UTTRAKHAND; स्वामीजी हमेशा भगवान शिव के क्षेत्र, त्याग और योग की भूमि, हिमालय से आकर्षित थे- मोदीजी इस आश्रम में ध्यानरत होगे

DT 4 OCT. 2023 # स्वामीजी हमेशा भगवान शिव के क्षेत्र, त्याग और योग की भूमि, हिमालय से आकर्षित थे। स्विस आल्प्स के उनके दौरे के दौरान भारत में समान परिस्थितियों में एक आश्रम स्थापित करने का विचार आकार लिया। जब स्वामीजी 1897 में पश्चिम से लौटे और अपने जबरदस्त व्यक्तित्व और संदेश से भारत को जगाया, तो मूर्छित धर्म का भी कायाकल्प हो गया। # आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए एक गेस्टहाउस # स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि अद्वैत आश्रम मायावती में किसी मूर्ति या तस्वीर की पूजा न की जाये. इसलिए उनकी आज्ञा अनुसार यहाँ कोई पूजा पाठ नहीं किया जाता. हालाँकि सायं के समय राम-धुन संक्रीतन जरूर होता है.

# By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Daily Newspaper) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030 — कलयुग तारक मन्त्र- राधे राधे

मां पीतांबरा श्री बगुलामुखी दरबार बंजारा वाला देहरादून से: मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है. विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है. मां बगलामुखी के विशेष मंत्र अदभुत चमतकारिक : ‘ॐ ह्रीं बगलामुखी :; विशेष: श्राद्ध के अवसर पर आहुति देने का समुचित विधान है: 8 अक्टूबर को बद्रीनाथ मन्दिर क्षेत्र में अलकनन्दा नदी के किनारे विशेष पूजन करेगे: चंद्रशेखर जोशी वशिष्ठ गोत्र ब्राह्मण, & संस्थापक अध्यक्ष: मां पीतांबरा श्री बगुलामुखी शक्तिपीठ मंदिर पंजीकृत

अल्मोडा में, उन्होंने अपने शिष्य स्वामी स्वरूपानंद के साथ कैप्टन सेवियर और श्रीमती सेवियर को ‘अद्वैत को समर्पित’ आश्रम बनाने के लिए जगह की तलाश शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इसे समुद्र तल से 6,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित मायावती में पाया, जो तीन तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ था, जिसके एक तरफ से बर्फ से ढकी हिमालय श्रृंखला का मनमोहक दृश्य दिखाई देता था।

मार्च 1899 में अद्वैत आश्रम का उद्घाटन हुआ। पहले स्थापित बेलूर मठ ने इसके उद्देश्यों और सिद्धांतों को मंजूरी दी और अद्वैत आश्रम को अपनी शाखा के रूप में मान्यता दी। स्वामीजी ने जनवरी 1901 में आश्रम का दौरा किया और एक पखवाड़े तक रुके।

कठिनाइयाँ तो आई हैं लेकिन जब किसी के पास जीने के लिए कोई महान आदर्श हो तो कठिनाइयाँ महत्वहीन हो जाती हैं। अद्वैत आश्रम की अपनी एक प्रेस थी और स्वामी विवेकानन्द के कार्यों, उनके जीवन आदि के पहले संस्करण मासिक पत्रिका प्रबुद्ध भारत के अलावा, मायावती से प्रकाशित होते थे। अनिवार्यता के नियमों का पालन करते हुए, उत्कृष्ट पुस्तकों से भरा एक अच्छा पुस्तकालय स्वाभाविक रूप से विकसित हुआ।

