start-ups में से करीब 18 स्टार्ट-अप में चीन के निवेशकों का पैसा लगा है. भारत की 75 से ज़्यादा ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें चीन के निवेशकों ने पैठ बना ली है. ये कंपनियां ई-कॉमर्स, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, मीडिया और सोशल मीडिया और लॉजिस्टिक की फील्ड में काम करती हैं. सिर्फ यही नहीं चीन के वीडियो ऐप टिकटॉक ने भारत में गूगल के यूट्यूब को पीछे छोड़ दिया है. भारतीय बाज़ार में चीन के OPPO और XIAOMI जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा स्मार्टफोन बेच रही हैं. इनका मार्केट शेयर करीब 72 फीसदी हो चुका है. 

भारत में चीनी सामान के बहिष्कार से चीन में उसकी घबराहट साफ दिखा जा सकती है. चीन ने कहा है कि भारतीय मुश्किल से ही चीन के सामानों का बायकॉट कर सकते हैं. चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लद्दाख के समाजसेवी सोनम वांग्चुक पर भी निशाना साधा गया है. अखबार का दावा है कि भारतीयों के लिए चीन के सामान का बहिष्कार करना संभव नहीं है. चीन के दंभ को चकनाचूर करती ये खबर उसी अखबार ने छापी है जो दुनियाभर में चीन का प्रोपगैंडा फैलाने के लिए बदनाम है. चीन की बेचैनी का सीधा मतलब ये है कि पीएम मोदी की अपील पर लोकल के लिए वोकल की जो गूंज उठी है उसका शोर चीन की शी जिनपिंग सरकार के कानों तक पहुंच चुका है. चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में लिखा है, “भारत में चीन विरोधी सुर भारत के राष्ट्रवादियों के लगातार चीन के खिलाफ बयानबाजी का है. जो चीन बहिष्कार की बातें हो रही है. चीनी सामान का विरोध करना बहुत मुश्किल है वो भी तब जब वो व्यापक तौर पर भारतीयों की जिंदगी से जुड़े हैं, इन्हें बदला नहीं जा सकता.”

मेरिका के साथ भारत के मजबूत होते रिश्तों से चीन परेशान है तो दूसरी तरफ दुनिया के आठ देशों ने चीन के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाया है. ये गठबंधन न सिर्फ चीन के खिलाफ रणनीति बनाएगा बल्कि उसे माकूल जवाब भी देगा. चारों तरफ से घिरता चीन अब बौखलाया गया है. चीन के खिलाफ दुनिया ने मोर्चाबंदी तेज कर दी है. चीन पहले से ही दक्षिण सागर, हांगकांग और कोरोना वायरस के मुद्दे पर दुनिया के कई देशों के निशाने पर है और अब चीन के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए दुनिया के 8 देश एकजुट हो गए हैं.

आत्मनिर्भर भारत का मंत्र देने वाले लद्दाख के मशहूर शिक्षाविद सोनम वांग्चुक का जिक्र भी चीन के सरकारी मुखपत्र में हो रहा है. सोनम वांग्चुक ने ही भारत-चीन सीमा पर तनातनी के बीच बुलेट की जगह वॉलेट से चीन को सबक सिखाने की सलाह दी है. सोनम वांग्चुक जिनका काम 3 इडियट्स फिल्म में दिखाई देता है वो सोशल मीडिया पर चीन के सामान और एप्स का विरोध कर रहे हैं. दुनिया को कोरोना को संकट में डालकर चीन पड़ोसियों के बीच में खलबली करने के सपने पाल रहा था लेकिन इस बार भारत ने चीनी सपने को पनपने ही नहीं दिया. चीन की छटपटाहट की वजह उसका भारत से होने वाला व्यापार भी है.

चीन के खिलाफ बने गठबंधन का नाम इंटर पार्लियामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC) रखा गया है. इसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं. गठबंधन का मकसद चीन से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाना और सहयोग के साथ उचित जवाब देना है. अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो IPAC के सह-अध्यक्षों में से एक हैं. आठों देश चीन को वैश्विक चुनौती के तौर पर देख रहे हैं. 

हांगकांग (Hong Kong) के मुद्दे पर चीन विरोधी अमेरिकी अभियान में जापान शामिल नहीं होगा. समाचार एजेंसी क्योदो के मुताबिक, चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर संयुक्त रूप से उसके खिलाफ निन्दात्मक बयान जारी करने के अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के फैसले से जापान सरकार ने खुद को अलग कर लिया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने चीन द्वारा 28 मई को पारित नए सुरक्षा कानून के लिए उसकी निंदा करते हुए कहा था कि यह स्वतंत्रता के लिए खतरा होगा और पूर्व उपनिवेश की स्वायत्तता पर 1984 के चीन-ब्रिटिश समझौते को भंग कर देगा. 

अब चीन को घेर कर पटखनी देने के लिए आठ देशों ने मिलकर चक्रव्यूह तैयार किया है. भारत के साथ लद्दाख सीमा पर जारी तनाव पर भी दुनिया की नजर है. ऐसे में अमेरिका समेत 8 देशों ने चीन की ताकत को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए खतरा मानते हुए एक महागठबंधन बनाया है.अब तक खुलकर सामने नहीं आये इन देशों ने अब गठबंधन बनाकर चीन के खिलाफ दुश्मनी का ऐलान कर दिया है. ये गठबंधन चीन की हर हरकत का माकूल जवाब देने की रणनीति पर काम करेगा और संप्रभुता की आड़ में चीन की मनमानी को नाकाम करेगा. 

न्यूजीलैंड कोरोना मुक्त हो गया है

वेलिंगटन: कोरोना (Corona Virus) संक्रमित आखिरी मरीज के ठीक होने के साथ ही न्यूजीलैंड कोरोना मुक्त हो गया है. COVID-19 के नए मामले अब सामने नहीं आ रहे हैं, लिहाजा सरकार सभी प्रतिबंध हटाने पर जल्द फैसला ले सकती है.  28 फरवरी के बाद यह पहला मौका है जब देश में पिछले 17 दिनों में कोरोना का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न (Jacinda Ardern) जल्द ही सीमाओं की सख्त निगरानी को छोड़कर कोरोना से बचाव के लिए लगाये गए कड़े प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा कर सकती हैं.  

न्यूजीलैंड ने कोरोना की दस्तक के साथ ही 25 मार्च से लॉकडाउन लगा दिया था. तब से अब तक देश में 22 लोगों की मौत हुई है और 1,500 लोगों कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. कोरोना की आखिरी मरीज 50 वर्षीय ऑकलैंड निवासी महिला अब पूरी तरह ठीक हो गई हैं. इसी के साथ न्यूजीलैंड में कोरोना का अब कोई मरीज नहीं है. 

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय (Johns Hopkins University) का कहना है कि कोरोनावायरस विश्वस्तर पर 7 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है. वर्तमान में, 7,006,436 लोग संक्रमित हैं जबकि 402,699 लोगों की मौत हुई है. JHU ट्रैकर के अनुसार भारत, अमेरिका, ब्राजील, रूस और यूनाइटेड किंगडम, ये पांच देश सबसे बुरी तरह प्रभावित देश हैं.

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय (Johns Hopkins University) का कहना है कि कोरोनावायरस विश्वस्तर पर 7 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है. वर्तमान में, 7,006,436 लोग संक्रमित हैं जबकि 402,699 लोगों की मौत हुई है. JHU ट्रैकर के अनुसार भारत, अमेरिका, ब्राजील, रूस और यूनाइटेड किंगडम, ये पांच देश सबसे बुरी तरह प्रभावित देश हैं.

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