आश्रम का उद्देश्य अनुष्ठानिक सेटिंग से मुक्त अद्वैत दर्शन का अध्ययन, अभ्यास और प्रचार करना था, और इसे फैलाने में दूसरों को प्रशिक्षित करना भी था। कुछ ही समय में आश्रम पूर्व और पश्चिम के सर्वोत्तम दिमागों का एक पिघलने वाला बर्तन बन गया। इसने मूल अद्वैत सिद्धांत, शरीर और मन से परे आत्मा के सिद्धांत को फैलाने में मदद की, जिसे इसने विभिन्न विषयों और स्वभावों के अनुरूप नए तरीकों से तैयार किया। दूसरा फोकस संस्कृत-अंग्रेजी, अंग्रेजी और हिंदी में वेदांतिक, रामकृष्ण-पवित्र माता-विवेकानंद साहित्य के विशाल संग्रह का निर्माण था। यह पूरे विश्व में आध्यात्मिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक जागृति के लिए एक लॉन्चिंग पैड के रूप में कार्य कर रहा है।

चंपावत से 22 किमी और लोहाघाट से 9 किमी दूर, यह आश्रम 1940 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अद्वैत आश्रम की स्थापना के बाद इसे प्रसिद्धि मिली । यह आश्रम भारत और विदेश से आध्यात्मिक लोगों को आकर्षित करता है | मायावती का आश्रम पुराने बागान के बीच स्थित है। 1898 में अल्मोड़ा के अपने तीसरे दौरे के दौरान, स्वामी विवेकानंद ने मद्रास से मायावती में ‘प्रबुद्ध भारत’ के प्रकाशन कार्यालय को स्थानांतरित करने का फैसला किया था, तब से यह प्रकाशित किया जाता है। मायावती में एक पुस्तकालय और एक छोटा सा संग्रहालय भी है।

मायावती अद्वैत आश्रम उत्तराखंड में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। लोहाघाट से 9 कि.मी. की दूरी पर सघन बांज एवं बुरांस वृक्षों के बीच स्थापित मायावती आश्रम स्वामी विवेकानन्द का आश्रय स्थल रहा है। यहाँ पर स्वामी विवेकानन्द 1901 में आये थे एवं लगभग एक सप्ताह तक इस स्थल पर उन्होंने निवास किया था। यहां पर वर्तमान में एक धर्मार्थ चिकित्सालय भी आश्रम द्वारा संचालित किया जाता है।

अद्वैत वेदांत के अभ्यास और प्रचार के लिए स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से 1899 में आश्रम की स्थापना की गई थी। गहरे हिमालयी जंगलों के एकांत में स्थित, यह 380 किमी लंबी बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखला का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है।

गतिविधियाँ:

स्वामी विवेकानन्द द्वारा स्थापित अंग्रेजी मासिक प्रबुद्ध भारत (जागृत भारत) का संपादन । 14,115 पुस्तकों और 21 समाचार पत्रों और पत्रिकाओं वाला एक पुस्तकालय । 25 बिस्तरों वाला अस्पताल; हर साल चिकित्सा शिविर (ईएनटी, नेत्र, दंत, हृदय-मधुमेह, त्वचा और सामान्य) आयोजित किए जाते हैं। आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए एक गेस्टहाउस । डेयरी और कृषि मध्यम स्तर पर। कोलकाता शाखा : पुस्तकों के प्रकाशन और वितरण के कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए, 1920 में कोलकाता में एक शाखा शुरू की गई थी। दो बार अपना स्थान बदलने के बाद, यह शाखा 1960 में एंटली में अपने वर्तमान स्थान पर चली गई। अंग्रेजी, संस्कृत, नेपाली और हिंदी में पुस्तकों का प्रकाशन ; शीर्षकों की कुल संख्या: 551. अंग्रेजी मासिक प्रबुद्ध भारत का प्रकाशन (125वाँ वर्ष)। एक पुस्तकालय और एक वाचनालय जिसमें 23,225 पुस्तकें और 57 समाचार पत्र और पत्रिकाएँ हैं। एक साप्ताहिक अध्ययन मंडल . आश्रम और अन्य जगहों पर धार्मिक कक्षाएं और सार्वजनिक व्याख्यान । विभिन्न व्यक्तियों और संस्थानों को भोजन, कपड़े आदि के पाक्षिक वितरण और वित्तीय सहायता के माध्यम से कल्याण कार्य ।

पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। यह स्थल ऐतिहासिक होने के साथ साथ अत्यंत मनोहारी एवं नैसर्गिक छटा से परिपूर्ण है। मन भावन दृश्य पर्यटकों कों अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। स्वामी विवेकानन्द ने विश्व भ्रमण के साथ उत्तराखण्ड के अनेक क्षेत्रों में भी भ्रमण किया जिनमें अल्मोड़ा तथा चम्पावत में उनकी विश्राम स्थली को धरोहर के रूप में सुरक्षित किया गया

अद्वैत आश्रम उत्तराखंड के महत्त्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में शुमार है. चम्पावत जिले के लोहाघाट कस्बे से लगभग 9 किलोमीट उत्तर पक्षिम की ओर मायावती नामक स्थान पर स्थिति यह आश्रम स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda In Hindi) की यादों और विचारों का केंद्र बिंदु है. स्वामी विवेकानंद जी के जीवन दर्शन को समझने और उनके बताये हुवे मार्ग के बारे में जानने की तम्मना रखने वालों के लिए अद्वैत आश्रम मायावती एक अदभुत स्थान है. मायावती आश्रम अपनी नैसर्गिक सौन्दर्य और एकांतवास के लिए प्रसिद्द है. बुरांस, देवदार, बांज और चीड आदि के जंगलों के बीच बसा यह आश्रम ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश और विदेश के अनेकों शांति और सौन्दर्य प्रेमी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

अद्द्वैत आश्रम मायावती, रामकृष्ण मठ की एक शाखा है. इसकी स्थापना 19 मार्च 1999 को स्वामी विवेकानंदा की प्रेरणा से उनके शिष्य स्वामी स्वरूपानंद सहित उनके अंग्रेज शिष्य दम्पति “कैप्टन जे एच सेविअर” और पत्नी सी एलिजाबेथ सेवियर ने मिलकर की थी. सेवियर दंपत्ति इंग्लेंड में अपना घर और जमीन बेचकर स्वामी विवेकानंद के साथ भारत आ गये और लोहाघाट के मायावती में अद्द्वैत आश्रम की स्थापना की. कैप्टन जे एच सेविअर भारत आने के बाद पूरे समय अपनी पत्नी सहित अद्द्वैत वेदांत के प्रचार प्रसार और “प्रबुद्द भारत” नामक मासिक पत्रिका के कार्य में लगे रहे. बहुत अल्प समय में ही 28 अक्टूबर 1900 को कैप्टन जे एच सेविअर का देहांत हो गया.

शिष्य जे एच सेविअर के देहांत हो जाने के उपरांत स्वामी विवेकानंद, श्रीमती सी एलिजाबेथ सेवियर को सांत्वना देने के लिए 3 जनवरी 1901 के दिन मायावती आश्रम आये थे. स्वामी जी यहाँ लगभग 15 दिन यानि कि 18 जनवरी 1901 तक रुके थे.

स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि अद्वैत आश्रम मायावती में किसी मूर्ति या तस्वीर की पूजा न की जाये. इसलिए उनकी आज्ञा अनुसार यहाँ कोई पूजा पाठ नहीं किया जाता. हालाँकि सायं के समय राम-धुन संक्रीतन जरूर होता है.

समाज कल्याण के कार्य

SOCIAL WORK AT ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI

सन 1901 में यहाँ एक छोटे से पुस्तकालय की स्थापना की गई थी जिसमे स्वामी विवेकानंद के जीवन, विचार, दर्शन, आध्यात्म और योग सहित अनेकों विषयों पर लिखी गई किताबों का संकलन है. मायावती आश्रम में एक धर्माथ अस्पताल की स्थापना भी सन 1903 में की गई थी. जिसमे आस पास के गरीब लोगों को मुफ्त चिकित्सा सहायता की जाती है. यह रुग्णालय लोहाघाट, चम्पावत के ग्रामीणों के लिए आज किसी वरदान से कम नहीं है. देश-विदेश से बेहतरीन चिकित्सक यहाँ सेवाकार्य के लिए आते है. जिसका खूब फायदा यहाँ के लोगों को होता है. आश्रम में, बाहर से आये हुवे अथितियों के रुकने के लिए धर्मशाला की सुविधा भी है.

अद्वैत आश्रम मायावती का इतिहास

HISTORY OF MAYAWATI ASHRAMA

अद्दवैत आश्रम की स्थापना के बारे में जानने के लिए हमें आश्रम की स्थापना के समय से कुछ वर्ष पीछे जाकर स्वामी विवेकानंद के जीवन वृतांत को समझना होगा.

1895 स्वामी विवेकानंद इंग्लेंड में थे तो वही के एक निवासी जेम्स हेनरी सेवियर आपनी पत्नी सी एलिजाबेथ सेविएर के साथ स्वामी जी से मिलने आये. जेम्स हेनरी तथा उनकी पत्नी सी एलिजाबेथ हेनरी की अध्यात्म में काफी रूचि थी और वो स्वामी विवेकानंद के दर्शन और व्याख्यान से काफी प्रभावित हुवे. 1896 में जब स्वामी जी स्विट्जर्लैंड, जर्मनी और इटली की यात्रा पर गये तो हेनरी दम्पत्ति भी स्वामी विवेकानंद के साथ चल दिए. इसी बीच जब स्वामी विवेकानंद और हेनरी दम्पत्ति ऐल्प्स पर्वत की यात्रा पर थे तब उन्होंने भारत के हिमालयन राज्य में संतो के एकांतवास और वेदांत के अध्यन के लिए एक आश्रम बनाने की इच्छा व्यक्त की.

सेवियर दम्पति और मायावती आश्रम

SEVIOAR FAMILY AND ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI

इसी कार्य को सम्पन करने के लिए सेवियर दम्पति ने स्वामी विवेकनद से भारत आने की इच्छा वक्त की. स्वामी जी की आज्ञा पाकर दिसम्बर 1896 को सेवियर दम्पति स्वामी विवेकानंद के साथ भारत के लिए रवाना हो गये फ़रवरी 1897 को वो मद्रास पहुचे. स्वामी विवेकानंद जी कलकत्ता चले गये और सेवियर दम्पति अल्मोड़ा आ गये. अल्मोड़ा आ कर उन्होंने एक बंगला किराये पर लिया जहा वो दो वर्षों तक ठहरे. इस दौरान उन्होंने आश्रम के लिए उपयुक्त स्थान की खोज जारी रखी और अंततः जुलाई 1898 में लोहाघाट के नजदीक मायावती नामक स्थान जो की एक चाय बगान था का चुनाव किया और इसे आश्रम के लिये खरीद लिया गया.

स्वामी स्वरूपानंद की सहायता से अद्वैत आश्रम मायावती 19 मार्च 1899 को बनकर तैयार हो गया. स्वामी स्वरूपानंद इस आश्रम के प्रथम प्रमुख बने. चेन्नई मठ से निकलने वाली प्रबुद्ध भारत नामक पत्रिका के संपादक की अचानक मुर्त्यु के बाद पत्रिका के संपादन और प्रकाशन की जिम्मेदारी भी मायावती आश्रम के पास आ गई. स्वामी स्वरूपानन्द जी ने प्रबुद्ध भारत के संपादक का कार्यभार संभाला और मायावती आश्रम में ही इसके प्रकाशन का कार्य भी किया जाने लगा.

स्वामी विवेकनादं का अद्वैत आश्रम मायावती को पत्र

LATTER TO MAYAWATI ASHRAMA

आश्रम के उद्घाटन के अवसर पर मार्च 1899 को स्वामी विवेकानंद ने एक पत्र भेजा कर कहा था कि “सत्य को आजादी के साथ फैलने देने, मानव के जीवन को ऊँचा उठाने और मानव मात्र के कल्याण के लिए हम अद्वैत आश्रम की शुरुवात करते है. हम उम्मीद करते है की अद्वैत आश्रम सभी प्रकार के अन्धविस्वासों और कमजोर करने वाले विकारों को दूर रखेगा, साथ ही यहाँ एकता के सिद्दांत का मनन किया जायेगा. सभी प्रणालियों के साथ पूरी सहानभूति रखते हुवे यह आश्रम सिर्फ अद्वैत के लिए समर्पित है”.

अद्वैत आश्रम मायावती से प्रकाशित साहित्य

LITERATURE PUBLISHED FROM ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI

अद्वैत आश्रम मायावती से अंग्रेजी मासिक पत्रिका प्रबुद्ध भारत के अलावा अनेक महत्वपूर्ण साहित्य का जैसे कि भक्ति योग, ज्ञान योग, राज योग, स्वामी विवेकानंद के पत्र आदि प्रकाशन किया गया.

कैसे पहुचे अद्वैत आश्रम मायावती

HOW TO REACH ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI

अद्वैत आश्रम मायावती पहुचने के लिए आपको उत्तराखंड के चम्पावत जिले में स्थित लोहाघाट शहर पहुचना पड़ेगा.

दिल्ली से अद्वैत आश्रम मायावती

DELHI TO ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI

दिल्ली से अद्वैत आश्रम मायावती पहुचने के लिए आप रेल मार्ग से काठगोदाम तक आ सकते है. काठगोदाम से रोड मार्ग के जरिये उत्तराखंड परिवहन की बस या निजी वाहन से टनकपुर, चम्पावत होते हुवे आप लोहाघाट पहुचेंगे. लोहाघाट से 9 किमी दूर मायावती आश्रम स्थित है.

रोड मार्ग से अद्वैत आश्रम मायावती

ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI BY ROAD

आप दिल्ली, देहरादून या किसी भी शहर से हल्द्वानी या फिर टनकपुर, चम्पावत, लोहाघाट रोड मार्ग से भी पहुच सकते है. देल्ही से लोहाघाट सीधे रोड मार्ग से दूरी लगभग 430 किलोमीटर है. अगर आप काठगोदाम आते है तो आप एक अन्य मार्ग काठगोदाम से देवीधुरा होते हुवे भी लोहाघाट पहुच सकते है.

हवाई मार्ग से अद्वैत आश्रम मायावती.

ADVAITA ASHRAMA MAYAWATI BY AIR

अगर आप हवाई मार्ग से यात्रा करना चाहते है तो पंतनगर एअरपोर्ट सबसे नजदीकी एअरपोर्ट है. दिल्ली और देहरादून आदि बड़े शहरों से हवाई सेवा उपलब्ध रहती है. पंतनगर से लोहाघाट के बीच की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है.

चम्पावत स्थिति अन्य मत्वपूर्ण पर्यटक स्थल

OTHER TOURIST PLACES AT CHAMPAWAT

पर्यटक स्थलों के लिहाज से चम्पावत पूरे उत्तराखंड में एक मत्वपूर्ण स्थान है. पैराणिक महत्व के पर्यटक स्थल हो या एतिहासिक, चम्पावत दोनों ही मामलों में से एक बेहतरीन जगह है. जब आप मायावती आश्रम धूमने की योजना बना रहे हों तो आस- पास के पर्यटन स्थल और मंदिर घूमना न

अपना ऑनलाइन आवेदन जमा करने के बाद, गेस्ट हाउस बुकिंग से संबंधित सभी पत्राचार के लिए कृपया केवल mayavitiguesthouse@gmail.com का उपयोग करें।

अद्वैत आश्रम पीओ मायावती, वाया लोहाघाट डीटी। चंपावत-262 524

उत्तराखंड , भारत

फोन: 91-05965-234233 / (+91) 94115-64434

ईमेल: mayavi@rkmm.org

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